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बूके नहीं बुक: प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से किया नियमित रूप से किताब पढ़ने का आग्रह

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से नियमित रूप से किताब पढ़ने के लिए समय निकालने का आग्रह किया। आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘आपने कई बार मेरे मुंह से सुना होगा, ‘बूके नहीं बुक’, मेरा आग्रह था कि क्या हम स्वागत-सत्कार में फूलों के बजाय किताबें दे सकते हैं। तब से काफ़ी जगह लोग किताबें देने लगे हैं। मुझे हाल ही में किसी ने ‘प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियां’ नाम की पुस्तक दी। मुझे बहुत अच्छा लगा।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज का जो यथार्थ चित्रण किया है, पढ़ते समय उसकी छवि आपके मन में बनने लगती है। उनकी लिखी एक-एक बात जीवंत हो उठती है। सहज, सरल भाषा में मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने वाली उनकी कहानियाँ मेरे मन को भी छू गई। उनकी कहानियों में समूचे भारत का मनोभाव समाहित है।’

उन्होंने कहा, ‘जब मैं उनकी लिखी ‘नशा’ नाम की कहानी पढ़ रहा था, तो मेरा मन अपने-आप ही समाज में व्याप्त आर्थिक विषमताओं पर चला गया। मुझे अपनी युवावस्था के दिन याद आ गए कि कैसे इस विषय पर रात-रात भर बहस होती थी। जमींदार के बेटे ईश्वरी और ग़रीब परिवार के बीच की इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर आप सावधान नहीं हैं तो बुरी संगति का असर कब चढ़ जाता है, पता ही नहीं लगता है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दूसरी कहानी, जिसने उनके दिल को अंदर तक छू लिया, वह थी ‘ईदगाह’। उन्होंने कहा, ‘एक बालक की संवेदनशीलता, उसका अपनी दादी के लिए विशुद्ध प्रेम, उतनी छोटी उम्र में इतना परिपक्व भाव। 4-5 साल का हामिद जब मेले से चिमटा लेकर अपनी दादी के पास पहुंचता है तो सच मायने में, मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुंच जाती है।’

उन्होंने कहा, ‘इस कहानी की आखिरी पंक्ति बहुत ही भावुक करने वाली है क्योंकि उसमें जीवन की एक बहुत बड़ी सच्चाई है, “बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था- बुढ़िया अमीना, बालिका अमीना बन गई थी।’

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि ऐसी ही एक बड़ी मार्मिक कहानी है ‘पूस की रात’। उन्होंने कहा, ‘इस कहानी में एक ग़रीब किसान जीवन की विडंबना का सजीव चित्रण देखने को मिला। अपनी फसल नष्ट होने के बाद भी हल्दू किसान इसलिए खुश होता है क्योंकि अब उसे कड़ाके की ठंड में खेत में नहीं सोना पड़ेगा। हालांकि ये कहानियाँ लगभग सदी भर पहले की हैं लेकिन इनकी प्रासंगिकता, आज भी उतनी ही महसूस होती है। इन्हें पढ़ने के बाद, उन्हें एक अलग प्रकार की अनुभूति हुई।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जब पढ़ने की बात हो रही है, तभी किसी मीडिया में, मैं केरल की अक्षरा लाइब्ररी के बारे में पढ़ रहा था। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये लाइब्रेरी इडुक्की के घने जंगलों के बीच बसे एक गांव में है। यहाँ के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पी.के. मुरलीधरन और छोटी सी चाय की दुकान चलाने वाले पी.वी. चिन्नाथम्पी, इन दोनों ने, इस लाइब्रेरी के लिए अथक परिश्रम किया है। एक समय ऐसा भी रहा, जब गट्ठर में भरकर और पीठ पर लादकर यहाँ पुस्तकें लाई गई। आज ये लाइब्ररी, आदिवासी बच्चों के साथ हर किसी को एक नई राह दिखा रही है।’

उन्होंने कहा, ‘गुजरात में वांचे गुजरात अभियान एक सफल प्रयोग रहा। लाखों की संख्या में हर आयु वर्ग के व्यक्ति ने पुस्तकें पढ़ने के इस अभियान में हिस्सा लिया था। आज की डिजिटल दुनिया में, गूगल गुरु के समय में, मैं आपसे भी आग्रह करूंगा कि कुछ समय निकालकर अपनी दिनचर्या में किताब को भी जरूर स्थान दें। आप सचमुच में बहुत आनंद करेंगे और जो भी पुस्तक पढ़े उसके बारे में नरेन्द्र मोदी एप पर जरूर लिखें ताकि ‘मन की बात’ के सारे श्रोता भी उसके बारे में जान पायेंगे।’

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