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विधानसभा चुनावों में ‘अपनों’ से ही बुरी तरह घिरी कांग्रेस, बागियों की बगावत के बीच कांग्रेसी बोले- बिना पैसा लिए कोई काम नहीं करती राजस्थान की मंत्री जाहिदा खान

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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को ‘अपनों’ का ही सबसे ज्यादा खतरा बना हुआ है। एक तो अपने वो हैं, जो कांग्रेस में रहकर ही नाराजगी के चलते कांग्रेस प्रत्याशियों की जड़ें काटने में जुटे हुए हैं। दूसरे अपने वो हैं, जिन दलों को कांग्रेस ने ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल कर अपने लिए ही खतरा बना लिया है। इस गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी, सपा, भाकपा व माकपा समेत कई अन्य दलों ने विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं। ऐसे में पांचों राज्यों की सौ से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ेगा। इसकी संभावना इसलिए भी है, क्योंकि इन ज्यादातर सीटों पर ये दल कांग्रेस का ही वोट काटेंगे। इसका फायदा निश्चित रूप से बीजेपी को होने जा रहा है।

विधानसभा चुनावों के लिए इंडिया गठबंधन में नहीं बन पाई सहमति
विधानसभा चुनाव ही नहीं, अगले साल होने जा रहे लोकसभा के चुनाव में भी बीजेपी को हराने की रणनीति पर इंडिया गठबंधन के प्रयास पर नतीजों का ग्रहण लगाएंगे। कांग्रेस समेत 28 दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठकों में कभी भी विधानसभा चुनाव साथ लड़ने पर सहमति नहीं बन सकी। नतीजा यह निकला कि कांग्रेस के अच्छे वजूद वाले राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ में अच्छी खासी संख्या में ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों ने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए। इसके चलते अब कांग्रेस के सामने अपने वोटों का बंटवारा रोकने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। इसके अलावा तीनों राज्यों में कई सीटों पर कांग्रेस के बागियों ने समीकरण बिगाड़ दिए है। मध्य प्रदेश में ही कांग्रेस में 35 सीटों पर बागी चुनाव लड़ रहे है।

तीन राज्यों में ही कांग्रेस के खिलाफ गठबंधन के 100 उम्मीदवार
विधानसभा चुनाव की बात करें तो विपक्ष के इंडिया गठबंधन के दलों के उम्मीदवारों से कांग्रेस को कम मार्जिन वाली सीटों पर सबसे ज्यादा नुकसान का खतरा है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में करीब 100 सीटें इस तरह की है। इनमें से कई सीटों पर आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, वामपंथी दलों ने उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं। इन 5 राज्यों से पहले आप, टीएमसी, सपा समेत अन्य दलों के उम्मीदवारों के खड़ा करने से कांग्रेस को गुजरात, गोवा, त्रिपुरा जैसे राज्यों में बुरी हार का सामना करना पड़ा था।

आप पांच राज्यों में कांग्रेस को दिखा रही आंखें, कई प्रत्याशी उतारे
गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी ने पांचों राज्यों में 191 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए है। मध्यप्रदेश में 70, छत्तीसगढ़ में 57, राजस्थान में 44, मिजोरम में चार सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए है। राजस्थान व तेलंगाना में आप अभी और उम्मीदवार खड़े कर सकती है। उधर अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान चार बार छत्तीसगढ़ आ चुके हैं। पार्टी के कई प्रत्याशी सीधे तौर पर कांग्रेस उम्मीदवारों के वोट काटेंगे। कांग्रेस के लिए इसके चलते ये नौ सीटें मुश्किल हो सकती हैं। इनमें भानुप्रतापपुर, कवर्धा, अकलतरा, बिल्हा, मस्तूरी, कोरबा, बिंद्रानवागढ़, दंतेवाड़ा और अंतागढ़ सीट शामिल हैं। ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इस वजह से ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होगा।

राजस्थान में आरएलडी पर अटकी है बात, आप प्रत्याशी कांग्रेस की खोदेंगे जड़ें
राजस्थान में आप 44 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी आप प्रत्याशी कांग्रेस की जड़ों में मठा डालेंगे। दूसरी ओर 2018 में आरएलडी ने कांग्रेस से गठबंधन कर एक सीट जीती थी। इस बार आरएलडी ने 5 सीट मांगी है, कांग्रेस इस पर राजी नहीं है। राज्य में सीपीएम के दो विधायक हैं। सीकर की एक सीट को लेकर सीपीएम से गठबंधन की बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। इधर राजस्थान में कांग्रेस को सबसे बड़ा खतरा तो अपने ही बागियों से बना हुआ है। यही वजह है कि नामांकन की तिथि सिर पर आने के बाद भी कांग्रेस अभी तक आधे से कम प्रत्याशियों की ही सूची जारी कर पाई है। इन आधे प्रत्याशियों में से कई का विरोध तो कांग्रेसी ही कर रहे हैं। इसके चलते चुनावी समर में कांग्रेस के प्रत्याशियों का मुकाबला अपनी पार्टी के बागी उम्मीदवारों से भी होगा।बच्चा-बच्चा जानता है, बिना पैसे काम ही नहीं करतीं – खुर्शीद
राजस्थान में कांग्रेस प्रत्याशियों का मुकाबला बीजेपी के साथ ही अपने लोगों से भी है। गहलोत सरकार में मंत्री जाहिदा खान कामां से फिर दावेदार हैं, लेकिन उनका विरोध स्थानीय कांग्रेस नेता ही कर रहे हैं। कांग्रेस पार्षद और वरिष्ठ नेता खुर्शीद अहमद का कहना है कि बच्चा-बच्चा जानता है कि वो बिना पैसे काम ही नहीं करतीं। हम तो पिछले चुनाव में जाहिदा के ही साथ रहे। बीस हजार की लीड दिलवाई। खिलाफत व्यक्तिगत नहीं, बल्कि करप्शन के चलते आमजन का विरोध है। उन्होंने कहा कि जाहिदा बताएं कि हमारे कौनसे व्यक्तिगत काम थे, जो हमने उन्हें बताए? हम अवैध खनन या कोई गैर कानूनी काम करते हों तो इसका खुलासा करें। वह पैसे लिए बिना कोई काम नहीं करतीं। यह बच्चा-बच्चा जानता है। इसलिए कार्यकर्ता खौफ खाता है। हमने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचाई है।

मंत्री जाहिदा पर करप्शन के साथ परिवारवाद को भी बढ़ावा देने के आरोप
कांग्रेस मंत्री जाहिदा खान पर करप्शन के अलावा परिवारवाद को भी बढ़ावा देने के आरोप हैं। खास बात यह है कि जाहिदा इस आरोप को नकारती भी नहीं हैं, बल्कि उल्टे तर्क गढ़ रही हैं। जाहिदा के मुताबिक परिवार को कोई व्यक्ति अगर अपनी काबलियत के दम पर आगे बढ़े तो परिवारवाद बीच में कहां से आ गया? किसी नेता के परिवार का सदस्य होना ही अपराध हो जाता है क्या? फिर उसकी प्रगति रोकने जैसे काम क्यों किए जा रहे हैं? जहां तक विरोध की बात है तो वो मुठ्ठीभर ही हैं। जो लोग पांच साल से वाजिब अली के यहां चाय पीते रहे हैं या औवेसी की पार्टी से जुड़े हैं, वे ही विरोध में हैं।इंडी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों का दोगला चरित्र बार-बार उजागर
ऐसा पहली बार नहीं है। दरअसल, इंडी गठबंधन में दलों का दोगला चरित्र बार-बार उजागर हो रहा है। भेड़ों यह झुंड डरकर एकजुट होने का नाटक करता है और फिर राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ बांहे चढ़ा लेता है। इससे इंडी गठबंधन की आंतरिक दरारें रह-रह उभरकर आ रही हैं। अब उत्तर प्रदेश में ही देख लें- इंडी गठबंधन में भले ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गलबहियां करते नजर आ रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में वे आमने-सामने लड़ाई लड़ रहे हैं। मध्य प्रदेश में अब तक जारी उम्मीदवारों की सूची में पांच सीटों के रण में इन दोनों पाार्टियां एक-दूसरे के अपने-अपने सूरमा मैदान में उतार दिए हैं। यहां पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव को गठबंधन हितों से ज्यादा अच्छी स्वार्थ की राजनीति लग रही है। इससे पहले भी गठबंधन में शामिला आम आदमी पार्टी और कांग्रेस नेता दिल्ली में एक-दूसरे पर आरोप लगा चुके हैं।

मध्य प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच बनी विपरीत परिस्थितियां
इंडिया गठबंधन में एकजुटता का बड़ा-बड़ा राग अलापने वाले ने मध्य प्रदेश में एक-दूसरे के खिलाफ संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। ऐसी उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव के समीकरण को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस मध्य प्रदेश में कुछ सीटें सपा को दे देगी, लेकिन अभी तक स्थितियां एकदम विपरीत नजर आ रही हैं। कांग्रेस ने रविवार सुबह नौ बजे प्रदेश की 230 में 144 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की। करीब 10 घंटे बाद शाम पांच बजे सपा ने भी नौ उम्मीदवारों की घोषणा की। सपा ने जिन सीटों को अपने लिए मांगा था, उसपर भी कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए।

कांग्रेस ने नहीं छोड़ी सीटें तो अखिलेश ने भी उतार दिए अपने प्रत्याशी
इससे नाराज सपा ने भी अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। इसमें पांच सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस और सपा दोनों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। ये सीटें दलित, अल्पसंख्यक और यादव बहुल मानी जाती हैं। सपा की ओर से घोषित चार अन्य सीटों पर अभी कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इन सीटों पर कांग्रेस के दो से तीन उम्मीदवारों के बीच जोर आजमाइश चल रही है। अगली सूची में इन पर उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए जाएंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक इंडिया गठबंधन को लेकर भले बातचीत चल रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा को सीटें देने के मूड में नहीं है।

सपा ने तीन-तीन दलित और यादव, दो ओबीसी और एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सपा ने नौ प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इनमें तीन यादव समेत पांच ओबीसी, तीन दलित और एक ब्राह्मण प्रत्याशी हैं। हालांकि, यह सपा-कांग्रेस गठबंधन के तहत उतारे गए आधिकारिक प्रत्याशी नहीं हैं। इसलिए वहां गठबंधन की संभावनाओं में दरार पैदा होती हुई साफ दिख रही है। सपा की ओर से जारी सूची के अनुसार, निवाड़ी से पूर्व विधायक मीरा दीपक यादव, राजनगर से बृजगोपाल पटेल उर्फ बबलू पटेल, भांडेर आरक्षित से सेवानिवृत्त जिला जज डीआर राहुल (अहिरवार), धौहानी आरक्षित सीट से विश्वनाथ सिंह मरकाम, चितरंगी आरक्षित सीट से श्रवण कुमार सिंह गोंड से मैदान में होंगे।

अखिलेश यादव ने प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पदाधिकारियों की बैठक ली
इनके अलावा, सिरमौर से लक्ष्मण तिवारी, बिजावर से डॉ. मनोज यादव, कटंगी से महेश सहारे और सीधी से रामप्रताप सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। कांग्रेस के रवैये से नाराज अखिलेश यादव ने प्रत्याशी घोषित करने से पहले प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी की। उन्होंने साफ किया कि इन सीटों पर सपा के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे, भले ही कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारे। सप और कांग्रेस के प्रत्याशी जिन पांच सीटों पर आमने-सामने होंगे,  इनमें भांडेर (सुरक्षित), राजनगर, बिजावर, चितरंगी (सुरक्षित) और कटंगी विधानसभा सीटें शामिल हैं।‘घमंडिया गठबंधन’  निजी स्वार्थों के चलते हो रहा है तार-तार
इससे पहले भी टुकड़े-टुकड़े जोड़कर बनाया गया ‘घमंडिया गठबंधन’  निजी स्वार्थों के चलते तार-तार होता रहा है। आम चुनाव में केवल बीजेपी के विरोध के लिए 26 विपक्षी दल एक साथ तो आ गए, लेकिन अब राज्यों में इनके स्वार्थ टकराने लगे हैं। दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र और राजस्थान तक इस गठबंधन में आने वाली दरारें सुर्खियां बटोर रही हैं। ‘घमंडिया गठबंधन’ के कुनबे की सूत्रधार कांग्रेस ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ टाल ठोंक दी है तो आप ने भी राजस्थान विधानसभा चुनाव में अपनी मर्जी की सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। उधर महाराष्ट्र में शरद पवार को लेकर ‘कंफ्यूजन’ की स्थिति पैदा हो गई है, जबकि गठबंधन की अगली बैठक मुंबई में होना तय हुई है। ऐसे हालात में गठबंधन की अन्य पार्टियां पसोपेश में हैं कि भविष्य की रणनीति साझा मुद्दों पर बनाएं, या फिर अपनी ढपली-अपने राग अलापना जारी रखें।

कांग्रेस दिल्ली की सभी सीटों पर लड़ेगी तो इंडिया गठबंधन का औचित्य ही क्या है?
दिल्ली में कांग्रेस की एक बैठक के बाद पार्टी के नेताओं ने संकेत दे दिए हैं कि कांग्रेस हाईकमान ने की तरफ से दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर मजबूत तैयारी करने के निर्देश मिले हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन के मूड में नहीं है और दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर लड़ना चाहती है। कांग्रेस नेताओं के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी ने इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, तो INDIA गठबंधन बनाने का औचित्य ही क्या है? आम आदमी पार्टी नेता विनय मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस नेताओं का ये बहुत हैरान करने वाला बयान है। ऐसे बयानों के बाद गठबंधन का क्या मतलब रह जाता है?

दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे- लांबा
कांग्रेस की मीटिंग के बाद पार्टी नेता अलका लांबा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “लगभग 3 घंटे की मीटिंग में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल और दिपक बाबरिया मौजूद रहे। तीन घंटे की मीटिंग में संगठन को मजबूत करने पर चर्चा हुई। संगठन में कमजोरियां क्या हैं? उसपर कैसे काम किया जाए? मीटिंग में हमें सुझाव मिले कि कैसे संगठन को मजबूत कर सकते हैं। सुझाव ये भी आया कि लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां अब हमें करनी है, मकसद वही था। हर नेता को आज से अभी से निकलना है। 7 महीने और 7 सीटें हैं। ये बात हुई कि जिसकी दिल्ली हुई, उसका देश होता है। यही इतिहास बताता है। इसलिए हमें कहा गया कि दिल्ली की सातों सीटों पर तैयारी रखनी है। आदेश हुआ कि हमें दिल्ली की सातों सीटों पर मजबूत संगठन के साथ लड़ना है।

18 राज्यों की लोकसभा सीटों पर चुनाव की तैयारियों को लेकर हो चुकी है मीटिंग
क्या दिल्ली में कांग्रेस ‘एकला चलो’ पर काम कर रही है? इसके जवाब में अलका लांबा ने कहा, “एकला चलो पर तो अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसलिए ये कहना कि हम दो सीटों पर लड़ेंगे, चार सीटों पर लड़ेंगे या बाकी पर काम नहीं करेंगे… ऐसा कुछ नहीं है। लेकिन ये तो सब जानते हैं कि दिल्ली की सात सीटों पर हम (कांग्रेस) 2019 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे। अब भारत जोड़ो यात्रा के बाद हम देख रहे हैं कि लोग बीजेपी के खिलाफ देश में एक मजबूत विकल्प के तौर पर कांग्रेस को देख रहे हैं। दिल्ली से पहले 18 राज्यों की लोकसभा सीटों पर चुनाव की तैयारियों को लेकर मीटिंग हो चुकी है। दिल्ली 19वां राज्य था, 2024 का चुनाव कैसे जीतना है इसपर चर्चा हुई।कांग्रेस का वोटों से ही जीती AAP, उसके दो मंत्री भ्रष्टाचार के चलते जेल में बंद
कांग्रेस नेता लांबा ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस का जो वोट है, वो आम आदमी पार्टी की तरफ गया है। बीजेपी का पक्का वोट बैंक और एक स्थिर लाइन है। हमारी लड़ाई बीजेपी से है, लेकिन वोट हमारा आम आदमी पार्टी के पास है। आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता इस समय भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल पर भी शिकंजा कस सकता है। इसलिए कांग्रेस संगठन को अभी से मजबूत करना है। सातों सीटों पर हमें अपनी तैयारियों को पुख्ता करना है। कांग्रेस नेता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस पार्टी संगठन को मजबूत करके एकजुट होकर लड़ेगी। हमने आम आदमी पार्टी की या गठबंधन की कोई चर्चा नहीं की। हमारा अपना अलग रास्ता है। हमने पोल खोल यात्रा से लेकर हर एक कोशिश की है कि अरविंद केजरीवाल सरकार की नीतियों को एक्सपोज करें।

कांग्रेस के ये छुटभय्ये नेता, एमएलए इलेक्शन में दोनों की जमानत तक नहीं बची-आप
कांग्रेस की बैठक और दिल्ली को लेकर मिला दिशा-निर्देशों के बाद अब आप नेताओं का कहना है कि ऐसे हालात में अरविंद केजरीवाल को इस पर फैसला करना चाहिए कि आगे क्या करना है। आम आदमी के सौरभ भारद्वाज ने कांग्रेस नेताओं के इस तरह के बयानों पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन की मूल भावना का खिलाफ बयान देने वाले बहुत छोटे-मोटे नेता हैं, जिनकी जमानतें विधानसभा चुनाव तक में नहीं बची हैं। उनके बयानों की क्या वैल्यू है, इसे आसानी से समझा जा सकता है। अनील चौधरी और अल्का लांबा ने बयान दिया है और सभी जानते हैं कि दोनों की ही जमानत कहां बची। दोनों की मिला लो तो भी नहीं जीतेंगे। जब सौरभ भारद्वाज से पूछा गया कि क्या आम आदमी पार्टी भी दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है? या वे मानते हैं कि दिल्ली में आप-कांग्रेस का गठबंधन होना चाहिए? तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि ये सभी PAC के लेवल की चीजे हैं। हमारी पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी है, वो इस पर चर्चा करेगी, निर्णय करेगी।राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ प्रत्याशी उतारेगी AAP
आप एक ओर दिल्ली में कांग्रेस द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने का विरोध कर रही है, दूसरी ओर राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ ही अपने उम्मीदवार उतारने की पूरी तैयारी कर रही है। आम आदमी पार्टी ने गंगानगर, हनुमानगढ़, बांसवाड़ा, सीकर, जयपुर, अलवर, कोटा, दौसा, चुरू, अजमेर, टोंक और सवाईमाधोपुर जिले की 26 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ाए जाने वाले चेहरे लगभग तय कर लिए हैं। अगले सप्ताह इन 26 सीटों पर संभावित उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो सकती है। आम आदमी पार्टी के प्रभारी विनय मिश्रा के मुताबिक कई सीटों पर चुनाव लड़ाए जाने वाले उम्मीदवार तय कर लिए हैं। राजस्थान में हम तीन-चार फेज में विधानसभा उम्मीदवार घोषित करेंगे। राजस्थान की चुनाव तैयारियों को लेकर 18 अगस्त को पार्टी की अहम बैठक होने वाली है। इसके बाद पहली सूची 25 अगस्त से पहले जारी कर देंगे।

‘इंडिया’ अलायंस के बावजूद आप की विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तैयारी
पार्टी ने तय किया है कि इन 26 सीटों पर चुनाव लड़ाए जाने वाले लोगों को पहले विधानसभा प्रभारी बनाया जाएगा। कम से कम एक माह तक इनको पार्टी की ओर से संगठन विस्तार का काम देकर परफोर्मेंस देखी जाएगी। इसके बाद इनको टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। संभावना है कि 26 में से एक-दो ऐसे लोग जो परफॉर्मेंस में खरे नहीं उतरेंगे उनकी जगह नए नाम भी शामिल हो सकते हैं। मिश्रा ने साफ-साफ कहा कि ‘इंडिया’ अलायंस को लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए कि हम राजस्थान में चुनाव नहीं लड़ रहे, बल्कि पार्टी विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह से गंभीर है।राजस्थान में पंजाब, दिल्ली और गुजरात से सटी सीटों पर ज्यादा फोकस
पंजाब, गुजरात और दिल्ली से लगते राजस्थान के जिलों को पार्टी ने पहली प्राथमिकता में रखा है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। इन दोनों राज्यों से जुड़े इलाकों में पार्टी की सरकारों के काम और योजनाओं को लेकर पहले से हो रही माउथ पब्लिसिटी को भुनाने की रणनीति है। वहीं गुजरात में भी पिछले चुनाव में आप पार्टी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। यही कारण है कि तीनों राज्यों की सीमाओं से सटे राजस्थान के जिलों में पार्टी अपने लिए ज्यादा संभावनाएं देख रही हैं। इसी लिहाज से पहली सूची में ज्यादातर सीमावर्ती जिलों से जुड़ी सीटों पर फोकस रहेगा। चुनाव से पहले अपना धरातल मजबूत करने के लिए पार्टी प्रदेश के सभी संभाग मुख्यालयों पर बड़ा कार्यक्रम करेगी। इसके आधार पर पार्टी चुनावी एजेंडा तय करेगी। पार्टी ने तय किया है कि राजस्थान के सभी जिलों में इसी माह के अंतिम सप्ताह से तिरंगा यात्राओं की शुरुआत होगी। दिल्ली, पंजाब और गुजरात से प्रत्येक जिले में पार्टी का कोई न कोई बड़ा नेता इन यात्राओं का नेतृत्व करेगा।

गठबंधन की मुंबई बैठक से पहले ही महाराष्ट्र की राजनीति में उफान
बता दें कि INDIA गठबंधन की पहली मीटिंग पटना में 23 जून को हुई थी। दूसरी मीटिंग 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई। अब तीसरी मीटिंग 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में होनी है। मुंबई की बैठक से पहले ही महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार को लेकर उफान आया है। गठबंधन बनने के करीब 1 महीने बाद ही इसमें खींचतान शुरू हो गई है। महाराष्ट्र में जहां अजित-शरद पवार की सीक्रेट मीटिंग और कथित ऑफर को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। दोनों नेताओं के बीच लगातार हो रहीं मुलाकातों ने कांग्रेस और शिवसेना की टेंशन बढ़ा दी है। कांग्रेस अभी से लोकसभा की तैयारियों में जुट गई है। इसके लिए पार्टी ने बुधवार (16 अगस्त) को महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों को लेकर रिव्यू मीटिंग की. बैठक के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया कि उनकी पार्टी गठबंधन के साथ मिलकर 42 सीटों पर जीट हासिल करेगी।

 

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