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नेहरू परिवार के दामाद वाड्रा पर आईटी विभाग का शिकंजा, 25 करोड़ जमा करने को कहा

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भ्रष्टाचार से डटकर मुकाबला करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने का संकल्प लेकर प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी और उनके नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार से कांग्रेस पार्टी और उसके मुखिया राहुल गांधी को नफरत क्यों है। उसकी एक वजह मिल गई। आयकर विभाग ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करके अज्ञात स्रोतों से आय करने के मामले में 25 करोड़ रुपए जमा करने का आदेश दिया है। इस राशि को जमा करने के लिए आयकर विभाग ने मात्र 30 दिनों का वक्त दिया है। 

अज्ञात स्रोतों से आय के मामले में वाड्रा को नोटिस
देश पर लंबे समय तक शासन करने वाले नेहरू खानदान का दामाद रॉबर्ट वाड्रा बगैर किसी संवैधानिक पद के देश के जाने-माने वीवीआईपी हैं। और वह भी एसपीजी सुरक्षा के घेरे में रहने वालों में से एक हैं। आयकर विभाग ने वाड्रा पर शिकंजा कसते हुए अज्ञात स्रोतों से आय के मामले में नोटिस दिया है। वाड्रा को अपना पक्ष रखने के लिए 30 दिन का वक्त भी दिया है। मामला स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से जुड़ा हुआ है जिसमें वाड्रा के पास 99% का मालिकाना हक है। इस मामले में वाड्रा को हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम दोनों जगह मुंह की खानी पड़ी।

 

ईडी ने वाड्रा का करीबी को सालभर पहले किया गिरफ्तार 
प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल इसी मामले में दो लोगों जयप्रकाश बागरवा और अशोक कुमार को गिरफ्तार किया था. अशोक कुमार स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के महेश नागर का करीबी सहयोगी है। दोनों की गिरफ्तारी मनी लॉन्डिंग एक्ट (PMLA) के तहत हुई थी। एजेंसी ने पिछले साल अप्रैल में कुमार और नागर के परिसरों की तलाशी ली थी। इस फर्म द्वारा बीकानेर में जमीन खरीद के चार मामलों में आधिकारिक प्रतिनिधि नागर था। रॉबर्ट वाड्रा की तरफ से जमीन खरीदने की अथॉरिटी महेश नागर के पास थी।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके सिपहसलार भले ही मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहते हैं लेकिन देश में भ्रष्टाचार को पाल-पोषकर वटवृक्ष बनाने में नेहरू-गांधी खानदान का अहम भूमिका है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल से लेकर रॉबर्ट वाड्रा तक घोटालों की फेहरिस्त की झलक – 

मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। जब तक एलआईसी को पता चला, उसे कई करोड़ का नुकसान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।

मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।

बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने बतौर कमीशन 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।

नेशनल हेराल्ड मामले में करोड़ की हेराफेरी
गांधी परिवार पर अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति हड़पने का आरोप है। वर्ष 1938 में कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नाम से तीन अखबार प्रकाशित करती थी। एक अप्रैल, 2008 को ये अखबार बंद हो गए। मार्च 2011 में सोनिया और राहुल गांधी ने ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ नाम की कंपनी खोली और एजेएल को 90 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन दिया। एजेएल यंग इंडिया कंपनी को लोन नहीं चुका पाई। इस सौदे की वजह से सोनिया और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को एजेएल की संपत्ति का मालिकाना हक मिल गया। इस कंपनी में मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के 12-12 प्रतिशत शेयर हैं, जबकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76 प्रतिशत शेयर हैं। गांधी परिवार पर अवैध रूप से इस संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए पार्टी फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगा। इस मामले में सोनिया और राहुल के विरुद्ध संपत्ति के बेजा इस्तेमाल का केस दर्ज कराया गया। अब इसी मामले में आयकर विभाग ने प्रियंका गांधी की संलिप्तता भी पाई है।

वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ वर्ष 2012 में  डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा, जो अब भी चल रहा है। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं।

बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।

प्रियंका वाड्रा पर भी उठे सवाल
हरियाणा में ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट सामने आने पर भी कांग्रेस में खलबली मच चुकी है। भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की फांस में तब वाड्रा की पत्नी प्रियंका वाड्रा का भी नाम सामने आया। हालांकि प्रियंका वाड्रा ने इस पर सफाई दी, लेकिन सच यह है कि ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट में 20 से ज्यादा प्रॉपर्टीज की जानकारी दी गई, जो वाड्रा और उनकी कंपनियों ने खरीदी थीं। इनमें से एक भूखंड को स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से खरीदा था। आरोपों के अनुसार ओंकारेश्वर से खरीदी गई प्रॉपर्टी को फिर लैंड यूज में बदलाव के बाद कहीं ज्यादा कीमत पर डीएलएफ के हाथ बेच दिया गया था और इस तरह 50.50 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हासिल किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक रॉबर्ट वाड्रा को डीएलएफ से जो पैसा मिला क्या उसके एक हिस्से का इस्तेमाल उनकी पत्नी ने हरियाणा के फरीदाबाद में संपत्ति खरीदने के लिए किया? कमीशन ने 20 से ज्यादा ऐसी प्रॉपर्टी की रिपोर्ट दी है।  

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।

यह थी गांधी परिवार के भ्रष्टाचार के कारनामों की फेहरिस्त। गांधी परिवार के सदस्यों ने भ्रष्टाचार के जरिए अकूत दौलत और संपत्ति अर्जित की। आज इस परिवार के पास देश-विदेश में कई हजार करोड़ की संपत्ति बताई जाती है।

एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-

कोयला घोटाला (2012)  1.86 लाख करोड़ रुपये
2जी घोटाला (2008)  1.76 लाख करोड़ रुपये
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला 70,000करोड़ रुपये
कामनवेल्थ घोटाला (2010) 35,000 करोड़ रुपये
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला  1,100 करोड़ रुपये
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला 3,600 करोड़ रुपये
टाट्रा ट्रक घोटाला (2012) 14 करोड़ रुपये

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