महाराष्ट्र में भीमा कोरेगांव मामले के प्रमुख आरोपी फादर स्टेन स्वामी का मुंबई के एक अस्पताल में 5 जुलाई को निधन हो गया। बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर उनका इलाज मुंबई स्थित होली फैमिली अस्पताल में चल रहा था। उनके इलाज में कोई कमी नहीं बरती गई, क्योंकि होली फैमिली अस्पताल का नियंत्रण चर्च के हाथों में है। वैसे कहा जा रहा है कि वे अगर हिरासत में नहीं होते को उन्हें बचा लिया गया होता, क्योंकि चर्च उनकी मौत से सहानुभूति बटोरना चाहता है। एल्गार परिषद मामले में नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद रहे स्टेन स्वामी को अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश 28 मई को दिया गया था। एल्गार परिषद-माओवादियों से संबंध मामले के आरोपी स्टेन स्वामी को एनआईए ने पिछले साल 9 अक्टूबर, 2020 को रांची से हिरासत में लिया था।
फादर स्टेन स्वामी पर महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप था। उनके माओवादी साथी राजीव गांधी की हत्या की तरह किसी ऑपरेशन को अंजाम देना चाहते थे। भीमा कोरेगांव मामले में एनआईए ने उनके खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून (यूएपीए) की धाराएं भी लगाई थीं। माओवादी स्टेन स्वामी खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता बताते थे। वे पिछले कई दशकों से आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय रहकर आदिवासियों को भड़काते थे। वह नक्सलियों के कट्टर समर्थक थे। भीमा कोरेगांव मामले में पुलिस ने कई नक्सलियों और उनके समर्थकों को गिरफ्तार किया था।
एल्गार-परिषद मामले में फादर स्टेन स्वामी और उनके सह-आरोपियों पर एनआईए ने आरोप लगाया था कि ये सभी प्रतिबंधित माकपा (माओवादी) के लिए काम कर रहे थे। एनआईए ने आरोप लगाया था कि फादर स्टेन स्वामी ने देश में अशांति पैदा करने के लिए साजिश वाले माओवादियों का साथ दिया था। एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में हुए एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों से जुड़ा है। इन भाषणों के कारण ही इसके अगले दिन जनवरी 01, 2018 को कोरेगांव भीमा में दलित और मराठा समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। इसी मामले में फादर स्टेन के खिलाफ देशद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया था।
स्टेन स्वामी एक रोमन कैथोलिक पादरी थे। वे फादर की आड़ में माओवादी संगठनों के लिए काम करते थे। वे काफी समय से अराजक गतिविधियों में शामिल थे। उन्होंने देश में अशांति पैदा करने की साजिश रची थी। उन्हें माओवादी गतिविधियों को जारी रखने के लिए 8 लाख रुपये मिले थे।
जांच एजेंसी एएनआई के अनुसार, स्टेन स्वामी एक हार्डकोर नक्सली कार्यकर्ता थे। उन्हें प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए अन्य माओवादियों से धन प्राप्त होता था। वह पीपीएससी के संयोजक भी थे, जिसे सीपीआई (एम) का एक प्रमुख संगठन माना जाता था।
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किए जाने के बाद लेफ्ट लिबरल लॉबी ने उनकी जमानत के लिए पूरा जोर लगा दिया था। लेकिन 22 मार्च 2021 को एनआईए की विशेष अदालत ने फादर स्टेन स्वामी को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उन्होंने प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सदस्यों के साथ देश को अराजकता में डालने और हथियार के बल पर सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए गंभीर साजिश रची थी।
स्टेन स्वामी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए विशेष न्यायाधीश ने कार्यकर्ता और उनके सह-आरोपियों के बीच 140 ईमेल पत्राचार का हवाला दिया था। इसमें अन्य लोगों को कॉमरेड के रूप में संबोधित किया गया था और हिसंक गतिविधियों को जारी रखने के लिए स्टेन स्वामी ने 8 लाख रुपये प्राप्त किए थे।
तमिलनाडु के त्रिची में पैदा हुए जेसुइट फादर स्टैनिस्लॉस लूर्डुसामी… फादर स्टेन स्वामी के नाम से मशहूर थे। वे 1970 के दशक में अविभाजित बिहार के झारखंड वाले चाईबासा इलाके में चले गए और यहां के आदिवासियों के बीच नक्सली गतिविधियों में शामिल हो गए थे। फादर स्टेन स्वामी पर झारखंड के खूंटी थाना में भी 26 जुलाई, 2018 को आइटी एक्ट में एक केस दर्ज किया गया था। इसमें देशद्रोह, सोशल मीडिया के माध्यम से पत्थलगड़ी को बढ़ावा देने, सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने, सरकारी योजनाओं का विरोध करने का आरोप लगा था।
देशद्रोह के आरोपी को शहीद बताने में जुटी कांग्रेस
नक्सली गुट के सदस्य और एक उग्रवादी स्टेन स्वामी जिसके कारण देश में सैकड़ों लोगों की जान गई, आज कांग्रेस उनको महान बता रही है। जिस स्टेन स्वामी को कोर्ट ने यह कहकर जमानत देने के इनकार कर दिया था कि वे देश के लोकतंत्र के खिलाफ काम कर रहे हैं। उस भीमा कोरेगांव हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता को कांग्रेस शहीद बताने में जुटी हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी ने फादर स्टेन स्वामी के निधन पर गहरा दुख जताते हुए ट्वीट किया कि फादर स्टेन स्वामी के निधन पर हार्दिक संवेदना। वह न्याय और मानवता के पात्र थे।
Heartfelt condolences on the passing of Father Stan Swamy.
He deserved justice and humaneness.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 5, 2021
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट किया कि फादर स्टेन स्वामी के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ। एक सभ्य और नेक इंसान जिनके साथ हमारी सरकार मानवता का व्यवहार नहीं कर सकी। मुझे एक भारतीय के रूप में गहरा दुख हुआ। ईश्वर स्टेन स्वामी की आत्मा को शांति दे। उन्होंने यह भी लिखा कि दशकों तक असहायों की मदद करने वाले 83 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता को गिरफ्तार करना राष्ट्रीय अपमान है। यह दुनिया की नजर में उदार लोकतंत्र के रूप में हमारे देश की छवि को धूमिल करता है।
Sad to learn of Fr #StanSwamy‘s passing. A humanitarian & man of God whom our government could not treat with humanity. Deeply saddened as an Indian. RIP. https://t.co/aOB6T0iHU9
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 5, 2021
देखिए कांग्रेस और उसके करीबी किस तरह से स्टेन स्वामी को महान बताने की कोशिश कर रही है…
Our heartfelt condolences to Father #StanSwamy‘s family, friends & followers on his deeply saddening demise.
May justice, truth & humanity prevail. pic.twitter.com/CufdkIHtJd
— Congress (@INCIndia) July 5, 2021
फादर स्टैन स्वामी को विनम्र श्रद्धांजलि।
कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक व्यक्ति जिसने जीवन भर गरीबों-आदिवासियों की सेवा की और मानव अधिकारों की आवाज बना, उन्हें मृत्यु की घड़ी में भी न्याय एवं मानव अधिकारों से वंचित रखा गया।#StanSwamy
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 5, 2021
The death of #StanSwamy is a state-sponsored POLITICAL MURDER by the Modi & Shah Govt. Don’t call it anything else.
— Srivatsa (@srivatsayb) July 5, 2021
Justice delayed is justice denied.
The passing away of Father Stan Swamy is a huge loss to the nation.#StanSwamy https://t.co/fkvudKYiod
— Mohammed Haris Nalapad (@nalapad) July 5, 2021
An aged frail Jesuit priest who fought all his life for the poor & dispossessed, mercilessly jailed, at first denied even a straw to drink water, denied timely medical help, repeatedly denied bail, dies in custody. A national tragedy. Who killed Father #StanSwamy? https://t.co/aoXMqAcOhx
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) July 5, 2021
The death of ageing, infirm #stanswamy subverting even the bail not jail principle. Pause and consider how callous our system can be.
— barkha dutt (@BDUTT) July 5, 2021
Fr Stan Swamy shall never die. He will live in our hearts as a hero, the brave dissenter who stood against the fascist Modi government at the cost of his life.
Modi & Shah have Fr. Stan Swamy’s blood on their hands. The country will never forgive them. #StanSwamy
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) July 5, 2021