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भारत से पंगा जस्टिन ट्रूडो को पड़ा महंगा! कनाडा में एक महीने में 800 कंपनियां दिवालिया

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत के लिए भारतीय खुफिया एजेंसी पर बेबुनियाद आरोप लगाया था। इसके बाद भारत में हुए जी20 समिट में भारत आए ट्रूडो को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोई भाव नहीं दिया था। ट्रूडो के बेबुनियाद आरोप से दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई थी और कूटनीतिक सहित व्यापारिक संबंधों पर भी असर पड़ा। भारत और कनाडा के बीच करीब 9 अरब डॉलर का व्यापार होता है। कनाडा को केवल भारतीय छात्रों से ही करीब 10 अरब डॉलर की कमाई होती है। दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ने के बाद बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई करने के लिए कनाडा के जाने के बजाय अन्य देशों को तरजीह देना शुरू कर दिया। भारत से पंगा लेने के बाद अब कनाडा के मंदी में फंसने का खतरा पैदा हो गया है। देश में बैंकरप्सी के लिए अप्लाई करने वाली कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। केवल जनवरी में ही 800 से अधिक कंपनियों ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया।

कनाडा में बैंकरप्सी फाइलिंग में 40 फीसदी की तेजी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से फर्राटे भर रही है वहीं ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देश इस समय मंदी की चपेट में हैं। जापान बाल-बाल इससे बचा है लेकिन अब कनाडा के इसकी चपेट में आने का खतरा पैदा हो गया है। देश में बैंकरप्सी के लिए अप्लाई करने वाली कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। केवल जनवरी में ही 800 से अधिक कंपनियों ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया। इससे पहले 2023 में देश में बैंकरप्सी फाइलिंग में करीब 40 फीसदी की तेजी देखने को मिली। अभी जितनी कंपनियां बैंकरप्सी के लिए आवेदन कर रही हैं, वह संख्या 13 साल में सबसे ज्यादा है।

जस्टिन ट्रूडो ने भारत से लिया था पंगा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल (2023 में) भारत से पंगा लिया था। ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ बताया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। दोनों देशों ने ही एक-दूसरे के टॉप डिप्लोमेट्स को निष्कासित किया था। दोनों देशों के बीच विवाद की शुरुआत सितंबर में नई दिल्ली में जी-20 देशों के सम्मेलन से ही हो गई थी। इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रूडो की बैठक हुई थी। इसमें मोदी से ट्रूडो से कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने को कहा था।

कनाडा की घरेलू राजनीति में दखल देने का आरोप लगाया
जी-20 के बाद दो दिन तक ट्रुडो भारत में ही रहे थे। विमान में तकनीकी खराबी आ जाने के चलते उन्हें भारत में रहना पड़ा था। कनाडा लौटने पर उनकी काफी किरकिरी हुई थी। अपने देश लौटते ही ट्रूडो आक्रमक दिखे। उन्होंने भारत पर कनाडा की घरेलू राजनीति में दखल देने का आरोप लगाया। ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि हरदीप सिंह निज्जर कनाडा का नागरिक था और उसकी भारत ने हत्या करवाई। इसके बाद से दोनों देशों के बीच विवाद काफी बढ़ गया था।

कनाडा के मंदी की चपेट में आने का खतरा
कनाडा के सरकारी आंकड़ों की मानें छोटी कंपनियों और कंज्यूमर्स को संघर्ष करना पड़ रहा है। दिसंबर में कनाडा की इकॉनमी के 0.3 फीसदी बढ़ने की संभावना है। इस तरह चौथी तिमाही में इसमें 1.2 फीसदी की तेजी की संभावना है। तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी में 1.1 फीसदी गिरावट रही थी। लगातार दो तिमाहियों में गिरावट को मंदी कहा जाता है। इस तरह देखें तो कनाडा फिलहाल मंदी की चपेट में आने से बच गया है। लेकिन जनवरी में जिस तरह से एक के बाद एक 800 कंपनियों ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया, उससे एक बार फिर मंदी की आशंका सिर उठाने लगी है।

दुनिया के आठ देश मंदी में फंसे
इस समय ब्रिटेन समेत दुनिया के आठ देश मंदी में फंसे हैं। इनमें ब्रिटेन के अलावा डेनमार्क, एस्तोनिया, फिनलैंड, लक्जमबर्ग, मोल्दोवा, पेरू और आयरलैंड शामिल हैं। दिलचस्प बात है कि इनमें से छह देश यूरोप के हैं। इस लिस्ट में अफ्रीका और नॉर्थ अमेरिका का कोई देश नहीं है। जापान मंदी से बाल-बाल बचा है। कई और देशों पर भी मंदी का खतरा मंडरा रहा है। इनमें जर्मनी भी शामिल है। यूरोप की यह सबसे बड़ी इकॉनमी कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। चीन में हालात भी लगातार खराब होते जा रहे हैं। अमेरिका पर भी कर्ज लगातार बढ़ रहा है और यह जीडीपी का 125 परसेंट से अधिक पहुंच चुका है।

भारत में तेज आर्थिक विकास
भारत में 2023-24 की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की मजबूत जीडीपी वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और इसकी क्षमता को दर्शाती है। तेज आर्थिक विकास से 140 करोड़ भारतीयों को बेहतर जीवन जीने और एक विकसित भारत बनाने में मदद मिलेगी। आईएमएफ के ‘विश्व आर्थिक आउटलुक’ रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2024 और 2025 में भारत का विकास दर 6.5 रहने का अनुमान है। वहीं वैश्विक स्तर पर बात करें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक विकास 2025 में 3.1 तो वहीं यह विकास दर अगले साल 2025 में बढ़कर 3.2 फीसदी हो जाएगा।

भारत से संबंध बिगड़ने से कनाडा को किस तरह होगा नुकसान, इस पर एक नजर-

कनाडा को भारत जैसे बड़े बाजार से हाथ धोना पड़ेगा
भारत दालों के अलावा कई तरह के तेल का आयात कनाडा से करता है। ऐसे में अगर कनाडा से व्यापारिक संबंध बिगड़ते हैं तो कनाडा को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि उसे एक बड़े बाजार से हाथ धोना पड़ेगा। भारत, कनाडा के लिए बहुत बड़ा उपभोक्ता है जहां से पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल, सूरजमुखी तेल, बादाम आदि मंगाता है। भारत कृषि-खाद्य आयात, सूखी और छिलके वाली दाल के आयात में कनाडा का नौवां सबसे बड़ा साझीदार है। रिश्ते अगर और बिगड़ते हैं तो कनाडा को यह भी सोचना पड़ेगा कि दाल अन्य उत्पाद किन देशों को बेचेगा।

मसूर दाल की खरीद भी पड़ सकती है खटाई में
भारत कृषि उपजों से जुड़े आयात में कनाडा का नौवां सबसे बड़ा पार्टनर है। इसमें सबसे अधिक मात्रा में मसूर का आयात होता है, उसके बाद ड्राई फ्रूट का स्थान है। ऐसे में इन उपजों का आयात रुकने से कनाडा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत ने विवाद बढ़ने से पहले कनाडा से मसूर दाल खरीदने की योजना बनाई थी क्योंकि यहां दालों की पैदावार घटी है। ऐसे में मसूर दाल की खरीद भी खटाई में पड़ सकती है।

भारत ने कनाडा से 10 हजार करोड़ का तेल खरीदा
2022 में भारत ने कनाडा से सबसे ज्यादा कच्चा तेल और इससे जुड़े उत्पाद खरीदे हैं। इस दौरान भारत ने कनाडा से करीब 10 हजार करोड़ रुपये कीमत का तेल खरीदा। इसके बाद दूसरे सामानों की बात करें तो भारत ने कनाडा से सबसे ज्यादा फर्टिलाइजर, वुड पल्प और प्लांट फाइबर की खरीदारी की। भारत कनाडा से न्यूजप्रिंट, कोयला, फर्टिलाइजर, दालें, पोटाश, लकड़ी, माइनिंग प्रोडक्ट और एल्युमीनियम जैसे सामान इंपोर्ट करता है। भारत कनाडा से सबसे ज्यादा दाल की खरीदारी करता है। रिश्ते बिगड़ने पर इस खरीद पर असर पड़ेगा।

कनाडा से पाम तेल खरीद पर रोक लगा सकता है भारत
2021 में कनाडा ने भारत के आयातित सूखे और छिलके वाली दाल का 77.4 परसेंट की सप्लाई की। 2021 में भारत ने 28.6 अरब अमेरिकी डॉलर के प्रोसेस्ड फूड और पेय पदार्थों का आयात किया। भारत से प्रोसेडस्ड खाद्य पदार्थों का आयात ज्यादातर अलग-अग तेलों के रूप में होता है, जैसे सूरजमुखी तेल और पाम तेल। ऐसे में भारत अगर इन चीजों के आयात पर रोक लगाता है तो कनाडा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

दलहन उत्पाद भारत दूसरे देशों भी खरीद सकता है
कनाडा भारत को दालें, न्यूजप्रिंट, वुड पल्प, एस्बेस्टस, पोटाश, आयरन स्क्रैप, खनिज और इंडस्ट्रियल केमिकल बेचता है। दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग बराबर है. हालांकि, दलहन को लेकर कनाडा के लिए भारत एक बड़ा बाजार है। जानकारों की मानें तो भारत इन सामानों को दूसरे मित्र राष्ट्रों के भी इंपोर्ट कर सकता है। इन सब सामान के लिए भारत को कनाडा की खास जरुरत नहीं है।

भारतीय छात्रों से ही करीब 10 अरब डॉलर की कमाई
कैनेडियन ब्यूरो फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन के अनुसार, भारतीय छात्रों ने 2021 में कनाडाई अर्थव्यवस्था में 4.9 अरब डॉलर का योगदान दिया। यानि करीब 5 अरब डॉलर का योगदान दिया। यह आंकड़ा भी वीजा फी, कॉलेज फीस आदि का ही है। स्टूडेंट जो कनाडा में रहकर पढ़ाई करते हैं तो वहां रहने-खाने से लेकर कपड़े आदि अन्य खर्च भी होते हैं। इस तरह कनाडा को केवल भारतीय छात्रों से ही करीब 10 अरब डॉलर की कमाई होती है। जबकि यह आंकड़ा 2021 का है तब से छात्रों की संख्या काफी बढ़ी है इस तरह कनाडा की कमाई भी बढ़ चुकी होगी। भारतीय छात्र कनाडा में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह हैं, जो 2021 में सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों का 20 प्रतिशत थे। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार, 319,000 से अधिक भारतीय छात्र कनाडाई संस्थानों में नामांकित हैं, जो उन्हें कनाडा में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह बनाता है।

कनाडा को भारतीय पर्यटकों से हुई करीब 4 अरब डॉलर की कमाई
वर्ष 2021 में कनाडाई पर्यटकों ने भारत में 93 मिलियन डॉलर (लगभग 771 करोड़ रुपए) खर्च किए, जबकि इसी दौरान कनाडा पहुंचे भारतीयों ने 3.4 बिलियन डॉलर (28,175 करोड़ रुपए) खर्च किए। यह रकम किसी भी पर्यटक समूह का सर्वाधिक रकम है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में 80,437 कनाडाई नागरिक भारत आए। भारत में आने वाले पर्यटकों की संख्या में कनाडा चौथे स्थान पर है। इनमें से अधिकांश ऐसे थे, जो कि भारत में अपने रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलने आए। कनाडा से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में बड़ा हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है, जिन्हें अप्रवासी भारतीय (NRI) कहा जाता है।

कनाडा के पेंशन फंड का भारत में 55 अरब डॉलर का निवेश
भारत आज उभरती हुई अर्थव्यवस्ता है और यहां विकास दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। कनाडा में चूंकि इंटरेस्ट रेट कम है इसीलिए कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में करीबन 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रखा है। अकेले ओंटारियो टीचर्स पेंशन फंड ने 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। ये पैसे हाईवेज इंफ्रा ट्रस्ट, महिंद्रा सस्टेन और सहयाद्री हॉस्पिटल्स जैसे ग्रुप में लगाए गए हैं।

भारत में कम से कम 600 कनाडाई कंपनियां
भारत में फिलहाल कम से कम 600 कनाडाई कंपनियां काम कर रही हैं, जबकि 1000 और कंपनियां भारत में पैर पसारने के लिए लाइन में हैं। वहीं भारतीय आईटी कंपनियों का कनाडा में बड़ा कारोबार है। इसके अलावा सॉफ्टवेयर, नेचुरल रिसोर्सेज और बैंकिंग सेक्टर में भारतीय कंपनियां सक्रिय हैं।

भारत में कुल FDI का 0.56 प्रतिशत कनाडा से
भारत में कुल FDI का 0.56 प्रतिशत कनाडा से आता है जो कि बहुत मामूली है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार, अप्रैल 2000 से जून 2023 के बीच भारत में कुल FDI फ्लो 645,386.0884 मिलियन डॉलर था। इसमें से 0.5644 प्रतिशत यानी 3,642.5243 मिलियन डॉलर कनाडा से आया था।

भारतीय मूल के 3 फीसदी लोग कनाडा में
कनाडा और भारत के रिश्ते पुराने हैं। कनाडा, उन देशों में से एक है जहां काफी भारतीय रहते हैं। कनाडा की कुल आबादी में लगभग तीन फीसदी हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है। कनाडा में भारतीय मूल के तकरीबन 16 लाख से अधिक लोग हैं, जिसमें 7 लाख के आसपास एनआरआई हैं। वहीं कनाडा की साल 2021 की जनगणना पर नजर डालें, तो वहां 770,000 के आसपास सिख हैं। साल 2015 में जब जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री बने तो उनकी कैबिनेट में 3 सिखों को जगह मिली थी। अब ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की मौत में भारतीय एजेंसियों पर आरोप लगाए जाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं।

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