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PM Modi की सख्ती का असर, कनाडा ने पहली बार सुनाया दो खालिस्तानियों के खिलाफ फैसला, खालिस्तान समर्थकों की ‘जन अदालत’ पर भी भारत ने जताई नाराजगी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सख्त नेतृत्व का असर कनाडा में दिखने लगा है। कनाडा के एक कोर्ट ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को बड़ा झटका देते हुए खालिस्तान समर्थकों पर हवाई यात्रा बैन को सही करार दिया है। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर भारत के सख्त रुख अपनाने और उनके दावे को खारिज करने के बाद से ही कनाडा बैकफुट पर है। अब पहली बार कनाडा की एक अदालत ने देश की ‘उड़ान-प्रतिबंधित’ सूची से बाहर किए जाने की 2 खालिस्तानियों की अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने दो सिख चरमपंथियों के प्रयास को यह कहते हुए नाकाम कर दिया कि यह संदेह करने के लिए ‘पुख्ता आधार’ हैं कि वे आतंकवादी घटना को अंजाम देने के वास्ते परिवहन सुरक्षा या हवाई यात्रा के लिए खतरा होंगे। काबिले जिक्र है कि एक तरफ कनाडा की संसद खालिस्तानी आतंकी की बरसी पर उसे श्रद्धांजलि दे रही है, वहीं दूसरी तरफ कनाडा की कोर्ट ने माना है कि निज्जर के दो सहयोगी को प्लेन में नहीं चढ़ने देने का फैसला सही है। खालिस्तानी नेताओं द्वारा प्लेन को हाईजैक करने जैसी आशंका वाली रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।कनाडा में खालिस्तान समर्थकों ने लगाई ‘अपनी अदालत’, कनाडा उच्चायोग को नोटिस
खालिस्तान समर्थकों के सिर उठाने के बावजूद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन वहां के कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह खालिस्तानी समर्थकों को किसी भी तरह की छूट देने के पक्ष में नहीं है। पिछले दिनों कनाडा के वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर एक बार फिर खालिस्तानी आतंकियों ने भारत के खिलाफ कथित ‘जन अदालत’ आयोजित की थी। इस अदालत के आयोजन के बाद प्रधानमंत्री का पुतला भी फूंका गया। इसको लेकर भारत ने सख्त ऐतराज जताया है। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की निरंतर बढ़ती गतिविधियों को भारत ने बेहद गंभीरता से लेते हुए दिल्ली स्थित कनाडा उच्चायोग को राजनयिक नोटिस जारी किया है। यह घटना उस समय हुई है, जब पिछले सप्ताह इटली में G7 Summit के दौरान पीएम मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुलाकात के बाद दोनों देशों के संबंध सुधरने की उम्मीद जगी थी। हालांकि इसके बावजूद कनाडाई संसद ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की याद मे मौन रखकर शोक जताया था।कनाडा की धरती पर खालिस्तानी आतंकवादियों को लगातार दी जा रही शह
भारत ने वैंकूवर की कथित जन अदालत के बाद कनाडाई उच्चायोग को राजनयिक नोटिस जारी किया है। इस मौखिक नोटिस में कनाडा की धरती पर खालिस्तानी आतंकवादियों को लगातार दी जा रही शह पर गंभीर आपत्ति और नाराजगी जताई गई है। भारत ने कनाडा को साफ कहा है कि उसकी धरती पर खालिस्तानी आतंकियों के प्रदर्शन और जन अदालत लगाना दोनों देशों के संबंधों में भारी गतिरोध ला सकता है। भारत ने खालिस्तानी आतंकियों को जस्टिन ट्रूडो की सरकार द्वारा बढ़ावा दिए जाने का भी आरोप लगाया गया है और इस पर आपत्ति जताई गई है। भारत ने गुरुवार को वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा ‘नागरिक अदालत’ आयोजित करने के बाद संयुक्त सचिव (अमेरिका) नागराज नायडू ने दिल्ली में कनाडाई उप उच्चायुक्त को तलब किया और कड़ा विरोध दर्ज कराया। इसके साथ ही भारत ने जस्टिन ट्रूडो सरकार द्वारा खालिस्तानियों को खुली छूट दिए जाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई।दो खालिस्तानियों के खिलाफ फैसला, हवाई यात्रा पर रोक को सही ठहराया
इस बीच कनाडा की एक ‘संघीय अपीलीय अदालत’ ने खालिस्तान समर्थक भगत सिंह बराड़ और पर्वकर सिंह दुलाई की अपील खारिज कर दी है। इन दोनों का नाम कनाडा के सुरक्षित विमान यात्रा अधिनियम के तहत ‘उड़ान प्रतिबंधित’ सूची में शामिल किया गया था। इससे पहले दोनों सिख चरमपंथियों ने इस सूची की संवैधानिकता को चुनौती दी थी और उनकी याचिका निरस्त हो गयी थी। इसके बाद उन्होंने अपीलीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दोनों को 2018 में वैंकूवर में विमानों में चढ़ने की अनुमति नहीं दी गयी थी। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि यह अधिनियम सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री को लोगों को उड़ान भरने से प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है, बशर्ते ‘‘यह संदेह करने का उचित आधार हो कि वे परिवहन सुरक्षा को खतरा पहुंचाएंगे या आतंकवादी घटना को अंजाम देने के लिए हवाई यात्रा करेंगे।’’ नई दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि दुलाई प्रतिबंधित संगठन ‘बब्बर खालसा’ का सदस्य है। दुलाई विपक्षी ‘न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी’ के नेता जगमीत सिंह का करीबी है। दुलाई सरे से ‘चैनल पंजाबी’ और चंडीगढ़ से ‘ग्लोबल टीवी’ चैनलों का संचालन करता है। दोनों चैनल खालिस्तानी दुष्प्रचार करते हैं।

 

कनाडा की संसद ने निज्जर की स्मृति में एक मिनट का मौन रखा
भारत द्वारा यह कूटनीतिक कदम कनाडा की संसद द्वारा खालिस्तान टाइगर फोर्स के आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की स्मृति में एक मिनट का मौन रखने के एक दिन बाद उठाया गया है। निज्जर को पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मार दी गई थी। वह खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के आतंकवादी गुरदीप सिंह उर्फ दीपा हेरनवाला का पुराना साथी था, जो 1980 और 1990 के दशक की शुरुआत में पंजाब में 200 से अधिक हत्याओं में शामिल था। कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने लगातार निज्जर के बारे में यह कहानी गढ़ने की कोशिश की है कि वह कनाडा के सरे में गुरु नानक गुरुद्वारा का एक निर्दोष और धार्मिक विचारों वाला प्रमुख था।

कनाडाई प्रधानमंत्री भारत विरोधी प्रचार पर जान बूझकर कोई नकेल नहीं कस रहे
इस महीने की शुरुआत में इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और ट्रूडो के बीच संक्षिप्त मुलाकात हुई। ट्रूडो अपनी धरती से खालिस्तानियों द्वारा चलाए जा रहे भारत विरोधी प्रचार पर जान बूझकर कोई नकेल नहीं कस रहे हैं। पिछले साल कनाडा की संसद में ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की भूमिका का आरोप लगाया था, लेकिन अभी तक अपने आरोपों को पुख्ता करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया है। पिछले महीने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि सरकार ने प्रत्यर्पण के लिए 25 लोगों के नाम दिए हैं, लेकिन ट्रूडो की सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। इस सूची में कुख्यात गैंगस्टर और कनाडा में शरण लिए हुए खालिस्तान समर्थक आतंकवादी शामिल हैं। पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सिख आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता का आरोप लगाया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को “बेतुका और प्रेरित करने वाला” बताते हुए सिरे से ही खारिज कर दिया। दरअसल, खालिस्तान समर्थन की आड़ में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। वे खालिस्तान से जुड़ी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन से अल्पमत की सरकार चला रहे हैं, जिसे भारत विरोधी जगमीत सिंह चलाते हैं।

पहले भी पीएम जस्टिन ट्रूडो की मौजूदगी में लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे
गौरतलब है कि गत अप्रैल माह में भी कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की मौजूदगी में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे। दरअसल, कनाडा की राजधानी में खालसा दिवस पर एक आयोजन किया गया था, जिसमें ट्रूडो भी शामिल थे। जैसे ही ट्रूडो संबोधन के लिए आगे बढ़े, भीड़ में खड़े लोगों ने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। इस घटना के बाद भारत सरकार ने सख्ती दिखाई थी। अब विदेश मंत्रालय ने इस मामले में भारत में कनाडा के उप उच्चायुक्त को तलब किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने इस मामले में गहरी चिंता जताई है और कहा है कि कार्यक्रम में ऐसे तत्वों अनुमति देना बहुत गलत है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह कनाडा में अलगाववाद, उग्रवाद, हिंसा को दिए गए राजनीतिक समर्थन को दर्शाता है।

 

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