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कांग्रेस छोड़ने की वजह राहुल- आजाद ने फिर साधा निशाना, देखिए किस तरह नेताओं का हो रहा है पार्टी से मोहभंग

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कांग्रेस के पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर कहा है कि राहुल गांधी ही वो मुख्य कारण हैं जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी से नाता तोड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी वजह से पार्टी से कई वरिष्ठ और युवा नेता बाहर हो गए। अपनी नयी किताब ‘आजाद: एन ऑटोबायोग्राफी’ के विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा कि जब आप कांग्रेस में होते हैं तो रीढ़विहीन होते हैं, आप को खुद की सर्जरी करानी पड़ती है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस अब न ही सोनिया गांधी के हाथ में और न ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के हाथ में है कि वे चाहकर भी पार्टी में उनकी वापसी करा दें।

राहुल गांधी की अगुआई में सिमट रही कांग्रेस
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी के कारण कांग्रेस का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है। जहां बीजेपी ने कई राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत की है, वहीं कांग्रेस अपनी सरकार तक गंवा रही है। 2014 के बाद से पिछले 9 सालों में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 24 प्रतिशत से घटकर 16 प्रतिशत रह गई है। पांच राज्यों में तो पार्टी का कोई विधायक ही नहीं है। नौ राज्यों में 10 से कम विधायक हैं। पार्टी अब सिर्फ ले-देकर तीन राज्यों- राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में अपने दम पर सरकार में है। जबकि तीन राज्यों- बिहार, झारखंड और तमिलनाडु में गठबंधन सरकार में शामिल है।

आठ पूर्व मुख्यमंत्री छोड़ चुके हैं कांग्रेस
राहुल गांधी के कारण कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कार्यशैली से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की लंबी कतार है। हालात इतने बदतर हैं कि पिछले नौ साल में आठ से ज्यादा पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस छोड़ चुके हैं।

आइए डालते हैं एक नजर-

गुलाम नबी आजाद
पूर्व मुख्यमंत्री
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के नजदीकी रहे गुलाम नबी आजाद ने अगस्त, 2022 में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी के खिलाफ जमकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में लिए जाने वाले फैसले जनहित और देशहित के लिए नहीं होते, बल्कि कुछ लोगों के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए होते हैं। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से किनारा कर अपनी नई पार्टी बना ली है। गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे के दौरान आरोप लगाया कि पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बेहद अपरिपक्व नेता हैं और बहुत ही बचकाने व्यवहार करते हैं। आजाद ने यह भी आरोप लगाया कि अब सोनिया गांधी नाममात्र की ही नेता रह गई हैं, क्योंकि पार्टी के सारे फैसले राहुल गांधी के ‘सिक्योरिटी गार्ड और निजी सहायक’ करते हैं।  

कैप्टन अमरिंदर सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ने के साथ सोनिया गांधी को भेजे सात पन्नों के इस्तीफे में सोनिया, राहुल और प्रियंका वाड्रा को खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि सोनिया ने बंद आंखों के उनके अपमान का तमाशा देखा है। हालातों के लिए सीधे-सीधे राहुल-प्रियंका को दोषी ठहराया है। साथ ही कहा है कि उम्मीद करता हूं कि भविष्य में कांग्रेस में कोई अन्य नेता उस अपमान का शिकार नहीं होगा, जो मुझे झेलना पड़ा। कांग्रेस छोड़ने के लिए सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में अमरिंदर ने कहा है कि नवजोत सिद्धू उम्र का लिहाज किए बिना उनको बेइज्जत करते रहे। राहुल-प्रियंका और हरीश रावत उसको शह देते रहे और ऐसे समय में आप (सोनिया गांधी) सब कुछ जानते-बूझते हुए भी आंखें मूंदे बैठी रहीं।

एसएम कृष्णा
पूर्व मुख्यमंत्री
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा ने भी कांग्रेस के छोड़ने के बाद राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। बीजेपी में शामिल हुए कृष्णा ने कहा है कि राहुल की पार्ट टाइम राजनीति की राह से कांग्रेस की सियासी वापसी नहीं होगी। राहुल की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को अपना राजनीतिक स्थान फिर से हासिल करना है तो उसे गांधी परिवार के वंशवादी नेतृत्व का मोह छोड़ना होगा।

नारायण राणे
पूर्व मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे भी कांग्रेस से नाता तोड़ चुके हैं। उन्होंने पार्टी छोड़ने के साथ विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा देते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस आलाकमान ने उनके किया वादा नहीं निभाया। कांग्रेस को अलविदा करते हुए राणे ने कहा था, ‘मैंने 12 साल पहले जब शिव सेना छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था, तब सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने मुझे मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था। मैडम (सोनिया गांधी) ने ते मुझसे दो बार कहा था कि मुझे सीएम बनाया जाएगा, लेकिन वे दोनों इससे मुकर गए।’ राणे ने कहा कि कांग्रेस के कर्ता-धर्ता पार्टी को आगे ले जाने के इच्छुक नहीं हैं। इससे पहले वे शिव सेना में थे और 1999 में छह महीने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे। अभी नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री हैं।

लुईजिन्हो फ्लेरियो
पूर्व मुख्यमंत्री
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो ने सोनिया गांधी को दिए अपने त्यागपत्र में लिखा कि “वर्तमान स्थिति को देखते हुए पार्टी का कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है।” मैंने पार्टी को जोड़ने का पूरा प्रयास किया, लेकिन हाईकमान की नजरअंदाजी हर बार भारी पड़ी है। हालात यह हैं कि कांग्रेस अब अपने संस्थापकों के हर आदर्श और सिद्धांत के विपरीत काम कर रही है।

विजय बहुगुणा
पूर्व मुख्यमंत्री
2012 से 2014 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा की बहन उत्तर प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रही थीं। इनके पिता हेमवतीनंदन बहुगुणा का परिवार दशकों से कांग्रेस में था। 2013 की बाढ़ आपदा में राहत कार्यों में अनियमितता को लेकर उनके नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे थे। मुख्यमंत्री का पद चला गया और दो साल बाद दोनों भाई बहन कांग्रेस छोड़ 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए।

बाघेला और जगदम्बिका पाल भी हुए बाहर
पूर्व मुख्यमंत्री
गुजरात के मुख्यमंत्री रहे शंकर सिंह बाघेला 2017 में कांग्रेस का साथ छोड़कर बाहर निकल गए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे जगदम्बिका पाल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा भी कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के एक के बाद एक पार्टी के पदों से इस्तीफा देने और पार्टी छोड़ने से अब यह साफ होता जा रहा है कि जल्द ही भारत कांग्रेस मुक्त हो जाएगी। आइए देखते हैं 2024 से पहले ही कांग्रेस का किला किस तरह ढह रहा है…

हाल के वर्षों में कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले दिग्गज-

कपिल सिब्बल
कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले नेताओं में सबसे बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का है। बीते काफी समय से उनके रिश्ते कांग्रेस आलाकमान के साथ अच्छे नहीं चल रहे थे। कपिल सिब्बल ने उदयपुर में कांग्रेस के चिंतिन शिवर में बैठक के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। सिब्बल कांग्रेस पार्टी में व्यापक सुधारों पर जोर देने वाले विद्रोही ग्रुप “जी -23” के एक प्रमुख सदस्य थे। सिब्बल काफी समय से ना केवल कांग्रेस, बल्कि राहुल गांधी पर भी निशाना साधते रहे हैं।

सुनील जाखड़
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया। सुनील जाखड़ को कांग्रेस नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जाखड़ ने एक तीखे संदेश में कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को दोस्तों और दुश्मनों की पहचान करने की आवश्यता है।

आरपीएन सिंह
राहुल गांधी की कोर टीम में शामिल उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता आरपीएन सिंह यानी रतनजीत प्रताप नारायण सिंह बीजेपी में शामिल हो गए हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि यह मेरे लिए एक नई शुरुआत है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और मार्गदर्शन में राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान के लिए तत्पर हूं। कुशीनगर के सैंथवार के शाही परिवार से आने वाले आरपीएन सिंह पूर्वांचल में एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं। आरपीएन सिंह कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद और अनुभवी नेताओं में से एक थे और उनके बीजेपी का दामन थाम लेने से राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, वह 32 साल से कांग्रेस में थे लेकिन पार्टी अब वो नहीं रही जो पहले हुआ करती थी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में अब तक सबसे ज्यादा सुर्खियां ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय ही मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुई टकराहट आखिरकार सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर जाकर खत्म हुई। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना। सिंधिया राहुल गांधी के बेहद करीबी थे और कांग्रेस के भविष्य के रूप में भी देखे जा रहे थे। सिंधिया कांग्रेस की अनदेखी के कारण बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ राज्य के कई अन्य विधायक और युवा नेता भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इससे राज्य में कांग्रेस काफी कमजोर हो गई है।

जितिन प्रसाद
राहुल गांधी की कोर कमेटी में शामिल जितिन प्रसाद ने 9 जून, 2021 को कांग्रेस को जोरदार झटका दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। यूपी में बड़े ब्राह्मण चेहरों में शामिल जितिन प्रसाद अब योगी सरकार में मंत्री हैं। मनमोहन सरकार में मंत्री रहे जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश के मामलों में सलाह न लिए जाने से नाराज थे।

खुशबू सुंदर
अभिनेत्री से राजनेता बनीं खुशबू सुंदर ने हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में खुशबू ने आरोप लगाया कि पार्टी में ऊपर बैठे जिन लोगों का जमीनी स्तर पर कोई जुड़ाव नहीं है और वे तानाशाही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी तरह जो लोग काम करना चाहते हैं उन्हें दबाया जा रहा है। अपने पत्र में खुशबू सुंदर ने लिखा कि कांग्रेस के 2014 लोकसभा चुनाव हार जाने के बावजूद उन्होंने पार्टी ज्वाइन की थी, लेकिन यहां काम करने वाले लोगों की अनदेखी की जाती है।

संजय झा
इसके पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने एक न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू और लेख के जरिए कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया था। पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से कांग्रेस प्रवक्ता पद से हटा दिया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के अपने लेख और द प्रिंट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है। संजय झा ने दावा किया कि पार्टी के पास एक आंतरिक मजबूत तंत्र नहीं है। उन्होंने लिखा है कि पार्टी के अंदर सदस्यों की बात नहीं सुनी जाती है। अपने लेख में झा ने यह भी कहा कि पार्टी सरकार के विफल होने पर लोगों को शासन का कोई वैकल्पिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर सकती।

हेमंत बिस्वा शर्मा
असम के लोकप्रिय नेता हेमंत बिस्वा शर्मा को भी मजबूर होकर पार्टी से निकलना पड़ा। यहां के बुजुर्ग कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई के साथ मतभेदों के कारण उन्हों हाशिए पर डाल दिया गया था। बाद में गोगोई से मतभेद होने पर पार्टी छोड़ दी। राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा था पर तब राहुल गांधी कथित रूप से कुत्ते को खिलाने में व्यस्त थे। इन्होंने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए। 2001 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक हेमंत बिस्वा शर्मा 2016 में बीजेपी में आ गए। राज्य में कांग्रेस को हराने में इनका अहम योगदान रहा है। अभी असम के मुख्यमंत्री हैं।

प्रियंका चतुर्वेदी
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी से मथुरा में कुछ नेताओं ने अभद्रता की थी। अभद्रता करने वालों को पहले पार्टी ने निकाला और फिर पार्टी में शामिल भी कर लिया। प्रियंका इससे नाराज थीं। जिसके बाद उन्होंने 2019 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। आखिर में वे शिवसेना में शामिल हो गईं।

वाईएस जगन मोहन रेड्डी
वाईएस जगन मोहन रेड्डी वर्तमान में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी दो बार राज्य के सीएम रह चुके हैं। 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद लोगों ने जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की लेकिन पार्टी आलाकमान ने इसे ठुकरा दिया। आखिर में पार्टी से नाराज होकर इन्होंने 2010 में अलग पार्टी बना ली और आज राज्य में इनकी सरकार है।

सुष्मिता देव
गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाली सुष्मिता देव कांग्रेस की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष थीं। उन्होंने 2021 में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बाद में अगस्त 2021 में वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं। अभी टीएमसी से राज्यसभा सांसद हैं। कांग्रेसी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता असम चुनाव के समय से ही कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रही थी।

अशोक तंवर
हरियाणा में कांग्रेस के बड़े और युवा चेहरों में शुमार दिग्गज नेता अशोक तंवर भी 23 नवंबर, 2021 को पार्टी छोड़ टीएमसी में शामिल हो गए। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले अशोक तंवर जाने से हरियाणा में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा।

अदिति सिंह
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से विधायक अदिति सिंह ने पार्टी का हाथ छोड़ बड़ा झटका दिया। अदिति को राहुल-प्रियंका का करीब माना जाता था। लेकिन अदिति कांग्रेस के कार्यकलाप और पार्टी की नीतियों से नाराज चल रही थीं।

कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह
नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस को एक और झटका लगा है। जम्मू कश्मीर के कद्दावर कांग्रेस नेता कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी है। उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि, जम्मू-कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनके विचार पार्टी के साथ नहीं मिलते हैं। उन्होंने पार्टी पर जमीनी वास्तविकताओं से अनजान रहने का भी आरोप लगाया।

हार्दिक पटेल
गुजरात के नेता हार्दिक पटेल ने पार्टी में दरकिनार किए जाने से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी थी। हार्दिक ने अपने त्यागपत्र में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वे उनसे मिले तो शीर्ष नेता मोबाइल फोन पर व्यस्त थे। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात कांग्रेस पार्टी के मुद्दों की तुलना में नेताओं के लिए “चिकन सैंडविच” की व्यवस्था करने में अधिक रुचि रखती है।

अश्वनी कुमार
पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने इस साल की शुरुआत में फरवरी में कांग्रेस से अपना चार दशक पुराना रिश्ता खत्म कर लिया। उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे अपने त्यागपत्र में कहा कि यह कदम,”मेरी गरिमा के अनुरूप है।” उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि वह निकट भविष्य में कांग्रेस को पतन की ओर जाते हुए देख रहे हैं।

जयंती नटराजन
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंती नटराजन ने 30 जनवरी 2015 को कांग्रेस पार्टी का साथ छो़ड़ा था। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे। हालांकि उन्होंने पार्टी छोड़ते वक्त राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर बलि का बकरा बनाने का आरोप लगाया था। नटराजन का परिवार कांग्रेस के साथ 1960 के दशक से जुड़ा हुआ था। उनके नाना एम भक्तवत्सलम तमिलनाडु में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री थे।

जीके वासन
यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके जीके वासन ने नवंबर 2014 में पार्टी छोड़ी थी। उनके पिता जीके मुपनार बड़े कांग्रेसी नेता रहे। वासन ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस पार्टी में तमिलनाडु इकाई को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। पार्टी छोड़ने के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने देसिया तमिल मनीला कांग्रेस की स्थापना की।

टॉम वडक्कन
तकरीबन 20 सालों तक सोनिया गांधी के खास रहने के बाद टॉम वडक्कन ने पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय में पार्टी के स्टैंड का विरोध किया था। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली।

रंजीत देशमुख
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रंजीत देशमुख ने संगठन पर आरोप लगाकर कांग्रेस छोड़ दी थी। वो महाराष्ट्र की विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री भी रहे थे। हालांकि बाद में खराब स्वास्थ्य की वजह से रंजीत सक्रिय राजनीति से अलग हो गए।

चौधरी बीरेंदर सिंह
हरियाणा कांग्रेस के ताकतवर नेता रहे चौधरी बीरेंदर सिंह ने 2014 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। कहते हैं कि उन्होंने पार्टी राज्य के तत्कालीन सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के विरोध में छोड़ी थी। फिर उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर हरियाणा से जीता और फिर केंद्रीय मंत्री बने।

रीता बहुगुणा जोशी
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं रीता बहुगुणा जोशी ने साल 2016 में कांग्रेस छोड़ी थी। बाद में वो बीजेपी के टिकट पर लखनऊ से विधायक बनीं। उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस के दिग्गज नेता और यूपी के मुख्यमंत्री रहे।

राधाकृष्ण विखे पाटिल
राधाकृष्ण विखे पाटिल 5 बार के विधायक और नेता प्रतिपक्ष रहे। पिता बालासाहब विखे पाटिल कद्दावर कांग्रेसी थे। राधाकृष्ण विखे पाटिल बेटे सुजय विखे पाटिल को अहमदनगर से लोकसभा का टिकट न मिलने से नाराज थे। सुजय विखे पाटिल ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया और अहमदनगर से बीजेपी सांसद है।

जयवीर शेरगिल
जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से त्यागपत्र दे दिया और पार्टी से नाता तोड़ लिया। जयवीर शेरगिल ने अपने इस्तीफे को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि, ‘मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि फैसला लेना अब जनता और देश के हितों के लिए नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के स्वार्थी हितों से प्रभावित है जो चाटुकारिता में लिप्त हैं और लगातार जमीनी हकीकत को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।’ सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले वकील शेरगिल उस वक़्त सुर्ख़ियों में आए थे, जब उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी मदद प्रदान करने के लिए 24×7 कानूनी टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किया था।

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