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काशी के बाद मथुरा की शाही ईदगाह और आगरा में ताजमहल के कमरों का सर्वे-वीडियोग्राफी हो, कोर्ट की याचिका में कहा- स्वस्तिक, ॐ, कमल निशान मस्जिद में मौजूद

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अयोध्या में सदियों के संघर्ष के बाद भव्य-दिव्य राम मंदिर के निर्माण से हिंदू धर्मावलंबी बेहद उत्साहित है। जन-जन की आस्था के केंद्र राम का पावन धाम बनने के बाद अब नजरें काशी-मथुरा की ओर हैं। आततायी औरंगजेब ने हिंदुओं के जिन हजारों धार्मिक स्थलों के तुड़वाकर उससे मस्जिदें बनवाईं, उनमें काशी-मथुरा सबसे प्रमुख हैं। काशी में ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर ऑर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट ने सर्वे और वीडियोग्राफी कराई है। हालांकि इसमें मुस्लिम समुदाय ने बाधा पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन जितनी वीडियोग्राफी हो पाई उसमें कैमरामैन ने यह दावा किया है कि मस्जिद की दीवारों पर कमल के फूल और स्वास्तिक के निशान के अलावा मूर्तियों के चिन्ह भी हैं। ज्ञानवापी में सर्वे और वीडियोग्राफी होने के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के भी सर्वे की मांग उठ गई है। इसके साथ ही आगरा में ताजमहल से जुड़े 12 कमरों की जांच कराने, उनको खाली कराने को लेकर भी कोर्ट में याचिका लगाई गई है।
आगरा में ताज और मथुरा में शाही ईदगाह के मामले अदालत में पहुंचे, 12 को सुनवाई
मथुरा के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने सिविल जज की अदालत में एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि ईदगाह में स्वास्तिक, ॐ, कमल जैसे हिंदू निशान मौजूद हैं। इनकी वीडियोग्राफी होनी चाहिए। कोर्ट को इस मामले में सुनवाई करनी थी, लेकिन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही मस्जिद के मामले में मंगलवार को एक वकील के निधन के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गयी। उधर ताजमहल से जुड़े 12 कमरों को खाली कराने संबंधी याचिका पर भी सुनवाई नहीं हो सकी। अब इस मामले में 12 मई को अदालत बैठेगी।

अदालत में तर्क- ज्ञानवापी का सर्वे हो सकता है तो मथुरा में ईदगाह का क्यों नहीं ?
मथुरा की अदालत में दिए प्रार्थना पत्र में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए दिए गए आदेश की कॉपी भी सबमिट की है। इस पर मथुरा सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में मंगलवार (10 मई) को सुनवाई होगी। ऐसे में सभी की निगाहे अब सुनवाई पर टिकी हुई हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान भूमि विवाद संख्या 950/2020 के केस में वादी अधिवक्ता ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। इसमें बनारस की तर्ज पर मथुरा में भी वरिष्ठ अधिवक्ता को कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की गई है। इसके साथ ही शाही ईदगाह में जाकर स्थलीय निरीक्षण करने और वहां की वीडियोग्राफी कराकर कोर्ट में पेश करने की मांग की गई है। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप के मुताबिक दिसंबर 2021 में उन्होंने मथुरा कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि शाही ईदगाह मस्जिद में नमाज पढ़ने पर रोक लगाई जाए। यह याचिका उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति की तरफ से दाखिल हुई थी। महेंद्र प्रताप इस संगठन के अध्यक्ष हैं।

काशी में तीन बार मंदिर को तोड़कर बनाई गई ज्ञानवापी मस्जिद
वाराणसी के काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। श्रृंगार गौरी का पूजन करने के लिए 5 महिलाओं ने अधिकार मांगा था। लोक चर्चा है कि औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। ऐतिहासिक दस्तावेजों को देखें तो इनके निर्माण और पुनर्निर्माण से जुड़ी कई कहानियां हैं। हिस्ट्री डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव के मुताबिक विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से जुड़ी बहुत सारी मान्यताएं हैं। एक मान्यता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को 1194 में मोहम्मद गोरी ने तुड़वाया था। इसके बाद 14वीं सदी में जौनपुर के शासक मो. शाह ने मंदिर के एक बड़े हिस्से को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई।अकबर के नौ रत्न राजा टोडरमल ने काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण दोबारा करवाया
इसके बाद साल 1585 में अकबर के नौ रत्नों में एक राजा टोडरमल ने काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण दोबारा करवाया। इसके बाद 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी किया। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया। इसके बाद अगस्त 1669 में ऐलान किया गया कि मंदिर को पूरी तरह से तोड़ मस्जिद को उसकी जगह तामील कर दिया गया है। औरंगजेब के इस फरमान की कॉपी कोलकाता की एशिया-टिक लाइब्रेरी में आज भी रखी है। औरंगजेब के समय के लेखक साकी मुस्तइद खां ने भी अपनी किताब ‘मासीदे आलमगिरी’ में इस फरमान का जिक्र किया है।

ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिम दीवार पर कमल का फूल, नंदी की मूर्ति और स्वास्तिक के निशान भी
काबिले गौर है कि पिछले दिनों वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में अदालत के आदेश पर सर्वे करने वाली टीम के साथ गए कैमरामैन ने बड़ा दावा किया है। उनके अनुसार, मस्जिद पर कमल के निशान हैं। दीवार पर स्वास्तिक के निशान हैं, दीवारों पर मूर्तियां उकेरी गई हैं। सर्वे उस दावे के आधार पर किया जा रहा है, जिसमें हिंदू पक्ष के एक वर्ग का मानना है कि बनारस में औरंगजेब ने काशी विश्वानाथ मंदिर को तोड़कर और उसके अवशेषों के जरिए ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया था। जिसके आधार पर कोर्ट ने वीडियोग्राफी के साथ सर्वे के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश पर परिसर के श्रृंगार गौरी और विग्रहों का सर्वे किया जाना है। टाइम्स नाउ नवभारत पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे करने वाली टीम के कैमरामैन ने बड़ा दावा किया है। कैमरामैन गणेश शर्मा का दावा है कि उन्होंने मस्जिद की दीवार पर स्वास्तिक के निशान देखे हैं। गणेश शर्मा के मुताबिक परिक्रमा करते वक्त उन्होंने नंदी की मूर्ति भी देखी है। गणेश शर्मा ने मस्जिद के दीवारों पर हिंदू धर्म से जुड़े प्रतीक चिन्हों को देखने का दावा किया। सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु ने भी दावे को सही ठहराया है। श्रृंगार गौरी के पास आकृतियां भी हैं।

 

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