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कई घर होने पर भी आखिर 23 साल से सरकारी बंगले में क्यों जमी हुई हैं सोनिया गांधी की विवाहित बेटी प्रियंका वाड्रा

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को सरकार ने सरकारी बंगला खाली करने को कहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विवाहित बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा को 23 साल पहले 21 फरवरी 1997 में लोधी एस्टेट में 35 नंबर बंगला अलॉट किया गया था। कांग्रेसी राज में एसपीजी सुरक्षा के कारण यह बंगला दिया गया था। अब एसपीजी सुरक्षा नहीं होने के कारण प्रियंका वाड्रा को यह बंगला खाली करना होगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा को जारी नोटिस में कहा गया है कि एक अगस्त तक इसे खाली करना होगा। सरकार का कहना है कि कानूनी रूप से एक सामान्य नागरिक प्रियंका वाड्रा सरकारी आवास पाने की हकदार नहीं हैं। कांग्रेस ने इसे खुद पर हमला बताया है। 23 साल तक बिना सांसद या मंत्री रहे भी बंगले में रहने वाली प्रियंका को जब खाली करने कहा गया तो कांग्रेसी नेताओं ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है।

लेकिन कांग्रेसी यह क्यों नहीं बताते कि बिना सांसद-मंत्री कई घर रहते हुए भी वह पिछले 23 साल से सरकारी मकान में क्यों रह रही थी? आखिर क्यों?

बेटा मां के साथ नहीं रहता, भाई बहन के साथ नहीं!
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 10 जनपथ में अकेली रहती हैं। उनका एकलौता कुंवारा सांसद बेटा राहुल गांधी उनके साथ नहीं रहता है। राहुल गांधी अकेले 12 तुगलक रोड में रहते हैं। बेटी प्रियंका अपने पति राबर्ट वाड्रा के साथ 35 लोदी एस्टेट बंगले में रहती हैं। प्रियंका सांसद या मंत्री नहीं होने के बाद भी 23 साल से सरकारी मकान में रह रही हैं। बेटा राहुल मां सोनिया गांधी के साथ नहीं रह सकता, उसे अलग सरकारी बंगला चाहिए। यानी भाई ना बहन के साथ रहता है ना अकेली रहने वाली मां के साथ विशाल बंगले में। जबकि सोनिया गांधी 10 जनपथ वाले जिस विशाल बंगले में रहती हैं, वो प्रधानमंत्री निवास से भी बड़ा है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों? क्या आपको पता है कि आप और हम इन सबके सरकारी बंगले का खर्च अपनी खून-पसीने की कमाई से देते हैं।

फ्लैट खरीदने के लिए प्रियंका ने बेच दी अपने बाप की तस्वीर
हाल ही में खबर आई थी कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने फ्लैट खरीदने के लिए उस पेंटिंग को बेच दी जिससे पिता राजीव गांधी और देश के एक प्रधानमंत्री की यादें जुड़ी हुई थीं। इस पेंटिंग खरीद मामले में हुए खुलासे के अनुसार मुंबई कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मिलिंद देवड़ा ने पत्र लिखकर और कई मैसेज भेजकर यस बैंक के प्रमोटर राणा कपूर पर पेंटिंग खरीदने के लिए दबाव डाला था। बताया जाता है कि राणा कपूर ने ईडी से कहा कि मिलिंद देवड़ा ने पेंटिंग को खरीदने के लिए उन पर दबाव बनाया था। कांग्रेस नेता देवड़ा ने अपने मैसेज में कई बार 2 करोड़ रुपये के चेक के बारे में पूछताछ की। साथ ही उसे जल्‍दी भेजने की गुजारिश की। राणा कपूर को ‘अंकल’ बताने वाले मिलिंद देवड़ा के ये पत्र और एसएमएस सोशल मीडिया वायरल हो गए। बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया प्रभारी प्रीति गांधी ने ट्वीट किया कि यह सनसनीखेज है। आप सबके साथ मिलिंद देवड़ा के राणा कपूर अंकल को लिखे मैसेज को शेयर कर रही हूं। यह साफ है कि इतालवी गांधी परिवार उनके साथ डील के लिए दबाव डाल रहा था और सोनिया गांधी को सब पता था। क्‍या यह जबरन वसूली है?’

ये पेंटिंग एमएफ हुसैन ने 1985 में कांग्रेस के 100 साल पूरे होने के मौके पर बनाया था और राजीव गांधी को भेंट की थी। इसी पेंटिंग को राणा कपूर ने 2010 में प्रियंका गांधी वाड्रा से 2 करोड़ रुपये में खरीदी थी।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने राणा कपूर को चिट्ठी लिखकर कहा था कि मैं 3 जून 2010 को लिखे आपके पत्र और एचएसबीसी बैंक के आपके खाते से 2 करोड़ रुपये के चेक (3 जून 2010) के मिलने की पुष्टि करती हूं जो कि पेंटिंग के फुल और फाइनल भुगतान से संबद्ध था।

अब सवाल यह है कि एमएफ हुसैन ने प्रधानमंत्री या तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी को जो पेंटिंग उपहार में दी, उसे परिवार ने कैसे बेच दिया? अगर प्रधानमंत्री को दिया गया तो सरकारी संपत्ति हुई या फिर कांग्रेस अध्यक्ष को दिया गया तो पार्टी की संपत्ति हुई। फिर उसे बेचने का अधिकार परिवार को नहीं है। ऐसे में प्रियंका ने पेंटिंग किसी को कैसे बेच दी? और प्रियंका वाड्रा ने इस पैसे से फ्लैट खरीदने के बाद भी सरकारी बंगले को खाली क्यों नहीं किया?

घोटाले के आरोपी को रेंट पर दिया फार्म हाउस
23 साल से सरकारी बंगले में कुंडली मार पर बैठे रहने वाली प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी ने करोड़ों रुपये के घोटालेबाज जिग्नेश शाह को उस समय अपना फार्म हाउस किराए पर दिया था जब 2013 में यूपीए सरकार उसके खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में केस चला रही थी। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बहन प्रियंका वाड्रा के जिग्नेश शाह के साथ कारोबारी रिश्ते को लेकर भी काफी हो-हल्ला मचा था। जिग्नेश शाह वही शख्स है, जिसने अपनी कंपनी नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के जरिए 2007 से हजारों निवेशकों के करीब 6 हजार करोड़ रुपये लूट लिए। जिग्नेश शाह को 2016 में गिऱफ्तार किया गया और अभी मामला अदालत में चल रहा है।
राहुल-प्रियंका और जिग्नेश शाह के सबंध
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा का दिल्ली के मेहरौली क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव में 4.692 एकड़ का एक फार्म है। इसे  इंदिरा गांधी फार्म हाउस के नाम पर जाना जाता है, कहा जाता है कि यह गांधी परिवार की पैतृक संपत्ति है। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के प्रमुख शेयर धारक और प्रमोटर जिग्नेश शाह ने अपनी एक और कंपनी फाइनेंशियल टेक्नालॉजीस (इंडिया) लिमिटेड(FTIL) बनाई। FTIL ने राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के फार्म हाउस को 1 फरवरी 2013 से किराए पर लेने के लिए Rent Agreement किया इसके तहत हर माह 6.7 लाख रुपये  का किराया तय हुआ। जिग्नेश शाह ने किराए के रुप में 40.20 लाख रुपये अग्रिम राशि के रुप में भी दे दिया। सबसे बड़ी बात यह थी कि इस पर कंपनी ने नियमों के अनुसार कोई टैक्स भी नहीं लिया। यह पूरी धनराशि दो चेक के जरिए, राहुल और प्रियंका गांधी को दी गई।

प्रियंका गांधी वाड्रा के काले कारनामे
देश की राजनीति में कई दशकों से गांधी परिवार का प्रभुत्व रहा है। परिवार ने राजनीतिक प्रभाव के बल पर संवैधानिक संस्थाओं का उपयोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए किया है। व्यापारिक जगत में जमीन की दलाली करने वाले राबर्ट वाड्रा, प्रियंका गांधी के पति हैं। हाल ही में राजनीति में फुलटाइम प्रोफेशनल की तरह कदम रखने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा के काले कारनामों की एक लंबी सूची है।

* प्रियंका गांधी वाड्रा ने शिमला से 13 किलोमीटर दूर छरबड़ा में 2007 में नियमों को ताक पर रखकर गैरकानूनी तरीके से अतिसंवेदनशील क्षेत्र में कई एकड़ जमीन लेकर अपना मकान बनाया। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में जमीन खरीदने के लिए यूपीए सरकार की वजह से प्रियंका गांधी वाड्रा को कानूनी रूप से विशेष ढील दी गई थी

* पति राबर्ट वाड्रा पर आरोप है कि उसने राजस्थान और हरियाणा में कांग्रेस सरकारों के सहयोग से कौड़ियों के भाव किसानों की जमीन खरीद कर हजारों करोड़ में बड़े व्यापारियों को बेच दिया। कहा जाता है कि दलाली के इसी पैसे से उसने लंदन जैसे शहरों में आलीशन घर खरीदे हैं। इन्ही मामलों में वाड्रा अभी जमानत पर चल रहे हैं।

* श्रीलंका में आतंकी घटना के लिए जिम्मेदार इस्लामिक कट्टरपंथी जाकिर नाईक से दान प्राप्त राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट की संचालक हैं प्रियंका वाड्रा।

* प्रियंका वाड्रा के इस ट्रस्ट पर जमीन हेराफेरी करने का आरोप है। जिला प्रशासन ने अमेठी के रोखा गांव में 1.0360 हेक्टेयर जमीन व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए स्वयं सहायता समूहों को दिया था। लेकिन कागजों में हेराफेरी कर राजीव गांधी ट्रस्ट के नाम कर दिया गया। जिसे बाद में ट्रस्ट ने उस जमीन को एक निजी कंपनी के हाथों बेच दिया।

* इसी तरह प्रियंका गांधी के ट्रस्ट ने हरियाणा के उल्लावास गांव की 4.8 एकड़ जमीन हरियाणा की कांग्रेसी हुड्डा सरकार से मिलकर 2009 में लीज के नाम पर हड़प ली।

* इसी तरह राजीव गांधी ट्र्स्ट के नाम पर प्रियंका वाड्रा ने राय बरेली में भी 10,000 वर्गमीटर जमीन की हेराफेरी की। उन्होंने कागजों में हेराफेरी कर उस जमीन को ट्रस्ट के नाम करा लिया।


परफार्म इंडिया, आपको बताता है कि गांधी परिवार की तिजोरियों में कितना धन पड़ा है-

कहां से आया कुबेर का खजाना!!
प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा महज 10वीं पास है, लेकिन उनकी संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। 2004-14 के यूपीए शासनकाल में उनकी संपत्ति सबसे ज्यादा बढ़ी। उनकी या उनकी कंपनी की देशभर में घोषित या बेनामी प्रॉपर्टी है। ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के मुताबिक उन्होंने एक लाख रुपये के निवेश से 5 साल में 325 करोड़ रुपये बना लिए। यूपीए सरकार के दौरान हुए रक्षा सौदे समेत हर घोटाले में वाड्रा की भूमिका संदिग्ध रही हैं। वो 12 कंपनियों में डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर या मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। Celebrity Net Worth के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा ने सारी संपत्ति प्रियंका गांधी से शादी करने के बाद अर्जित की है।  गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के पास 2.1 बिलियन डालर की संपदा होने का अनुमान है।

सोनिया-राहुल-वाड्रा के पास 5 बिलियन डालर से अधिक की संपत्ति कहां से आई?

आजादी के बाद देश को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति समझने वाले गांधी परिवार ने किसानों की जमीन खरीदने-बेचने से लेकर रक्षा सौदे में दलाली से अकूत संपदा अर्जित की है। गांधी खानदान के मौजूदा दोनों नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट से जमानत पर हैं। इन दोनों ने अपनी सरकारों के जरिए देश के विभिन्न शहरों में नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के नाम पर कई एकड़ जमीन आवंटित करा ली। इसकी प्रॉपर्टी की कीमत करीब 5 हजार करोड़ है। दोनों मां-बेटे ने एक कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड की सारी जमीन को अपने नाम करवा ली। जब कोर्ट में मामला खुला तो दोनों को जमानत लेना पड़ा। अमेरिका की businessinsider और जर्मनी के द वेल्ट के मुताबिक सोनिया दुनिया की चौथी सबसे धनी महिला हैं।उनकी संपत्ति 10 हजार से 45 हजार करोड़ के बीच हो सकती है। राहुल गांधी कुछ नहीं करते लेकिन उनकी घोषित संपत्ति 9.40 करोड़ है।

Celebrity Net Worth के अनुसार कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के पास लगभग 2 बिलियन डालर की संपदा है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पास भी 100 मीलियन डालर की संपदा है।

स्विस मैगजीन Schweizer Illustriertein  ने  नवंबर 1991 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा कि राजीव गांधी का स्विस बैंक में खाता है जिसमें 13,200 करोड़ रुपये जमा है। इस रिपोर्ट को गांधी परिवार ने आज तक कभी न तो नकारा है न ही इस पत्रिका के खिलाफ झूठी रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए कोई केस ही किया है-

जाहिर है कि देश के आजाद होने के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार ने 60 सालों तक देश को जमकर लूटा है। कांग्रेस की सरकारों के तहत हुए घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि कभी खत्म ही नहीं होती। अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम, बोफोर्स घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला, जमीन घोटाला… न जाने कितने ऐसे स्कैम हैं, जो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े हैं। डालते हैं नेहरू-गांधी परिवार के घोटालों पर एक नजर-

गांधी परिवार के लिए चित्र परिणाम

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।

बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।

वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर  भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं। इस मामले में हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।

मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।

मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।

एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।

सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।

कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।

कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।

टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।

आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।

प्रमुख घोटालों की सूची और उसकी रकम-

कोयला घोटाला 1.86 लाख करोड़ रुपये
2जी घोटाला 1.76 लाख करोड़ रुपये
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला 70,000करोड़ रुपये
कामनवेल्थ घोटाला 35,000 करोड़ रुपये
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला 1,100 करोड़ रुपये
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला 3,600 करोड़ रुपये
टाट्रा ट्रक घोटाला 14 करोड़ रुपये

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