Home विशेष नोटबंदी के बाद नकली नोटों की तस्करी में आई बड़ी गिरावट

नोटबंदी के बाद नकली नोटों की तस्करी में आई बड़ी गिरावट

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नोटबंदी को लेकर हाय तौबा मचाने वाली कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को बीएएसएफ के महानिदेशक के के शर्मा के एक जवाब ने आईना दिखा दिया है। दरअसल नोटबंदी के कई फायदों में से एक है जाली नोटों के कारोबार पर लगाम लगना। डीजी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नोटबंदी के बाद Fake Indian Currency (FICN) की तस्करी में जबरदस्त कमी आई है। नोटबंदी के बाद जारी किए गए नए नोटों के कारण नकली नोटों की गुणवत्ता में भी कमी आई है, जिससे इनकी पहचान आसानी से हो जाती है। गौरतलब है कि इस साल मात्र 11 लाख नकली नोट पकड़े गए हैं।

जाली नोटों पर कसा शिकंजा
नोटबंदी के बाद जाली नोटों की बाजार में उपलब्धता बेहद कम हो गई है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने डिमोनिटाइजेशन के बाद 762 हजार नकली नोटों का पता लगाया था इनमें से 500 रुपये के 41 प्रतिशत और 1000 के 33 प्रतिशत जाली नोट थे। यह भी पता लगा कि पांच सौ के हर 10 लाख नोट में औसत 7 और 1000 के हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे।

कैशलेस अभियान को बढ़ावा
नोटबंदी के बाद से डिजिटल लेन-देन में तेजी आई है। अकेले यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानि यूपीआई से होने वाले ट्रांजेक्शन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक दो साल में 210 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए और इन ट्रांजेक्शन के माध्यम से 3.17 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है।

डिजिटल हो रही अर्थव्यवस्था
नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था लेस कैश सोसाइटी की ओर अग्रसर है। डिजिटल ट्रांजेक्शन्स 300 प्रतिशत तक बढ़े है। कैशलेस लेनदेन लोगों के जीवन को आसान बनाने के साथ-साथ हर लेनदेन से काले धन को हटाते हुए क्लीन इकोनॉमी बनाने में भी मददगार साबित हुआ है।

ट्रेस आउट हो सका कालाधन
नोटबंदी के बाद 99.3 प्रतिशत नकदी बैंकिंग सिस्टम में आ गए हैं। इसका फायदा यह है कि अब काले धन का पता लगाना काफी आसान हो गया है। इस निर्णय के बाद 17.73 लाख ऐसे संदिग्ध मामलों की पहचान की गई है जिनमें पैन कार्ड धारकों के प्रोफाइल नोटबंदी के पहले के प्रोफाइल से मेल नहीं खाते हैं।

18 लाख अकाउंट्स संदिग्ध
नोटबंदी के बाद 18 लाख खातों को संदिग्ध बताया गया है और इनकी जांच जारी है। इन खातों में लगभग 3.5 लाख करोड़ की रकम जमा है जिनपर सरकार की नजर है। जाहिर है नोटबंदी के बाद इतनी बड़ी संख्या में संदिग्ध खातों का सामने आना ही इसकी सफलता है। 

इकोनॉमी सिस्टम में स्वच्छता
नोटबंदी के बाद चार लाख लाख संदिग्ध कंपनियां जांच एजेंसियों के राडार पर आईं। इनमें से अधिकतर कालाधन को छिपाने और कर चोरी के उद्देश्य से संचालित की जा रहीं थी। इनमें से 2.24 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है। 

फॉर्मल हो रही इकोनॉमी
नोटबंदी के बाद असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के जीवन में बड़ा बदलाव आया है। अब उन्हें सामाजिक सुरक्षा से उनके अधिकारों के संरक्षण दिये जा रहे हैं। 50 लाख श्रमिकों के बैंक खाते खोले गए, एक करोड़ से अधिक श्रमिकों को प्रोविडेंट फंड का लाभ मिलने लगा है और ESIC में 1.3 करोड़ श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन भी किया गया है।

बैंकों के ब्याज दरों में कमी
नोटबंदी के बाद बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में करीब एक प्रतिशत तक कमी की है। नोटबंदी के बाद 1 जनवरी, 2017 को भारतीय स्टेट बैंक ने आश्चर्यजनक रूप से धन की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) में 0.9 प्रतिशत कटौती की थी। इसके बाद दूसरे बैंकों ने भी ऐसा ही किया जिससे आम लोगों को काफी राहत मिली है।

रियल एस्टेट के लिए वरदान
नोटबंदी के निर्णय के बाद आम लोगों के लिए घर खरीदना बहुत सस्ता हो गया। दो लाख रुपये से अधिक के कैस ट्रांजेक्शन पर रोक लगने के बाद प्रॉपर्टी की कीमतों में 25 से 40 प्रतिशत तक कमी आ चुकी है। नोटबंदी के कारण रियल एस्टेट सेक्टर अब अधिक पारदर्शी, संगठित, भरोसेमंद और खरीददारों के लिए अनुकूल साबित हो रहा है।

 

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