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बेसहारों के सहारा हैं पीएम मोदी, नेत्रंग की जनसभा में सुनाई दो अनाथ आदिवासी भाइयों की दिल को छू लेने वाली कहानी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्त है। इसके बावजूद उन्होंने मानवीय संवेदना की अनूठी मिसाल पेश की है। रविवार (27 नवंबर,2022) को प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के नेत्रंग में एक जनसभा में जनता को देर से आने का जो कारण बताया, उसने लोगों का दिल जीत लिया। उन्होंने दो बेसहारा और अनाथ आदिवासी भाइयों की कहनी सुनाई, जिससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी हर गरीब और बेसहारा के संकटमोचक हैं। जब भी किसी बेसहारा को सहारा और मदद की जरूरत होती है, तो वो तुरंत उसकी मदद के लिए आगे आते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी 130 करोड़ लोगों की उम्मीद और भरोसे का प्रतीक बने हुए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने नेत्रंग की जनसभा में मंच पर चढ़ते ही जनता से कहा कि मैं दो मिनट देरी से आया हूं। क्योंकि, मैं आदिवासी भाइयों से मिलना चाहता था। 6 साल पहले उनके माता-पिता का बीमारी के चलते देहांत हो गया। जिस वक्त उनके माता-पिता गुजरे उस वक्त उनकी उम्र 8 और 2 साल की थी। माता और पिता के निधन के बाद ये दोनों बदहाली में रहते हुए एक-दूसरे के सहायक बनकर जी रहे थे। कुछ समय पहले उन्होंने दोनों का एक वायरल वीडियो देखा था। इसके बाद प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल और अधिकारियों को अवि और जय की हरसंभव मदद करने का निर्देश दिया।  

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं दिल्ली में बैठा था, लेकिन उनके लिए व्यवस्था करने में कामयाब रहा। आज इन बच्चों के पास घर है, घर में टीवी, कंप्यूटर, पंखा आदि सब सुविधाएं हैं। उन्होंने बताया कि आज मैंने उनसे पूछा, अगर हम आपको वहां ले जाएं जहां आप पढ़ना चाहते हैं तो क्या करें। जिसके जवाब में एक बच्चा कहता है कि मुझे कलेक्टर बनना है, तो दूसरा कहता है कि मुझे इंजीनियर बनना है। जिन बच्चों के माता-पिता नहीं होते और 6 साल की उम्र में जीवन शुरू करते हैं, आज देश के प्रधानमंत्री के बगल में खड़े होने का सपना देखते हैं, मुझे भी खुद को ऐसा करने में मजा आता है। आज मुझे दोनों बच्चों से मिलने का सौभाग्य मिला।

प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर दोनों भाइयों ने कहा कि वह बेहद उत्साहित हैं और उनके सपोर्ट के लिए उनके शुक्रगुजार भी। गौरतलब है कि अवि और जय के माता-पिता का निधन 6 साल पहले लंबी बीमारी के बाद हो गया था। उसके बाद से दोनों मजदूरी कर एक-दूसरे की देखभाल कर रहे थे। तमाम परेशानियों के बावजूद दोनों भाइयों ने पढ़ाई नहीं छोड़ी। अवि 9वीं में पढ़ रहा है, वहीं जय छठी कक्षा में है। प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों बच्चों को आश्वासन दिया है कि वो उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी लेंगे।

इससे पहले भी प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने बेसहारा और विपत्ति में फंसे लोगों की मदद की है। आइए डालते हैं उनमें से कुछ पर नजर–

बिहार के जमुई की कैंसर पीड़ित एक महिला की मदद

बिहार के जमुई की रहने वाली स्तन कैंसर से पीड़ित विमला देवी को इलाज के लिए पैसों की जरूरत थी। इसके बारे में पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय को जानकारी मिली। इसके बाद तुरंत प्रधानमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए 2.5 लाख रुपये की आर्थिक मदद स्वीकृत की गई। 2.5 लाख रुपये की राशि आरटीजीएस के माध्यम से इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज पटना को भेज दी गई। प्रधानमंत्री कार्यालय से आर्थिक सहायता प्रदान करने से संबंधित पत्र विमला देवी और इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज पटना को भेजा गया। इसके बाद विमला देवी का इलाज भी शुरू हो गया। विमला देवी के इलाज में मदद के लिए जमुई के सांसद चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।

बांग्लादेश में घायल कश्मीरी एमबीबीएस छात्र को इलाज के लिए भारत लाने में की मदद
इसी तरह बांग्लादेश में एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल जम्मू-कश्मीर के मेडिकल छात्र को एयर एंबुलेंस से भारत लाया गया था। घायल छात्र शोएब लोन के पिता मोहम्मद असलम लोन ने शोएब को भारत लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मदद मांगी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए परिवार को सभी सहायता प्रदान करने का भरोसा दिया और शोएब लोन को भारत वापस लाने के लिए व्यवस्था की थी। प्रधानमंत्री ने खुद बांग्लादेश में भारतीय राजदूत से बात कर छात्र के परिजनों की हर संभव मदद करने के लिए कहा। इसके बाद राजदूत ने ढाका स्थित एवर केयर हॉस्पिटल में भर्ती छात्र से मुलाकात की और राजौरी स्थित उसके परिजनों से संपर्क किया। एमबीबीएस छात्र को विशेष इलाज के लिए बांग्लादेश के ढाका के अस्पताल से एयरलिफ्ट कराकर दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया।

ऑस्ट्रेलिया में फंसे बीमार सिख युवक अर्शदीप की वतन वापसी
ऑस्ट्रेलिया में बेहद गंभीर रूप से बीमार अर्शदीप की विधवा और बुजुर्ग मां ने मोदी सरकार से उसे भारत लाने की फरियाद की, तो मोदी सरकार ने बुजुर्ग मां को निराश नहीं किया। मोदी सरकार की पहल पर अर्शदीप को विशेष विमान से ऑस्ट्रेलिया से भारत लाया गया। मोदी सरकार ने अर्शदीप की वतन वापसी और उसके बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहद सकारात्मक तरीके से काम किया। अर्शदीप के भारत आने पर उन्हें गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। अर्शदीप के रिश्तेदार के मुताबिक जिस विशेष विमान से उसे भारत लाया गया, उसका सारा खर्च मोदी सरकार ने ही उठाया। परिवार ने इसके लिए मोदी सरकार का आभार जताया। 25 साल का अर्शदीप ऑस्ट्रेलिया स्थित मेलबर्न के सेंट विंसेंट हॉस्पिटल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा था। उसकी दोनों किडनी खराब हो चुकी थी। लिहाजा लगातार डायलिसिस पर उसका इलाज चल रहा था।

चीन में फंसे भारतीयों की वतन वापसी

चीन में महामारी बनकर फैला घातक कोरोना वायरस जब भारत सहित पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने लगा तो भारत के कई नागरिक भी चीन में फंस गए। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन में फंसे भारतीयों के लिए देवदूत बनकर सामने आए। उन्होंने चीन में फंसे भारतीयों को राहत देते हुए, उनकी सकुशल वापसी सुनिश्चित की। एयर इंडिया के विशेष विमान से भारतीयों के साथ-साथ मालदीव के नागरिकों को भी भारत लाने में मदद की। 

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मोदी सरकार ने कराई सऊदी अरब में फंसे लोगों की वतन वापसी

19 जून, 2019 को ही मोदी सरकार ने सऊदी अरब में फंसे भारतीयों की सकुशल वतन वापसी कराई। दरअसर सऊदी अरब में दो कंपनियों की आपसी लड़ाई में सैंकड़ों भारतीय वहां फंस गए थे। मोदी सरकार की पहल पर 1200 भारतीय वतन वापस लाए गए। इनमें 500 के लगभग पंजाबी थे। वतन लौटे पंजाबियों ने वापसी के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।

पांच महीने की बच्ची के लिए मसीहा बने प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी महाराष्ट्र की एक बेटी के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए। मुंबई की पांच महीने की तीरा कामत को एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है। इसके इलाज में ‘झोलजेंसमा’ नामक दवा का उपयोग किया जाता है। दवा को भारत लाने में 6 करोड़ रुपये से ज्यादा की कस्टम ड्यूटी और जीएसटी लग रही थी। जो बहुत बड़ी राशि थी और इसका इंतजाम नहीं हो पा रहा था। ऐसे समय में परिवार के लोगों ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। फडणवीस ने 1 फरवरी को एक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री मोदी से दवा के लिए कस्टम ड्यूटी और जीएसटी माफ करने की मांग की। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इलाज में लगने वाली दवा पर कस्टम ड्यूटी और जीएसटी को पूरी तरह से माफ कर दिया।

पहाड़ी पर झोपड़ी में ऑनलाइन पढ़ाई करने वाली स्वप्नाली को घर में मिला इंटरनेट

प्रधानमंत्री मोदी कोरोना काल में महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले की एक बेटी के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए। कणकवली तहसील के दारिस्ते गांव की स्वप्नाली सुतार मुंबई में वेटनरी कॉलेज से पढ़ाई करती हैं। स्वप्नाली को कोरोना संकट काल में लॉकडाउन के कारण वापस गांव आना पड़ा। गांव में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए इंटरनेट की जरूरत थी। गांव में इंटरनेट ना होने के कारण स्वप्नाली सुतार को ऑनलाइ पढ़ाई के लिए घर से करीब दो किलोमीटर दूर वीरान पहाड़ी पर जाना पड़ा, क्योंकि काफी देखने के बाद उसके भाई को पहाड़ी पर मोबाइल सिग्नल मिला था। स्वप्नाली इसी पहाड़ी पर झोपड़ी बनाकर पढ़ाई करने लगी। सोशल मीडिया पर स्वप्नाली के पढ़ाई के प्रति लगन और ललक की खबर देख प्रधानमंत्री मोदी ने पीएमओ से मदद करने को कहा। प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद तुरंत भारत नेट योजना के तहत स्वप्नाली के दारिस्ते गांव में हाई स्पीड इंटरनेट शुरू कर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी के कारण घर में ही इंटरनेट मिलने से स्वप्नाली का ऑनलाइन पढ़ाई का सपना सच हो गया।

सुनी बेबस पिता की पुकार, बेटी के इलाज के लिए दिए 30 लाख

आगरा के दौहरई, कुबेरपुर के रहने वाले सुमेर सिंह की बेटी ललिता दो साल से एक गंभीर बीमारी अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित थी। इस बीमारी में शरीर में नए ब्लड सेल बनना बंद हो जाते हैं, साथ ही बोन मेरो नष्ट होना शुरू हो जाता है। नई दुनिया के अनुसार बेटी के इलाज के लिए सुमेर सिंह ने अपनी जमीन बेच दी। घर गिरवी रख दिया। इलाज में सात लाख रुपये खर्च हो गए, लेकिन ललिता ठीक नहीं हो पाई। आखिर में ललिता को जयपुर स्थित सवाई मान सिंह अस्पताल में दिखाया गया। जहां के डॉक्टरों ने सिर्फ ऑपरेशन के लिए दस लाख रुपये का खर्च बताया, लेकिन अब परिवार के पास रुपये नहीं थे। थक- हारकर इस पिता ने प्रधानमंत्री मोदी से मदद की गुहार लगाई। प्रधानमंत्री मोदी ने इनकी गुहार सुन ली और ललिता के इलाज के लिए तीस लाख रुपये देने को मंजूरी दे दी।

पीएमओ के पैगाम से मिला केरल के दिव्यांग मोहम्मद असीम को समाधान

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से केरल के मोहम्मद असीम को एक बड़ी राहत मिली। पीएमओ ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह राज्य के शिक्षा विभाग से परामर्श करके कोझिकोड जिले के ओमसेरी पंचायत के स्कूल को हाई स्कूल में अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए।

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार बिना हाथों के पैदा हुआ दिव्यांग मोहम्मद असीम पिछले दो वर्षों से अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए लोगों से मदद के लिए संपर्क कर रहा था। असीम में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन सहित कई नेताओं को अपने पैरों से पत्र लिखे थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की। सभी ने मदद करने का वादा किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सारी कोशिशें नाकाम रहने पर दिव्यांग असीम ने अपने घर से राज्य सचिवालय तक विरोध मार्च शुरू किया। प्रधानमंत्री मोदी को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने तत्काल पीएमओ से इस पर मदद के लिए कहा। असीम के परिवार वाले इससे काफी खुश हुए।

एक पत्र ने बदल दी रिक्शा चालक की जिंदगी

बिहार के खगड़िया जिले के गोगरी जमालपुर के एक गरीब रिक्शा चालक शंभू पासवान की पत्नी का इलाज भी प्रधानमंत्री मोदी की पहल से संभव हो सका। एक बार पत्नी के बीमार पड़ने पर शंभू पासवान ने इलाज के लिए उसे गोगरी रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन अस्पताल में लिखी गई दवा नहीं मिली। ऐसे में शंभू के मन में प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा कौंधा, एक उम्‍मीद जगी और उन्‍हें पत्र लिख दिया। फिर क्या था, प्रधानमंत्री मोदी ने मामले का संज्ञान लिया और अस्पताल की ओर से दवा उपलब्ध कराई गई। साथ ही इलाज की पूरी व्‍यवस्‍था भी की गई। दैनिक जागरण के अनुसार इसके बाद से शंभू पासवान ने प्रधानमंत्री मोदी को कई समस्याओं को लेकर भी पत्र लिखे और हर बार प्रधानमंत्री मोदी का पत्र मिला।

तीसरी क्लास की खुशी को मिला प्रधानमंत्री का जवाब

हरियाणा में फतेहाबाद जिले के रत्ताटिब्बा गांव की तेजासिंह ढाणी की रहने वाली तीसरी कक्षा की ‘खुशी’ ने अपने गांव की कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए देश के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखी। खुशी ने 17 जनवरी को अपनी कॉपी के पन्ने पर पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेज दिया और जब 15 फरवरी को जब खुशी के पत्र का जवाब आया, तो गांव में खुशियां छा गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 300 की आबादी वाले तेजासिंह ढाणी में आजादी के इतने साल बाद भी कच्ची सड़कें हैं। यहां के बच्चों को स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता है। खुशी की चिट्ठी के बाद पीएमओ ने पीडब्लूडी-बीएंडआर विभाग को सड़क बनाने का आदेश दिया। खुशी की इस उपलब्धि पर उसके दादा छोटू राम भी काफी खुश थे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी इस बेटी पर गर्व है और हमें लगता है कि हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को भी सार्थक किया है।

अनाथ बच्चों के पत्र का जवाब

नोटबंदी के दौरान पुराने नोट बदलने की समयसीमा खत्म होने के बाद कोटा के दो अनाथ बच्चों सूरज और सलोनी बंजारा को अपने घर से 96,500 रुपये के पुराने नोट मिले थे। हिंदु्स्तान टाइम्स अखबार की खबर के मुताबिक समय सीमा खत्म हो जाने के कारण रिजर्व बैंक ने इन नोटों को बदलने से इनकार कर दिया। इसके बाद अनाथ आश्रम मधु स्मृति संस्थान के संचालकों ने पीएमओ को पत्र लिखकर इन बच्चों की परेशानी बताई। इन बच्चों की खुशियों का तब कोई ठिकाना ना रहा जब पीएमओ की ओर से एक चिट्ठी मधु स्मृति संस्थान पहुंची। इस चिट्ठी में पीएम मोदी ने बच्चों को तोहफे के रूप में प्रधानमंत्री विवेकाधीन कोष से 50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की । इसके साथ ही पीएम सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत दोनों बच्चों का बीमा भी किया गया। सूरज और सलोनी की मां पूजा बंजारा दिहाड़ी मजदूर थी। साल 2013 में उसकी हत्या के बाद अनाथ हुए सूरज और सलोनी कोटा में मधु स्मृति संस्थान में रह रहे हैं। जहां काउंसलिंग के दौरान दोनों ने अपने पुश्तैनी घर की जानकारी दी। बाल कल्याण समिति के निर्देश पर पुलिस की तलाशी में बच्चों के पुश्तैनी घर से 96 हजार 500 रुपए मिले थे।

कैंसर मरीज के पत्र का जवाब

हिमाचल प्रदेश के अवतार सिंह को कैंसर के कारण नौकरी भी चली गई थी। इलाज के लिए डॉक्टर ने उससे तीन लाख रुपये की व्यवस्था करने को कहा था। तीन लाख रुपये के नाम पर उसे लग रहा था वह अब और नहीं जी पाएगा। इस बारे में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के एक बीजेपी नेता ने स्थानीय सांसद शांता कुमार से बात की। शांता कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी। 31 मार्च को लिखे इस पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार कर तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद को मंजूरी दे दी।

मां के मोबाइल से मिले संदेश का जवाब

ऋषिकेश के सर्वहारानगर काले की ढाल की निवासी संतोष रस्तोगी अपने 20 साल के बेटे विशाल के इलाज के लिए कई जगह गुहार लगा चुकी थी। एमएलए, एमपी सहित मुख्यमंत्री के दरबार में भी हाजिरी लगा चुकी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। थक-हारकर संतोष रस्तोगी ने अपने एक रिश्तेदार के मोबाइल फोन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी फरियाद भेजी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसपर तुरंत संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऋषिकेश के एसडीएम को फोन करके महिला संतोष रस्तोगी का पता लगाने और मदद करने को कहा गया। पीएमओ ने एसडीएम को तुरंत महिला के बेटे के इलाज की व्यवस्था कराने को कहा।संतोष ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करती है।

रामशंकर के पत्र का जवाब

दिल्ली से सटे गुरुग्राम में रहने वाले बिहार के रामशंकर यादव को दिल्ली से बिहार के मधुबनी जाना था। रेल टिकट के लिए गुरुग्राम से दिल्ली जाते वक्त मेट्रो रेल में रामशंकर ठगी के शिकार बन गए। दिल्ली मेट्रो में बातचीत के दौरान तीन लोगों ने कन्फर्म रेल टिकट दिलाने के नाम पर उससे 2,200 रुपये छीन लिए और डेबिट कार्ड से 6,000 रुपये निकाल लिए गए। इसके साथ ही रामशंकर से बैग भी छीन लिया गया जिसमें उसके ओरिजल सर्टिफिकेट थे। 21 साल के रामशंकर यादव धोखाधड़ी के इस मामले में केस दर्ज करना चाहते थे। गुरुग्राम के एक और दिल्ली के तीन पुलिस स्टेशन से उसे लौटा दिया गया। थक हारकर उसने पीएमओ को पत्र लिखा। जिसके बाद गुरुग्राम मेट्रो पुलिस स्टेशन से रामशंकर के पास फोन आया कि आप आकर शिकायत दर्ज करा दीजिए। पीएमओ के दखल के बाद गुरुग्राम मेट्रो पुलिस स्टेशन ने धारा 406 और 420 के तहत मामला दर्ज कर किया, और उसकी समस्या का समाधान किया।

सारा के  पत्र का जवाब

कर्नाटक की बी.बी.सारा, जो अपनी एमबीए की पढ़ाई को आगे जारी रखना चाहती थी, लेकिन आर्थिक हालात ठीक नहीं होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रही थी। कर्नाटक के मंड्या की शुगर टाउन की रहने वाली सारा ने बैंक से एजुकेशन लोन के लिए एप्लाई कर दिया। सारा को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ये लोन बहुत जरूरी था, लेकिन बैंक देर पर देर किये जा रहा था और सारा को पढ़ाई छूटने का खतरा सता रहा था। थक हारकर सारा ने अपने पिता अब्दुल इल्यास के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी परेशानी से अवगत कराया। प्रधानमंत्री कार्यालय से तुरंत पत्र का जवाब आया कि 10 दिन के अंदर आपको लोन मिल जाएगा, और वैसा ही हुआ 10 दिन से पहले ही बैंक वालों ने सारा को लोन दे दिया।

ट्वीटर पर मिले आठ साल की बच्ची के संदेश का जवाब

असम की आठ साल की बच्ची की हालत काफी गंभीर थी। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थी और उसे इलाज के लिए जल्द से जल्द दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शिफ्ट करना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय वाराणसी में थे। बच्ची के परिजन ने मदद के लिए दिल्ली पुलिस और प्रधानमंत्री को ट्वीट किया। ट्वीटर पर इस बारे में जानकारी मिलने पर उन्होंने तुरंत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से ट्रैफिक फ्री पैसेज देने का आदेश दिया। इसके बाद पीएमओ ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर बच्ची के एंबुलेंस के लिए फ्री पैसेज तैयार कर लिया। जिससे बच्ची समय से पहले अस्पताल पहुंच सकी। 13 किलोमीटर का रास्ता सिर्फ 14 मिनट में तय कर बच्ची को अस्पताल में भर्ती करा लिया गया। बताया जा रहा है कि बच्ची को जिस वेंटिलेटर के साथ दिल्ली लाया गया था, अस्पताल पहुंचते वक्त उस बैटरी की क्षमता सिर्फ सात मिनट बची थी। साफ है थोड़ा समय और लगता तो बच्ची की जान को खतरा हो सकता था।

पार्थ के पिता के पत्र का जवाब

डीजेनरेटिव ब्रेन नामक बीमारी से पीड़ित 12 साल के पार्थ के पिता अपने बच्चे की इलाज में अपनी पूरी जमा-पूंजी खर्च चुके थे, लेकिन फिर भी पार्थ को सही इलाज नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में हर जगह हार मान चुके पार्थ के पिता को एक ही उपाय नजर आया और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा। पीएम मोदी ने पत्र पढ़कर तुरंत स्वास्थ्य मंत्री को पार्थ के इलाज की उचित व्यवस्था कराने को कहा।

तैयबा के पत्र का जवाब

आगरा की तैयबा का परिवार तो निराश हो चला था। महज 12 साल की उम्र में तैयबा के दिल का एक वॉल्व खराब हो गया। इलाज बेहद खर्चीला था। ऐसे में तैयबा ने पीएम को चिट्ठी लिखी। तैयबा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि वह जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित है और उसके मजदूर पिता के पास 15 से 20 लाख रुपये नहीं कि इलाज करा सकें। तैयबा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें पीएमओ से जवाबी चिट्ठी मिली। उसी खत में दिल्ली सरकार को निर्देश भी दिया गया था कि खर्च की परवाह किए बिना तैयबा का उचित इलाज करवाया जाए। दिल्ली सरकार ने भी इस पत्र पर कार्रवाई करते हुए गुरु तेग बहादुर अस्पताल को तैयबा के इलाज का निर्देश दिया और इलाज शुरू हो गया।

रोहित की मात्र खबर पर जवाब

ऐसे समय में जब 14 साल के रोहित के परिवार को मदद की सख्त जरूरत थी, प्रधानमंत्री ने महज एक खबर का संज्ञान लेकर उन्हें ये मदद पहुंचाई। हिंदुस्तान टाइम्स अखबार में खबर आने पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एम्स में रोहित का इलाज कर रहे डॉक्टर से बात की। जिसके तुरंत बाद 13 फरवरी को रोहित के इलाज और पोर्टेबल वेंटिलेटर खरीदने के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपए जारी कर दिए गए। प्रधानमंत्री से मदद पाकर रोहित का परिवार बेहद खुश हुआ।

डोरिस फ्रांसिस की मदद की 

दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले की डोरिस फ्रांसिस को प्रधानमंत्री कार्यालय से तीन लाख रुपये की मदद मिली। सामाजिक कार्यकर्ता डोरिस लंबे समय से नेशनल हाइवे 24 पर ट्रैफिक संभालती हैं। वह जहां ट्रैफिक संभालती हैं, वहीं उनकी 17 साल की बेटी का सड़क हादसे में निधन हो गया था। वह इन दिनों कैंसर से जूझ रहीं हैं।

वाराणसी की कैंसर पीड़िता के पत्र का जवाब

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से एक महिला ने अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। इस महिला की बेटी की दोनों किडनियां भी खराब थी। प्रधानमंत्री ने पीड़िता को वाराणसी के रविंद्रपुरी स्थित दफ्तर में मुलाकात की। यह दफ्तर उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं इकट्ठा करने के लिए ही बनाया गया था। पीएम मोदी से मिलकर आईं कल्याणी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। प्रधानमंत्री ने तुरंत ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों का नंबर लगाया और उन्हें कहा कि मुझे पहली प्राथमिकता देते हुए मेरी सहायता की जाए।

छह साल की वैशाली के पत्र का जवाब

मोदी सरकार की तत्परता का अनुभव पुणे की सात साल की वैशाली यादव नाम की छोटी बच्ची ने लिया। वह पुणे में हडपसर के पास भेकराई नगर में रहती है। पहली कक्षा में पढ़ने वाली वैशाली के दिल में छेद होने की वजह से वो हमेशा बीमार रहती थी। डॉक्टरों ने सर्जरी अनिवार्य बताई थी। बच्ची के चाचा मजदूरी करते हैं। बहादुर बेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर अपने मन की बात बताई। खत मिलने पर पीएमओ ऑफिस से पुणे के कलेक्टर को वैशाली की मदद करने कहा गया और पुणे के रुबी हॉल क्लीनिक में वैशाली की ओपन हार्ट सर्जरी भी पूरी हो गई। वो अपने घर पर सुरक्षित है। वैशाली के घरवालों के लिए यही अच्छे दिन है।

ट्वीट के संदेश का दिया जवाब

कर्नाटक में कोप्पल गांव के एक किसान विजय कुमार यातनल्ली ने एक ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी और उनकी समस्या सुलझ गई। किसान विजय के खेत में खड़ा बिजली का खंभा बारिश के कारण झुक गया था। खंभा झुक जाने के कारण विजय को खेत में हल चलाने में और पटवन में काफी परेशानी होती थी। विजय ने इस बारे में गुलबर्ग इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (GESCOM) से कई बार शिकायत की, लेकिन परेशानी का कोई हल नहीं निकाला गया। परेशान होकर विजय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर दिया। प्रधानमंत्री को ट्वीट किए जाने के बाद 24 घंटे के भीतर बिजली खंभे को खेत से हटा दिया गया।

गांव के शिकायती पत्र का जवाब दिया

पीएमओ की पहल पर ही उत्तर प्रदेश के एटा के भिड़इया गांव में 11 साल बाद नए सिरे से विद्युतीकरण का काम शुरू करवाया गया। एक छात्रा ने पीएमओ की वेबसाइट पर शिकायत कर ये जानकारी दी थी कि 2005 में आंधी में तार टूटने के बाद प्रशासन और शासन में से कोई भी गांव में बिजली बहाली की सुध नहीं ले रहा। पीएमओ के संज्ञान लेते ही विद्युत विभाग के अफसरों की नींद खुली और 15 दिन के अंदर बजट आवंटित होने के साथ गांव में दोबारा बिजली बहाल करवाई गई।

वाराणसी के जितेंद्र साहू के पत्र का जवाब

वाराणसी में सारनाथ के सारंग तालाब निवासी जितेंद्र साहू को बेटी की शादी के लिए पीएमओ की पहल पर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से 50 हजार रुपये का चेक दिलवाया गया। बेटी की शादी के निमंत्रण कार्ड के साथ जितेंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आर्थिक मदद के लिए एक पत्र लिखा था, जिसके बाद पीएमओ ने जिलाधिकारी को खत लिखकर मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया था। 

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