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25 जून को भारत के लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा था- प्रधानमंत्री मोदी

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अठारहवीं लोकसभा का पहला सत्र आज सोमवार 24 जून को शुरू हो गया है। संसद का ये सत्र 3 जुलाई तक चलेगा। संसद सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘आज हम 24 जून को मिल रहे हैं। कल 25 जून है, जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा से समर्पित हैं, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून न भूलने वाला दिवस है। कल 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 वर्ष हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। देश को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था। इमरजेंसी के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि हम गौरव के साथ हमारे संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतंत्र, लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो 50 साल पहले की गई थी और लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा दिया गया था। हम संकल्प करेंगे, जीवंत लोकतंत्र का, हम संकल्प करेंगे, भारत के संविधान की निर्दिष्ट दिशा के अनुसार जन सामान्य के सपनों को पूरा करना।’

सत्र के पहले दिन संसद भवन परिसर में उन्होंने कहा कि ‘संसद का ये गठन भारत के सामान्य मानवी के संकल्पों की पूर्ति का है। नए उमंग, नए उत्साह के साथ नई गति, नई ऊंचाई प्राप्त करने के लिए ये अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है। श्रेष्ठ भारत निर्माण का विकसित भारत 2047 तक का लक्ष्य, ये सारे सपने लेकर के, ये सारे संकल्प लेकर के आज 18वीं लोकसभा का सत्र प्रारंभ हो रहा है। विश्व का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही शानदार तरीके से, बहुत ही गौरवमय तरीके से संपन्न होना ये हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। 140 करोड़ देशवासियों के लिए गर्व की बात है। करीब 65 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया। ये चुनाव इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण बन गया है कि आजादी के बाद दूसरी बार किसी सरकार को लगातार तीसरी बार सेवा करने के लिए देश की जनता ने अवसर दिया है। और ये अवसर 60 साल के बाद आया है, ये अपने आप में बहुत बड़ी गौरवपूर्ण घटना है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘जब देश की जनता ने तीसरे कार्यकाल के लिए भी एक सरकार को पसंद किया है, मतलब उसकी नीयत पर मोहर लगाई है, उसकी नीतियों पर मोहर लगाई है। जनता-जनार्दन के प्रति उसके समर्पण भाव को मोहर लगाई है, और मैं इसके लिए देशवासियों का ह्दय से आभार व्यक्त करता हूं। गत 10 वर्ष में जिस परंपरा को हमने प्रस्थापित करने का निरंतर प्रयास किया है, क्योंकि हम मानते हैं कि सरकार चलाने के लिए बहुमत होता है, लेकिन देश चलाने के लिए सहमति बहुत जरूरी होती है। और इसलिए हमारा निरंतर प्रयास रहेगा कि हर किसी की सहमति के साथ, हर किसी को साथ लेकर के मां भारती की सेवा करें, 140 करोड़ देशवासियों की आशाओं, आकांक्षाओं को परिपूर्ण करें।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सभी सांसदों से देश को बहुत सी अपेक्षाएं हैं। मैं सभी सांसदों से आग्रह करूंगा कि जनहित के लिए, लोकसेवा के लिए हम इस अवसर का उपयोग करें और हर संभव हम जनहित में कदम उठाएं। देश की जनता विपक्ष से अच्छे कदमों की अपेक्षा रखती है। अब तक जो निराशा मिली है, शायद इस 18वीं लोकसभा में विपक्ष देश के सामान्य नागरिकों की विपक्ष के नाते उनकी भूमिका की अपेक्षा करता है, लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखने की अपेक्षा करता है। मैं आशा करता हूं कि विपक्ष उसमें खरा उतरेगा।’

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ‘विकसित भारत के हमारे संकल्प को पूरा करने के लिए हम सबका दायित्व है, हम मिलकर के उस दायित्व को निभाएंगे, जनता का विश्वास हम और मजबूत करेंगे। 25 करोड़ नागरिकों का गरीबी से बाहर निकलना एक नया विश्वास पैदा करता है कि हम भारत को गरीबी से मुक्त करने में बहुत ही जल्द सफलता प्राप्त कर सकते हैं और ये मानवजाति की बहुत बड़ी सेवा होगी। हमारे देश के लोग 140 करोड़ नागरिक परिश्रम करने में कोई कमी नहीं रखते हैं। हम उनको ज्यादा से ज्यादा अवसर जुटाएं। इसी एक कल्पना, और हमारा ये सदन जो एक संकल्प का सदन बनेगा। हमारी 18वीं लोकसभा संकल्पों से भरी हुई हो, ताकि सामान्य मानवी के सपने साकार हो।’

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