गुजरात में इन दिनों जोर-शोर से प्रचार कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बहुत बड़े नटवरलाल हैं। बताया जाता है कि इस तरह धुआंधार प्रचार की वजह उनका छुपा हुआ एजेंडा है। केजरीवाल जहां एक ओर विधानसभा चुनाव में टिकट बेचकर पैसा जुटाना चाहते हैं वहीं उनका लक्ष्य 6 प्रतिशत वोट लाकर राष्ट्रीय पार्टी बनना है, जिससे आगे चलकर लोकसभा चुनाव एवं अन्य विधानसभा चुनावों में मोटा धन उगाही करने में आसानी रहे। यानी उनको पता है कि गुजरात चुनाव वह जीत नहीं सकते लेकिन माहौल ऐसा बनाना है कि वह चुनाव जीत रहे हैं। इसके लिए चुनाव प्रचार से लेकर मीडिया का वह भरपूर प्रयोग कर रहे हैं। जिस केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के दौरान कभी मीडिया को भला-बुरा कहा आज वही मीडिया उनके इशारों पर नाच रही है और यह सब पैसे की ताकत से हो रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से निकले केजरीवाल पैसे की ताकत समझ चुके हैं और इसीलिए आज उनके ज्यादातर मंत्री व विधायक भ्रष्टाचार में फंसे हुए हैं। एक एजेंडा यह भी है कि अगर उन्हें राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो जाता है तो वह अपने को विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर सकेंगे।
REALITY OF ARVIND KEJRIWAL
Mr. Natwarlal 1979 Film
Do you know why Kejriwal is jumping into Gujarat, his hidden agenda while he knows that AAP can't win Gujarat?
Let me explain his two primary motives
1. To sell tickets so that he makes money. This Money he
— #Bharat-Ek VishwaGuru?? (@EkVishwa) September 14, 2022
ट्विटर यूजर Bharat-Ek VishwaGuru ने इस मसले पर ट्वीट किया और कुछ और यूजर ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह समाचार उसी पर आधारित है।
क्या आप जानते हैं कि केजरीवाल गुजरात चुनाव में क्यों कूद पड़े हैं, अपने छिपे हुए एजेंडे के कारण, जबकि उन्हें पता है कि AAP गुजरात चुनाव नहीं जीत सकती। इसमें उनके दो प्राथमिक उद्देश्य हैं। पहला- टिकट बेचकर पैसा बनाया जा सके। यह पैसा वह लोकसभा चुनाव में उपयोग करेंगे। दूसरा- 6% वोट प्राप्त करने और गुजरात में राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त करने के लिए। उन्हें पहले से ही दिल्ली, पंजाब और गोवा में मान्यता मिल चुकी है। जैसे ही उन्हें चौथे राज्य में मान्यता मिलेगी, वे एक राष्ट्रीय पार्टी बन जाएंगे। एक बार जब वह राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लेंगे तो वह विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर अपने को पेश कर सकेंगे। जैसे ही उन्हें चौथे राज्य में मान्यता मिलेगी वह डोनेशन में और पैसे मांगेंगे और मीडिया पर जमकर पैसे लुटाएंगे।
By nature, Punjabis are attracted to Short Term gains whereas Gujaratis go after Long Yerm gains.
It will be interesting to see how Gujaratis treat AAP in elections.— Sychotix (@Sychotix) September 14, 2022
वहीं पंजाब और गुजरात चुनाव की तुलना करें तो पंजाबी स्वभावतः शॉर्ट टर्म गेन की ओर आकर्षित होते हैं जबकि गुजराती लॉन्ग टर्म गेन के पीछे जाते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव में गुजराती आप के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।
As in coming election, Aap will help Bjp to cut Congress vote. He helped Bjp to finish Congress in Delhi, Punjab (non Bjp). Next election in Punjab I expect Bjp will be prominent. In Delhi mixed rule with Central Govt is helping Aap, Manoj Tiwari fails to motivate party workers.
— Prashant (@prashant6401) September 14, 2022
आने वाले चुनाव में AAP बीजेपी को कांग्रेस का वोट काटने में मदद करेगी। उन्होंने दिल्ली, पंजाब (गैर बीजेपी) में कांग्रेस को खत्म करने में बीजेपी की मदद की। पंजाब में अगले चुनाव में उम्मीद है कि बीजेपी प्रमुख पार्टी के रूप में उभरेगी। दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ मिलाजुला शासन AAP की मदद कर रहा है।
In a small state like Goa he couldn’t have any impact, how will he even get any traction. Basically trying to make money selling tickets few anti-BJP minority & LW small local leaders.
— Murali? (@murali_Bombay) September 14, 2022
गोवा जैसे छोटे राज्य में AAP कोई प्रभाव नहीं छोड़ सकी तो इस चुनाव में उन्हें कोई आकर्षण भी कैसे मिलेगा। मूल रूप से कुछ भाजपा विरोधी अल्पसंख्यक और वामपंथी छोटे स्थानीय नेताओं को टिकट बेचकर पैसा कमाने की कोशिश की जा रही है।
How can this natwarlal be stopped? Really he is a curse for the country….
— Mahesh (@Mahesh50362966) September 14, 2022
He is US and china ag€nt . They have bigger agenda . Hindus should wake up and stop being greedy .
— Bulldozer Basanti (@Buldozerbasanti) September 14, 2022