13 फरवरी, 2018 को दिल्ली के अंकित सक्सेना की तेरहवीं में जो कुछ हुआ उससे अरविंद केजरीवाल की न सिर्फ उनकी नीयत को एक बार फिर EXPOSE कर दिया, बल्कि उनकी राजनीति और चरित्र की पोल खोल कर रख दी। परिजनों द्वारा मुआवजे की मांग पर केजरीवाल किस कदर उठकर चल दिए ये सबने देखा। एक बार फिर केजरीवाल सरकार ने झूठ बोलकर अपना असल रंग दिखा दिया है।
दमकलकर्मियों को मुआवजा देने का झूठा वादा
आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को ट्वीट किया कि दिल्ली सरकार ने ड्यूटी पर शहीद दिल्ली के काकरोल गांव के फायर फाइटर शहीद हरिओम को 1 करोड़ दिए। सबको दिया, देश में सबसे पहले दिया और आगे भी देंगे। देखिये ये ट्वीट-
शहीद हरीओम,गाँव काकरोल,दिल्ली -फ़ाइअर्फ़ायटर को दिए एक करोड़।
जो ड्यूटी पर शहीद हुए ,सबको दिया, देश में सबसे पहले दिया, आगे भी देंगे।@milindkhandekar @rahulkanwal pic.twitter.com/jXUy53fIXO— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) 13 February 2018
दावे एक तरफ, हकीकत दूसरी तरफ
केजरीवाल एंड टीम के झूठ की पोल शहीद दमकलकर्मियों के परिजनों ने ही खोल दी। दरअसल दिल्ली सरकार ने वर्ष 2015 में यूनिफॉर्म विभागों के कर्मचारी और अधिकारियों की ड्यूटी पर मौत होने पर 1 करोड़ रुपए देने की नीति बनाई थी, लेकिन यहां भी वह सांप्रदायिक चश्मे से कार्रवाई करती है। एमएम खान और तंजिल अहमद के परिजनों को तो वोट बैंक को लुभाने के लिए मुआवजे दे दिये गए, परन्तु हरिओम के परिजनों भुला दिया गया। ऊपर से झूठ दावा ये कि मुआवजा दे भी दिया गया। जाहिर है केजरीवाल सरकार के दो चेहरे लोगों को साफ दिखने लगे हैं। आइये हम इन तीनों ही मामलों को जरा विस्तार से जानते हैं।
केस नंबर 1
केवल आश्वसन मिला
24 फरवरी 2017 को 47 वर्षीय हरिओम और उनके साथी हरि सिंह मीणा दुकान में गैस सिलेंडर से रिसाव की सूचना पर पहुंचे थे। दुकान का शटर उठाने पर सिलेंडर में ब्लास्ट हो गया, जिसमें दोनों की मौत हो गई। इसी के बाद केजरीवाल सरकार ने मुआवजे की बात कही थी, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। उल्टा केजरीवाल सरकार के मंत्री कहते रहे कि आपको मुख्यमंत्री से मिलाएंगे, लेकिन आज तक यह नहीं हो पाया।
केस नंबर 2
टालमटोल कर रहे केजरीवाल
31 मई 2017 को 52 वर्षीय विजेन्द्र पाल आनंद पर्वत में हीटर फैक्ट्री में आग बुझाने गए थे। यहां फैक्ट्री का पिछला हिस्सा ढहने से तीन कर्मी चपेट में आ गए। अस्पताल में विजेन्द्र पाल ने दम तोड़ दिया। इनके घर मंत्री सत्येंद्र जैन भी गए थे, वाहवाही के लिए एक करोड़ के मुआवजे की घोषणा तो कर दी, लेकिन अब पूछने पर कहते हैं कि मैं बात करता हूं।
केस नंबर-3
सरकार से कोई जवाब नहीं
28 सितंबर 2016 को 42 साल के सुनील व 36 वर्षीय मंजीत भोरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री में आग की सूचना पर पहुंचे थे। आग बुझाने के दौरान बॉयलर फट गया। हादसे में दोनों के ऊपर दीवार गिर गई। इसमें दोनों की मौत हो गई। परिजन मुसीबत में आ गए। ऐसे में सरकार से उम्मीद थी कि उनकी मदद करेगी। लेकिन यहां भी बार-बार विधायक से मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं इस मामले में कोई अधिकारी भी उनकी सुध नहीं ले रहे हैं।
जाहिर है ये जनता के साथ धोखा है। लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। झूठी वाहवाही लूटने का घटिया तरीका है। उन परिवारों के साथ घटिया मजाक है जिन्होंने दूसरों की जान बचाने के लिए अपनों को खो दिया।