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मोदी विरोधी इकोसिस्टम का हिस्सा है न्यूयॉर्क टाइम्स और खलीज टाइम्स में लिखने वाला करण दीप सिंह, भारत और मोदी सरकार को बदनाम करने की मुहिम में शामिल

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने न्यूयॉर्क टाइम्स और खलीज टाइम्स में दिल्ली के शिक्षा मॉडल की तारीफ में लेख प्रकाशित होने पर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की खूब पीठ थपथपाई थी। इसके बाद इस लेख के लेखक के बारे में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उनके मुताबिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार को बदनाम करने और केजरीवाल की छवि को चमकाने के लिए पत्रकारों का एक गिरोह काम कर रहा है, जो प्रधानमंत्री मोदी और हिन्दू विरोधी इकोसिस्टम का हिस्सा है। इसमें न्यूयॉर्क टाइम्स में दिल्ली के शिक्षा मॉडल और मनीष सिसोदिया के कसीदे पढ़ने वाला भारत स्थित रिपोर्टर करण दीप सिंह भी शामिल है।

दरअसल अमेरिका का न्यूयॉर्क टाइम्स प्रधानमंत्री मोदी और हिन्दुओं से काफी नफरत करता है, क्योंकि भारत में अखबार द्वारा चलाए जाने वाले विदेशी एजेंडे में सबसे बड़ी बाधा यही है। इस अखबर की नजरों में प्रधानमंत्री मोदी खटकते रहते हैं, क्योंकि विदेशी ताकतों के प्रभाव में आए बिना स्वतंत्र रूप से भारत के हित में फैसले लेते हैं और वैश्विक स्तर पर भारत का कद बढ़ा रहे हैं। इसलिए न्यूयॉर्क टाइम्स प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की छवि खराब करने के लिए लगातार लेख प्रकाशित करता रहता है। इसलिए भारत में ही ऐसे पत्रकारों की तलाश करता है, जो भारत, प्रधानमंत्री मोदी और हिन्दुओं के खिलाफ दुष्प्रचार का एजेंडा चलाने में पूरी मदद कर सके। 

न्यूयॉर्क टाइम्स ने 1 जुलाई, 2021 को लिंक्डइन पर जॉब रिक्रूटमेंट पोस्ट की थी। ये जॉब दिल्ली में साउथ एशिया बिजनेस संवाददाता के लिए थी। इसमें हायरिंग के लिए तीन शर्तें थी- मोदी विरोधी हो, हिंदू विरोधी हो और मोदी सरकार को हटाने के लिए लेख लिख सके। इसके साथ ही सत्ता बदलने की उनकी कोशिशों में अपना योगदान दे सके। उसे पत्रकार के रूप में ऐसा एजेंट मिल सके, जो अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के साथ ही टुकड़े-टुकड़े गैंग की मदद करे और मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाए। करण दीप सिंह भी न्यूयॉर्क टाइम्स के इसी एजेंडे और तलाश की उपज है, जो राणा अयूब और बरखा दत्त की तरह मोदी सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मीडिया के प्रोपेगैंडा में शामिल है। 

सबसे दिलचस्प बात यह है कि करण दीप सिंह आम आदमी पार्टी की तारीफ करने और बीजेपी पर निशाना साधने के लिए मोदी विरोधी इकोसिस्ट की मदद लेता है, जिसमें वामपंथी, सेक्युलर और लिबरल गैंग शामिल है। करण दीप सिंह ने केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की तारीफ के लिए अशोका यूनिवर्सिटी के एक एक्सपर्ट Gilles Verniers का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा डॉ. शाहिद जमील के बयान को द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में शामिल किया था, जो अशोका यूनिवर्सिटी के एक विभाग में निदेशक हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स में 16 अप्रैल, 2022 को ‘इंडिया इज स्टॉलिंग द डब्लूएचओज एफर्ट्स टु मेक ग्लोबल कोविड डेथ टोल पब्लिक’ शीर्षक से करण दीप सिंह का लेख प्रकाशित हुआ था। इस लेख में करण दीप सिंह ने दावा किया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना से दुनिया भर में हुई मौतों का सही आंकड़ा प्रस्तुत करने में भारत रोड़े अटका रहा है। इसके बाद भारत ने करारा जवाब दिया और WHO के फॉर्म्युले पर सवाल खड़े किए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि भारत की डब्ल्यूएचओ के साथ मुख्‍य तौर पर आपत्ति कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों (जो कुछ भी हो सकता है) को लेकर नहीं बल्कि इसकी गणना के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली को लेकर है।

अप्रैल 2021 में जब कोविड-19 की दूसरी लहर चल रही थी, तब न्यूयॉर्क टाइम्स भी एक एजेंडे पर काम कर रहा था। इसमें करण दीप सिंह जैसे मोदी विरोधी इकोसिस्टम के लेखकों ने लगातार कई लेख प्रकाशित किए थे, जिसमें भारत में बिगड़ते हालात के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार बताया गया था। इस दौरान श्मशान घाटों में जलती चिताओं की तस्वीरें छापी गई थीं। ‘द वायर’ और ‘द प्रिंट’ जैसे वामपंथी मीडिया ने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इन लेखे को खूब प्रचारित और प्रसारित किया था। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार को बदनाम करने लिए एक मुहिम चलाई थी।

भारत की वामपंथी और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सांठगांठ ने सुनियोजित तरीके से देश के विपक्षी दलों को मोदी सरकार पर हमले के लिए खाद-पानी मुहैया कराया था। आम आदमी पार्टी की तरह कांग्रेस आईटी सेल ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के लेख को आधार बनाया था। कांग्रेस के लगभग सभी बड़े आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लेखोंं को पोस्ट किया गया था। 

कोविड-19 और उससे हो रही मौतों को लेकर कई लेख लिखे गए थे। लेख में जो दावे किए जा रहे थे, उनको साबित करने के लिए कोई डेटा नहीं दिया गया था। लेख से स्पष्ट तौर पर पता चल रहा था कि लेखक पूरी तरह से तटस्थ नहीं हैं। वे वामपंथी विचारधारा और अरबन नक्सल गिरोह से जुड़े हुए थे। लेख में जिन लोगों के बयानों को आधार बनाया गया था, उनमें डॉ. अनूप अग्रवाल और डॉ. नमन शाह भी शामिल थे, जो छत्तीसगढ़ स्थित एनजीओ जन स्वास्थ्य सहयोग से जुड़े हुए हैं।

एनजीओ जन स्वास्थ्य सहयोग के संस्थापक सदस्यों में योगेश जैन भी शामिल है। 1997 में हर्ष मंदर ने योगेश जैन को आमंत्रित किया था, और एनजीओ जन स्वास्थ्य सहयोग की स्थापना में मदद की थी। हर्ष मंदर उस समय छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के कमिश्नर थे। इस एनजीओ का आधिकारिक ट्विटर हैंडल @jssbilaspur को हर्ष मंदर, मेधा पाटकर, तिस्ता सीतलवाड़ और रवीश सहित सभी वामपंथी गैंग के सदस्य फॉलो करते हैं। 

एनजीओ जन स्वास्थ्य सहयोग को सबसे ज्यादा डोनेशन Oxfam India से मिलता है। Oxfam india के सीईओ अमिताभ बहर खुद हर्ष मंदर के साथ एक दूसरे एनजीओ में पार्टनर हैं। Oxfam India एक और इंस्टीट्यूट को सबसे अधिक फंड देता है, वो है अशोका यूनिवर्सिटी। न्यूयॉर्क टाइम्स के तीसरे लेखक शाहिद जमील हैं, जो उसी अशोका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स का पत्रकार करण दीप सिंह भी उसी अशोका यूनिवर्सिटी का छात्र रहा है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स के रिपोर्टर करण दीप सिंह ने वामपंथी विचारधारा से ताल्लुक रखने वाले तीन लोगों से बात की और एक प्रोपेगैंडा लेख तैयार कर दिया। हर्ष मंदर जैसे लोग राष्ट्रवाद और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नफरत के लिए जाने जाते हैं। इनके बयानों और तथ्यों के आधार पर तैयार किए लेख से अंदाजा लगाया जा सकता है कि करण दीप सिंह और द न्यूयॉर्क टाइम्स कितने पक्षपाती हैं।

 

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