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ऑल टाइम हाई पर पहुंचा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, 5.25 अरब डॉलर बढ़कर पहुंचा 689.91 अरब डॉलर के पार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था रोज नए रिकॉर्ड बना रही है। मोदी राज में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। देश का मुद्रा भंडार 06 सितंबर 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान 5.25 अरब डॉलर उछलकर 689.23 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। रिजर्व बैंक के अनुसार विदेशी करेंसी एसेट्स में भी जोरदार तेजी देखने को मिली है और ये 5.11 अरब डॉलर बढ़कर 604.14 अरब डॉलर, जबकि गोल्ड रिजर्व 12.9 अरब डॉलर बढ़कर 61.99 अरब डॉलर हो गया है। विदेशी मुद्रा भंडार ने 4 जून, 2021 को 6.842 अरब डॉलर बढ़कर 600 अरब डॉलर के ऐतिहासिक आंकड़े को पार किया था। इसके पहले विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था। मोदी राज में विदेशी मुद्रा भंडार दो गुना से ज्यादा बढ़ चुका है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश-प्रतिदिन नई उपलब्धियों को हासिल कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं प्रमुख उपलब्धियों पर…

सर्विस सेक्टर ग्रोथ अगस्त में पीएमआई बढ़कर 60.9 पर
अर्थव्यवस्था के लिए एक और अच्छी खबर यह है कि सेवा क्षेत्र की वृद्धि अगस्त में पांच महीने के हाई पर पहुंच गई है। एचएसबीसी के अनुसार अगस्त 2024 में पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 60.9 रहा है। एचएसबीसी के सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में सेवा क्षेत्र में गतिविधि अगस्त में तेज हुई है। अगस्त का आंकड़ा लगातार 37वें महीने 50 अंक से ऊपर रहा। यह आंकड़ा जुलाई 2021 के बाद से 50 से ऊपर है। ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) का 50 से अधिक रहना गतिविधियों में विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा सुस्ती का संकेत है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगस्त में पीएमआई में मजबूत वृद्धि सेवा क्षेत्र में त्वरित व्यावसायिक गतिविधि से प्रेरित है।

अगस्त में 10 प्रतिशत बढ़कर 1.74 लाख करोड़ रुपये के पार
टैक्स कलेक्शन के मामले में सरकार को बड़ा फायदा हुआ है। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन अगस्त, 2024 में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत बढ़ गया है। अगस्त में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा करीब 1.75 लाख करोड़ रुपये का रहा। वित्त मंत्रालय के अनुसार अगस्त, 2024 में सकल जीएसटी राजस्व 1,74,962 करोड़ रुपये रहा है। इसमें सीजीएसटी 30,862 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 38,411 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 44,593 करोड़ रुपये और उपकर 11,120 करोड़ रुपये है। जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड पर नजर डालें तो अप्रैल 2024 में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 2.10 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया, जो अब तक का सबसे बड़ा कर संग्रह है। पिछले साल अप्रैल 2023 में 1.87 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह किया गया, जो अब दूसरा सर्वाधिक कलेक्शन है। जुलाई 2024 में 1.82 लाख करोड़ का कलेक्शन तीसरा सबसे बड़ा कलेक्शन रहा है।

जुलाई में कोर सेक्टर की ग्रोथ बढ़कर हुई 6.1 प्रतिशत
अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर यह है कि जुलाई में कोर सेक्टर की ग्रोथ बढ़कर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। पेट्रोलियम, उर्वरक, इस्पात और सीमेंट क्षेत्र के उत्पादन में अच्छी वृद्धि होने से जुलाई के महीने में देश के आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में 6.1 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई। आठ कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठों कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस साल जुलाई में पिछले साल की तुलना में सीमेंट के उत्पादन में 5.5 प्रतिशत, कोयला का उत्पादन में 6.8 प्रतिशत, बिजली उत्पादन में 7.0 प्रतिशत, उर्वरक के उत्पादन में 5.3 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पाद में 6.6 प्रतिशत और इस्पात में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

नए शिखर पर सेंसेक्स और निफ्टी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय शेयर बाजार की रिकॉर्डतोड़ रफ्तार जारी है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सूचकांक सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सूचकांक निफ्टी रोज नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। सेंसेक्स 29 अगस्त को 82000 के ऐतिहासिक स्तर के पार 82,134 पर बंद होने के बाद आज, 30 अगस्त को 500 अंक उछलकर रिकॉर्ड हाई 82,637 पर खुला। निफ्टी भी 29 अगस्त के 25,151.95 के लेवल से ऊपर कारोबार करते हुए आज, 30 अगस्त को 25,258.80 के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया।

मार्केट बंद होने के हिसाब से देखा जाए तो 29 अगस्त का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए ऐतिहासिक रहा। सेंसेक्स पहली बार 82 हजार के मनोवैज्ञानिक स्तर के ऊपर बंद होने में सफल रहा। सेंसेक्स 349.05 अंक की तेजी के बाद 82,134.61 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच कर बंद हुआ। जबकि, निफ्टी 99.60 अंक की तेजी के बाद 25,151.95 के लेवल पर बंद हुआ।

अगर शेयर बाजार के रिकॉर्ड पर नजर डाला जाए तो 18 जुलाई को सेंसेक्स 626.91अंक की तेजी के बाद 81000 का लेवल पार कर 81,343.46 के रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ। जबकि, निफ्टी 187.85 अंक की तेजी के बाद 24,800.85 के लेवल पर बंद हुआ। इसके पहले इसी महीने 04 जुलाई, 2024 को सेंसेक्स 62.87 अंक मजबूत होकर 80,049.67 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 15.66 अंक उछलकर 24,302.15 के लेवल पर बंद हुआ। इससे पहले 27 जून सेंसेक्स 79000 के लेवल को पार कर गया। सेंसेक्स 568.93 अंकों की तेजी के साथ 79243 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 175.70 अंक बढ़कर अपने ऑल टाइम हाई 24044.50 पर बंद हुआ। इससे पहले सेंसेक्स 25 जून को 78000 के लेवल को पार कर 78053 पर और निफ्टी 183 अंक की मजबूती के साथ 23700 का लेवल पार कर 23721 पर बंद हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक 18 जून को 308 अंक की बढ़त लेकर 77,301 पर बंद हुआ। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक 92.30 अंक बढ़कर 23,557 पर बंद हुआ। 3 जून, 2024 को बीएसई सेंसेक्स 2507 अंक उछलकर 76000 के स्तर को पार करते हुए 76,469 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 733 अंक चढ़कर 23,263 के लेवल पर बंद हुआ। इसके पहले 10 अप्रैल, 2024 बीएसई का सेंसेक्स 354.45 अंक की बढ़त के साथ 75,000 के पार 75,038.15 पर बंद हुआ। जबकि एनएसई का निफ्टी 111.05 अंक की बढ़त के साथ 22,753.80 के रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ। इसके पहले 6 फरवरी को सेंसेक्स पहली बार 408.86 अंकों की बढ़त के साथ 74,085.99 के स्तर पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 117.75 अंक उछलकर 22,474.05 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ।

इसके पहले 15 जनवरी, 2024 को बीएसई का सेंसेक्स पहली बार 73,000 के पार 73,327 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 22,082 के लेवल पर पहुंच गया। इससे पहले 27 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 72,000 के पार निकल 72,038 अंक पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 21654 अंक पर बंद हुआ। 15 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 71,483 के लेवल पर, जबकि निफ्टी 21456 के लेवल पर बंद हुआ। एक दिन पहले ही 14 दिसंबर को सेंसेक्स 70000 का लेवल पार करते हुए 70514 पर बंद हुआ और निफ्टी भी 21000 से ऊपर जाकर 21,182 पर बंद हुआ। इसके पहले 5 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 69,000 के लेवल को पार कर 69,168 के स्तर पर खुला और निफ्टी भी अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 20,000 के पार 20,702 पर पहुंच गया।

इसके पहले सेंसेक्स 4 दिसंबर, 2023 को 68 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 68865.12 पर बंद हुआ। इससे पहले 19 जुलाई, 2023 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 67,097.44 के स्तर पर बंद हुआ। इसके पहले सेंसेक्स 14 जुलाई, 2023 को 66 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 66060.90 पर बंद हुआ। इसके पहले सेंसेक्स 3 जुलाई, 2023 को 65 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 65, 205.05 पर बंद हुआ था और 30 जून, 2023 को 64 हजार के पार पहुंच 64,718.56 के लेवल पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालें तो सेंसेक्स पहली बार 30 नवंबर, 2022 को 63000 के पार बंद हुआ। यह 24 नवंबर,2022 को 62000 के आंकड़े के पार जाकर बंद हुआ है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 01 नवंबर, 2022 को नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 61 हजार के ऊपर बंद हुआ। इसके पहले 24 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 60,000 के पार, 16 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 59,000 के पार, 03 सितंबर, 2021 को 58,000 और 31 अगस्त, 2021 को 57,000 के पार गया था।

इसके पहले सेंसेक्स ने 18 अगस्त 2021 को 56,000 और 13 अगस्त, 2021 को 55,000 अंक के स्तर के पार किया। सेंसेक्स इसी महीने 4 अगस्त को पहली बार 54000 के आंकड़े को पार किया। यह 22 जून को 53,000 के लेवल को पार कर नए शिखर पर पहुंचा था। इसके पहले 15 फरवरी, 2021 को शेयर बाजार के बीएसई सेंसेक्स ने 52,000 के लेवल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सेंसेक्स ने जून 2014 में पहली बार 25 हजार के स्तर को छुआ था। मोदी राज में पिछले 6 साल में 25 हजार से 50 हजार तक के सफर तय कर सेंसेक्स दो गुना हो गया है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।

रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उससे तमाम क्षेत्रों की कंपनियों में विश्वास जगा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कदम उठाने के बाद कोरोना काल में भी आर्थिक जगत में मोदी सरकार की साख मजबूत हुई है, और कंपनियां, शेयर बाजार, आम लोग सभी सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।

हांगकांग को पछाड़ भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत हर मोर्चे पर नए-नए रिकार्ड बना रहा है। 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन भारतीय शेयर बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बााजार बन गया। भारत ने यह स्थान हांगकांग के स्टॉक मार्केट को पछाड़कर प्राप्त किया है। 22 जनवरी को बाजार बंद होने पर हांगकांग के स्टॉक मार्केट का कुल मार्केट कैप 4.29 ट्रिलियन डॉलर था। जबकि भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का मार्केट कैप 4.33 ट्रिलियन डॉलर था। इसी के साथ भारतीय शेयर बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार बन गया। इसके पहले 29 नवंबर 2023 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज- BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार निकला था। भारत मई 2021 में तीन ट्रिलियन डॉलर के क्लब में शामिल हुआ था। मई 2007 में बीएसई-लिस्टेड कंपनियों ने 1 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप की उपलब्धि हासिल की थी। इसे दोगुना होने में 10 साल का समय लग गया और जुलाई 2017 में मार्केट कैप 2 ट्रिलियन डॉलर पहुंचा। मई 2021 में मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया था। 

वैश्विक बाजारों में भारतीय शेयर बाजार मार्केट के लिहाज से अब अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथे स्थान पर है। अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। लगभग 50.86 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप के साथ अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी बाजार है। इसके बाद 8.44 ट्रिलियन डॉलर के साथ चीन दूसरे और 6.36 ट्रिलियन डॉलर के साथ जापान तीसरे स्थान पर है।

शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 22 प्रतिशत बढ़कर 6.93 लाख करोड़ रुपये पर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक मोर्चे पर लगातार अच्छी खबर आ रही है। अब टैक्सपेयर ने सरकार का खजाना भर दिया है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में 11 अगस्त, 2024 तक 22.48 प्रतिशत बढ़कर 6.93 लाख करोड़ रुपये हो गया है। आयकर विभाग के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में 11 अगस्त 2024 तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 22.48 प्रतिशत की उछाल के साथ 6,92,987 करोड़ रुपये रहा है। इस कर संग्रह में 4.47 लाख करोड़ रुपये का व्यक्तिगत आयकर संग्रह और 2.22 लाख करोड़ रुपये का कॉरपोरेट कर संग्रह शामिल है। प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) से 21,599 करोड़ रुपये, जबकि अन्य करों से 1,617 करोड़ रुपये मिले हैं। इस साल एक अप्रैल से 11 अगस्त, 2024 के बीच 1.20 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं, जो 33.49 प्रतिशत की वृद्धि है। इस तरह सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 24 प्रतिशत बढ़कर 8.13 लाख करोड़ रुपये रहा। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में प्रत्यक्ष करों से 22.07 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में उछाल मजबूत आर्थिक विकास का संकेत 
भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगातार वृद्धि देश के बढ़ते आधार और बेहतर अनुपालन उपायों को दर्शाता है। इसके साथ ही प्रत्यक्ष कर संग्रह में यह उछाल कॉर्पोरेट आय में वृद्धि, रोजगार और आय के बढ़ते स्तर को रेखांकित करता है। कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत आयकर संग्रह दोनों में मजबूत वृद्धि बताता है कि भारत का आर्थिक सुधार महत्वपूर्ण गति प्राप्त कर रहा है। भारत की आर्थिक मजबूती विकास को भी गति देने में कारगर साबित होगी। आखिरकार इसका लाभ टैक्सपेयर को ही मिलेगा।

खुदरा महंगाई दर पांच साल के निचले स्तर 3.54 प्रतिशत पर
मोदी राज में महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों को बड़ी राहत मिली है। ऐसे समय में जब पूरी दुनिया मंदी और महंगाई से जूझ रही है, भारत में मोदी सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाकर बड़ी कामयाबी हासिल की है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था में आई तेजी और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से मई में खुदरा महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। इससे आम लोगों को बड़ी राहत मिली है। जुलाई में खुदरा महंगाई दर या खुदरा मुद्रास्फीति सालाना आधार पर घटकर 59 महीने यानी पांच साल के निचले स्तर 3.54 प्रतिशत पर आ गई है। पांच साल पहले अगस्त 2019 में यह 3.21 प्रतिशत थी। उपभोक्ता मूल्‍य संचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर इससे पिछले महीने जून में 5.08 प्रतिशत, मई में 4.75 प्रतिशत और अप्रैल में 4.85 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई दर में यह कमी खाने-पीने की चीजों के दाम घटने से आई है।

आम आदमी को राहत,अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर कम होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। इससे आम जरूरत की चीजें सस्ती होने लगती हैं। जो आम जनता के जेब पर पड़ रहे बोझ को कम करती है। यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है। महंगाई से मिली राहत के लिए मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ की जा रही है। कोरोना महामारी, हमास- इजरायल संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस समय पूरा विश्व मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश भी महंगाई को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने महंगाई पर लगाम लगाकर आर्थिक मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था में आई तेजी और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। इससे मोदी सरकार और देश की जनता को बड़ी राहत मिली है।

जून में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में तेज उछाल
कारोबार में बढ़त के चलते हर क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। मांग बढ़ने से जून के महीने में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में बंपर तेजी आई है। इस तेजी के कारण कंपनियों ने 19 साल में सबसे तेज रफ्तार से भर्तियां की है। एचएसबीसी की वैश्विक अर्थशास्त्री मैत्रेयी दास के अनुसार नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां तेज रफ्तार से चल रही है। नए ठेके मिलने में तेजी आने से भर्ती में तेजी आई है। इससे देश में रोजगार पैदा होने की दर तेज हुई और यह मार्च 2005 में डेटा संग्रह शुरू होने के बाद से सबसे मजबूत रही। एचएसबीसी के अनुसार जून में विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (PMI) 58.3 पर रहा। मई में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का आंकड़ा 57.5 पर रहा था। ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) का 50 से अधिक रहना गतिविधियों में विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा सुस्ती का संकेत है।

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मार्च में 16 साल के उच्चतम स्तर पर
कारोबार में बढ़त के चलते हर क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां मार्च 2024 में 16 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (PMI) मार्च में 59.1 पर रहा। मार्च में 59.1 के साथ ही मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 2008 के बाद अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह अक्टूबर 2020 के बाद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की सबसे मजबूत तेजी है। इसके साथ ही मार्च में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई लगातार 33 वें महीने 50 से ऊपर रही है। 

बैंकों का कुल एनपीए 12 साल के निचले स्तर पर
मोदी राज में वित्तीय प्रणाली के दुरुस्त होने के कारण बैंकों का सकल एनपीए (Non-Performing Asset गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) अनुपात मार्च, 2024 तक घटकर 12 साल के निचले स्तर 2.8 प्रतिशत पर आ गया है। इसके साथ ही वाणिज्यिक बैंकों का शुद्ध एनपीए अनुपात भी कम होकर 0.6 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI आरबीआई) ने 27 जून को जारी अपनी ताजा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा कि 2024-25 अंत तक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात और घटकर 2.5 प्रतिशत पर आ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी श्रेणी के बैंकों में सकल एनपीए घटा है। सरकारी बैंकों के सकल एनपीए अनुपात में 2023-24 की दूसरी छमाही में 0.76 प्रतिशत कमी आई।

अप्रैल 2024 में IIP बढ़कर 5 प्रतिशत पर
इसके साथ ही खनन और बिजली क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन की वजह से इस साल अप्रैल में देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) पांच प्रतिशत बढ़ गया है। आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन से अप्रैल में आईआईपी की वृद्धि दर बढ़कर 5 प्रतिशत रही है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी औद्योगिक उत्पादन दर के मुताबिक अप्रैल 2024 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के आउटपुट ने 3.9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट दर्ज किया है। बिजली उत्पादन का ग्रोथ रेट 10.2 प्रतिशत रहा है, जबकि माइनिंग एक्टिविटी का का ग्रोथ रेट 6.7 प्रतिशत रहा है।

भारत में निवेश करना चाहते हैं दुनिया भर को अरबपति
हमास- इजरायल, रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना महामारी के कारण जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था डांवाडोल हाल में है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, जिससे विदेशी निवेशकों की भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। दुनिया भर के अरबपतियों के लिए भारत एक प्रमुख इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। हाल ही में आई यूबीएस बिलियनेर एंबिशंस रिपोर्ट के अनुसार भारत जल्द ही निवेश का एक गढ़ बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के अरबपति लोग अपना ज्यादा से ज्यादा पैसा भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में लगाना चाहते हैं क्योंकि यहां की अर्थव्यवास्था मजबूत होने के साथ उनके अनुकूल है। स्विस बैंक की यह रिपोर्ट 75 बाजारों में 2,500 से अधिक अरबपतियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें 58 प्रतिशत अरबपतियों ने निवेश के लिए अपने चुने हुए बाजारों के रूप में भारत और दक्षिण पूर्व एशिया को चुना।

निर्यात 6.3 प्रतिशत बढ़कर 33.57 अरब डॉलर पर
मोदी राज में निर्यात के मोर्चे पर ही इस साल की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली है। देश के वस्तुओं का निर्यात इस साल अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत बढ़कर 33.57 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। बुधवार 15 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार औषधि और फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कॉटन यार्न, फैब्स मेड-अप्स, हैंडलूम उत्पाद, लौह अयस्क, सिरेमिक उत्पाद, कांच के बर्तन, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद के निर्यात में वृद्धि हुई। गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात अक्टूबर 2023 में 24.57 अरब डॉलर रहा जो पिछले साल अक्टूबर 2022 के 21.99 बिलियन डॉलर की तुलना में 11.74 प्रतिशत ज्यादा है। वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2023 में औषधि और फार्मा निर्यात 29.31 प्रतिशत बढ़कर 2.42 बिलियन डॉलर हो गया, जो अक्टूबर 2022 में 1.87 बिलियन डॉलर था। इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो अक्टूबर 2022 में 7.55 बिलियन डॉलर से बढ़कर अक्टूबर 2023 में 8.09 बिलियन डॉलर हो गयाष। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात अक्टूबर 2023 के दौरान 28.23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2.38 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि अक्टूबर 2022 में यह 1.85 बिलियन डॉलर था।

11 करोड़ अधिक हुई डीमैट खातों की संख्या
देश में डीमैट खातों की संख्या 11. 82 करोड़ के पार पहुंच गई है। शेयर बाजार में तेजी और और म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही डीमैट अकाउंट की संख्या भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ट्रेडिंग और शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने के लिए ये खाते जरूरी होते हैं। डिपॉजिटरी फर्म एनएसडीएल और सीडीएसएल के आंकड़ों के मुताबिक मई, 2023 में 20 लाख 10 हजार नए डीमैट खाता खोले गए, जो इस साल का सबसे अधिक है। इसके साथ ही देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 11.82 करोड़ पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें खुदरा यानी छोटे निवेशकों का योगदान सबसे अधिक है। इसी का परिणाम है कि देश में खुदरा निवेशकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने विदेशी निवेशकों पर निर्भरता घटेगी और तेज उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद करेगी।

विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना
ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी। एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। लेकिन सितंबर 2022 में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

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