”पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के लगातार बढ़ते जनाधार से ममता बनर्जी बौखला गई हैं।” ये खुलासा पूर्व आईपीएस अफसर भारती घोष ने किया है।
आज तक चैनल को दिए गए अपने इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट कहा, ”राज्य में ममता सरकार को यदि लगता है कि भाजपा का जनाधार बढ़ रहा है तो वह अफसरों का तबादला करना शुरू देती है। राज्य के अधिकारियों पर तृणमूल कांग्रेस के मनमाफिक काम करने का दबाव है।”
उन्होंने कहा कि अगर कोई अधिकारी ऐसा नहीं करता है तो उन्हें प्रताड़ित भी किया जाता है। भारती घोष ने खुलासा किया कि मिदनापुर उपचुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ने के कारण उन्हें दरकिनार कर दिया गया।
@MamataOfficial ममता एक तानाशाह है और बंगाल को अपनी रियासत समझती है। चाहे अधिकारी हो या आम जनता , अगर कोई विपक्षी पार्टी का गुणगान कर दे तो उसकी खैर नही। याद नही क्या सिर्फ सवाल पूछने पर ।ममता ने एक महिला को जेल भिजवा दिया था।
— Amit Saxena (@saxenaamit7404) August 10, 2018
ममता सरकार भी जानती है कि अब कि बार हिंदुओं के वोट उनको नही मिलेंगे ! इसलिए रह रह कर ऊटपटांग हरकतें करती रहती है !
— ?Raman Jagtap?2018 षड्यंत्र वर्ष? सचेत रहें? (@jagtap_raman) August 10, 2018
बकौल भारती घोष, ”मैंने मिदनापुर में निष्पक्ष तरीके से चुनाव संपन्न कराया था जिसकी वजह से सत्ताधारी पार्टी उनसे नाराज हो गई। क्योंकि इस चुनाव में भाजपा का जनाधार बढ़ा था। मैंने उनके (तृणमूल) सियासी आदेश का पालन नहीं किया, इसीलिए उन लोगों ने मेरे खिलाफ जबरन वसूली का फर्जी केस लाद दिया।”
गौरतलब है कि भारती घोष पश्चिम बंगाल की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं जिन्हें राज्य में किसी जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया गया था। वह पांच वर्षों से अधिक समय तक नक्सल प्रभावित जिलों का प्रभार संभाल चुकी हैं। भारती घोष संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों का हिस्सा रही हैं और यूएन ने छह बार उन्हें सम्मानित भी किया है। हालांकि जब मार्च,2018 में उन्हें एसपी पद से हटाया गया तो उनके आत्मसम्मान को ठेस लगी और उन्होंने IPS की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। जाहिर है वह कोई साधारण महिला नहीं हैं। उनकी बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
भारती घोष ने कमोबेश वही बात कही है जो सुप्रीम कोर्ट ने 03 जुलाई, 2018 को कहा था। कोर्ट ने तब कहा था, ”बंगाल में निचले स्तर पर लोकतंत्र काम नहीं कर रहा है।” स्पष्ट है कि एक पूर्व आईपीएस और सुप्रीम कोर्ट कोई बात यूं हीं नहीं कह सकता है।
भारती घोष और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से तीन बातें स्पष्ट हैं-
पहला, बंगाल में लोकतंत्र नाम की चीज नहीं है।
दूसरा, भाजपा का जन समर्थन बढ़ता जा रहा है।
तीसरा, ममता अपने खोते जनाधार से घबराई हुई हैं।
मिदनापुर ही नहीं सम्पूर्ण बंगाल में भाजपा के बढ़ते जनाधार से मुमताज बानो तिलमिला गई है।
— Parkhar Pooja (@PoojaJo25759169) August 10, 2018
@aajtak ममता बनर्जी बंगाल को अपना जागीर समझ चुकी है ये तनाशाही का जबाब जनता जल्द देगी
— Niru Singh (@NiruSingh34) August 10, 2018
दरअसल भाजपा दिनों दिन पश्चिम बंगाल में अपनी पैठ बढ़ा रही है। राज्य में पिछले दो साल में कम्युनिस्ट पार्टी का जनाधार लगभग खत्म हो गया है और इस समय भाजपा का लगातार उदय हो रहा है।
2018 के पंचायत चुनावों में भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों- पुरुलिया, झारग्राम, पश्चिम मिदनापुर और बंकुरा में भाजपा को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा उत्तर बंगाल और मालदा जिले में भी बेहतर प्रदर्शन रहा है। गौरतलब है कि ये दोनों ही क्षेत्र मुस्लिम बहुल हैं और यहां कांग्रेस का वर्चस्व रहा है।
जिला पंचायत चुनाव में जिला परिषद में भाजपा ने 23 सीटें जीतीं जबकि पंचायत समिति में पार्टी ने 764 सीटों पर कब्ज़ा जमाया और 5759 ग्राम पंचायतों में भी कमल खिला। पंचायत चुनाव में भाजपा ने शहरी क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बनाई है।
आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल से भाजपा को 17.2 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। यह 2009 के लोकसभा चुनावों में मिले वोट की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक थे।
इसके बाद 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को 10.16 प्रतिशत वोट मिले। हालंकि 10 प्रतिशत वोट मिलने के बावजूद पार्टी राज्य में केवल 3 विधानसभा सीट जीत पाई। लोकसभा, विधानसभा मिलाकर राज्य में पिछले तीन साल में हुए चुनावों में भाजपा ने अपनी मज़बूत ज़मीन बनाई है।
जाहिर है भाजपा के बढ़ते जनाधार ने ममता बनर्जी के होश उड़ा दिए हैं। आए दिन लोकतंत्र का मजाक उड़ाया जा रहा है। राजनीतिक विरोध के चलते एक के बाद एक भाजपा व अन्य पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या टीएमसी के गुंडे कर रहे हैं और राज्य में खुलेआम घूम रहे हैं। राज्य की पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। 28 जुलाई को भाजपा के कार्यकर्ता की बेरहमी से हत्या कर दी गई।
पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बंगाल पुलिस की लापरवाही एवं असहयोग से बंगाल में फिर एक बार लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। https://t.co/kxL5AAy4lB
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) July 28, 2018
24 परगना जिले के मंदिर बाजार के पास घात लगाए कुछ लोगों ने भाजपा के मंडल सचिव शक्तिपद सरदार पर ममता की पार्टी टीएमसी को गुंडों ने धारदार हथियार से हमला कर दिया। अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई।
इससे पहले भी बंगला में ममता राज में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। इन हत्याओं के पीछे भी टीएमसी का ही नाम आया है। ममता के गुंडे बंगाल की जनता को डरा-धमकाकर गुलाम बनाए रखना चाहते हैं। खूनी घटनाओं पर एक नजर –
पुरुलिया में टीएमसी के गुंडों ने की पिता-पुत्र की हत्या
‘’भाजपा के ओबीसी कार्यकर्ता 27 साल के दीपक महतो और उनके पिता 52 वर्षीय लालमन महतो की टीएमसी के लोगों ने हत्या कर दी।” ये आरोप पश्चिम बंगाल भाजपा के महासचिव सायंतन बासु ने लगाए हैं। दरअसल मारे गए दोनों व्यक्ति पुरुलिया मंडल समिति के प्रभावी कार्यकर्ता थे और वे चावल वितरण में तृणमूल कांग्रेस के भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे थे। आरोप है कि इसी के चलते उनकी निर्मम हत्या की गई। हालांकि पुलिस इस मामले की भी लीपापोती करने में लग गई है।
पुरुलिया में18 साल के @BJP4Bengal के दलित कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की हत्या कर लाश पेड़ से लटका दी,उसके पीछे लिखा है “BJP के लिए काम करने का यही हश्र होगा” pic.twitter.com/dSKj6hYqRR
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) May 30, 2018
30 मई, 2018 को पुरुलिया में बीजेपी के एक दलित नौजवान कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की हत्या की गई। उसके बाद उसकी लाश को पेड़ से लटकाकर उसके पीछे यह लिखा गया कि बीजेपी के लिए काम करने का यही हश्र होगा।
भाजपा समर्थक महिला को निर्वस्त्र करने की कोशिश
बीते अप्रैल महीने में 24 परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा की महिला कार्यकर्ता की सरेआम पिटाई की। महिला प्रत्याशी पर उस समय हमला हुआ जब वह बारुईपुर एसडीओ ऑफिस में नामांकन दाखिल करने पहुंची। टीएमसी कार्यकर्ताओं ने महिला को सड़क पर पटक कर मारा और उसके साथ बदसलूकी की। उसे निर्वस्त्र तक करने की कोशिश की गई। हैरानी की बात है कि महिला कार्यकर्ता की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया लोग वहां खड़े तमाशा देखते रहे।लेफ्ट के दो पार्टी कार्यकर्ताओं को टीएमसी सपोर्टर्स ने जिंदा जलाया
पंचायत चुनाव के दौरान बंगाल के रायगंज में तैनात चुनाव अधिकारी राजकुमार रॉय की हत्या इसलिए कर दी गई कि उसने निष्पक्ष चुनाव करवाने की कोशिश की। इसी तरह उत्तर 24 परगना में पंचायत चुनाव के दौरान ही सीपीएम के एक कार्यकर्ता के घर में आग लगी दी गई। इसमें कार्यकर्ता और उसकी पत्नी इसमें जिंदा जल गई। सीपीएम ने आरोप लगया कि इसमें टीएमसी का हाथ है।पंचायत चुनाव में ममता की पार्टी ने लोकतंत्र का किया था अपहरण
पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में टीएमसी ने बिना एक वोट डाले ही 34.2 प्रतिशत सीटें जीत लीं। ऐसा इसलिए हुआ कि इन सभी ग्रामीण सीटों पर टीएमसी यानि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की दहशत के सामने कोई दूसरी पार्टी उम्मीदवार ही नहीं खड़ा कर पाई। जाहिर है राजनीतिक प्रतिशोध में मारपीट, हत्या, बलात्कार का दूसरा नाम बन चुके बंगाल में दूसरी पार्टी का कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ने का साहस ही नहीं जुटा सका। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि पश्चिम बंगाल में जो रहा है वह लोकतांत्रिक मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है।
बंगाल, केरल,पूर्व की त्रिपुरा मे ऐसे ही दलित सहित अन्य हिन्दुओं को भी मारकर इसी प्रकार लटकाया जाता था ताकि वे दहशत में आकर बीजेपी को वोट न करें।किसी विपक्ष ने आजतक गलती से भी चू तक नहीं किया ।
औकात नहीं कि कोई संगठन सामने आए— Jitendra dev sharma (@JDsharma85) May 30, 2018
ममता और वाम दलों के शासन का खूनी इतिहास
बंगाल में राजनीतिक झड़पों का एक लंबा और रक्तरंजित इतिहास रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से झड़प की 91 घटनाएं हुईं और 205 लोग हिंसा के शिकार हुए। 2015 में राजनीतिक झड़प की कुल 131 घटनाएं दर्ज की गई थीं और 184 लोग इसके शिकार हुए थे। वर्ष 2013 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से 26 लोगों की हत्या हुई थी, जो किसी भी राज्य से अधिक थी। 1997 में बुद्धदेब भट्टाचार्य ने विधानसभा मे जानकारी दी थी कि वर्ष 1977 से 1996 तक पश्चिम बंगाल में 28,000 लोग राजनीतिक हिंसा में मारे गये थे।