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राहुल गांधी से केजरीवाल तक सभी विपक्षी नेताओं की दलीलें Supreme Court में भी झूठी साबित, अदालत ने राफेल, पेगासस, गुजरात दंगे और अब नोटबंदी के मामले में भी मोदी सरकार को दी Clean Chit

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पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद राहुल गांधी हों या केजरीवाल, अखिलेश यादव या ममता बनर्जी हों, प्रधानमंत्री को झूठी दलीलों में घेरने की इन्होंने काफी कोशिशें कीं और हर बार मुंह की खानी पड़ी। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर पुलवामा तक, पाकिस्तान से लेकर चाइना तक हर बार विपक्ष के मुद्दों की हवा निकली। अब फिर विपक्ष को चार अहम मामलों में मोदी सरकार के समक्ष शिकस्त झेलनी पड़ी है। इनमें गुजरात दंगा में पीएम मोदी को एसआईटी से मिली क्लीनचिट, पेगासस जासूसी मामला, राफेल से राजकोष को नुकसान और ईडी को धनशोधन मामले में विशेष अधिकार के मामले शामिल हैं। इन सभी मामलों में शीर्ष अदालत ने ही विपक्ष की ओर से दी गई सारी दलीलें सिरे से ही खारिज कर दी।नोटबंदी के खिलाफ विपक्षी नेताओं की बोलती बंद, कोर्ट ने कहा कोई त्रुटि नहीं
शीर्ष अदालत का सबसे ताजा फैसला नोटबंदी के पक्ष में आया है। बीते छह साल से मोदी सरकार के खिलाफ अहम सियासी मुद्दा रहे नोटबंदी पर विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी है। नोटबंदी के इस निर्णय के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोलते रहे हैं। विपक्ष के नेताओं ने बिना किसी आधार के ही इसे लगातार असंवैधानिक बताया। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम लगातार दलील देते रहे। हालांकि अब शीर्ष अदालत ने इससे जुड़ी सभी 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस फैसले में कोई त्रुटि नहीं है।2016 से पहले भी दो सरकारों ने नोटबंदी के अधिकार का इस्तेमाल किया
सर्वोच्च अदालत के जस्टिस एस.अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम ने 258 पेज के संयुक्त फैसले में कहा कि किसी भी फैसले को सिर्फ इसलिए गलत नहीं ठहरा सकते कि वो सरकार ने लिया है। रिकॉर्ड बताते हैं कि नोटबंदी से पहले आरबीआई और सरकार के बीच 6 महीने तक मंथन हुआ। यहां तक कि संविधान भी केंद्र सरकार को नोटबंदी का अधिकार देता है, सरकार को इससे रोका नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा कि 2016 से पहले भी दो सरकारों ने नोटबंदी के अधिकार का इस्तेमाल किया है। ऐसे में अब इसे कैसे गलत ठहराया जा सकता है। वैसे भी आरबीआई अकेले नोटबंदी का फैसला नहीं कर सकता।

 

गुजरात दंगों में मोदी को क्लीनचिट, याचिका दायर करने वाले कुछ लोगों के खिलाफ जांच
इससे पहले गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगा मामले में विपक्ष बीते दो दशक से पीएम मोदी की भूमिका पर सवाल खड़ा करता रहा है। मनगढ़ंत आरोपों से पहले सीएम और फिर पीएम बने नरेंद्र मोदी को घेरने की सारी कोशिशें विफल साबित हुई हैं। इस मामले में गठित एसआईटी ने जब पीएम को क्लीनचिट दी तो यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा। शीर्ष अदालत ने भी न सिर्फ क्लीनचिट को सही ठहराया, बल्कि याचिका दायर करने वाली कुछ हस्तियों के खिलाफ जांच के भी निर्देश दिए। बाद में इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी हुई।राफेल सौदा मामले में भी मोदी सरकार ने बिल्कुल पाक-साफ खरीद की
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कई बार फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए। विपक्ष के अन्य नेताओं के भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद यह मामला भी सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया। हालांकि जब यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा तो झूठे आरोप लगाने वालों को कोर्ट से फटकार ही झेलनी पड़ी। साल 2019 के अंत में आए फैसले में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि सौदे की खरीद प्रक्रिया में कोई खामी नहीं है। मोदी सरकार ने बिल्कुल पाक-साफ खरीद की है और वायुसेना को ऐसे विमानों की जरूरत है। मोटे तौर पर सौदे में पूरी खरीद प्रक्रिया अपनाई गई है।पेगासस जासूसी और जस्टिस लोया की मौत के मामले में भी मिली क्लीनचिट
बीते साल मोदी सरकार पर इस्राइली स्पाइवेयर के जरिए जासूसी का आरोप लगा। हालांकि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने मोदी सरकार को क्लीनचिट दे दी। पीठ ने कहा कि जिन 29 मोबाइल की जांच की गई, उनमें से 5 में मैलवेयर पाया गया। इससे यह साबित नहीं होता कि ये पेगासस स्पाइवेयर है। इसी तरह महाराष्ट्र में निचली अदालत के जज रहे जस्टिस बीएच लोया की मौत मामले में भी मोदी सरकार और खासकर गृह मंत्री अमित शाह विपक्ष के निशाने पर रहे। हालांकि 2018 में शीर्ष अदालत की पीठ ने जस्टिस लोया की मौत को सामान्य मौत माना और स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की याचिकाएं खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि इस मामले में चार जजों के बयानों पर संदेह का कोई कारण नहीं है।ईडी को कुर्की का अधिकार और आर्थिक आधार पर आरक्षण को सही ठहराया
बीते लोकसभा चुनाव से पूर्व सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण को भी विपक्ष ने मुद्दा बनाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भी मोदी सरकार के फैसले को उचित ठहराया।  इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय को धनशोधन मामले में कुर्की व गिरफ्तार करने के अधिकार को भी शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि ईडी के सियासी इस्तेमाल करने के लिए उसे ऐसे अधिकार दिए गए हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने इस मामले में भी मोदी सरकार के फैसले को बिल्कुल सही ठहराया और विपक्ष को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी।जानिए नोटबंदी के सही फैसले के अहम पड़ाव
8 नवंबर, 2016 : पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में 500 और 1000 रुपये के नोट पर रोक लगाने की घोषणा की।
9 नवंबर, 2016 : सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती दी गई।
16 दिसंबर, 2016 : तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने मामले को पांच न्यायाधीशों की बड़ी पीठ के पास भेजा।
28 सितंबर, 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता में संविधान पीठ का गठन किया।
7 दिसंबर, 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर फैसले को सुरक्षित रखा और केंद्र व आरबीआई को इसके अवलोकन के लिए प्रासंगिक दस्तावेज को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया।
2 जनवरी, 2023 : सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने 2016 के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया, कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी जायज और फैसला वैध था।कोर्ट के मोदी सरकार के पक्ष में आए फैसलों से मिशन-2024 को मजबूती मिलेगी
मोदी सरकार के दो कार्यकाल में विपक्ष ने करीब आधा दर्जन मुद्दों को हवा दी, लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में हर बार नाकामी का सामना करना पड़ा। नोटबंदी से पहले विपक्ष को पेगासस जासूसी कांड, गुजरात दंगे में पीएम नरेंद्र मोदी को एसआईटी से मिली क्लीनचिट, जस्टिस लोया की मौत, धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय को मिले विशेष अधिकार, सामान्य वर्ग आरक्षण जैसे मामले में फैसला मोदी सरकार के पक्ष में आया। पिछले साल अदालती मोर्चे पर विपक्ष को चार अहम मामलों में मोदी सरकार के समक्ष शिकस्त झेलनी पड़ी। नोटबंदी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बाद मिशन 2024 के लिए भाजपा के हौसले बुलंद हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, विपक्ष जानबूझकर भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए लगातार अदालत को गुमराह करने की नाकाम कोशिश करता रहा है। शीर्ष अदालत के फैसले से साफ हुआ है कि नोटबंदी का फैसला गरीबों के हक और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ लिया गया था।

 

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