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Year Ender 2022 : वर्ष 2022 में जल जीवन मिशन को मिली बड़ी कामयाबी, दिसंबर तक 55.62 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों को प्रदान किए पेयजल के कनेक्शन

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन दूरस्त ग्रामीण क्षेत्रों और महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस मिशन की वजह से गांव के लोगों को भी स्वच्छ पेयजल प्राप्त हो रहा है और महिलाओं को कई किलोमीटर दूर से सर पर पानी ढोने से मुक्ति मिली है। 2019 में शुरू हुए इस मिशन ने वर्ष 2022 में गति पकड़ी और करोड़ों ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से पीने का पानी उपलब्ध कराने में कामयाब रहा। आइए देखते हैं वर्ष 2022 में देश के हर घर तक नल से स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री मोदी की परिकल्पना को साकार करने के लिए उनकी सरकार किस तरह सफल रही…

10.76 करोड़ से अधिक परिवारों को प्रदान किए गए कनेक्शन 

जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने 21 दिसंबर 2022 तक 10.76 करोड़ (55.62%) से अधिक ग्रामीण परिवारों को पर्याप्त मात्रा में और निर्धारित गुणवत्ता के साथ नियमित आधार पर पेयजल के कनेक्शन प्रदान कर एक नया मील का पत्थर हासिल किया। चार राज्यों अर्थात् गोवा, तेलंगाना, गुजरात तथा हरियाणा और 3 केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी, दमन एवं दीव और दादरा एवं नगर हवेली और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को हर घर जल के रूप में दर्ज किया गया, अर्थात इन राज्यों के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जल की आपूर्ति हो रही है। पंजाब (99.93%), हिमाचल प्रदेश (97.17%) और बिहार (95.76%) ‘हर घर जल’ का दर्जा पाने की कगार पर हैं। 

पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित जिला, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश

मध्य प्रदेश का बुरहानपुर जिला जुलाई, 2022 में भारत का पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित जिला बना। अगस्त, 2022 में गोवा पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित राज्य और दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव भारत का पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित केंद्र शासित प्रदेश बना। गोवा के सभी 2.63 लाख ग्रामीण परिवारों और दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव के 85,156 घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। सितंबर, 2022 में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह भारत का पहला ‘स्वच्छ सुजल प्रदेश’ बना।

84.83% स्कूलों और 80.79% आंगनवाड़ी केंद्रों में नल का जल उपलब्ध

अब तक, देश भर में 8.73 लाख (84.83%) स्कूलों और 9.02 लाख (80.79%) आंगनवाड़ी केंद्रों को पीने और मध्याह्न भोजन पकाने और हाथ धोने के लिए पीने योग्य नल का जल उपलब्ध करा दिया गया है। अब तक, 5.18 लाख ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति / पानी समितियों का गठन किया गया है, और निरंतर पेयजल आपूर्ति प्रबंधन के लिए 5.09 लाख ग्राम कार्य योजनाएं (वीएपी) विकसित की गई हैं। अब तक, 1.95 लाख गांवों में 16.22 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के माध्यम से जल गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

125 जिलों के 1,61,704 गांव “हर घर जल” के रूप में दर्ज

अब तक, देश के 125 जिलों और 1,61,704 गांवों को “हर घर जल” के रूप में दर्ज किया गया है। एक बार जब किसी गांव को ‘हर घर जल’ घोषित कर दिया जाता है, तो उस गांव की ग्राम पंचायत एक विशेष ग्राम सभा आयोजित करती है और गांव के सभी सदस्यों की सहमति से एक प्रस्ताव पारित करती है कि उनके गांव के सभी घरों, स्कूलों, आंगनवाड़ी और सार्वजनिक संस्थानों में नल का जल कनेक्शन काम कर रहा है और इस तरह खुद को ‘हर घर जल प्रमाणित’ घोषित करती है। अब तक, 56 जिले, 413 प्रखंड (ब्लॉक), 34,452 पंचायतें, और 49,928 गांव ‘हर घर जल’ प्रमाणित हैं, मतलब, सभी घरों में नल का जल कनेक्शन है।

एईएस प्रभावित जिलों को प्राथमिकता,ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य में सुधार

भारत सरकार जल जीवन मिशन के तहत सभी घरों में पीने योग्य नल का जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) – एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (1) (एईएस) प्रभावित जिलों को प्राथमिकता देती है। 5 राज्यों में जेई/एईएस से प्रभावित 61 जिलों में, नल का जल कनेक्शन पाने वाले परिवारों की संख्या 8 लाख (2.69%) से बढ़कर 147.14 लाख (49.29%) हो गई जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों की ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ।

आकांक्षी जिलों में नल का जल कनेक्शन की उपलब्धता

देश में 112 आकांक्षी जिले हैं जिनमें से 8 जिलों में सभी ग्रामीण परिवारों को 100% नल का जल कनेक्शन प्रदान कर दिया गया है। आज आकांक्षी जिलों में कुल 2.77 करोड़ घरों में से 1.49 करोड़ घरों (53.99%) को नल का जल मिल रहा है, जो इसकी शुरूआत के समय केवल 21.66 लाख (7.83%) था। जल जीवन मिशन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो रहा है, क्योंकि स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों (डे केयर) में प्राथमिकता के आधार पर पेयजल की आपूर्ति की जा रही है, जिससे बच्चों में पानी से संबंधित बीमारियों के मामलों में काफी कमी आएगी। 

2022-23 में 27 लाख से अधिक पानी के नमूनों का परीक्षण

जल गुणवत्ता सुनिश्चित करना जल जीवन मिशन के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपूर्ति किया गया पानी पर्याप्त गुणवत्ता का है, इस कार्यक्रम के तहत जल स्रोत और घर तक पहुंचे पानी के नमूनों के नियमित परीक्षण को बढ़ावा दिया जाता है। देश में कुल 2,074 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं। इनमें से 1,005 प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता मिली हुई है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं में आम जनता नाममात्र दरों पर पानी के नमूनों का परीक्षण करवा सकते हैं। 2022-23 में, अब तक प्रयोगशालाओं में 27 लाख से अधिक पानी के नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है।

एफटीके का उपयोग करके 57.99 लाख से अधिक पानी के नमूनों का परीक्षण

जल जीवन मिशन माताओं और बहनों को घरेलू इस्तेमाल के लिए पानी लाने के सदियों पुराने कठिन परिश्रम से मुक्ति दिलाने और उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रयासरत है। महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, प्रत्येक गांव में कम से कम पांच महिलाओं को ग्राम स्तर पर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। अभी तक 1.95 लाख गांवों में 16.21 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके 57.99 लाख से अधिक पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया है।

5.17 लाख से अधिक पानी समितियों का गठन

जल जीवन मिशन के तहत 5.17 लाख से अधिक ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी)/पानी समितियों का गठन किया गया है। पानी समिति स्थानीय जल स्रोतों सहित गांव में जल आपूर्ति प्रणाली के प्रबंधन और नियमित संचालन और रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। अब तक, 5.08 लाख ग्राम कार्य योजनाएं विकसित की गई हैं, जिनमें आवश्यक जल आपूर्ति योजना के प्रकार, लागत अनुमान, कार्यान्वयन कार्यक्रम, ओ एंड एम व्यवस्था और आंशिक पूंजी लागत के लिए प्रत्येक घर से योगदान का विवरण है।

2022-23 में अब तक 22,975.34 करोड़ रुपये जारी

‘हर घर जल’ कार्यक्रम के तहत जल जीवन मिशन का अनुमानित परिव्यय 2019-2024 के पांच साल की अवधि के लिए 3.6 लाख करोड़ रुपये है। मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 21 पात्र राज्यों को 2022-23 में अब तक 22,975.34 करोड़ रुपये जारी किए हैं। गौरतलब है कि 15वें वित्त आयोग ने जल आपूर्ति और स्वच्छता को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में चिन्हित किया है और 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायत राज संस्थानों (आरएलबी/पीआरआई) को 2.36 लाख करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की। जिसके मुताबिक फंड का 60 प्रतिशत यानि 1.42 लाख करोड़ रुपये का उपयोग विशेष रूप से पीने के पानी, वर्षा जल संचयन और खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) गांव के स्वच्छता और रखरखाव के लिए किया जाना है। देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में यह भारी निवेश आर्थिक गतिविधियों को गति दे रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है। इसके साथ ही गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहा है।

‘जल जीवन सर्वेक्षण’ टूलकिट और डैशबोर्ड लॉन्च

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 अक्टूबर, 2022 को ‘जल जीवन सर्वेक्षण’ टूलकिट और डैशबोर्ड लॉन्च किया। जल जीवन सर्वेक्षण 2023 लॉन्च करने का उद्देश्य राज्यों/जिलों के अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन और बेहतर जल सेवा वितरण के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करना है। गौरतलब है कि पानी की गुणवत्ता पर अभियान स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल के महत्व पर जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा और ग्रामीण घरों में आपूर्ति किए गए पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने में भी मदद करेगा। अभियान 2 अक्टूबर, 2022 को शुरू किया गया था और यह 26 जनवरी, 2023 तक जारी रहेगा।

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