प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में 70 वर्ष पुराने आर्टिकल 370 जैसे नासूर का खत्म कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है। देश ही नहीं पूरी दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी की इस साहस के लिए प्रशंसा की जा रही है। मोदी सरकार ने पूरी दुनिया के सामने साफ कर दिया है कि कश्मीर हमारे लिए ‘मुद्दा’ नहीं है, कश्मीर पर लिया गया हर फैसला भारत का आंतरिक निर्णय है, जिसमें किसी भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है। श्रीलंका, यूएई, अमेरिका समेत तमाम देशों ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की है।
भारत के समर्थन में UAE
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारत का आंतरिक मामला बताया है। यूएई ने कहा है कि भारत की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के दो प्रावधानों को हटाया है, जिस पर यूएई ने संज्ञान लिया है। भारत में यूएई के राजदूत डॉ. अहमद अल बन्ना ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अलावा हमने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर भी संज्ञान लिया है, जिससे लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों का पुनर्गठन आजाद भारत के इतिहास में कोई अजीब घटना नहीं है। इसका मकसद क्षेत्रीय असमानता को कम करना और दक्षता में सुधार लाना है। उनका मानना है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने जो फैसला लिया है, वह उसका आंतरिक मसला है, जो भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित है।
I understand Ladakh will finally become a Union Territory. With over 70% Buddhist it will be the first Indian state with a Buddhist majority. The creation of Ladakh and the consequential restructuring are India’s internal matters. I have visited Ladakh and it is worth a visit.
— Ranil Wickremesinghe (@RW_UNP) August 6, 2019
श्रीलंका ने किया भारत का समर्थन
जम्मू-कश्मीर से लद्दाख क्षेत्र के अलग होने पर श्रीलंका की काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर से लद्दाख के अलग होने का रास्ता साफ हो गया है। लद्दाख की 70 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म से संबंध रखती है। ऐसे में लद्दाख पहला भारतीय राज्य होगा, जहां बौद्ध बहुमत है। लद्दाख का पुनर्गठन भारत का आंतरिक मामला है. यह एक सुंदर क्षेत्र है, जो यात्रा के लायक है।
अमेरिका ने अंदरूनी मामला बताया
जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा कि हम बहुत बारीकी से जम्मू-कश्मीर में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। हमने भारत के उस घोषणा पर संज्ञान लिया है, जिसके जरिए उन्होंने अपने संविधान में जम्मू-कश्मीर की यथास्थिति में बदलाव किया है। मोर्गन ओर्टागस ने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताया है। जाहिर है कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर भारत चाहेगा तो वो भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में मदद करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र ने संयम की अपील की
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा दुनिया की नजर कश्मीर में होने वाली हर गतिविधि पर है। हम उस क्षेत्र में हो रही हर हलचल पर नजर रख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भारत और पाकिस्तान से अपील की है, दोनों राष्ट्र सीमा पर संयम बरतें।
आपको बता दें कि दुनिया भर की मीडिया भी मोदी सरकार के इस फैसले की प्रशंसा कर चुकी है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने आर्टिकल 370 खत्म करने के पीएम मोदी के फैसले की तारीफ की
एक बार फिर पूरी दुनिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का डंका बज रहा है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के फैसले को लेकर दुनिया भर की मीडिया में पीएम मोदी के साहस की तारीफ हो रही है। जाहिर है कि सोमवार को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य में अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया, साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है और दोनों को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है। मोदी सरकार के इस फैसले को विश्व मीडिया ने एक बड़ा कदम बताया। मीडिया संस्थानों ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाकर भाजपा सरकार ने अपना चुनावी वादा पूरा किया और साथ ही संघ का सपना पूरा किया है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स
अमेरिका के अंग्रेजी समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी ने अपना चुनावी वादा पूरा कर दिया। अखबार ने लिखा कि कई सालों से कश्मीर में प्रशासन भारत के अन्य राज्यों से अलग तरीके से चलाया जा रहा था। मस्लिम बहुल कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करना भाजपा के चुनावी मुद्दों में शुमार था। द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक भारत की सत्ता पर काबिज पर भाजपा सरकार की जड़ें हिंदुत्ववादी विचारधारा में गहरे तक जमी हुई हैं।
द गार्डियन
ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार द गार्डियन ने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की बात करती रही है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पहली बार इसके बारे में एक ठोस प्रस्ताव संसद में रखा। यह एलान बतौर प्रधानमंत्री मोदी की विरासत को बयां करेगा। अखबार ने लिखा है कि विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध हुए, जिनमें से दो सिर्फ कश्मीर के मुद्दे पर हुए हैं। अखबार ने आशंका जताई है कि पाकिस्तान इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जता सकता है।
सीएनएन
अमेरिकी मीडिया समूह सीएनएन का कहना है कि कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ गठबंधन खत्म करने के बाद भाजपा की राह मजबूत हुई। राज्यपाल शासन लागू होने के बाद राज्य के शासन की बागडोर सीधे केंद्र सरकार के हाथों में आ गई। जिसकी वजह से केंद्र सरकार को यह मौका मिला कि वह राज्य के स्थानीय नेताओं की सहायता के बिना अनुच्छेद 370 को हटाने की राह में आगे बढ़े। सीएनएन ने मोदी सरकार के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है।
द डॉन
पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार द डॉन ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सपना पूरा किया है। द डॉन ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने से देश के अन्य राज्यों के लोग कश्मीर में संपत्ति खरीद पाएंगे। अब वे कश्मीर में स्थायी तौर पर रह पाएंगे।
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