प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभालते ही देश के अन्नदाताओं के कल्याण के लिए काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने 2022 तक किसानों की आय डबल करने का सपना देखा और उसी विजन के आधार पर सरकार की नीतियां तय करनी शुरू कर दीं। लगभग साढ़े तीन साल के कार्यकाल में ही किसानों के हित में चमत्कार दिखने शुरू हो गए हैं। मोदी सरकार की योजनाओं के चलते खेत-खलिहान लहलहाने लगे हैं, जिससे हमारे अन्नदाताओं के चेहरे भी मुस्कुराने लगे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी ने जो लक्ष्य तय किया है, वह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और विश्वास किया जाना चाहिए कि किसानों की आय डबल करने का उनका सपना 2022 से पहले ही साकार हो जाएगा। क्योंकि कई बातों में यह संभव भी हो चुका है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM)
राष्ट्रीय कृषि बाजार के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने किसानों और उनके उत्पाद खरीदने वालों के बीच बिचौलियों की मौजूदगी को ही खत्म कर दिया है। यह एक पैन-इंडिया इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है जो कृषि से संबंधित उपजों के लिए एक ऑनलाइन राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराता है। यह पोर्टल खरीददारों और विक्रेताओं के बीच आसानी से जानकारियों मुहैया कराता है, जिससे वास्तविक मांग एवं आपूर्ति पर आधारित वास्तविक मूल्य तय हो जाता है। ई-नाम के माध्यम से किसानों को उनकी उपज का शीघ्र भुगतान संभव हुआ है। पारंपरिक बाजार बिक्री में जहां भुगतान में 10-15 दिन तक का समय लग जाता था, वहीं ई-नाम के जरिए केवल कुछ घंटों में भुगतान सुनिश्चित हो गया है। ई-नाम पर अभी 455 मंडियां जुडी हुई हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
किसानों को न्यूनतम प्रीमियम पर अधिकतम मुआवजा ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विशेषता है। इसके तहत किसानों को अब 33 फीसदी फसल नुकसान पर भी मुआवजा मिलता है। जबकि, पहले ये सीमा 50 प्रतिशत की थी। 2016-17 में फसल बीमा योजना के लिए मुआवजे पर केंद्र सरकार ने 13,240 करोड़ रुपये खर्च किए। जबकि, चालू वित्त वर्ष में इसके लिए 9,000 करोड़ की रकम मुहैया कराई गई है। किसानों के हित में बनने वाली किसी भी अन्य योजना के मुकाबले इस योजना का महत्त्व कई गुना अधिक इसलिए है, क्योंकि यह अन्य योजनाओं की समीक्षा कर, उसके गुण-दोषों की विवेचना के आधार पर बनाई गई है। इसके तहत खरीफ की फसल के लिए 2 प्रतिशत प्रीमियम और रबी की फसल के लिए 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना होता है। जबकि वार्षिक वाणिज्यिक एवं बागवानी फसलों के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया
मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर किसानों को बड़ी राहत दी। 2016-17 की खरीफ फसल की दालों में अरहर के समर्थन मूल्य को 4,625 रुपये से बढ़ाकर 5,050 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया, उड़द के मूल्य को 4, 625 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग के लिए 4,850 रुपये से बढ़ाकर 5,250 रुपये तक कर दिया गया है। बाकी फसलों का समर्थन मूल्य भी इसी तर्ज पर बढ़ा दिया गया। इससे किसानों की आमदनी में इतनी बढ़ोतरी हुई कि जीना आसान हो गया।
गन्ना किसानों का बकाया दिलवाया
गन्ना उत्पादक किसानों को सालों से उनका बकाया नहीं मिल रहा था। मोदी सरकार ने किसानों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए 4,305 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी। इससे 32 लाख किसानों को फायदा हुआ। इस तरह से 2014-15 के 99.33 प्रतिशत और 2015-16 के 98.21 प्रतिशत किसानों को अपना बकाया रुपया वापस मिल चुका है। गन्ना किसानों के लिए मोदी सरकार वरदान बनकर आयी।
धान खरीद में लेवी खत्म किया
धान की खरीद में लेवी प्रणाली खत्म कर मोदी सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। अपनी उपज अब वे सीधे सरकारी केन्द्रों पर बेच सकते हैं। कोई बिचौलिया नहीं, जो उन्हें परेशान करे। धान की न सिर्फ कीमत अच्छी मिलने लगी है बल्कि कीमत की वसूली का रास्ता भी आसान हो गया है।
खाद की किल्लत दूर कर दी
मोदी सरकार ने खाद की किल्लत दूर करने के लिए नीम कोटिंग यूरिया का प्रयोग शुरू किया। इसके लिए सरकार ने सभी उर्वरक कंपनियों को सौ प्रतिशत नीम कोटेड यूरिया बनाने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उसके बाद से खाद का उपयोग सिर्फ और सिर्फ खेती में होना सुनिश्चित हो गया। ऐसा होते ही खाद की कालाबाजारी रुक गयी। अब किसानों को समय पर पर्याप्त मात्रा में यूरिया मिलता है। खाद की कमी नहीं रहती। मोदी सरकार ने समस्या का ऐसा समाधान निकाला है कि किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। नीम कोटेड यूरिया से केवल खाद की कमी ही नहीं दूर हुई है, सब्सिडी की चोरी भी खत्म हो गई है और नीम कोटेड यूरिया ने फसल की अच्छी सेहत भी सुनिश्चित कर दी है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
हर खेत को पानी कभी बीजेपी का नारा हुआ करता था। मोदी सरकार ने इसे साकार कर दिखाया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत देश में 28.5 लाख हेक्टेयर खेत में पानी पहुंचाया गया है। 2016-17 में Per Drop More Crop की सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत 15.86 लाख हेक्टेयर खेतों को सिंचाई के अंतर्गत लाया गया। खेती में यह योजना किसानों के लिए मददगार साबित हो रही है और उनके खेतों का पैदावार बढ़ रहा है।
सॉइल हेल्थ कार्ड से सुधरी खेतों की सेहत
किस जमीन पर कौन सी फसल होगी, किस जमीन की उर्वरा शक्ति कैसी है इसकी जानकारी किसान को उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने सॉइल हेल्थ कार्ड शुरू किया। मोदी सरकार ने फसलों के अनुसार इस योजना शुरुआत की है। इसकी मदद से किसानों को पता चल जाता है कि उन्हें किस फसल के लिए कितना और किस क्वालिटी का खाद उपयोग करना है। फसल की उपज पर इसका सकारात्मक असर पड़ा है। अभी तक 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिये जा चुके हैं।
जैविक खेती से बदली उन्नत कृषि की परिभाषा
जैविक उत्पादों की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी की सरकार जैविक खेती के विकास के लिए काम कर रही है। 2015 से 2018 तक 10000 समूहों के अन्तर्गत 5 लाख एकड़ क्षेत्र को जैविक खेती के दायरे में लाया है। अब तक राज्य सरकारें 7,186 समूहों के माध्यम से 3.59 लाख एकड़ भूमि को जौविक खेती के दायरे में ला चुकी हैं। देश के उत्तर पूर्वी राज्यों की भौगोलिक दशा को देखते हुए जैविक खेती पर विशेष बल दिया जा रहा है, जिसके लिए 2015 से 2018 तक 400 करोड़ की परियोजना चल रही है। 2015 -17 तक 143.13 करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं जिनसे 2016-17 तक 1975 समूहों के माध्यम से 39,969 किसानों को जैविक खेती का काम कर रहे हैं।
किसानों को ऋण में राहत
मोदी सरकार ने खेती के लिए ऋण लेने की सुविधा भी बढ़ायी है। अब 10 लाख करोड़ का कृषि ऋण किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ जिन राज्यों में किसानों की आर्थिक स्थिति खराब है और ऋण लौटाने में दिक्कत हो रही है वहां स्थानीय सरकार से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश बढ़ी है। यूपी जैसे राज्यों ने किसानों के लिए बड़े पैमाने पर ऋण माफ कर दिया है। सरकार 3 लाख रुपये तक के अल्प अवधि फसल ऋण पर 3 प्रतिशत दर से ब्याज में भी रियायत देती है। ब्याज रियायत योजना 2016-17 के अंतर्गत, प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में 2 प्रतिशत की ब्याज रियायत पहले वर्ष के लिए बैंकों में अलग से उपलब्ध रहेगी।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के अंतर्गत 29 राज्यों के 638 जिलों में दाल, 25 राज्यों के 194 जिलों में चावल, 11 राज्यों के 126 जिलों में गेहूं और देश के 28 राज्यों के 265 जिलों में मोटा अनाज के लिए ये योजना लागू की गई है। इससे चावल, गेहूं, दालों, मोटे अनाजों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सकेगा। एनएफएसएम के अंतर्गत किसानों को बीजों के वितरण (एचवाईवी/हाईब्रिड), बीजों के उत्पादन (केवल दालों के), आईएनएम और आईपीएम तकनीकों, संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकीयों/उपकणों, प्रभावी जल प्रयोग साधन, फसल प्रणाली जो किसानों को प्रशिक्षण देने पर आधारित है, को लागू किया जा रहा है।
राष्ट्रीय तिलहन और तेल मिशन कार्यक्रम
राष्ट्रीय तिलहन और तेल (एनएमओओपी) मिशन कार्यक्रम 2014-15 से लागू है। इसका उद्देश्य खाद्य तेलों की घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए तिलहनों का उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है। इस मिशन की विभिन्न कार्यक्रमों को राज्य कृषि/बागवानी विभाग के जरिये लागू किया जा रहा है।
बागवानी के समन्वित विकास के लिए मिशन
बागवानी के समन्वित विकास के लिए ये मिशन (एमआईडीएच) फलों, सब्जियों के जड़ और कन्द फसलों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंध वाले वनस्पति,नारियल, काजू, कोको और बांस सहित बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 2014-15 से लागू है। इस मिशन में राष्ट्रीय बागवानी मिशन, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, नारियल विकास बोर्ड और बागवानी के लिए केन्द्रीय संस्थान, नागालैंड को शामिल कर दिया गया है।
ब्लू रिवॉल्यूशन से बढ़ा मछली उत्पादन
देश में ब्लू रिवोल्यूशन के जरिए किसानों को आय के वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध कराने के संकल्प से सरकार ने मत्स्य प्रबंधन और विकास के लिए अगले पांच साल में 3000 करोड़ रुपये की योजना दी है। 15000 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र विकसित किया गया है। 2012-14 में मत्स्य उत्पादन जहां 186.12 लाख टन था वहीं 2014-16 में 209.59 लाख टन हो गया।
विश्व का बड़ा झींगा निर्यातक बना भारत
2014 में पीएम मोदी की सरकार आने के बाद से उठाए गए कदमों के चलते ही 2016 में भारत विश्व का एक बड़ा झींगा निर्यातक देश बना था। तब भारत से झींगा निर्यात सालाना 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक यह आंकड़ा 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक, “हम लोग 2022 तक भारत से झींगा निर्यात में दोगुनी वृद्धि की उम्मीद करते हैं। यह मुख्यत: झींगा की मजबूत मांग, उसकी उच्च गुणवत्ता, उत्पादन में सुधार और आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में मत्स्य पालन के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के कारण संभव होगा। वहीं हमारे एशियाई प्रतिद्वंदी संरचनात्मक मुद्दे और बढ़ते हुए घरेलू उपभोग की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।”
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
मिशन मोड में लागू की गयी गोकुल योजना का उद्देश्य देश की पशुधन संपदा को संवर्धित करके किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारना है। इससे देशज पशुधन के जेनेटिक स्टॉक संवर्धित होगा और दूध उत्पादन भी बढ़ेगा। इस योजना में 14 गोगुल गांव स्थापित किये गये हैं। 41 बुल मदर फार्म का आधुनिकीकरण किया गया है। देश में दूध उत्पादन 155 मिलियन टन के पास पहुंच चुका है। इसी प्रकार इस क्षेत्र में युवाओं को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए पशुविज्ञान कॉलेजों की संख्या 36 से बढ़कर 46 तक पहुंच चुकी है। देश के प्रति व्यक्ति के लिए 2013-14 में जहां 307 ग्राम दूध उपलब्ध था वहीं 2015-16 में बढ़कर 340 ग्राम हो गया।
प्रधानमंत्री कृषि कौशल योजना
किसी भी कार्य का व्यावसायिक तथा व्यावहारिक प्रशिक्षण उस कार्य में प्रगति की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा देता है। प्रधानमंत्री कृषि कौशल योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि से संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान करवाना है। विशेषकर ऐसे युवाओं को, जो बीच में पढ़ाई छोड़ चुके हैं अथवा खेती से विमुख हो रहे हैं। इस प्रशिक्षण द्वारा कुशल कामगारों को विकसित किया जाता है। इसके अंतर्गत पाठ्यक्रमों में सुधार करना, बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष जोर दिया गया है। प्रशिक्षण में अन्य पहलुओं के साथ व्यवहार कुशलता और व्यवहार में परिवर्तन भी शामिल है।
कृषि मौसम विज्ञान सेवा शुरू
मौसम विज्ञान से किसानों को लाभ पहुंचाने की नीति मोदी सरकार ने शुरू की है। मौसम विज्ञान से मिलने वाली सीधी सूचनाओं से किसानों को बहुत फायदा हुआ है। इसके लिए एक विशेष कृषि एप भी शुरू किया गया है। मौसम के बारे में किसानों को एसएमएस से मिलने वाली सूचना से हर दिन के काम को सही ढंग से करने में बड़ी मदद मिलती है। 2014 में 70 लाख किसानों तक एसएमएस के माध्यम से ये सूचनाएं पहुंचती थीं, वहीं आज 2 करोड़ 10 लाख किसानों तक सूचनाएं पहुंचने लगी हैं।
किसानों को समर्पित खास चैनल
पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने मंत्र दिया था- हर खेत को पानी और हर हाथ को काम। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हल के पीछे चल रहे आदमी की सुध ली और देश को ‘किसान चैनल’ की सौगात दी। 26 मई, 2015 को शुरू किया गया 24 घंटे का यह ‘किसान चैनल’ कृषि तकनीक का प्रसार, पानी के संरक्षण और जैविक खेती जैसे विषयों की जानकारी देता है। इसमें किसानों को उत्पादन, वितरण, जोखिम, बचने के तरीके, खाद, बीज, वैज्ञानिक कृषि के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है।