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राहुल-प्रियंका ने कश्मीर में इंटरनेट पाबंदी पर खूब मचाया कोहराम, अब राजस्थान में इतनी ज्यादा नेटबंदी पर बोलती क्यों बंद है ?

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जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पाबंदी पर कोहराम मचाने वाले राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने राजस्थान में लगातार हो रही नेटबंदी पर होंठ क्यों सिले हुए हैं ? क्या वे नहीं मानते कि राजस्थान के लोगों को इंटरनेट की आजादी का मौलिक अधिकार है ? या वे अपने ही मुख्यमंत्री से इतना डरे हुए हैं कि उन्हें कुछ भी बोलने के हिचकते हैं ? या फिर बड़े मुद्दों पर दोहरा रवैया अपनाना उन्होंने अपना मौलिक अधिकार मान लिया है ?पीएम मोदी ने नामुमकिन को संभव कर दिखाया
दरअसल, तब जम्मू-कश्मीर के हालात दूसरे थे। 5 अगस्त 2019 के ऐतिहासिक दिन को आप भूले तो नहीं होंगे। इसी दिन मोदी सरकार ने कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया था। इसी दिन मोदी सरकार ने भाजपा का वह वादा किया, जिसे नामुमकिन माना जाता था। लेकिन पीएम मोदी ने इसे संभव कर दिखाया।

गहलोत राजस्थान को संभालने में नाकाम हो रहे हैं ?
कांग्रेस और उसके नेताओं के दोहरे चरित्र को लेकर राजनीति से लेकर सोशल मीडिया पर सवाल खूब उठ रहे हैं। और ये सवाल उठें भी क्यों ना…गहलोत सरकार के इंटरनेट-बंदी हथियार ने राजस्थान के सात करोड़ लोगों को परेशान कर रखा है। सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान को संभालने में नाकाम हो रहे हैं ? जिसके कारण इस कांग्रेस राज में राजस्थान में कश्मीर जैसे हालात बना रहे हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जम्मू कश्मीर के बाद देश में राजस्थान दूसरा राज्य है, जहां सबसे अधिक नेटबंदी हुई है। गहलोत ने खुद तब ट्वीट करके इंटरनेट बंद करने पर सवाल उठाए थे।

राहुल गांधी ने तो देश को बदनाम किया
इसके बाद यहां आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए सरकार इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई थी। जिसे लेकर राहुल गांधी समेत कांग्रेसियों ने जमकर बवाल मचाया था। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने तो देश को बदनाम करने के लिए ये तक कह दिया कि जम्मू-कश्मीर हिंसा की आग में झुलस रहा है।

कश्मीर पर कोहराम, राजस्थान पर चुप्पी
कश्मीर पर हो हल्ला मचाने वाले राहुल गांधी आज कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान पर चुप हैं। आज राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार हर दूसरे दिन इंटरनेट पर पाबंदी लगा रही है। पिछले माह रीट परीक्षा के लिए, चार दिन पहले पटवारी भर्ती परीक्षा के लिए और अब आरएएस-प्री परीक्षा के लिए इंटरनेट बंद करवा दिया।

एक हजार करोड़ के यूपीआई ट्रांजेक्शन प्रभावित
सवाल ये कि क्या राजस्थान में इंटरनेट बंद होने से आम जनता को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। परीक्षाओं के कारण नेटबंदी के लोगों, व्यापारियों, छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. दो दिन की पटवारी परीक्षा के दौरान नेटबंदी के 250 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ था. अब आरएएस-प्री में भी इंटरनेट बंद कर दिया गया. नेटबंदी के प्रदेश में 25-30 लाख छात्रों की ऑनलाइन स्टडी रुक जाती है. इस दौरान 800-1000 करोड़ के यूपीआई ट्रांजेक्शन प्रभावित हुए. प्रदेश में दो लाख के ज्यादा लोग कैब ही बुक नहीं करा सके।सरकार को इंटरनेट बंद करने का कोई अधिकार नहीं : प्रियंकाजो कांग्रेसी नेता कश्मीर में सुरक्षा के मद्देनजर की गई नेटबंदी पर सड़क से लेकर सदन तक हंगाम कर रहे थे, वे आज अपने राज्य में इंटरनेट बैन कर हैं। राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने 19 दिसंबर 2019 को ट्वीट कर कहा था कि सरकार को इंटरनेट बंद करने का कोई अधिकार नहीं है। आपकी और आपकी पार्टी के दोहरे चरित्र को जनता अच्छी तरह समझ चुकी है।पुलिस ने हर मसले में नेटबंदी को ही बनाया हथियार
दरअसल भर्ती परीक्षा ही नहीं, राजस्थान में सवाल कानून व्यवस्था का हो या कोई और प्रदर्शन। नेटबंदी गहलोत सरकार का हथियार बन गई है। जिसका खामियाजा डिजिटल माध्यम से काम करने वालों को भुगतना पड़ रहा है। राजस्थान में नेटबंदी के बावजूद एक महीने पहले आयोजित रीट भर्ती परीक्षा में पेपर और नकल माफिया ने पेपर लीक करा दिया। अभी तक 33 गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

अव्यवाहिक फैसले से 300 करोड़ का कारोबार प्रभावित
राजस्थान में गहलोत सरकार ने नकल माफियाओं के आगे घुटने टेक दिए हैं। सरकार खुद तो नकल रोकने का इंतजाम कर नहीं पा रही है और एक बार फिर भर्ती परीक्षा में नकल रोकने के लिए दो दिन इंटरनेट पूरी तरह बंदी का फैसला किया। जम्मू कश्मीर के बाद देश में राजस्थान दूसरा राज्य है, जहां सबसे अधिक नेटबंदी हुई है। कश्मीर के लिए कोहराम मचाने वाली कांग्रेस खुद के राज्य में खूब नेटबंदी कर रही है। त्योहारी सीजन में सरकार के इस अव्यवारिक फैसले के दो दिन में करीब 300 करोड़ का कारोबार ठप हुआ है।बार-बार नेटबंदी सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान
हालात इतने बदतर हैं कि देश में जम्मू-कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा इंटरनेट बंदी राजस्थान में हो रही है। जम्मू-कश्मीर में तो खैर असामाजिक तत्वों की गतिविधियों के कारण ऐसा है, लेकिन राजस्थान में ऐसा बार-बार होना सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। उसी कांग्रेस के शासन में ऐसा हो रहा है जो जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंदी पर हो-हल्ला मचाती रही है। सवाल उठना स्वाभाविक है कि फिर यह दोहरा रवैया क्यों ?तब राहुल गांधी ने नेटबंदी का मुद्दा लोकसभा तक में उठाया
कांग्रेस जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट बंद करने पर तो खूब कोहराम मचाती रही है, लेकिन राजस्थान में खुद ही खूब नेटबंदी कर रही है। राहुल गांधी ने लोकसभा तक में यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार का जम्मू-कश्मीर में 4जी सेवाओं को बहाल करने का विचार है ? यदि हां तो 4जी सेवाओं को बहाल करने के लिए क्या समय-सीमा तय की गई है ?

  • इंटरनेट बंदी को लेकर कश्मीर टाइम्स और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका ते दायर की गई थी।
    पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि इंटरनेट की आजादी एक मौलिक अधिकार है।

भारत विरोधी भड़काऊ पोस्टों को रोकने के लिए बंदी
विपक्ष के सवाल के जवाब में 2019 में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने लोकसभा में कहा था कि कश्मीर घाटी में युवाओं को भड़काने के मकसद से पाकिस्तान की ओर से सोशल मीडिया पर डाले जा रहे भारत विरोधी भड़काऊ पोस्टों को रोकने के लिए जम्मू कश्मीर में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया है।भाजपा ने कहा मिलीभगत, सीबीआई जांच की मांग
अब राजस्थान सरकार की असफलता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि जनता को परेशान करने वाले इस निर्णय के बाद भी वह नकल माफिया की गतिविधियों को रोक पाने में पूरी तरह के नाकाम रही। पिछले माह रीट की परीक्षा में भी नेटबंदी के बावजूद नकल माफिया ने लाखों रुपए लेकर पेपर ही लीक करा दिया। इसमें 25 गिरोहबाज राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों और आगरा के पकड़े जा चुके हैं। बीजेपी राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने सारे घपले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

सरकार ने असफलता के कोई सबक नहीं लिया
सरकार ने इस असफलता के कोई सबक नहीं लिया, इसके विपरीत पटवारी भर्ती परीक्षा में एक के बजाए दो दिन के लिए नेटबंदी के फैसला ले डाला। लेकिन नकल माफिया पर इसका न कोई असर होना था, न ही हुआ। पटवारी भर्ती परीक्षा में भी लगातार फर्जी डमी कैंडीडेट पकड़ में आ रहे हैं। कथित सख्ती और इंटरनेट बंदी के बाद भी नकल गिरोह बेकाबू रहा। पहले ही दिन नकल कराने के चलते 20 गिरोहबाजों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। दरअसल, नकल माफिया के साथ राजस्थान पुलिस तक मिली हुई है। एसओजी ने जयपुर कमिश्नरेट के एक कांस्टेबल को पकड़ा, नकल कराने के लिए जिसके पास के 40 अभ्यर्थियों की लिस्ट भी बरामद हुई।हाइकोर्ट और गृह विभाग के आदेश की अनदेखी
राज्य सरकार अपने ही गृह विभाग के आदेश को अनदेखा कर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षा के नाम पर इंटरनेट बंदी को चलन बढ़ा रही है। गृह विभाग ने अक्टूबर 2018 में दो पत्र जारी किए, जिनमें इंडियन टेलीग्राफ एक्ट और हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए प्रतियोगी परीक्षा में इंटरनेट बंद नहीं करने के लिए कहा था। लेकिन संभागीय आयुक्त आदेशों की अनुपालना न कराकर नेटबंदी को लागू कराने में लगे हुए हैं।

प्रदेश के हर जिले में कई बार हुई है नेटबंदी
हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद पिछले सालों में सीकर में सर्वाधिक 17 बार, राजधानी जयपुर में 15 बार, उदयपुर में 13 बार, भरतपुर में 9 बार, करौली, बीकानेर में 8-8 बार, चित्तोरगढ़, टोंक, राजसमंद, सवाई माधोपुर और श्रीगंगानगर में 7-7 बार और प्रदेश के बाकी जिलों में छह या इससे कम बार इंटरनेट बंदी हुई है। नेटबंदी के कोई भी जिला अछूता नहीं रहा है।नेटबंदी के बजाय नकल माफियाओं पर हो नकेल
पटवारी भर्ती परीक्षा केंद्रों पर नेटबंदी के बावजूद नकल का इतना डर की छात्राओं के दुपट्टे उतरवा लिए। नकल के डर की एक वजह और भी है कि एक महीने पहले ही आयोजित हुई रीट भर्ती परीक्षा में नेटबंदी के बावजूद नकल माफियाओं ने पेपर लीक करा दिया। आरएएस-प्री परीक्षा देने पहुंचे परीक्षार्थियों का भी कहना है कि सरकार को नेटबंदी के बजाय नकल माफियाओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए थी।

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