गांधी परिवार के करीबियों का पार्टी छोड़ना जारी है। जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बाद खुद को देश का भावी प्रधानमंत्री मानने वाले राहुल गांधी के रवैये के कारण कांग्रेस में असंतोष का माहौल है। हाल के वर्षो में राहुल गांधी के कारण पार्टी के कई दिग्गज नेता कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं। अब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी महाराष्ट्र कांग्रेस के एक बड़े नेता अशोक चव्हाण ने पार्टी को बड़ा झटका दिया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान 12 फरवरी को अशोक चव्हाण ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ वे बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वे भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान महाराष्ट्र में कांग्रेस की नैया छोड़ने वाले तीसरे दिग्गज नेता हैं। इससे पहले हाल ही में दक्षिण मुंबई के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा और पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी ने पार्टी को बाय-बाय बोल दिया था।
13 पूर्व मुख्यमंत्री छोड़ चुके हैं कांग्रेस
राहुल गांधी के कारण कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कार्यशैली से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की लंबी कतार है। हालात इतने बदतर हैं कि पिछले नौ साल में 13 पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस छोड़ चुके हैं।
आइए डालते हैं एक नजर-
अशोक चव्हाण
पूर्व मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने 12 फरवरी, 2024 को इस्तीफा देकर कांग्रेस के अंदर तूफान ला दिया। भोकर सीट से विधायक अशोक चव्हाण कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य थे। उन्होंने 2014 में नांदेड़ लोकसभा से जीत हासिल की थी। अशोक चव्हाण के पिता शंकर राव चव्हाण भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। अशोक चव्हाण और शंकर राव चव्हाण महाराष्ट्र में पिता-पुत्र की एकमात्र जोड़ी हैं, जो मुख्यमंत्री रह चुके हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके अशोक चव्हाण महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव भी रह चुके हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद अशोक चव्हाण ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। महाराष्ट्र कांग्रेस के इस दिग्गज नेता के बाहर जाने से राज्य में पार्टी को तगड़ा झटका लगा है।
किरण कुमार रेड्डी
पूर्व मुख्यमंत्री
अविभाजित आंध्र प्रदेश के आखिरी मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं। रेड्डी ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा दे दिया था। किरण कुमार रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है और आलाकमान के गलत फैसलों की वजह से पार्टी राज्य दर राज्य टूट रही है। यह एक राज्य की बात नहीं लगभग सभी राज्यों का यही हाल है। पार्टी आलाकमान पर निशाना साधने उन्होंने कहा कि वह यही सोचते हैं कि मैं ही सही हूं और देश की जनता सहित बाकी सब गलत हैं। इसी विचारधारा कि वजह से मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया है। उनके लिए एक पुरानी कहानी है कि मेरा राजा बहुत बुद्धिमान है वह अपने आप नहीं सोचता और न ही किसी का सुझाव मानता है। आप सबको पता चल गया होगा कि मैं क्या कहना चाहता हूं।
गुलाम नबी आजाद
पूर्व मुख्यमंत्री
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के नजदीकी रहे गुलाम नबी आजाद ने अगस्त, 2022 में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी के खिलाफ जमकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में लिए जाने वाले फैसले जनहित और देशहित के लिए नहीं होते, बल्कि कुछ लोगों के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए होते हैं। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से किनारा कर अपनी नई पार्टी बना ली है। गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे के दौरान आरोप लगाया कि पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बेहद अपरिपक्व नेता हैं और बहुत ही बचकाने व्यवहार करते हैं। आजाद ने यह भी आरोप लगाया कि अब सोनिया गांधी नाममात्र की ही नेता रह गई हैं, क्योंकि पार्टी के सारे फैसले राहुल गांधी के ‘सिक्योरिटी गार्ड और निजी सहायक’ करते हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ने के साथ सोनिया गांधी को भेजे सात पन्नों के इस्तीफे में सोनिया, राहुल और प्रियंका वाड्रा को खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि सोनिया ने बंद आंखों के उनके अपमान का तमाशा देखा है। हालातों के लिए सीधे-सीधे राहुल-प्रियंका को दोषी ठहराया है। साथ ही कहा है कि उम्मीद करता हूं कि भविष्य में कांग्रेस में कोई अन्य नेता उस अपमान का शिकार नहीं होगा, जो मुझे झेलना पड़ा। कांग्रेस छोड़ने के लिए सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में अमरिंदर ने कहा है कि नवजोत सिद्धू उम्र का लिहाज किए बिना उनको बेइज्जत करते रहे। राहुल-प्रियंका और हरीश रावत उसको शह देते रहे और ऐसे समय में आप (सोनिया गांधी) सब कुछ जानते-बूझते हुए भी आंखें मूंदे बैठी रहीं।
एसएम कृष्णा
पूर्व मुख्यमंत्री
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा ने भी कांग्रेस के छोड़ने के बाद राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। बीजेपी में शामिल हुए कृष्णा ने कहा है कि राहुल की पार्ट टाइम राजनीति की राह से कांग्रेस की सियासी वापसी नहीं होगी। राहुल की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को अपना राजनीतिक स्थान फिर से हासिल करना है तो उसे गांधी परिवार के वंशवादी नेतृत्व का मोह छोड़ना होगा।
नारायण दत्त तिवारी
पूर्व मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी भी साल 2017 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। कांग्रेस छोड़ते वक्त उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी आलाकमान को जमीनी वास्तविकता का कोई पता नहीं है।
गिरधर गमांग
पूर्व मुख्यमंत्री
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग ने भी साल 2015 में पार्टी पर निर्णायक फैसला ना लेने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दिया था। मुख्यमंत्री रहते गिरिधर गमांग के ही एक वोट से साल 1999 में केंद्र की 13 दिन पुरानी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार गिर गई थी।
नारायण राणे
पूर्व मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे भी कांग्रेस से नाता तोड़ चुके हैं। उन्होंने पार्टी छोड़ने के साथ विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा देते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस आलाकमान ने उनके किया वादा नहीं निभाया। कांग्रेस को अलविदा करते हुए राणे ने कहा था, ‘मैंने 12 साल पहले जब शिव सेना छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था, तब सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने मुझे मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था। मैडम (सोनिया गांधी) ने ते मुझसे दो बार कहा था कि मुझे सीएम बनाया जाएगा, लेकिन वे दोनों इससे मुकर गए।’ राणे ने कहा कि कांग्रेस के कर्ता-धर्ता पार्टी को आगे ले जाने के इच्छुक नहीं हैं। इससे पहले वे शिव सेना में थे और 1999 में छह महीने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे। अभी नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री हैं।
लुईजिन्हो फ्लेरियो
पूर्व मुख्यमंत्री
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो ने सोनिया गांधी को दिए अपने त्यागपत्र में लिखा कि “वर्तमान स्थिति को देखते हुए पार्टी का कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है।” मैंने पार्टी को जोड़ने का पूरा प्रयास किया, लेकिन हाईकमान की नजरअंदाजी हर बार भारी पड़ी है। हालात यह हैं कि कांग्रेस अब अपने संस्थापकों के हर आदर्श और सिद्धांत के विपरीत काम कर रही है।
विजय बहुगुणा
पूर्व मुख्यमंत्री
2012 से 2014 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा की बहन उत्तर प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रही थीं। इनके पिता हेमवतीनंदन बहुगुणा का परिवार दशकों से कांग्रेस में था। 2013 की बाढ़ आपदा में राहत कार्यों में अनियमितता को लेकर उनके नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे थे। मुख्यमंत्री का पद चला गया और दो साल बाद दोनों भाई बहन कांग्रेस छोड़ 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए।
शंकर सिंह बाघेला
पूर्व मुख्यमंत्री
गुजरात के मुख्यमंत्री रहे शंकर सिंह बाघेला 2017 में कांग्रेस का साथ छोड़कर बाहर निकल गए। वाघेला ने भी कांग्रेस छोड़ते समय राहुल गांधी पर पार्टी हित में फैसला ना लेने का आरोप लगाया था।
अजित जोगी
पूर्व मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे अजित जोगी ने साल 2016 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी बना ली थी। कांग्रेस छोड़ते हुए उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी अब गांधी-नेहरू की विचारधारा से भटक गई है।
जगदंबिका पाल
पूर्व मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे जगदम्बिका पाल ने साल 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के सीनियर लीडर रहे जगदंबिका पाल आरोप लगाया था कि पार्टी के बड़े नेता उन्हें अपमानित कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के एक के बाद एक पार्टी के पदों से इस्तीफा देने और पार्टी छोड़ने से अब यह साफ होता जा रहा है कि जल्द ही भारत कांग्रेस मुक्त हो जाएगी। आइए देखते हैं 2024 से पहले ही कांग्रेस का किला किस तरह ढह रहा है…
हाल के वर्षों में कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले दिग्गज-
बाबा सिद्दीकी
महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार के दौरान मंत्री रहे बाबा सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा देकर अजीत पवार की एनसीपी में शामिल हो गए हैं। 8 फरवरी 2024 को कांग्रेस से इस्तीफा देकर बाबा सिद्दीकी ने 10 फरवरी 2024 को एनसीपी का दामन थाम लिया। वे करीब 40 साल से ज्यादा से कांग्रेस से जुड़े हुए थे लेकिन कांग्रेस की नीतियों के कारण उन्हें भी बाहर का रास्ता देखने के लिए मजबूर होना पड़ा। 66 साल के बाबा सिद्दीकी मुंबई में कांग्रेस का एक प्रमुख अल्पसंख्यक चेहरा थे। वे तीन बार बांद्रा पश्चिम से विधायक रहे हैं।
मिलिंद देवरा
गांधी परिवार के करीबी मिलिंद देवरा 14 जनवरी, 2024 को कांग्रेस छोड़ शिवसेना में शामिल हो गए। महाराष्ट्र कांग्रेस के एक बड़े नेता मिलिंद देवरा ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दिन ही पार्टी को बड़ा झटका दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ शिवसेना शिंदे गुट में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि अब वह विकास के पथ पर चलने जा रहे हैं। देवरा ने कहा कि कांग्रेस के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता खत्म हो गया है। दो बार लोकसभा सांसद और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे देवरा ने कहा कि मेरी राजनीतिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय आज समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे नेता के साथ काम करना चाहता हूं जो रचनात्मक विचारों को महत्व देता है।
सी आर केसवन
देश के पहले गवर्नर जनरल और पूर्व कांग्रेस नेता सी राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केसवन 8 अप्रैल को बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने एक महीने पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। कांग्रेस छोड़ते समय उन्होंने कहा था कि वह पार्टी में जारी राजनीति से खुश नहीं हैं। पार्टी में जिस तरह की राजनीति हो रही है, उससे मैं सहज नहीं हूं। उन्होंने कहा था कि पिछले 22 साल से कांग्रेस का हिस्सा हूं, लेकिन समय के साथ मुझे महसूस हुआ कि कांग्रेस में दृष्टिकोण न रचनात्मक था और न ठोस। जिन मूल्यों के लिए मैंने काम किया, वे बदल गए हैं। बीजेपी में शामिल होने पर केशवन ने कहा कि मैं उस दिशा में काम करूंगा कि भारत 2047 तक विश्वगुरू बन जाए। मेरा वही योगदान रहेगा जो रामसेतु बनने में गिलहरी ने दिया था।
अनिल एंटनी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी भी पार्टी छोड़ 6 अप्रैल, 2023 को बीजेपी में शामिल हो गए है। केरल कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम के पूर्व संयोजक अनिल एंटनी ने कहा कि मैंने कांग्रेस से अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। मुझ पर एक ट्वीट को वापस लेने के लिए असहिष्णुता के साथ दबाव बनाया जा रहा था। वह भी उनकी तरफ से जो फ्रीडम ऑफ स्पीच के लिए खड़े होने की बात करते हैं। मैंने मना कर दिया। प्रेम का प्रचार करने वाले फेसबुक पर मेरे खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल कर रहे थे। अनिल एंटनी ने गुजरात दंगों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर विवाद के बाद जनवरी 2023 में कांग्रेस छोड़ दी थी।
कपिल सिब्बल
कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले नेताओं में सबसे बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का है। बीते काफी समय से उनके रिश्ते कांग्रेस आलाकमान के साथ अच्छे नहीं चल रहे थे। कपिल सिब्बल ने उदयपुर में कांग्रेस के चिंतिन शिवर में बैठक के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। सिब्बल कांग्रेस पार्टी में व्यापक सुधारों पर जोर देने वाले विद्रोही ग्रुप “जी -23” के एक प्रमुख सदस्य थे। सिब्बल काफी समय से ना केवल कांग्रेस, बल्कि राहुल गांधी पर भी निशाना साधते रहे हैं।
सुनील जाखड़
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया। सुनील जाखड़ को कांग्रेस नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जाखड़ ने एक तीखे संदेश में कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को दोस्तों और दुश्मनों की पहचान करने की आवश्यता है।
आरपीएन सिंह
राहुल गांधी की कोर टीम में शामिल उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता आरपीएन सिंह यानी रतनजीत प्रताप नारायण सिंह बीजेपी में शामिल हो गए हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि यह मेरे लिए एक नई शुरुआत है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और मार्गदर्शन में राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान के लिए तत्पर हूं। कुशीनगर के सैंथवार के शाही परिवार से आने वाले आरपीएन सिंह पूर्वांचल में एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं। आरपीएन सिंह कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद और अनुभवी नेताओं में से एक थे और उनके बीजेपी का दामन थाम लेने से राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, वह 32 साल से कांग्रेस में थे लेकिन पार्टी अब वो नहीं रही जो पहले हुआ करती थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में अब तक सबसे ज्यादा सुर्खियां ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय ही मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुई टकराहट आखिरकार सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर जाकर खत्म हुई। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना। सिंधिया राहुल गांधी के बेहद करीबी थे और कांग्रेस के भविष्य के रूप में भी देखे जा रहे थे। सिंधिया कांग्रेस की अनदेखी के कारण बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ राज्य के कई अन्य विधायक और युवा नेता भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इससे राज्य में कांग्रेस काफी कमजोर हो गई है।
जितिन प्रसाद
राहुल गांधी की कोर कमेटी में शामिल जितिन प्रसाद ने 9 जून, 2021 को कांग्रेस को जोरदार झटका दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। यूपी में बड़े ब्राह्मण चेहरों में शामिल जितिन प्रसाद अब योगी सरकार में मंत्री हैं। मनमोहन सरकार में मंत्री रहे जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश के मामलों में सलाह न लिए जाने से नाराज थे।
सतपाल महाराज
उत्तराखंड में बीजेपी सरकार में मंत्री सतपाल महाराज ने साल 2014 में कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। सतपाल महाराज ने भी पार्टी छोड़ते वक्त राहुल गांधी पर मनमानी करने का आरोप लगाया था। राहुल गांधी पर पार्टी नेताओं से ना मिलने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था कि उनकी राजनीति एसी कमरे से चलती है।
खुशबू सुंदर
अभिनेत्री से राजनेता बनीं खुशबू सुंदर ने हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में खुशबू ने आरोप लगाया कि पार्टी में ऊपर बैठे जिन लोगों का जमीनी स्तर पर कोई जुड़ाव नहीं है और वे तानाशाही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी तरह जो लोग काम करना चाहते हैं उन्हें दबाया जा रहा है। अपने पत्र में खुशबू सुंदर ने लिखा कि कांग्रेस के 2014 लोकसभा चुनाव हार जाने के बावजूद उन्होंने पार्टी ज्वाइन की थी, लेकिन यहां काम करने वाले लोगों की अनदेखी की जाती है।
हेमंत बिस्वा शर्मा
असम के लोकप्रिय नेता हेमंत बिस्वा शर्मा को भी मजबूर होकर पार्टी से निकलना पड़ा। यहां के बुजुर्ग कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई के साथ मतभेदों के कारण उन्हों हाशिए पर डाल दिया गया था। बाद में गोगोई से मतभेद होने पर पार्टी छोड़ दी। राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा था पर तब राहुल गांधी कथित रूप से कुत्ते को खिलाने में व्यस्त थे। इन्होंने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए। 2001 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक हेमंत बिस्वा शर्मा 2016 में बीजेपी में आ गए। राज्य में कांग्रेस को हराने में इनका अहम योगदान रहा है। अभी असम के मुख्यमंत्री हैं।
अशोक चौधरी
बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और विधानपार्षद अशोक चौधरी ने 3 अन्य पार्षदों के साथ 2018 में कांग्रेस छोड़ दिया. बिहार में कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ा झटका था. इस्तीफा देते हुए उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया था. चौधरी ने कहा था कि कांग्रेस हाईकमान बिहार में लालू यादव का पिछलग्गू बने रहना चाहती है. प्रभारी हाईकमान को गुमराह करते हैं और फिर कुछ भी फैसला हो जाता है.
संजय झा
इसके पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने एक न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू और लेख के जरिए कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया था। पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से कांग्रेस प्रवक्ता पद से हटा दिया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के अपने लेख और द प्रिंट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है। संजय झा ने दावा किया कि पार्टी के पास एक आंतरिक मजबूत तंत्र नहीं है। उन्होंने लिखा है कि पार्टी के अंदर सदस्यों की बात नहीं सुनी जाती है। अपने लेख में झा ने यह भी कहा कि पार्टी सरकार के विफल होने पर लोगों को शासन का कोई वैकल्पिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर सकती।
प्रियंका चतुर्वेदी
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी से मथुरा में कुछ नेताओं ने अभद्रता की थी। अभद्रता करने वालों को पहले पार्टी ने निकाला और फिर पार्टी में शामिल भी कर लिया। प्रियंका इससे नाराज थीं। जिसके बाद उन्होंने 2019 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। आखिर में वे शिवसेना में शामिल हो गईं।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी
वाईएस जगन मोहन रेड्डी वर्तमान में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी दो बार राज्य के सीएम रह चुके हैं। 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद लोगों ने जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की लेकिन पार्टी आलाकमान ने इसे ठुकरा दिया। आखिर में पार्टी से नाराज होकर इन्होंने 2010 में अलग पार्टी बना ली और आज राज्य में इनकी सरकार है।
सुष्मिता देव
गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाली सुष्मिता देव कांग्रेस की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष थीं। उन्होंने 2021 में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बाद में अगस्त 2021 में वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं। अभी टीएमसी से राज्यसभा सांसद हैं। कांग्रेसी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता असम चुनाव के समय से ही कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रही थी।
अशोक तंवर
हरियाणा में कांग्रेस के बड़े और युवा चेहरों में शुमार दिग्गज नेता अशोक तंवर भी 23 नवंबर, 2021 को पार्टी छोड़ टीएमसी में शामिल हो गए। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले अशोक तंवर जाने से हरियाणा में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा।
अदिति सिंह
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से विधायक अदिति सिंह ने पार्टी का हाथ छोड़ बड़ा झटका दिया। अदिति को राहुल-प्रियंका का करीब माना जाता था। लेकिन अदिति कांग्रेस के कार्यकलाप और पार्टी की नीतियों से नाराज चल रही थीं।
कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह
नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस को एक और झटका लगा है। जम्मू कश्मीर के कद्दावर कांग्रेस नेता कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी है। उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि, जम्मू-कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनके विचार पार्टी के साथ नहीं मिलते हैं। उन्होंने पार्टी पर जमीनी वास्तविकताओं से अनजान रहने का भी आरोप लगाया।
हार्दिक पटेल
गुजरात के नेता हार्दिक पटेल ने पार्टी में दरकिनार किए जाने से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी थी। हार्दिक ने अपने त्यागपत्र में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वे उनसे मिले तो शीर्ष नेता मोबाइल फोन पर व्यस्त थे। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात कांग्रेस पार्टी के मुद्दों की तुलना में नेताओं के लिए “चिकन सैंडविच” की व्यवस्था करने में अधिक रुचि रखती है।
अल्पेश ठाकोर
गुजरात में कांग्रेस के युवा-तेजतर्रार नेता अल्पेश ठाकोर पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। पार्टी छोड़ते वक्त अल्पेश ठाकोर ने भी राहुल गांधी पर मनमर्जी से फैसला लेने का आरोप लगाया था। उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि पार्टी को हकीकत से कोई लेनादेना नहीं है।
अश्वनी कुमार
पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने इस साल की शुरुआत में फरवरी में कांग्रेस से अपना चार दशक पुराना रिश्ता खत्म कर लिया। उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे अपने त्यागपत्र में कहा कि यह कदम,”मेरी गरिमा के अनुरूप है।” उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि वह निकट भविष्य में कांग्रेस को पतन की ओर जाते हुए देख रहे हैं।
जयंती नटराजन
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंती नटराजन ने 30 जनवरी 2015 को कांग्रेस पार्टी का साथ छो़ड़ा था। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे। हालांकि उन्होंने पार्टी छोड़ते वक्त राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर बलि का बकरा बनाने का आरोप लगाया था। नटराजन का परिवार कांग्रेस के साथ 1960 के दशक से जुड़ा हुआ था। उनके नाना एम भक्तवत्सलम तमिलनाडु में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री थे।
जीके वासन
यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके जीके वासन ने नवंबर 2014 में पार्टी छोड़ी थी। उनके पिता जीके मुपनार बड़े कांग्रेसी नेता रहे। वासन ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस पार्टी में तमिलनाडु इकाई को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। पार्टी छोड़ने के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने देसिया तमिल मनीला कांग्रेस की स्थापना की।
टॉम वडक्कन
तकरीबन 20 सालों तक सोनिया गांधी के खास रहने के बाद टॉम वडक्कन ने पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय में पार्टी के स्टैंड का विरोध किया था। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली।
रंजीत देशमुख
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रंजीत देशमुख ने संगठन पर आरोप लगाकर कांग्रेस छोड़ दी थी। वो महाराष्ट्र की विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री भी रहे थे। हालांकि बाद में खराब स्वास्थ्य की वजह से रंजीत सक्रिय राजनीति से अलग हो गए।
चौधरी बीरेंदर सिंह
हरियाणा कांग्रेस के ताकतवर नेता रहे चौधरी बीरेंदर सिंह ने 2014 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। कहते हैं कि उन्होंने पार्टी राज्य के तत्कालीन सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के विरोध में छोड़ी थी। फिर उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर हरियाणा से जीता और फिर केंद्रीय मंत्री बने।
रीता बहुगुणा जोशी
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं रीता बहुगुणा जोशी ने साल 2016 में कांग्रेस छोड़ी थी। बाद में वो बीजेपी के टिकट पर लखनऊ से विधायक बनीं। उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस के दिग्गज नेता और यूपी के मुख्यमंत्री रहे।
राधाकृष्ण विखे पाटिल
राधाकृष्ण विखे पाटिल 5 बार के विधायक और नेता प्रतिपक्ष रहे। पिता बालासाहब विखे पाटिल कद्दावर कांग्रेसी थे। राधाकृष्ण विखे पाटिल बेटे सुजय विखे पाटिल को अहमदनगर से लोकसभा का टिकट न मिलने से नाराज थे। सुजय विखे पाटिल ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया और अहमदनगर से बीजेपी सांसद है।
जयवीर शेरगिल
जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से त्यागपत्र दे दिया और पार्टी से नाता तोड़ लिया। जयवीर शेरगिल ने अपने इस्तीफे को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि, ‘मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि फैसला लेना अब जनता और देश के हितों के लिए नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के स्वार्थी हितों से प्रभावित है जो चाटुकारिता में लिप्त हैं और लगातार जमीनी हकीकत को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।’ सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले वकील शेरगिल उस वक़्त सुर्ख़ियों में आए थे, जब उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी मदद प्रदान करने के लिए 24×7 कानूनी टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किया था।