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रूस में पीएम मोदी का जलवा देख अमेरिका ने माना लोहा, कहा- भारत खत्म करवा सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे पर अमेरिका समेत पूरी दुनिया की नजर थी। रूस-यूक्रेन जंग के बाद पहली बार पीएम मोदी रूस के दौरे पर गए। इस दौरान पीएम मोदी का जलवा सबने देखा। पीएम मोदी और पुतिन की पुरानी दोस्ती भी देखने को मिली। यह सब देखकर अमेरिका भी मोदी और पुतिन की दोस्ती का लोहा मानने को मजबूर हो गया। इसे देखकर अमेरिका को भी यकीन हो गया है कि केवल भारत ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए मना सकता है। पीएम मोदी के रूस दौरे के बाद अमेरिका की प्रतिक्रिया आई है। अमेरिका ने कहा है कि रूस के साथ भारत के अच्छे रिश्ते हैं। इसी रिश्ते की वजह से भारत के पास रूसी राष्ट्रपति पुतिन से यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने को कहने की क्षमता है। अमेरिका ने कहा कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म कराने की ताकत रखता है।

अमेरिका को यकीन, भारत ही लगाएगा बेड़ा पार
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे से जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका एक रणनीतिक भागीदार हैं। दोनों देशों के बीच हर मुद्दों पर स्पष्ट बातचीत होती है। यूक्रेन की बात आती है तो भारत सहित सभी देश स्थायी शांति हासिल करने के प्रयासों का समर्थन करते हैं। कैरिन जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि भारत के पास ये क्षमता है कि वो रूस से बातचीत कर युद्ध को रुकवा सकता है।” जीन पियरे ने कहा, ‘हमारा मानना ​​है कि रूस के साथ भारत के दीर्घकालिक और अच्छे संबंध हैं। यही चीज भारत को राष्ट्रपति पुतिन से यह कहने की क्षमता देते हैं कि रूस किसी तरह यूक्रेन जंग को समाप्त करे। भारत हमारा एक रणनीतिक साझेदार है और हमने रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में पहले भी बात की है।’

बम, बंदूकों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होतीः पीएम मोदी
अपने रूस दौरे पर यूक्रेन-रूस जंग पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्धक्षेत्र में संभव नहीं है। बम, बंदूकों और गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती। पुतिन के साथ वार्ता से पहले पीएम मोदी ने यूक्रेन में बच्चों के एक अस्पताल पर बम हमले का जिक्र किया था और कहा था कि बेगुनाह बच्चों की मौत हृदय-विदारक और बहुत पीड़ादायी है।

संवाद ही समाधान का एकमात्र रास्ताः पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने बयान में कहा, ‘युद्ध हो, संघर्ष हो या आतंकवादी हमले हों, अगर लोगों की जान जाती है तो मानवता में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति दुखी होता है। उस पर भी यदि बेगुनाह बच्चों की हत्या हो, जब हम निर्दोष बच्चों को मरते हुए देखते हैं तो यह हृदय-विदारक और बहुत पीड़ादायी होता है। जब हम ऐसा दर्द महसूस करते हैं तो कलेजा फट जाता है। मुझे कल आपके साथ इन मुद्दों पर बातचीत करने का अवसर मिला था।’ पीएम मोदी ने सोमवार रात पुतिन के साथ निजी बैठक में हुई अपनी विस्तृत अनौपचारिक बातचीत का भी जिक्र किया और कहा कि संवाद ही समाधान का एकमात्र रास्ता है.

रूस ने भी कहा था- भारत निभा सकता है मध्यस्थ की भूमिका
अमेरिका के ताजा बयान से पहले 2022 में भारत दौरे पर आए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पीएम मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया था। लावरोव ने कहा था कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है। लावरोव ने कहा था, “भारत एक महत्वपूर्ण देश है। यदि भारत उस भूमिका (मध्यस्थ) को निभाना चाहता है जो समस्या का समाधान हो सकता है और रूस इसका समर्थन कर सकता है, ” लावरोव ने विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बातचीत के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए यह बात कही। उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि नई दिल्ली संकट को संपूर्णता में देख रही है, एकतरफा तरीके से नहीं।

पीएम मोदी शांति दूत बनकर दुनिया को दिखा रहे राह
वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद इतना ऊंचा हो चुका है कि वो आज पूरी दुनिया को राह दिखा रहे हैं। उनके विचार को शक्तिशाली देश भी पूरे ध्यान से सुन रहे हैं और उस पर अमल भी कर रहे हैं। यही वजह है कि अब प्रधामंत्री मोदी को विश्व शांति दूत के रूप में देखा जाने लगा है। इसकी झलक तब भी देखने को मिली थी जब 2022 मेंपीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात एससीओ बैठक में समरकंद में हुई थी। पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा था, “आज का युग युद्ध का नहीं है और मैंने आपसे इस बारे में कॉल पर बात की है. आज हमें इस बारे में बात करने का अवसर मिलेगा कि हम कैसे शांति के पथ पर प्रगति कर सकते हैं. भारत और रूस कई दशकों से एक-दूसरे के साथ रहे हैं।” इस तरह पीएम मोदी दुनिया को शांति का रास्ता दिखा रहे हैं।

विश्व शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय कमीशन में पीएम मोदी के नाम का सुझाव
कोरोना काल के बाद 2022 में मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रियास मैनुएल लोपेज ओब्राडोर ने विश्व शांति के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कमीशन बनाने की बात की और सुझाव दिया कि इस कमीशन में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शामिल किया जाए। युद्ध जैसी कार्रवाइयों को समाप्त करने का आह्वान करते हुए मेक्सिको के राष्ट्रपति ने चीन, रूस और अमेरिका से शांति का रास्ता खोजने की अपील की। उन्हें कहा कि वैश्विक शक्तियों के टकराव ने विश्व आर्थिक संकट को जन्म दिया है, उन्होंने मुद्रास्फीति में वृद्धि की है और भोजन की कमी हुई और अधिक गरीबी पैदा की। और सबसे बुरी बात यह है कि टकराव के कारण इतने सारे इंसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। ओब्रेडोर ने कहा कि प्रस्तावित युद्धविराम ताइवान, इजराइल और फिलिस्तीन के मामले में समझौतों तक पहुंचने में मदद करेगा और अधिक टकराव को बढ़ावा देने वाला नहीं होगा। ओब्राडोर ने यह उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मोदी इस इलाके में शांति कायम करने में मददगार साबित होंगे।

भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है : UNGA में पीएम मोदी
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र मेंप्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया का एकजुट होना जरूरी है। बिखरी हुई दुनिया किसी के भी हित में नहीं है। हमें संयुक्त राष्ट्र को नई शक्ति और नई दिशा देनी ही होगी। स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि सवा सौ साल स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद से दुनिया को एक संदेश दिया था। यह संदेश था- सद्भाव और शांति। भारत की ओर से आज भी दुनिया के लिए यही संदेश है। गांधी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पूरा विश्व इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। सत्य और अहिंसा का उनका संदेश विश्व की शांति और प्रगति के लिए आज भी महत्वपूर्ण है। यूएन पीसकीपिंग मिशन में अगर किसी ने सबसे बड़ा बलिदान दिया है, तो वह देश भारत है। हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं। शांति का संदेश दिया है। इसलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी।

चाणक्य नीति से मेल खाता है मोदी के कामकाज का तरीका
ग्लोबल लीडर के तौर पर दुनिया के बड़े मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी की धाक बढ़ती जा रही है। दुनिया में आतंक के बढ़ते प्रभाव और अफगानिस्तान में तालिबान के उदय के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब दुनिया के अन्य हिस्सों में भी युद्ध आहट सुनाई दे रही है। इन सब के बीच दुनिया की निगाहें प्रधानमंत्री मोदी पर आ टिकी हैं। इतिहासकार मानते हैं कि मोदी के कामकाज का तरीका चाणक्य की नीति से मेल खाता है। इसी नीति के सहारे सैकड़ों साल पहले चंद्रगुप्त मौर्य ने शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य की नींव रखी थी। नरेंद्र मोदी ने जब जापान का दौरा किया तो काशी को क्योटो के तर्ज पर विकसित करने का समझौता किया था। इसी के साथ ही वाराणसी मोदी की विदेश नीति का केंद्र बनकर उभरा। दरअसल, बौद्धधर्म को मानने वालों के लिए वाराणसी का काफी महत्व है। यहां सारनाथ में महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। बौद्ध धर्म को मानने वाले देश अब तक अलग-थलग थे। पीएम मोदी सभी बौद्ध देशों को अपने साथ एक मंच पर लाकर भारत को नई महाशक्ति के रूप में विकसित करना चाह रहे हैं। इससे चीन को घेरने के साथ-साथ एक कड़ा संदेश दिया जा सकता है। उनकी यह विदेश नीति चाणक्य की नीतियों का ही एक नमूना है। 

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