Home केजरीवाल विशेष हौले से क्यों सरक लिए अरविंद केजरीवाल? जानिये सच्चाई…

हौले से क्यों सरक लिए अरविंद केजरीवाल? जानिये सच्चाई…

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11 जून से हड़ताल दिल्ली के सीएम हड़ताल पर बैठ गए। एलजी के सामने पहले धौंस दिखाई, फिर गिड़गिड़ाए… जब बात नहीं बनी तो हौले से सरक लिए। दरअसल बिना मतलब के मुद्दे पर धरने का सियासी ड्रामा रच अपने ही जाल में बुरी तरह फंस चुके केजरीवाल पर एलजी की सख्ती और कूटनीति भारी पड़ गई।

जनता के पल्ले नहीं पड़ी केजरीवाल की ‘डिमांड’
अफसरों की हड़ताल खत्म करवाने को जब केजरीवाल ने हड़ताल किया तो समझ में आ गया कि कुछ न कुछ नौटंकी ही है। ऐसा नहीं होता तो वहां अधिकारियों के बातचीत की जा सकती थी और रास्ता निकाला जा सकता था, लेकिन केजरीवाल तो भाई केजरीवाल हैं। नौटंकी कैसे छोड़ दें?
हालांकि इस बार केजरीवाल की नौटंकी जनता समझ गई। दरअसल केजरीवाल ने समझा था कि विक्टिम कार्ड खेलकर जनता की सहानुभूति मिलेगी। लेकिन पार्टी के आंतरिक सर्वे में जब यह पता लगा कि इस प्रकरण से उनका 15 प्रतिशत वोट शेयर गिर गया है तो केजरीवाल धरने से उठने के लिए छटपटने लगे। जाहिर है जैसे ही उपराज्यपाल का पत्र मिला, धरना खत्म कर राजनिवास से हौले से सरक लिए!

केजरीवाल के ड्रामे से उब चुकी दिल्ली की जनता
केजरीवाल ने समझा था कि दबाव बनाएंगे और विक्ट्री निशान दिखाएंगे। लेकिन शायद वे यह भूल गए थे कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है। नौ दिनों तक जब उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ तो करीब आठ बाई आठ के कमरे में ‘कैद’ होकर रह गए केजरीवाल की हिम्मत टूटने लगी। समझ आने लगा था कि इस बार धरने पर बैठ तो गए, लेकिन उठने का हिसाब बन ही नहीं रहा था।

आम आदमी पार्टी के नेताओं ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने और राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखने का प्रपंच रचा, वह भी व्यर्थ रहा। ट्विटर पर भी लोग केजरीवाल और आप सरकार के नेताओं को खूब खरी खोटी सुना रहे थे। धरने के दो साथी भी अस्पताल जाकर ‘छूट’ गए। ऐसे में केजरीवाल और गोपाल राय धरना खत्म करने के बहाने खोज रहे थे। लिहाजा, जैसे ही उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा तो केजरीवाल ने भी समय बर्बाद नहीं किया और हौले से सरक लिए!

धरनार्थियों का वजन बढ़ा, जन समर्थन घट गया
धरने के सियासी ड्रामे में बुरी तरह से फंसे मुख्यमंत्री केजरीवाल को आखिरकार उपराज्यपाल बैजल की ही सलाह माननी पड़ी। इस स्थिति से बाहर निकलने और अपनी इज्जत बचाने के लिए इसके अतिरिक्त उनके पास कोई चारा भी न था। दरअसल 15 जून के पता लगा कि उनके अनशनार्थी मंत्री सत्येंद्र जैन का वजन 1,2 किलोग्राम बढ़ गया।

अब मेडिकल साइंस तो ये कहती है कि पानी पीने से वजन नहीं बढ़ सकता है। जाहिर है केजरीवाल के मंत्री ने कुछ घपला तो किया जरूर। खबरें आने लगी कि अनशन तो बहाना है, ये लोग पखाना में में जाकर भोजन कर आते हैं। अरे भाई हमें बोलते हुए थोड़ी झिझक हो रही है, इन्हें खाना तक खाने में कोई परहेज न हुआ। जाहिर है जनता बावली होने लगी। इन्हें भी पता लग गया सो मौका लगते ही हौले से सरक लिए!

9 दिन के धरने के बाद 10 दिन की छुट्टी
अरविंद केजरीवाल सिर्फ दो वजहों से चर्चा में रहते हैं धरना या तो फिर छुट्टी, खबर यह है की एलजी निवास पर 9 दिन के धरने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने कामकाज से 10 दिन की छुट्टी लेकर मेडिटेशन करने जा रहे हैं। मेडिटेशन के लिए वे बैंगलोर स्थित विपश्यना शिविर में 10 दिन रहेंगे।


कहा जा रहा है कि 9 दिन के धरने के बाद केजरीवाल का ब्लड शुगर लेवल बढ़ गया है, जिसका इलाज कराने के लिए वो अगले 10 दिन बेंगलुरु में रहेंगे। जाहिर है जिसका खर्च लाखो रुपये हैं। हालांकि इसका इलाज दिल्ली में भी बहुत बढ़िया होता है, लेकिन केजरीवाल असल वजह तो ये है कि वर्तमान सिचुएशन में फजीहत से बचने के लिए ही हौले से सरक लेना चाहते हैं!


साढ़े चार महीनों में महज 15 दिन ही ऑफिस गए केजरीवाल
10 दिन के लिए अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए केजरीवाल बंगलुरु जा रहे हैं, लेकिन बुधवार जमीयत उलमा ए हिन्द की ईद मिलन समारोह मे जाने के लिये केजरीवाल की तबीयत बिल्कुल दुरुस्त थी। जाहिर है राजनीति के लिए उनके पास वक्त है, लेकिन दिल्ली की जनता के लिए वे बीमार हैं।

बहरहाल जानकारी के लिए यह भी बता दें कि सीएम केजरीवाल पिछले साढ़े चार महीने के दौरान फरवरी में सिर्फ एक दिन, मार्च में 9 दिन, मई में 5 दिन के अलावा अप्रैल और जून में एक भी दिन सीएम दफ्तर नहीं गए। यानि साढ़े चार महीने में सिर्फ 15 दिन ही केजरीवाल कार्यालय गए हैं। अब वे 10 दिनों के लिए हौले से सरक भी रहे हैं। जाहिर लोग गुस्से में हैं।

दिल्ली के CM केजरीवाल 9 दिन LG के घर मे छुप कर बैठे रहे।

आज घर पर आराम कर रहे है।
और कल से 15 दिन के लिये बेंगलोर मे विश्राम करने जा रहे है।
दिल्ली के मालिक ने एक भी मीटिंग अफ़सरों से नहीं की और ना ही प्यासी दिल्ली को पानी दिया।
ये AAP का दिल्ली से धोखा है !@BJP4India @BJP4Delhi

— Vijender Gupta (@Gupta_vijender) 20 June 2018

हड़ताल के कारण भी केजरीवाल और निदान भी थे केजरीवाल, झूठ का मचाया बवाल!
अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी ने कहा अफसर हड़ताल पर हैं।
आइएएस एसोसिएशन ने साफ कहा वे सिर्फ सीएम और मंत्रियों के आवास पर नहीं जा रहे हैं। दफ्तर में वे हर रोज की तरह ड्यूटी पर हैं।

काम रोकने वाले आइएएस अफसरों पर एलजी सख्त कार्रवाई करें।
राज्यपाल दफ्तर की ओर से कहा गया है कि अफसरों में डर और अविश्वास का माहौल है, जिसे सीएम ही दूर कर सकते हैं।

अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी ने कहा डोर टू डोर राशन की फाइल पर एलजी दस्तखत नहीं कर रहे।
एलजी ने साफ किया कि डोर-टू-डोर राशन डिलीवरी की फ़ाइल 3 महीने से मंत्री इमरान हुसैन के साथ है, न कि उनके पास।

जाहिर है हड़ताल न होकर भी हड़ताल का जो वातावरण था उसके कारण भी केजरीवाल ही हैं। दरअसल सीएम के सामने ही केजरीवाल के दो विधायकों ने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट की थी। इससे अफसर डरे हुए हैं और वे किसी मंत्री आवास पर नहीं जाकर दफ्तर से काम कर रहे हैं।

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