Home समाचार प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को करेंगे वंदे भारत एक्‍सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना

प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को करेंगे वंदे भारत एक्‍सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी शुक्रवार सुबह नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन से ‘वंदे भारत एक्‍सप्रेस’ रेलगाड़ी को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी इस अवसर पर ट्रेन में यात्री सुविधाओं का जायजा लेंगे और वहां उपस्थित लोगों को संबोधित भी करेंगे। यह ट्रेन नई दिल्‍ली से कानपुर और इलाहाबाद होते हुए वाराणसी जाएगी। वंदे भारत एक्‍सप्रेस 160 किलो मीटर प्रति घंटे तक की तेज रफ्तार ले सकती है। प्रधानमंत्री मोदी की मेक-इन-इंडिया परिकल्‍पना को ध्‍यान में रखते हुए ट्रेन के ज्‍यादातर हिस्‍सों का डिजाइन और निर्माण देश में ही किया गया है। इसमें यात्रियों के लिए शताब्‍दी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह विभिन्‍न श्रेणियां बनाई गई हैं, लेकिन यात्री सुविधाएं उससे बेहतर हैं। सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्‍सप्रेस के पहले सफर पर रेल मंत्री पीयूष गोयल इसमें यात्रा करेंगे। यह गाड़ी बीच रास्‍ते में कानपुर और इलाहाबाद में रुकेगी।

सोमवार और गुरूवार को छोड़कर अन्‍य सभी दिन चलने वाली यह ट्रेन दिल्‍ली और वाराणसी के बीच की दूरी महज 8 घंटे में पूरी कर लेगी। इसके सभी डिब्‍बों में स्‍वचालित दरवाजे, जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, मनोरंजन के लिए वाई-फाई सेवा और आरामदायक सीटें लगाई गईं हैं। ट्रेन के सभी शौचालय बायो-वैक्‍यूम प्रणाली से बने हैं। डिब्‍बों में दो प्रकार की प्रकाश सुविधा दी गई है, जो डिब्‍बे में सभी के लिए सामान्‍य प्रकाश की सुविधा और हर सीट पर अलग से प्रकाश की व्‍यवस्‍था के रूप में है। सभी डिब्‍बों में गर्मा-गर्म खाना और शीतल पेय परोसने के लिए पैन्ट्री सुविधा उपलब्‍ध कराई गई है। यात्रियों के अतिरिक्‍त आराम के लिए डिब्‍बों में गर्मी और ध्‍वनि से बचाव की विशेष व्‍यवस्‍था की गई है।

वंदे भारत एक्‍सप्रेस में 16 वातानुकूलित डिब्‍बे हैं जिनमें से 2 एक्‍जीक्‍यूटिव श्रेणी के हैं। गाड़ी की कुल यात्री क्षमता 1128 है। सभी डिब्‍बों में बिजली के उपकरण, सीट और डिब्‍बों के नीचे लगाए गए हैं। कार्बन फुटप्रिंट रोकने के लिए रेल गाड़ी में री-जेनरेटिव ब्रेक प्रणाली लगाई गई है जिससे 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक ऊर्जा की बचत होगी। गति, सुरक्षा और सुविधा इस गाड़ी की पहचान है। गाड़ी के डिब्‍बों की डिजाइनिंग और निर्माण महज 18 महीनों में चेन्‍नई के एकीकृत रेल कोच फैक्‍ट्री में किया गया।

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