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‘जहाज’ और ‘चूहे’ : UP में बसपा और Punjab में आम आदमी पार्टी के विधायक ‘डूबती’ पार्टियों को छोड़ कर भाग रहे हैं, यूपी में बसपा सबसे छोटी पार्टी…पंजाब में प्रमुख विपक्षी दल नहीं रही आप

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यह माना जाता है कि जहाज जब डूबने वाला होता है तो चूहे सबसे पहले उसे छोड़कर जाते हैं। चूहों को जाने कैसे अंदाजा हो जाता है और वे जान बचाने के लिए दूसरा ठिकाना तलाशने निकल लेते हैं। उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी आजकल दो ‘जहाज’ डूबने के कगार पर हैं और इनके ‘चूहे’ दूसरी जगह तलाश रहे हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश में चार बार सत्तासीन हो चुकी मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी की…इसमें अब केवल चार ही विधायक रह गए हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा के विधायक कूद-फांद में लगे हैं। नए ठिकाने तलाशे जा रहे हैं, ताकि किसी तरह राजनीतिक जीवन को कुछ ऑक्सीजन मिल जाए।

आजमगढ़ से दो बसपा विधायक टूटे, वंदना सिंह भाजपा में शामिल
आइये शुरू के देखें। विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर 19 विधायक जीत कर आए थे। लेकिन अब 4 विधायक ही बचे हैं। इस तरह बहुजन समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और अपना दल से भी छोटी पार्टी हो गई है। उत्तर प्रदेश में दो दिन के अंदर बहुजन समाज पार्टी के दो और विधायक गुड्डू जमाली और वंदना सिंह ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली विधायक हैं। इसी जिले की सगड़ी सीट से बसपा विधायक वंदना सिंह ने भी पार्टी छोड़ी है। वंदना भाजपा में शामिल हो गई हैं। आलम ने अभी क्लीयर नहीं किया है कि वे किस पार्टी में जा रहे हैं।पिछले माह भी छह विधायकों ने छोड़ा मायावती का साथ
इससे पहले 30 अक्टूबर को 6 बसपा विधायक सपा में गए थे। इनमें श्रावस्ती के भिनगा सीट से विधायक असलम राइनी, प्रयागराज की हंडिया सीट से विधायक हाकिम लाल बिंद, – प्रतापपुर आयात सीट से विधायक हाजी मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी, सीतापुर की सिधौली सीट से विधायक हरगोविंद भार्गव, गाजियाबाद की धौलाना सीट से विधायक असलम चौधरी, जौनपुर की बादशाहपुर सीट से विधायक डॉक्टर सुषमा पटेल सपा में शामिल हो गए। बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता एमएच खान के मुताबिक बसपा पर किसी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि पार्टी का संगठन पहले से काफी मजबूत है। इन सभी विधायकों को बीएसपी से निष्कासित किया जा चुका है और ये बीएसपी को नुकसान पहुंचा रहे थे।बसपा के टूटने का सिलसिला, अब मात्र 4 विधायक बचे
बसपा के टूटने का यह सिलसिला लगातार जारी है। दो विधानमंडल दल नेताओं ने ही पार्टी छोड़ दी। लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को निष्कासित किया। पार्टी विरोधी गतिविधियों की बात कहकर बसपा ने 9 विधायकों को निलंबित किया। विधायक सुखदेव राजभर का निधन हो गया। अब बसपा में 4 विधायक विधायक ही बचे हैं। इनमें श्याम सुंदर शर्मा, उमाशंकर सिंह, विनय शंकर तिवारी और आजाद अरिमर्दन शामिल हैं। विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और ऐसे में पार्टी की ताकत बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए, लेकिन पार्टी को चिंता बचे चार विधायकों की है कि चुनाव के बहाव में बहकर वे भी किसी और पार्टी के साथ न हो जाएं।

बसपा की नीतियों से खफा 8 विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे
हालांकि यह बात भी सच है कि बसपा के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। बसपा सुप्रीमो की नीतियों और हिटलरशाही के आजिज आकर पहले भी बसपाई पार्टी छोड़ते रहे हैं। बसपा के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले 2017 में भी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 8 बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी। तब ज्यादातर विधायक भाजपा में शामिल हुए थे।

राजस्थान में परंपरा, टिकट बसपा से और मंत्री कांग्रेस सरकार के
राजस्थान के मंत्रिमंडल विस्तार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बने राजेंद्र गुढ़ा का तो आलम ही यही है, वे बसपा से टिकट लाते हैं और जीतकर कांग्रेस सरकार में मंत्री बनते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में भी गुढ़ा और उनके पांच साथी बहुजन समाज पार्टी से टिकट लाए, जीते और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। तब इन्हीं की बदौलत गहलोत सरकार बची थी। अपने बयानों के लिए चर्चित रहने वाले गुढ़ा ने दो दिन पहले खुद स्वीकारा कि वे दो बार बसपा से टिकट लाकर चुनाव जीते और कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में जब दरियां बिछाने के वक्त आता है तो वे फिर बसपा में जाकर टिकट ले आते हैं।अब अपना दल से भी छोटी पार्टी, मायावती ने की उबरने की कोशिश
यूपी कांग्रेस के 7 विधायकों में एक बागी है और एक ने पार्टी छोड़ दी है। अब 6 विधायक बचे हैं। अपना दल के पास 9 विधायक हैं। सुभासपा के चार विधायक हैं। वहीं, अब बसपा के पास भी 4 ही विधायक बचे हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने लालजी वर्मा के पार्टी छोड़ने के बाद शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को विधानमंडल दल का नेता बनाया था, लेकिन वह छह महीने भी नहीं टिके। इस तरह से छह महीने में बसपा विधायक दल के दो नेता छोड़ गए। अब जमाली की जगह मायावती ने उमाशंकर सिंह को विधानमंडल दल का नेता बनाया है। लेकिन हालात यह हैं कि कब, पार्टी से कौन नेता छोड़कर चला जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।उत्तर प्रदेश जैसी ही आम आदमी पार्टी की पंजाब में कहानी
उत्तर प्रदेश जैसी ही कहानी आम आदमी पार्टी की पंजाब में हो रही है। पार्टी को झटके दे-देकर विधायक लगातार पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं। राज्य में पार्टी के डूबने से पहले आए दिन आप विधायक दूसरे दलों में शामिल हो रहे हैं। हालात यह हैं कि साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के कुल बीस विधायक चुनाव जीते थे, लेकिन सात विधायकों ने पार्टी किनारा कर लिया है। इनमें सुखपाल सिंह खैहरा, नाजर सिंह मानशाहियां, कंवर संधू, एचएस फुल्का, पीरमल सिंह खालसा, रूपिंदर कौर रुबी और जगदेव सिंह कमालू के नाम शामिल हैं। पंजाब की आम आदमी पार्टी में अभी और बड़ी टूट के आसार बने हुए हैं।आप से छिन सकता है प्रमुख विपक्षी दल का दर्जा भी
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का दावा है कि कुछ और आप विधायक उनके संपर्क में हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी को झटके लगने शुरू हो गए हैं। आप के विधायकों के लगातार टूटने से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने चुटकी ली है। चन्नी ने आम आदमी पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के विधायकों की संख्या अब शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से भी कम हो चुकी है। उसका राज्य में प्रमुख विपक्षी दल का दर्जा भी छिन सकता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में शिअद के 15 विधायक जीते थे। हालात यह हैं कि विधानसभा में आम आदमी पार्टी प्रमुख विपक्षी दल का दर्जा खो सकती है। शिरोमणि अकाली दल के विधायक अब आप से ज्यादा हो गए हैं।मुख्यमंत्री चेहरा न बनाने से भगवंत मान भी निराश
इधर, संगरूर से सांसद भगवंत मान भी आप के आलाकमान केजरीवाल के नाखुश हैं। भगवंत मान खुद भी पंजाब में आप द्वारा CM फेस न बनाए जाने से निराश हैं। आप छोड़ चुकी विधायक रूबी ने कहा कि वह कुछ महीने पहले भगवंत मान से मिली थीं। वह काफी निराश थे। वहां पर उनके परिवार के लोग भी मौजूद थे। उन्होंने वहीं कह दिया था कि अगर भगवंत मान सीएम चेहरा न हुए तो वह पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। आप विधायक रूपिंदर कौर रूबी को कांग्रेस की सदस्यता दिलाने के बाद मुख्यमंत्री चन्नी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी राजनीतिक करिश्मा नहीं, सिर्फ ड्रामेबाजी है। इसका पता अब सबको चल गया है, इसलिए अब लोग कांग्रेस के पास आ रहे हैं। अब पंजाब में आम आदमी का राज आ चुका है।नया नेता आया तो टूट सकते हैं 3-4 और विधायक
कांग्रेस के चित्त-पट्ट की कुश्ती लड़ रहे नवजोत सिद्धू जब भी नाराज होते हैं, तो उनकी आम आदमी पार्टी में जाने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगती हैं। आप छोड़ चुकी विधायक रूपिंदर रूबी ने इसका भी खुलासा किया कि मान की जगह पार्टी ने किसी और का सीएस फेस बनाया, उनकी जगह पर अगर कोई दूसरा नेता आया तो 3 से 4 और विधायक आप छोड़ सकते हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी के कुछ बड़े नेता और विधायक मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के संपर्क में हैं।

 

 

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