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दिवाली से पहले अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1.3 लाख करोड़ रुपये के पार, पीएमआई 7 महीने में सबसे बेहतर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से उबरते हुए तेजी से रिकवरी कर रही है। अर्थव्यवस्था की दृष्टि से अक्टूबर का महीना काफी अच्छा रहा। इस महीने मोदी सरकार ने वस्‍तु व सेवा संग्रह के मामले में दूसरी बार बड़ी उपलब्धि हासिल की। अक्टूबर 2021 में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 1,30,127 करोड़ रुपये रहा। यह जीएसटी के लॉन्च के बाद से अब तक दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके पहले अप्रैल 2021 में जीएसटी कलेक्शन 1.3 लाख करोड़ रुपये के पार गया था। जीएसटी कलेक्शन में पिछले महीने के मुकाबले 24 प्रतिशत और साल 2019-20 के दौरान अक्टूबर के कलेक्शन से 36 प्रतिशत ज्यादा है। ये लगातार चौथा महीना है जब जीएसटी कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर रहा।

वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2021 में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन में सीजीएसटी से 23,861 करोड़ रुपये, एसजीएसटी के 30,421 करोड़ रुपये, आईजीएसटी से 67,361 करोड़ रुपये और सेस (CESS) से 8,484 करोड़ रुपये का कलेक्शन रहा है। सेस में 699 करोड़ रुपये का योगदान आयात की जाने वाली वस्तुओं पर लागू अधिभार का रहा है। अक्टूबर के दौरान वस्तुओं के आयात से होने वाली आय सालाना आधार पर 39 प्रतिशत ज्यादा रही है। इसी तरह घरेलू लेनदेन से होने वाली आय सालाना आधार पर 19 प्रतिशत ज्यादा रही है। अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन इकोनॉमिक रिकवरी के मुताबिक ही रहा है। देश की इकोनॉमी में रिकवरी की पुष्टि हर महीने जेनरेट होने वाले ई-वे बिल से भी होती है।

लगातार चौथे महीने पीएमआई में हुई बढ़ोतरी

देश की उत्पादन गतिविधियों में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। तेजी से टीकाकरण, कोरोना संक्रमण में काफी गिरावट, तीसरी लहर की आशंका कम होने और मांग में बढ़ोतरी से इकोनॉमी में सुधार हो रहा है। आईएचएस मार्किट इंडिया द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में लगातार चौथे महीने बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अक्टूबर महीने में देश की पीएमआई 55.9 पर रही। वहीं, सितंबर में ये 53.7 और अगस्त में 52.3 पर रही थी। पीएमआई के 50 से ऊपर रहने का मतलब होता है कि इकोनॉमी में विस्तार हो रहा है।

अक्टूबर में कच्चे माल की खरीद, कंपनियों के उत्पादन और नए ऑर्डर सात महीनों में सर्वाधिक तेजी से बढ़े, जबकि व्यापार आशावाद छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया। फर्मों द्वारा इनपुट खरीद में तेजी देखी गई और मांग में और सुधार हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि बेहतर बाजार विश्वास, ग्राहकों के बीच बढ़ती आवश्यकताओं और सफल विपणन की रिपोर्ट के बीच अक्टूबर में नए ऑर्डर का विस्तार जारी रहा। भारतीय कंपनियों ने अपने सामानों की अंतरराष्ट्रीय मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी। नया निर्यात कार्य एक ठोस गति से बढ़ा जो तीन महीनों में सबसे तेज था।

आइए एक नजर डालते हैं देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से किस प्रकार पटरी पर लौटने लगी है…

अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र के औपचारीकरण की प्रक्रिया तेज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने देश में डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया है। इससे अनौपचारिक क्षेत्र यानि असंगठित क्षेत्र के औपचारीकरण की प्रक्रिया तेज हुई है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था में अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 2020-21 में घटकर 15 से 20 प्रतिशत रह गई है, जो 2017-18 में 52.4 प्रतिशत थी। एसबीआई रिसर्च के अध्ययन के मुताबिक हालांकि 2011-12 में अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने का प्रयास शुरू हुआ था, लेकिन इस प्रयास ने मोदी सरकार में 2017-18 से 2020-21 में जोर पकड़ा। अध्ययन से पता चला है कि 2016 से डिजिटलीकरण में तेजी और गिग अर्थव्यवस्था के उभार ने औपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी को तेजी से बढ़ाया है।

शेयर बाजार ने फिर रचा इतिहास, शिखर पर सेंसेक्स
भारतीय शेयर बाजार ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। 19 अक्टूबर, 2021 को नया रिकॉर्ड कायम करते हुए बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने पहली बार 62 हजार का आंकड़ा पार किया। 19 अक्टूबर   बाजार खुलते ही सेंसेक्स नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। सेंसेक्स 450 अंक की उछाल के साथ 62,215 पर तो एनएसई का निफ्टी 100 अंक की तेजी के साथ 18,580 के पार पहुंच गया। इसके पहले 14 अक्टूबर, 2021 को 61 हजार, 24 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 60,000 के पार, 16 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 59,000 के पार, 03 सितंबर, 2021 को 58,000 और 31 अगस्त, 2021 को 57,000 के पार गया था।

इसके पहले सेंसेक्स ने 18 अगस्त 2021 को 56,000 और 13 अगस्त, 2021 को 55,000 अंक के स्तर के पार किया। सेंसेक्स इसी महीने 4 अगस्त को पहली बार 54000 के आंकड़े को पार किया। यह 22 जून को 53,000 के लेवल को पार कर नए शिखर पर पहुंचा था। इसके पहले 15 फरवरी, 2021 को शेयर बाजार के बीएसई सेंसेक्स ने 52,000 के लेवल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सेंसेक्स ने जून 2014 में पहली बार 25 हजार के स्तर को छुआ था। मोदी राज में पिछले 6 साल में 25 हजार से 50 हजार तक के सफर तय कर सेंसेक्स दो गुना हो गया है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।

रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उससे तमाम क्षेत्रों की कंपनियों में विश्वास जगा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कदम उठाने के बाद कोरोना काल में भी आर्थिक जगत में मोदी सरकार की साख मजबूत हुई है, और कंपनियां, शेयर बाजार, आम लोग सभी सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में एफडीआई में 62 प्रतिशत की वृद्धि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत नेतृत्व में भारत निवेश के लिए वैश्विक निवेशकों का पसंदीदा देश बना हुआ है। मोदी सरकार बनने के बाद एफडीआई नीति में सुधार, निवेश के लिए बेहतर माहौल और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे कदम उठाने का परिणाम है कि वे कोरोना काल में भी भारत में जमकर निवेश कर रहे हैं। मोदी सरकार की नीतियों का ही परिणाम है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों के दौरान भारत ने कुल 27.37 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश भारत में आया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में इसी अवधि की 16.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की तुलना में यह 62 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही पिछले साल की इसी अवधि में 9.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों में 20.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 112 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों के दौरान ‘ऑटोमोबाइल उद्योग’ शीर्ष क्षेत्र के रूप में उभरा है। इसका कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में योगदान 23 प्रतिशत रहा है, इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का 18 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र का 10 प्रतिशत योगदान रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में जुलाई, 2021 तक कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 45 प्रतिशत हिस्से के साथ कर्नाटक शीर्ष पर है, इसके बाद महाराष्ट्र 23 प्रतिशत के दूसरे और 12 प्रतिशत के साथ दिल्ली तीसरे स्थान पर रहा।

विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने सितंबर में किया 16,305 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना संकट काल में भी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। विदेशी निवेशकों ने कोरोना काल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया है। मोदी सरकार बनने के बाद एफडीआई नीति में सुधार, निवेश के लिए बेहतर माहौल और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे कदम उठाने का परिणाम है कि वे कोरोना काल में भी भारत में जमकर निवेश कर रहे हैं। विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने सितम्‍बर महीने में अभी तक भारतीय पूंजी बाजार में 16,305 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किए हैं। बाजार के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने 11,287 करोड रुपये इक्विटी और 5,018 करोड़ रुपये ऋण सेगमेंट में निवेश किए हैं। इस महीने की 17 तारीख तक कुल मिलाकर 16,305 करोड रुपये भारतीय पूंजी बाजार में निवेश किये गए। पिछले महीने अगस्त में विदेशी निवेशकों ने 16,459 करोड़ रुपये भारतीय पूंजी बाजार में डाले थे।

एफपीआई ने अक्तूबर में अब तक किया 1,997 करोड़ निवेश
कोरोना महामारी के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्तूबर में अबतक भारतीय बाजारों में 1,997 करोड़ रुपये डाले हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़े के अनुसार, एफपीआई ने 1 से 8 अक्तूबर तक इक्विटी में 1530 करोड़ रूपए का निवेश किया और डेट सेगमेंट में 467 करोड़ रूपए का निवेश किया। मॉर्निंगस्टार इंडिया के अनुसार निवेशक धीरे-धीरे अपने सतर्क रुख को छोड़ रहे हैं और भारतीय बाजारों की तरफ उनका भरोसा बढ़ रहा है।

विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर
कोरोना संकट काल में भी मोदी सरकार की नीतियों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार ने एक बार फिर रिकॉर्ड बनाया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर के पार पहुंच गया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3 सितंबर को खत्म हफ्ते में 8.895 अरब डॉलर बढ़कर 642.453 अरब डॉलर को पार कर गया। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार यह अबतक का सबसे ऊंचा स्तर है। इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा एसेट्स 8.213 अरब डॉलर बढ़कर 579.813 अरब डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

जुलाई में निर्यात 47 प्रतिशत बढ़कर 35.17 अरब डॉलर पर पहुंचा
जुलाई में देश का निर्यात 47.19 प्रतिशत बढ़कर 35.17 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार पेट्रोलियम, इंजीनियरिंग और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन की वजह से ये उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान पेट्रोलियम निर्यात बढ़कर 3.82 अरब डॉलर, इंजीनियरिंग निर्यात 2.82 अरब डॉलर और रत्न एवं आभूषण निर्यात 1.95 अरब डॉलर रहा। इसके साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि में निर्यात 73.86 प्रतिशत बढ़कर 130.56 अरब डॉलर रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 75.10 अरब डॉलर रहा था।

जीएसटी कलेक्शन 33 प्रतिशत बढ़कर 1.16 लाख करोड़ रुपये पर
वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जुलाई में 33 प्रतिशत बढ़कर 1.16 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। जुलाई, 2021 में कुल जीएसटी कलेक्शन 1,16,393 करोड़ रुपये रहा जिसमें सीजीएसटी 22,197 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 28,541 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 57,864 करोड़ रुपये और सेस 7,790 करोड़ रुपये शामिल हैं। यह राजस्व संग्रह पिछले साल के इसी महीने के जीएसटी कलेक्शन के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि आने वाले महीनों में भी जीएसटी राजस्व संग्रह के दमदार बने रहने की संभावना है।

अगस्त में कोर सेक्टर का उत्पादन 11.6 प्रतिशत बढ़ा
कोरोना संकट के कारण औद्योगिक गतिविधियों पर असर जरूर हुआ है, लेकिन भारतीय अर्थव्यस्था में रिकवरी की रफ्तार जोर पकड़ती जा रही है। इस साल अगस्त में पिछले साल की तुलना में आठ कोर सेक्टर का उत्पादन 11.6 प्रतिशत बढ़ा है। आठ कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठों कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस साल अगस्त में पिछले साल की तुलना में कोयला और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में 20.6 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पाद में 9.1 प्रतिशत, इस्पात उत्पादन में 5.1 प्रतिशत, सीमेंट उत्पादन में 36.3 प्रतिशत और बिजली उत्पादन में 15.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

आइए देखते हैं देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर विभिन्न रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…

इस वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत रहेगी विकास दर- यूबीएस

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना संकट काल में भी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2021-22 में 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। स्विस ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया ने कहा कि मांग और टीकाकरण से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था और रफ्तार पकड़ेगी।

10.5 प्रतिशत या उससे अधिक वृद्धि की उम्मीद- नीति आयोग
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 10.5 प्रतिशत या उससे अधिक वृद्धि दर हासिल करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि विनिर्माण और सेवाओं, दोनों के लिए भारत खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) में पिछले महीने काफी तेजी आई है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में और भी मजबूती आएगी और मुझे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत या इससे अधिक रहेगी। मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड 20.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि रिटेल सेक्टर का आधुनिकीकरण बहुत तेजी से हो रहा है और सरकार इसे आगे बढ़ाएगी।

2021 में 9.5% और 2022 में 8.5% रहेगी विकास दर- आईएमएफ
मोदी सरकार के रणनीतिक सुधारों और कोरोना टीकाकरण अभियान में तेजी के कारण दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2021 में 9.5 प्रतिशत और 2022 में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। खास बात यह है कि 2022 में भारत को छोड़कर किसी भी अन्य देश में यह वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर नहीं जाने का अनुमान जताया गया है। आर्थिक विकास दर के मामले में भारत ने चीन और अमेरिका को काफी पीछे छोड़ दिया है।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

इकोनॉमी को लेकर कंज्यूमर्स में उत्साह-आरबीआई
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सर्वे के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद भविष्य की स्थितियों को लेकर लोग काफी आशावादी हैं। इसके साथ ही रिजर्व बैंक को चालू वित्त वर्ष में विकास दर 9.5 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है। कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स जो जुलाई में 48.6 था, सिंतबर में बढ़कर 57.7 हो गया है। साथ ही फ्यूचर एक्सपेक्टेशंस इंडेक्स जुलाई में 104 था, वह सितंबर में बढ़कर 107 हो गया है। यह देश की बेहतर अर्थव्यवस्था के संकेत हैं। सर्वे के अनुसार अर्थव्यवस्था और नौकरियों को लेकर सेंटीमेंट में सुधार देखने को मिल रहा है।

9.5 प्रतिशत रहेगी देश की विकास दर- आरबीआई
कोरोना काल में भी भारत ने मजबूत वृद्धि दर हासिल की है और सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते पर है। भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 9.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार आर्थिक गतिविधियों में तेजी के संकेत सुधार को दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना की दूसरी लहर का असर कम हो गया और दूसरी तिमाही से आर्थिक विकास और बेहतर होगा। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने महामारी के चलते आर्थिक वृद्धि पर ज्यादा जोर देने का फैसला किया। बैंक ने सरकार द्वारा निर्धारित 2 से 6 प्रतिशत तक मुद्रास्फीति दर के लक्ष्य को ध्यान में रखकर कदम उठाए हैं। इससे वैश्विक बाजार में तरलता की आसान स्थिति के कारण घरेलू बाजार में तेजी दिखाई दे रही है। 

वित्त वर्ष 2021-22 में 10 प्रतिशत की ग्रोथ की उम्मीद- NCAER
इकोनॉमिक थिंक टैंक NCAER ने देश की विकास दर का अनुमान बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। एनसीएईआर की महानिदेशक पूनम गुप्ता के अनुसार देश में सप्लाई सामान्य होने लगी है। सेवाओं में मांग बढ़ने के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था भी पटरी पर है। इससे वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 10 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। पूनम गुप्ता के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था में उछाल और कोविड-19 की वजह से आपूर्ति संबंधी दिक्कतें कम होने से चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छी वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है।

आर्थिक वृद्धि दर 9.5 फीसदी रहने का अनुमान-एसएंडपी
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2022-23 में यह 7 प्रतिशत रह सकती है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक (सॉवरेन) एंड्रयू वुड ने कहा कि महामारी के संदर्भ में भारत की बाह्य स्थिति मजबूत हुई है। देश ने रिकॉर्ड गति से विदेशी मुद्रा भंडार जुटाया है।

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत- मूडीज
अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था की राह पर लौट रहा है। पहली तिमाही में तेज विकास दर से यह भरोसा और मजबूत हुआ है कि 2021 में भारत 9.6 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल कर लेगा। यह दुनिया के अन्य बड़े देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है। भारत के बाद चीन की विकास दर 8.5 प्रतिशत का अनुमान है। मूडीज के अनुसार जी-20 देशों की विकास दर 6.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। अन्य उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की औसत विकास दर इस साल 7.2 प्रतिशत रहेगी।

एशियाई देशों में भारत की विकास दर सबसे बेहतर रहने की संभावना
 कोरोना महामारी और तमाम विपरीत परिस्थियों के बावजूद मोदी सरकार की नीतियों के चलते देश की इकोनॉमी वृद्धि कर रही है। मोदी राज में एशियाई देशों में भारत की विकास दर सबसे बेहतर रहने की संभावना है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने कहा है कि साल 2021 में देश की विकास दर 12.8 प्रतिशत हो सकती है। नोमुरा की भारत और एशिया पूर्व जापान एमडी और मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा है कि हमने भारतीय बाजार में एक महत्वपूर्ण रैली देखी है। अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार सोनल वर्मा ने कहा कि हमें लगता है कि भारत की वृद्धि इस वर्ष एशिया के अन्य देशों को पीछे छोड़ देगी और हम कैलेंडर वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 12.8 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।

इक्रा का अनुमान- 8.5 प्रतिशत रह सकती है जीडीपी ग्रोथ
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि कोरोना के घटते मामले और लॉकडाउन में ढील से वित्त वर्ष 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रह सकती है। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि हमारा अनुमान है कि देश की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 8.5 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर टीकाकरण अभियान में तेजी आती है, तो तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। इससे जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत तक जा सकती है। इक्रा ने कहा कि इस साल मानसून सामान्य रहने के साथ खाद्यान्न उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद है।

संयुक्त राष्ट्र ने 2022 के लिए जताया 10.1 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान
संयुक्त राष्ट्र ने साल 2021 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। यूएन ने इसमें जनवरी के अपने अनुमान से 0.2 फीसद की बढ़ोत्तरी की है। इसके साथ ही यूएन ने साल 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ का पूर्वानुमान 10.1 प्रतिशत लगाया है। यूएन ने वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट्स रिपोर्ट में कहा है कि कई देशों में बढ़ते कोरोना संक्रमण और टीकाकरण में कमी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर असर पड़ा है।

एडीबी ने जताया 11 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 11 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। ‘एशियन डेवलपमेंट आउटलुक 2021’ में एडीबी ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था के इस वित्त वर्ष में एक मजबूत वैक्सीन ड्राइव के बीच 11 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने कहा कि एशिया में विकास हो रहा है, लेकिन कोविड 19 के बढ़ते प्रकोप से इस रिकवरी को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्थाएं परिवर्तन पर हैं। यह देखना होगा कि के समय उनके वैक्सीन रोलआउट की गति और वैश्विक रिकवरी से उन्हें कितना फायदा हो रहा है।

विश्व बैंक ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान 5.4 से बढ़ाकर किया 10.1 प्रतिशत
अर्थव्यवस्था में मौजूदा सुधार को देखते हुए विश्व बैंक ने भी अपने अनुमानों में संशोधन किया है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 4.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 10.1 प्रतिशत कर दिया है। इस अनुमान के पीछे निजी उपभोग में वृद्धि एवं निवेश को कारण बताया गया है। इससे पहले जनवरी में विश्व बैंक ने ही भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 5.4 प्रतिशत बताया था।

2021-22 में 9.5 प्रतिशत रह सकती है विकास दर-फिच
रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 9.5 प्रतिशत रह सकती है। फिच रेटिंग्स ने हालांकि कोरोना संकट के कारण चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान जताया है। लेकिन फिच ने कहा कि कोरोना संकट के बाद देश की जीडीपी वृद्धि दर के वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद है। इसके अगले साल 9.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की उम्मीद है।

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