प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि साहसिक और निर्णायक फैसले लेने वाले और विपरीत परिस्थितियों में भी चट्टान की तरह मजबूती के साथ डटे रहने वाले नेता की है। वर्ष 2020 में भी प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ पांच मोर्चा संभालकर इसे साबित कर दिया। चाहे कोरोना संकट से निपटना हो या पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर टकराव हो, या फिर नेपाल के साथ नक्शा विवाद और आर्थिक मामले हों, सभी मोर्चे पर प्रधानमंत्री मोदी ने धैर्य के साथ काम लिया और सफलता पाई। इससे उनकी छवि और मजबूत हो गई है। उन्होंने स्वयं को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित कर लिया है, जो देश के आत्मसम्मान को कभी कम नहीं होने देगा। आइए देखते हैं वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पराक्रम से किस तरह हर मोर्चे पर सफलता हासिल की।
चीन ने देखा पीएम मोदी का पराक्रम, मिला कड़ा संदेश
- प्रधानमंत्री मोदी ने 3 जुलाई, 2020 को लद्दाख स्थित निमू में जवानों को संबोधित करते हुए चीन को कड़ा संदेश दिया। चीन पर निशाना साधते हुए उन्होंने साफ कहा कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है। ये युग विकासवाद का है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने लद्दाख का दौरा करके बहुत स्पष्ट संदेश दिया कि भारत पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने वाला नहीं है और वह दृढ़ता से हालात से निपटेगा।
- जवानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आपका ये हौसला, शौर्य और मां भारती के मान-सम्मान की रक्षा के लिए आपका समर्पण अतुलनीय है।
रणनीतिक महत्व की चोटी पर भारतीय सेना का कब्जा
- अगस्त के अंत में इंडियन स्पेशल फोर्सेज ने पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से में एक ऊंची चोटी कब्जा कर चीन को चकित कर दिया। भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना की नाक के नीचे से रणनीतिक महत्व की चोटी हथिया ली।
- चुशूल इलाके में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को भांपकर भारतीय सैनिकों ने 29-30 अगस्त की रात को पहले ही कार्रवाई कर उन्हें पीछे धकेल दिया।
- गलवान में भारत ने चीन का गुरूर चकनाचूर किया था। 15-16 जून की रात भारत-चीन के सैनिकों बीच झड़प हुई थी। भारतीय सेना के जवानों ने चीन के 45-50 सैनिक मारे गए थे। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे।
चीन के खिलाफ डिजिटल स्ट्राइक
- 29 जून, 2020 को 59 चीनी एप्स बैन किया गया।
- 28 जुलाई, 2020 को 47 एप्स को बैन किया गया।
- 2 सितंबर, 2020 को 118 एप्स पर प्रतिबंध लगाया गया।
- 24 नवंबर, 2020 को 43 चीनी एप को बैन किया गया।
चीनी कंपनियों पर शिकंजा
- मोदी सरकार ने चोरी-छिपे भारत में दाखिल होने वाली चीनी कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए पड़ोसी देशों से होने वाले फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट को पहले सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया।
- भारतीय रेलवे ने वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेट बनाने के लिए करीब 1800 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में चीन की कंपनी के टेंडर को अयोग्य घोषित कर दिया।
- चीनी कंपनियों को बाहर करने के लिए बीएसएनएल और एमटीएनएल की 4-G सेवाओं को अपग्रेड करने के लिए निकाले गए टेंडर को रद्द किया गया।
भारत-चीन सीमा पर सड़कों का जाल
- मोदी सरकार ने चीन की सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 2020 में दस मीटर चौड़ी सड़क बनाने का फैसला लिया।
- सरकार की ओर से चीन सीमा को जोड़ने वाले पुलों को तेजी से तैयार करवाया जा रहा है।
- चीन से टकराव के बीच सीमा सड़क संगठन ने 44 नए पुलों का निर्माण किया, जिनका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 अक्टूबर, 2020 को किया।
- बीआरओ द्वारा बनाए गए इन 44 पुलों में से 10 जम्मू-कश्मीर, 7 लद्दाख, 2 हिमाचल प्रदेश, 4 पंजाब, 8 उत्तराखंड, 8 अरुणाचल प्रदेश और 4 सिक्किम में है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने 3 अक्टूबर,2020 को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन किया था। 9 किमी लंबी इस सुरंग के माध्यम से लाहौल-स्पीति क्षेत्र से साल भर सड़क संपर्क कायम रह सकेगा।
- अटल सुरंग मनाली और लेह के बीच कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा देती है। इससे न सिर्फ आम लोगों के लिए यात्रा के समय में कटौती हुई है बल्कि लद्दाख के लिए तेजी से मिलिट्री मूवमेंट भी हो सकेगा।
- मोदी सरकार ने पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी सड़क के नवीनीकरण का कार्य कराया। ये सड़क LAC के करीब है।
- वर्ष 2020 में चीन सीमा से लगी 2323.57 किलोमीटर लंबी 61 रणनीतिक सड़कों की 98 प्रतिशत कनेक्टिविटी पूरी कर ली गई। सिर्फ दो प्रतिशत काम बचा है। इसके बाद भारत एलएसी पर सड़क संपर्क के मामले में चीन की बराबरी में खड़ा होगा।
- रक्षा मंत्री ने बताया कि 5-6 साल पहले, बीआरओ का वार्षिक बजट 3000-4000 करोड़ रुपए था जो वर्तमान में बढ़कर 11,000 करोड़ से अधिक हो गया है।
डोकलाम में घुटने टेकने पर मजबूर हुआ था चीन
- प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में भारत ने डोकलाम में उस चीन को बिना लड़े घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया जिसने 1962 में सीमा विवाद की आड़ में भारत पर हमला बोला था।
- अगस्त 2017 में डोकलाम मामले पर भारत को एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई। जब भारत के कड़े रूख को देखते हुए 73 दिनों के बाद चीन अपनी सेना को हटाने के लिए मजबूर हुआ।
- 16 जून, 2017 को डोकलाम में विवाद तब शुरू हुआ, जब भारतीय सेना ने वहां चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था।