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मोदी सरकार लाएगी एलीफेंट बांड, कालेधन को देश में वापस लाने की है तैयारी

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आज से 3 साल पहले पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार पर जोरदार प्रहार करते हुए नोटबंदी का बड़ा फैसला लिया था, जिससे देश में काले धन को जमा करने वालों की कमर टूट गई थी। वहीं मोदी सरकार एक बार फिर से काले धन को लेकर बड़ी योजना बना रही है। वाणिज्‍य मंत्रालय ने एक उच्‍च स्‍तरीय सलाहकार समूह (एचएलएजी) का गठन किया है, इस समूह ने भारत में काले धन को वापस लाने के लिए एक नई माफी योजना के तहत एलीफेंट बांड लाने का सुझाव दिया है। लंबी-अवधि वाले इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर बांड को एलीफेंट बांड नाम दिया गया है। नई माफी योजना के तहत आय से अधिक संपत्ति रखने वालों को न्‍यूनतम टैक्‍स का भुगतान कर अपनी संपत्ति का खुलासा करने का मौका दिया जाएगा।

एलीफेंट बांड की आय से होगा बुनियादी ढांचे का विकास

एलीफेंट बांड योजना के तहत, कालाधन रखने वालों को अपनी आय से अधिक संपत्ति का 40 प्रतिशत हिस्‍सा एलीफेंट बांड में निवेश करना होगा। एलीफेंट बांड जारी करने से होने वाली आय का उपयोग देश के बुनियादी ढांचे के विकास में इस्तेमाल होगा। बता दें कि एचएलएजी से देश के व्‍यापार और निवेश को प्रोत्‍साहित करने के लिए सुझाव देने के लिए कहा गया था।

20 से 30 साल होगी एलीफेंड बांड की परिपक्‍वता अवधि

वह व्‍यक्ति जो अपने कालेधन को एलीफेंट बांड में निवेश करेगा उसे अपनी आय से अधिक संपत्ति पर 15 प्रतिशत टैक्‍स का भुगतान करना होगा। इसके बाद घोषित संपत्ति का 40 प्रतिशत हिस्‍सा एलीफेंट बांड में निवेश करना होगा। इस तरह के बांड पर ब्‍याज की दर लीबोर (लीबोर और 500 आधार अंक) से जुड़ी होगी और कूपन दर 5 प्रतिशत रहेगी। इस पर मिलने वाले ब्‍याज पर कर देना होगा और इसकी दर 75 प्रतिशत होगी।

एलीफेंड बांड की परिपक्‍वता अवधि 20 से 30 साल की होगी, ये योजना हर किसी के लिए खुली होगी, जो अपने कालेधन का खुलासा करने के साथ जुर्माना एवं मुकदमा से बचना चाहता है। एचएलएजी ने सिफारिश की है कि एलीफेंट बांड के सब्‍सक्राइर्ब्‍स को जुर्माने और विदेशी विनिमय, कालाधन कानून और कर कानून सहित सभी कानूनों के तहत मुकदमे से माफी दी जाए।

इससे पहले क्यों नहीं चले ऐसे बांड

मोदी सरकार ने 2016 में प्रधान मंत्री गरीब कल्‍याण डिपोजिट योजना (पीएमजीकेडीएस) के तहत कोई भी व्‍यक्ति टैक्‍स, सरचार्ज और जुर्माना अदा कर अपनी अवैध संपत्ति को वैध बना सकता था। लेकिन यह योजना मुकदमे से कोई छूट न होने की वजह से कामयाब नहीं हो पाई थी।

वहीं इससे पहले 1981 में कालेधन के लिए स्‍पेशल बियरर बांड अधिनियम 1981 को पेश किया गया था। यह योजना भी बांड धारकों को भी कानूनी कार्रवाई से कोई छूट नहीं देने के कारण सफल नहीं हुई थी।

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