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उद्धव ठाकरे की बढ़ी मुश्किल, एकनाथ शिंदे ने सरकार और पार्टी के बाद बालासाहेब के नाम पर भी ठोका दावा

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शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे ने न सिर्फ सरकार और पार्टी से बल्कि ठाकरे परिवार के खिलाफ भी बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है। एक के बाद एक ऐसे कदम उठा रहे हैं, जिनसे उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। शिंदे अब बालासाहेब ठाकरे के नाम पर दावेदारी कर रहे हैं। इस बात को खुद बागी नेता दीपक केसरकर ने कुछ निजी चैनलों से बातचीत में कहा है। खबर यह भी है कि शिवसेना के चुनाव चिन्ह को भी छीनने की तैयारी शिंदे गुट की तरफ से की जा रही है। इससे उद्धव ठाकरे के खेमे में काफी बेचैनी देखी जा रही है। आलम ये है कि अब उद्धव ठाकरे को अपने पिता के नाम के दुरुपयोग को लेकर चुनाव आयोग से गुहार लगानी पड़ रही है।

बालासाहेब ठाकरे के नाम पर घमासान

शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संजय राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे का नाम अगर कोई अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है, तो हमें ये मंजूर नहीं है। उसपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राउत ने कहा कि जो लोग छोड़कर गए हैं। वे शिवसेना के नाम से वोट मत मांगे। अगर मांगते हैं तो अपने खुद के पिता के नाम पर मांगे। शिवसेना के बाप बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट मत मांगे।

शिंदे गुट की नई पार्टी – शिवसेना बालासाहेब ठाकरे !

दरअसल शनिवार (25 जून, 2022) को मुंबई में जब उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी की कार्यकारिणी में ललकार रहे थे तो दूसरी ओर गुवाहाटी में ‘नई शिवसेना’ बनाने की रणनीति तैयार हो रही थी। एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को और “शर्मिंदा” करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अपने गुट का नया नाम दिया है। सूत्रों के मुताबिक शिंदे ने शिवसेना से बगावत करने वाले विधायकों के गुट का नाम “शिवसेना बालासाहेब ठाकरे” रखा है। बताया जा रहा है कि जल्द ही शिंदे समर्थक इस नाम को लेकर रस्मी तौर पर ऐलान कर सकते हैं। शिंदे गुट मान कर चल रहा है कि इसी के जरिए ज्यादा से ज्यादा शिवसैनिक उनके गुट से इमोशनली कनेक्ट होंगे।

तोड़फोड़ के खिलाफ सड़कों पर उतरे शिंदे समर्थक

पुणे में हुई तोड़फोड़ से नाराज शिवसेना का बागी गुट एक्शन में आ गया है। बताया जा रहा है कि शिंदे गुट ने ठाणे में अपने हिमायतियों से सड़क पर उतरने की अपील की। इसके बाद काफी संख्या में शिंदे समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं। मुंबई में शिंदे की हिमायत में बड़े-बड़े पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं। इससे पहले शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने बागी विधायक तानाजी सावंत के दफ्तर में भी तोड़फोड़ की थी।

एनसीपी ने उद्धव से पूछे तीखे सवाल, जताया संदेह

शिवसेना के सामने यही एक मुश्किल नहीं है। शिवसेना और एनसीपी के बीच अविश्वास बढ़ता जा रहा है। शिवसेना के साथ हुई बैठक में एनसीपी की ओरे से तीखा सवाल पूछा गया कि इतनी बड़ी बगावत हो गई और शीर्ष नेतृत्व इस बात से अनजान कैसे रहा? इतना ही नहीं एनसीपी ने कहा कि यह अजीब लगता है कि जो नेता ‘वर्षा’ (सीएम हाउस) में बैठक में शामिल हुए थे, वे बाद में बागी हुए और गुवाहाटी चले गए। जमीनी स्तर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की तरफ से प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी जा रही है?

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