उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी इस समय गिद्ध राजनीति का केंद्र बना हुआ है। राहुल गांधी, प्रियंका गांंधी, छत्तीसगढ़ और पंजाब के मुख्यमंत्री गिद्ध राजनीति करने में व्यस्त है। उन्हें कांग्रेस शासित राज्यों में क्या हो रहा है, उसकी कोई चिंता नहीं है। पंजाब में गुलाबी सुंडी और बरसात के कारण बर्बाद हुई नरमे की फसल के मुआवजे की मांग को लेकर किसान धरना और प्रदर्शन करने पर मजबूर है, लेकिन मुख्यमंत्री चन्नी दूसरे राज्यों के मामले में दखल देने में लगे हैं।
वित्तमंत्री मनप्रीत बादल के घर का घेराव
पंजाब के पांच जिलों के किसान गुरुवार (07 अक्टूबर, 2021) दोपहर को गांव बादल में बैरिकेड उखाड़कर वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल के घर के द्वार पर पहुंच गए। पिछले मंगलवार से वे वित्तमंत्री के घर से करीब 500 मीटर की दूरी पर सड़क पर बैठे थे। गुरुवार को उन्होंने उनके घर के नजदीक लगे हुए बैरिकेड को उखाड़ दिया और आगे बढ़ गए। वे वित्तमंत्री के घर के मुख्य द्वार के आगे पहुंचकर धरने पर बैठ गए। उधर किसानों में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए पुलिस कर्मियों को फायर ब्रिगेड और दंगा रोधी गाड़ियों के साथ तैनात किया गया।
नरमे की फसल बर्बाद, मुआवजे की मांग
हजारों की संख्या में किसान वित्तमंत्री के आवास के नजदीक डेरा डाले हुए है। वे नरमा की बर्बाद हुई फसल के लिए किसान को 60 हजार रुपये प्रति एकड़ और नरमा की चुगाई करने वालों के लिए प्रति मजदूर परिवार 30 हजार रुपये मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही नकली कीटनाशक दवाएं और बीज बेचने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की जा रही है। इससे पहले किसानों को मुआवजा देने की मांग को लेकर शिरोमणि अकाली दल बठिंडा कमेटी ने जिलाधीश के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम मांग-पत्र दिया था।
किसानों की बात सुनने वाला कोई नहीं
उधर किसानों का कहना है कि दो दिन तक किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। इसके बाद उन्होंने आगे बढ़ने का फैसला किया। अगर अब भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो न तो मंत्री के परिवार के किसी सदस्य को घर के अंदर घुसने दिया जाएगा और न ही किसी को बाहर निकलने देंगे। यहां पर चिड़िया भी फटकने नहीं देंगे। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल का भी घेराव करेंगे। उन्होंने कहा कि गुलाबी सुंडी व बरसातों ने नरमा की फसल को तबाह करके रख दिया है, जिससे किसान भी बर्बाद हो गए हैं।
7-8 किसानों ने की खुदकुशी
भाकियू के प्रदेश सचिव शिंगारा सिंह मान के मुताबिक फसल की बर्बादी की वजह से अब तक सात-आठ किसान खुदकुशी कर चुके हैं। लेकिन सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को इसकी परवाह नहीं है। उन्होंने लखीमपुर खीरी के हिंसा पीड़ित किसानों को 50-50 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया, लेकिन खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवारों को बेसहारा छोड़ दिया है। राहुल, प्रियंका और सीएम चन्नी के पास पीड़ित किसानों का दर्द सुनने का वक्त नहीं है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस का किसान प्रेम सिर्फ ढकोसला है। कांग्रेस अपने सियासी फायदे के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रही है।