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PM Modi का विजन: पिछले छह साल में मिलीं 16.8 करोड़ से अधिक नौकरियां, देश में 6 प्रतिशत रोजगार वृद्धि दर दिखा रही आशावादी तस्वीर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चहुंमुखी कल्याणकारी नीतियां देश को ही आर्थिक तरक्की की राह पर नहीं ले जा रहीं, बल्कि युवाओं के लिए भी नौकरियों के नित-नए अवसर सृजित कर रही हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। आरबीआई ने कहा है कि भारत ने वर्ष 2017-18 से लेकर 2023-24 के बीच 16.8 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा कीं। देश में अकेले 2023-24 वित्तीय वर्ष में ही करीब 4.67 करोड़ नौकरियां पैदा हुई हैं, जिससे कुल रोजगार की संख्या बढ़कर 64.33 करोड़ हो गई है, जो वर्ष 2023-24 मे 59.67 करोड़ थी। आरबीआई ने कहा कि वर्ष 2023-24 में देश में बेरोजगारी दर में कमी आई और रोजगार बढ़ने की दर 6 प्रतिशत रही, जो 2022-23 के 3.2 प्रतिशत ग्रोथ रेट से लगभग दोगुनी है।आरबीआई नियमित रूप से जारी करता है रोजगार के आंकड़े
केंद्रीय बैंक की ओर से रोजगार से संबंधित रिपोर्ट नियमित रूप से जारी की जाती है, जिसमें परंपरागत रूप से ऐतिहासिक आंकड़ों पर रोशनी डाली जाती है। सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह उपलब्ध जानकारी के आधार पर पहली बार वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादकता का एक अनुमान लगाने का प्रयास किया गया है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में भारत का कुल रोजगार 643.3 मिलियन था, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 596.7 मिलियन था। केंद्रीय बैंक देश की उत्पादकता और रोजगार के स्तर का अनुमान लगाने के लिए सरकार के राष्ट्रीय खातों और श्रम मंत्रालय के डेटा का उपयोग करता है।RBI ने 27 उद्योगों को शामिल कर जारी किया KLEMS डाटा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार आरबीआई ने उद्योग स्तर पर उत्पादकता मापने के लिए आज भारत KLEMS पूंजी (K), श्रम (L), ऊर्जा (E), सामग्री (M) और सेवाएं (S) डाटाबेस जारी किया है। इसमें देश में साल 2023-24 में रोजगार वृद्धि दर दोगुनी होकर 6 प्रतिशत पर पहुंच गई है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 से देश में 7.8 करोड़ लोग रोजगार से जुड़े हैं, जबकि रोजगार वृद्धि दर 5.1 फीसदी रही थी। RBI के अनुसार KLEMS डाटाबेस में संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था सहित 27 उद्योग शामिल हैं। यह डाटा व्यापक क्षेत्रीय स्तरों (कृषि, विनिर्माण और सेवाएं) और अखिल भारतीय स्तर पर भी अनुमान प्रदान करता है। इसमें सकल मूल्य वर्धित आउटपुट, श्रम रोजगार, उत्पादकता और गुणवत्ता, पूंजी स्टॉक और संरचना, ऊर्जा की खपत, सामग्री और सेवाएं और कुल कारक उत्पादकता भी शामिल है।

क्या कहती है Periodic Labor Force Survey की ताजा रिपोर्ट
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा मई 2024 में जारी PLFS त्रैमासिक रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 15 साल से अधिक उम्र के युवाओं की बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2023 में 6.8 प्रतिशत से घटकर जनवरी-मार्च 2024 में 6.7 प्रतिशत पर आ गई है और भविष्य में इसके और कम होने का अनुमान है। इसी तरह महिला बेरोजगारी दर भी जनवरी-मार्च 2023 की 9.2 प्रतिशत से घटकर जनवरी-मार्च 2024 में 8.5 प्रतिशत हो गई। जो भविष्य के लिए सुखद संकेत हैं। शहरी क्षेत्रों में श्रम बल भागीदारी दर ने 48.5 प्रतिशत से बढ़कर 50.2 प्रतिशत हो गई है।पीएलएफएस और आरबीआई के व्यापक आंकड़ों का नहीं रखा ध्यान
दरअसल, हाल ही में सिटी ग्रुप की ओर से तथ्यात्मक रूप से गलत रिपोर्ट जारी कर दी गई थी। श्रम मंत्रालय ने कहा कि सिटी ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में पीएलएफएस और आरबीआई जैसे आधिकारिक स्रोतों से उपलब्ध रोजगार के व्यापक आंकड़ों को ध्यान में ही नहीं रखा। सिटी ग्रुप ने कहा था कि अगले एक दशक में भारत को हर साल 1.20 करोड़ रोजगार का सृजण करना होगा, पर मौजूदा 7% जीडीपी दर से भारत हर साल 80-90 लाख रोजगार ही पैदा कर सकेगा। एक अलग बयान में, संघीय श्रम विभाग ने सिटी ग्रुप की रिपोर्ट का विरोध करते हुए कहा कि इसके अनुमान से पता चलता है कि 2017-18 से 2021-22 के बीच प्रति वर्ष औसतन 20 मिलियन से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए।श्रम मंत्रालय की नसीहतः सही आंकड़ों का उपयोग करे मीडिया
श्रम मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़े सिटीग्रुप की रिपोर्ट के उलट भारतीय नौकरी बाजार की आशावादी तस्वीर दिखाते हैं। श्रम मंत्रालय ने कहा कि कारोबार सुगमता, कौशल विकास को बढ़ावा देने से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। मीडिया जिन निजी आंकड़ों को अधिक विश्वसनीय बताता है, उनमें कई खामियां पाई गई हैं। इन सर्वेक्षणों में रोजगार-बेरोजगारी की अपनी ईजाद की हुई परिभाषा का उपयोग होता है जो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है। आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में निजी आंकड़ों पर निर्भरता भ्रामक निष्कर्षों को जन्म देती है। मीडिया को सही आंकड़ों का उपयोग करना चाहिए।मैन्युफैक्चरिंग, एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर में खूब मिली ग्रोथ 
केंद्र सरकार के मुताबिक, श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) यानी रोजगार दर 2017-18 के 46.8% से बढ़कर 2022-23 में 56% हो गई। इसी तरह देश में श्रमबल भागीदारी भी 2017-18 के 49.8% से बढ़कर 2022-23 में 57.9% हो गई है। कुल आबादी में रोजगार वाले लोगों की संख्या वर्ष 2023-24 में जो 2017- 18 में केवल 34.7% थी, वो बढ़कर 44.5 प्रतिशत हो गई है। जहां तक सेक्टरवाइज ग्रोथ की बात है तो एक वित्तीय वर्ष में सर्विस सेक्टर में 20.15 करोड़ की तुलना मेे 80 लाख कामगार बढ़े हैं। इसी प्रकार एग्रीकल्चर में 48 लाख और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 20.30 लाख का इजाफा हुआ है। इसके अलावा अन्य सेक्टर्स में 34 प्रतिशत की दर से कुल 3.19 करोड़ कागमार बढ़े हैं।

पीएम मोदी ने रोजगार मेलों में लाखों युवाओं को दी नौकरी
पीएम मोदी के रोजगार मेलों ने भी युवाओं को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री ने 22 अक्टूबर 2022 को रोजगार मेले का पहला फेज शुरू किया था। तब PM ने कहा था- हमारा लक्ष्य देश के युवाओं को सरकारी नौकरियां देकर सशक्त बनाना है। PM ने करीब 8 रोजगार मेलों में 5 लाख से ज्यादा युवाओं को जॉइनिंग लेटर दिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 28 अगस्त को 8वें राष्ट्रीय रोजगार मेले के तहत 51 हजार 106 युवाओं को जॉइनिंग लेटर सौंपे। देश भर में 45 जगहों पर रोजगार मेले का आयोजन हुआ। इससे पहले 22 जुलाई को सातवें रोजगार मेले का आयोजन किया था। तब PM मोदी ने 70 हजार से ज्यादा युवाओं को जॉइनिंग लेटर सौंपे थे। देश में 20 से भी ज्यादा राज्यों में 44 जगहों पर इसका आयोजन किया गया था।

 

 

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