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कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार ने कारोबारियों को दी राहत, प्रमुख कृषि उत्पादों का निर्यात शुरू

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देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। इस दौरान कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़तोरी जारी है। एक तरफ सरकार जहां लोगों के जीवन को बचाने के लिए कोशिश कर रही है, वहीं किसानों और व्यापारियों के हितों की भी रक्षा कर रही है। मोदी सरकार ने चावल, मांस, डेयरी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जैसे प्रमुख कृषि उत्पादों का निर्यात पुन: शुरू करने की मंजूरी दी है। इससे कृषि उत्पादों के निर्यातकों को बड़ी राहत मिली है।

कृषि मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि कृषि निर्यात संवर्धन निकाय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानि एपीडा निर्यातकों की समस्या का समाधान कर रहा है। मंत्रालय ने कहा कि चावल, मूंगफली, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, मांस, पौल्ट्री, डेयरी और जैविक उत्पाद जैसे प्रमुख कृषि उत्पादों का निर्यात शुरू हो गया है। बयान के अनुसार एपीडा ने इस संदर्भ में काफी काम किया है और परिवहन, कर्फ्यू पास और पैकेजिंग इकाइयों से जुड़े मसलों का समाधान किया जा रहा है।

मंत्रालय के अनुसार सरकार ने इस मामले में लचीला रुख अपनाया है और निर्यात के लिये उत्पादों की गुणवत्ता और कीटनाशकों से मुक्त होने को लेकर जारी होने वाला प्रमाणपत्र की डिजिटल प्रति जारी कर रही है। सरकार ने अबतक निर्यात के लिये 9,759 गुणवत्ता प्रमाणपत्र जारी किया है।

देशों की विशिष्ट मांग के आधार पर कृषि सहकारी विपणन संगठन नाफेड ने 50 हजार टन गेहूं अफगानिस्तान को निर्यात किया है जबकि 40 हजार टन अनाज लेबनान को निर्यात किया है। ये निर्यात जी2जी व्यवस्था के तहत किए गए।

जहां तक आयात का संबंध है, सरकार ने कहा कि गुणवत्ता प्रमाणपत्र की डिजिटल प्रति स्वीकार की जा रही है। इसमें आयातक से एक हलफनामा लेकर इसे स्वीकार किया जा रहा है। इसमें कहा जाता है कि मूल प्रति प्राप्त होने पर उसे जमा किया जाएगा। अबतक करीब 2,728 खेप आयात के लिये जारी किये गये। इसके अलावा कीटनाशकों के आयात के 33 आयात परमिट, कीटनाशकों के निर्यात के लिये 309 प्रमाणपत्र और कीटनाशाकों के स्वदेशी स्तर पर विनिर्माण को सुगम करने के लिये 1,324 प्रमाणपत्र जारी किये गये हैं।

इससे पहले निर्यातकों ने सरकार के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्हें जहां कामगारों की उपलब्धता और उनकी आवाजाही, अंतर-राज्यीय परिवहन की अड़चनें, स्वच्छता प्रमाणपत्र, कुछ मंडियों के बंद होने के कारण कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं कूरियर सेवाओं के बंद होने के कारण शिपिंग दस्तावेजों की आवाजाही में बाधा, माल ढुलाई सवाओं की अनुपलब्धता, बंदरगाहों या यार्डों तक पहुंच बनाने में समस्या तथा आयात एवं निर्यात के लिए माल की निकासी जैसी समस्याएं आ रही हैं।

  

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