प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर महीने आखिरी रविवार को देश के लोगों से मन की बात करते हैं। यह रेडियो कार्यक्रम देशभर में लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है और वे इसे ध्यान से सुनते हैं। इस कार्यक्रम की लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण यह है कि इसमें प्रधानमंत्री मोदी अपनी बात को सीधे लोगों तक पहुंचाते हैं। उनके संदेश और दृष्टिकोण को समझने में लोगों को कोई दिक्कत नहीं होती है। भारतीय जन संचार संस्थान (Indian Institute of Mass Communication- आईआईएमसी) की ओर से किए गए एक ताजा सर्वे के अनुसार 76 प्रतिशथ भारतीय मीडियाकर्मियों की राय में प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ ने भारत का भारत से परिचय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सर्वे में शामिल 75 प्रतिशत लोगों का कहना है कि ‘मन की बात’ एक ऐसे मंच के रूप में सामने आया है, जहां लोगों का ऐसे व्यक्तियों से परिचय कराया जाता है, जो जनसामान्य के जीवन में सार्थक बदलाव लाने के लिए निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। सर्वेक्षण में शामिल लोगों के अनुसार ‘देश की जानकारी’ और ‘देश के प्रति प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण’, दो प्रमुख कारण हैं, जो दर्शकों को इस कार्यक्रम को सुनने के लिए प्रेरित करते हैं।
अध्ययन के तहत लोगों से जब यह पूछा गया कि अगर कभी कार्यक्रम को लाइव नहीं सुन पाने पर वे इसे कैसे सुनते हैं, तो 63 प्रतिशत लोगों का कहना था कि अन्य माध्यमों की तुलना में वे यूट्यूब पर ‘मन की बात’ सुनना ज्यादा पसंद करते हैं। वहीं, 76 प्रतिशत लोगों के अनुसार ‘मन की बात’ में विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी के विचारों को सुनकर उन्हें ऐसा एहसास होता है कि वे भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदार हैं।
अध्ययन में यह भी जानने का प्रयास किया गया कि ‘मन की बात’ में चर्चा किए गए विषयों के बारे में लोग किनसे ज्यादा बातचीत करते हैं। 32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने परिवार के सदस्यों से इस बारे में अपने विचार साझा करते हैं, वहीं 29 प्रतिशत लोगों के अनुसार वे अपने दोस्तों और साथियों के साथ इस विषय पर बातचीत करते हैं।
सर्वेक्षण के दौरान एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुनने के लिए जहां 12 प्रतिशत लोग रेडियो और 15 प्रतिशत लोग टेलीविजन का प्रयोग करते हैं, वहीं लगभग 37 प्रतिशत लोग ‘इंटरनेट बेस्ड प्लेटफॉर्म’ पर इस कार्यक्रम को सुनना पसंद करते हैं।
आईआईएमसी के महानिदेशक डॉ. संजय द्विवेदी के अनुसार संस्थान के आउटरीच विभाग की ओर से यह सर्वेक्षण 12 से 25 अप्रैल, 2023 के बीच किया गया। इस सर्वेक्षण में देशभर के 116 अकादमिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों और मीडिया समूहों के कुल 890 पत्रकारों, मीडिया शिक्षकों, मीडिया शोधार्थियों और जनसंचार के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इनमें 326 महिलाएं और 564 पुरुष शामिल थे। सर्वे में शामिल होने वाले 66 प्रतिशत लोग 18 से 25 वर्ष की उम्र के थे।
प्रो. द्विवेदी के अनुसार सर्वेक्षण में यह भी समझने की कोशिश की गई कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘मन की बात’ में चर्चा किए गए किस मुद्दे ने लोगों के जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। इसके जवाब में 40 प्रतिशत लोगों ने कहा की ‘शिक्षा’ सबसे प्रभावशाली विषय है, जिसने उन्हें सोचने पर मजबूर किया, वहीं 26 प्रतिशत लोगों के अनुसार ‘जमीनी स्तर पर काम करने वाले गुमनाम समाज-शिल्पियों’ से संबंधित जानकारी उनके लिए काफी रोचक रही।