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किसानों के लिए मोदी सरकार ने खोला खजाना, गन्ने का एफआरपी बढ़ाया, 3.70 लाख करोड़ के विशेष पैकेज को मंजूरी

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मोदी सरकार ने किसानों के लिए खजाना खोल दिया है। खरीफ फसलों के एमएसपी बढ़ाने के बाद सरकार ने गन्ना किसानों को भी बड़ी सौगात दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने अगले सीजन के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य यानि एफआरपी को बढ़ाने का फैसला किया है। गन्ने के एफआरपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी का ऐलान किया गया और गन्ने की नई एफआरपी अब 315 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। इसके साथ ही सरकार ने किसानों के लिए नई योजनाओं के 3,70,128.7 करोड़ रुपये के एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी। इन योजनाओं का उद्देश्य टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देकर किसानों के समग्र कल्याण और उनकी आर्थिक बेहतरी पर केंद्रित है। ये पहल किसानों की आय को बढ़ाएंगी, प्राकृतिक एवं जैविक खेती को मजबूती देंगी, मिट्टी की उत्पादकता को पुनर्जीवित करेंगी और साथ ही खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगी।

एफआरपी में वृद्धि का फायदा 5 करोड़ गन्ना किसानों को होगा
मोदी सरकार के गन्ने के एफआरपी में बढ़ोतरी के फैसले का फायदा 5 करोड़ गन्ना किसानों को होगा। साथ ही गन्ना मिलों और उससे जुड़े एक्टिविटी में काम करने वाले 5 लाख कर्मचारियों को भी इस फैसले का फायदा होगा। सरकार ने बताया कि गन्ने का एफआरपी 315 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है जबकि उत्पादन की लागत 157 रुपये प्रति क्विंटल है। यानि 10.25 फीसदी के रिकवरी रेट के हिसाब से प्रोडक्शन कॉस्ट से 100.6 फीसदी ज्यादा गन्ना किसानों को एफआरपी दिया जा रहा है।

मोदी राज में गन्ने का एफआरपी 210 रुपये से 315 रुपये पहुंचा
कैबिनेट कमिटी की आर्थिक मामलों की कमिटी ने 2023-24 सीजन के गन्ने के एफआरपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। गन्ने की नई एफआरपी अब 315 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। 2023-24 के लिए गन्ना का एफआरपी 2022-23 सीजन के मुकाबले 3.28 फीसदी ज्यादा है। नया एफआरपी के जरिए खरीद एक अक्टूबर 2023 से शुरू होने वाले नए गन्ने के सीजन से लागू होगी। मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी तब 2014-15 में गन्ने का एफआरपी 210 रुपये प्रति क्विंटल हुआ करता था।

2022 में भी 15 रुपये बढ़ाया गया था गन्ने का दाम
किसानों की खुशहाली के प्रतिबद्ध मोदी सरकार ने इससे पहले अक्टूबर 2022 में विपणन वर्ष 2022-23 के लिए गन्ना उत्पादकों को मिलों के जरिए भुगतान की जाने वाली न्यूनतम कीमत 15 रुपये बढ़ाकर 305 रुपये प्रति क्विंटल कर दी थी। इस निर्णय का उद्देश्य लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों को लाभ पहुंचाना था।

यूरिया सब्सिडी योजना 3 साल के लिए बढ़ी, 3.70 लाख करोड़ के विशेष पैकेज को मंज़ूरी
मोदी सरकार ने किसानों को करों और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम की बोरी की समान कीमत पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। पैकेज में तीन वर्षों के लिए (2022-23 से 2024-25) यूरिया सब्सिडी को लेकर 3,68,676.7 करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। यह पैकेज हाल ही में अनुमोदित 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त है।

किसानों को यूरिया खरीद के लिए अब ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं
किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी इनपुट लागत को कम करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में, यूरिया की एमआरपी 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी है (नीम कोटिंग शुल्क और लागू करों को छोड़कर) जबकि बैग की वास्तविक कीमत लगभग 2200 रुपये है। यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा बजटीय सहायता के माध्यम से वित्तपोषित है। यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा।

मोदी राज में यूरिया सब्सिडी 73 हजार करोड़ से बढ़कर 2.50 लाख करोड़ पहुंचा
लगातार बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण, पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर उर्वरक की कीमतें कई गुना बढ़ रही हैं। लेकिन भारत सरकार ने उर्वरक सब्सिडी बढ़ाकर अपने किसानों को उर्वरक की अधिक कीमतों से बचाया है। किसानों की सुरक्षा के प्रयास में मोदी सरकार ने उर्वरक सब्सिडी को 2014-15 में 73,067 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 2,54,799 करोड़ रुपये कर दिया है।

वर्ष 2025-26 तक आठ नैनो यूरिया संयंत्र चालू हो जाएंगे
2025-26 तक, 195 एलएमटी पारंपरिक यूरिया के बराबर 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया संयंत्र चालू हो जाएंगे। नैनो उर्वरक पोषकतत्वों को नियंत्रित तरीके से रिलीज करता है, जो पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता को बढ़ता है और किसानों की लागत भी कम आती है। नैनो यूरिया के उपयोग से फसल उपज में वृद्धि हुई है।

देश में 6 यूरिया प्लांट चालू, जल्द आत्मनिर्भर होगा भारत
वर्ष 2018 से 6 यूरिया उत्पादन यूनिट, चंबल फर्टिलाइजर लिमिटेड, कोटा राजस्थान, मैटिक्स लिमिटेड पानागढ़, पश्चिम बंगाल, रामागुंडम-तेलंगाना, गोरखपुर-उत्तर प्रदेश, सिंदरी-झारखंड और बरौनी-बिहार की स्थापना और पुनरुद्धार से देश को यूरिया उत्पादन और उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल रही है।

यूरिया का स्वदेशी उत्पादन लगातार बढ़ रहा
यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 के 225 एलएमटी के स्तर से बढ़कर 2021-22 के दौरान 250 एलएमटी हो गया है। 2022-23 में उत्पादन क्षमता बढ़कर 284 एलएमटी हो गई है। नैनो यूरिया संयंत्र के साथ मिलकर ये यूनिट यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता को कम करेंगे और 2025-26 तक हम आत्मनिर्भर बन जाएंगे।

धरती माता की उर्वरता की बहाली के लिए पीएम-प्रणाम
धरती माता ने हमेशा मानव जाति को भरपूर मात्रा में जीविका के स्रोत प्रदान किए हैं। यह समय की मांग है कि खेती के अधिक प्राकृतिक तरीकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित/सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। प्राकृतिक/जैविक खेती, वैकल्पिक उर्वरकों, नैनो उर्वरकों और जैव उर्वरकों को बढ़ावा देने से हमारी धरती माता की उर्वरता को बहाल करने में मदद मिल सकती है। बजट में यह घोषणा की गई थी कि वैकल्पिक उर्वरक और रासायनिक उर्वरक के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘धरती माता की उर्वरता की बहाली, जागरूकता, पोषण और सुधार हेतु प्रधानमंत्री कार्यक्रम (पीएम-प्रणाम)’ शुरू किया जाएगा।

गोबरधन संयंत्रों से जैविक उर्वरकों के लिए 1451.84 करोड़ रुपये स्वीकृत
किसानों के विशेष पैकेज में धरती माता की उर्वरता की बहाली, पोषण और बेहतरी के नवीन प्रोत्साहन तंत्र भी शामिल है। गोबरधन पहल के तहत स्थापित बायोगैस संयंत्र/संपीड़ित बायो गैस (सीबीजी) संयंत्रों से उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित जैविक उर्वरक अर्थात किण्वित जैविक खाद (एफओएम)/तरल एफओएम /फास्फेट युक्त जैविक खाद (पीआरओएम) के विपणन का समर्थन करने के लिए 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के रूप में एमडीए योजना शामिल है।

पराली की समस्‍या के समाधान साथ किसानों को आय का अतिरिक्त स्रोत मिलेगा
जैविक उर्वरकों को भारतीय ब्रांड एफओएम, एलएफओएम और पीआरओएम के नाम से ब्रांड किया जाएगा। यह एक तरफ फसल के बाद बचे अवशेषों का प्रबंध करने और पराली जलाने की समस्‍याओं का समाधान करने में सुविधा प्रदान करेगा, पर्यावरण को स्‍वच्‍छ और सुरक्षित रखने में भी मदद करेगा। साथ ही किसानों को आय का एक अतिरिक्‍त स्रोत प्रदान करेगा। ये जैविक उर्वरक किसानों को किफायती कीमतों पर मिलेंगे।

प्राकृतिक खेती से किसानों की लागत कम हो रही
टिकाऊ कृषि पद्धति के रूप में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से मृदा की उर्वरता बहाल हो रही है और किसानों के लिए इनपुट लागत कम हो रही है। 425 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों (केवीके) ने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन किया है और 6.80 लाख किसानों को शामिल करते हुए 6,777 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। जुलाई-अगस्‍त 2023 के शैक्षणिक सत्र से बीएससी तथा एमएससी में प्राकृतिक खेती के लिए पाठ्यक्रम भी तैयार किए गए है।

मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करेगा यूरिया गोल्ड
पैकेज की एक और पहल यह है कि देश में पहली बार सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत की जा रही है। यह वर्तमान में उपयोग होने वाले नीम कोटेड यूरिया से अधिक किफायती और बेहतर है। यह देश में मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करेगा। यह किसानों की इनपुट लागत भी बचाएगा और उत्‍पादन एवं उत्‍पादकता में वृद्धि के साथ किसानों की आय भी बढ़ाएगा।

प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्‍द्र की संख्या एक लाख हुई
देश में लगभग एक लाख प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्‍द्र (पीएमकेएसके) पहले ही कार्यरत हैं। किसानों की सभी जरूरतों के लिए एक ही जगह पर उनकी हर समस्या के समाधान के रूप में यह केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

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