कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक बार फिर फेक न्यूज के जरिए सनसनी फैलाने की कोशिश की। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा कि असम, बिहार और यूपी के कई क्षेत्रों में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है। लाखों लोगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए हम तत्पर हैं। मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं से अपील करती हूं कि प्रभावित लोगों की मदद करने का हर संभव प्रयास करें।
असम, बिहार और यूपी के कई क्षेत्रों में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है। लाखों लोगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं।
बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए हम तत्पर हैं। मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं से अपील करती हूं कि प्रभावित लोगों की मदद करने का हर संभव प्रयास करें। pic.twitter.com/RiOMe5R0D3
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 20, 2020
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस ट्वीट के साथ दो फोटो भी शेयर किए हैं। लेकिन इनमें से एक तस्वीर 2019 की और दूसरी 2017 की है। पुरानी तस्वीरें शेयर करने पर लोगों ने ट्विटर पर प्रियंका वाड्रा की क्लास लगा दी।
The images you’ve used is from 2017 and 2019.
This is what happens when you show Fake Sympathy on Twitter instead of actually helping people. pic.twitter.com/30kKWJqa0C
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) July 20, 2020
Yes!! This image was taken in 2017 it can be checked on google…their is a saying in India “Nakal karne ke liye bhi akal chahiye,” but what to do they have lost their mind…
— Dinesh TAF?? (@DINESHKHANDURI7) July 20, 2020
Hey @priyankagandhi , Don’t you feel even little shame for using pictures of 2017 and 2019…?
Fake party, fake pictures, fake sympathies… “कुछ तो शर्म करो”. pic.twitter.com/LahUIKd1Wy
— Neetu Garg (@NeetuGarg6) July 20, 2020
दोनों फोटो को दादी कि नाक कि फोटो से मिलाओ और उनकी तारीख देखकर तय करो कि कैसा झूठ है pic.twitter.com/CUtOVoXHrO
— Arnav Goswami (@FaceChanger_) July 20, 2020
कांग्रेस के पास हाल के बाढ की तस्वीरें नहीं है, अपने कार्यकर्ताओं से मंगा नहीं सकती, वो लोगों की मदद क्या करेंगे। pic.twitter.com/6CrxBgZIIF
— Lä Lä ?? (@Lala_The_Don) July 20, 2020
और इस तरह हमारी पिंकी दीदी ने गूगल मैप से 2017 और 2019 के फोटोज डाउनलोड करके यहां पोस्ट करते हुवे यह सिद्ध कर दिया है कि हमारे टोटी चोर अखिलेश भैया बिल्कुल सही कह रहे थे.. pic.twitter.com/i6YdpAhYvd
— subhash sharma (@subsharma740) July 20, 2020
ये पहले को pic he मेडम तुम्हारा दिमाग भी पप्पू की तरह खाली हो गया है लगता है ? pic.twitter.com/8kePO2OGMW
— ??Crime Master GoGo(खांग्रेस्स)?? (@theindiansss) July 20, 2020
ये पहले को pic he मेडम तुम्हारा दिमाग भी पप्पू की तरह खाली हो गया है लगता है ? pic.twitter.com/8kePO2OGMW
— ??Crime Master GoGo(खांग्रेस्स)?? (@theindiansss) July 20, 2020
#FakeNews ??♂️
Bangladesh & Tripura
Please stop this nonsense and focus on facts. India has had enough of this ? pic.twitter.com/gPY00zP4Uq
— अरुन् पुदुर् (@arunpudur) July 20, 2020
फेक न्यूज की फैक्ट्री बन गई है कांग्रेस, इंदिरा गांधी की लेह वाली फोटो को गलवान घाटी का बताया
गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने इंदिरा गांधी की 1971 की सैनिकों को संबोधित करते हुए एक तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। कांग्रेसी नेताओं ने इस फोटो को शेयर करते हुए दावा किया गया कि ये तस्वीर उसी जगह की है जहां 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई है। लेकिन आश्चर्य होगा कि हमारी जांच में हमें पता चला कि ये तस्वीर गलवान घाटी की नहीं बल्कि लेह की है। देखिए कांग्रेसी नेताओं के ट्वीट-
14 th July 1971 Prime Minister Indira Gandhi addressing Indian Troops in the Galwan Valley. Tensions with PLA were high but she was brave.
6 Months later she dismembered Pakistan into two.
Any emulators ? @PMOIndia pic.twitter.com/8GhQOiSYan
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 29, 2020
Former PM Indira Gandhi addressing Army jawans at Galwan Valley.
While one roared another cowered. pic.twitter.com/SmRdHc2LQO
— Youth Congress (@IYC) June 22, 2020
Indira Gandhi addressing Army jawans at Galwan Valley, Ladakh pic.twitter.com/y7BOdlpI8M
— Indira Gandhi (@indira_gandhi1) June 21, 2020
गूगल इमेज में सर्च करने पर पता चला कि एपी की यह तस्वीर 1971 में पीटीआई ने प्रकाशित की थी। इंदिरा गांधी गलवान घाटी से करीब 220 किलोमीटर दूर लेह में सैनिकों को संबोधित कर रही थीं। यह तस्वीर वेबसाइट art-sheep.com पर भी इंदिरा गांधी पर लिखे गए एक लेख के साथ छपी है। तस्वीर के साथ कैप्शन में साफ लिखा है, “1971 में लेह में जवानों को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की एक दुर्लभ तस्वीर।”
इसके बाद कई फैक्ट चेक वेबसाइट ने भी जांच में इसे लेह का पाया। फिर लोगों ने इन्हें क्लास लगानी शुरू कर दी।
Congress sharing fake pic of Indira in Galwan valley.
The pic is of Leh.
Idiot Congressis don’t know the difference between Leh and Galwan and they hv become defence experts nowadays. pic.twitter.com/8xxt3CRSI8
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) June 22, 2020
फेक न्यूज फैलाते रंगे हाथ पकड़ी गई था कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड राम्या
कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड दिव्या स्पंदना ‘राम्या’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में फेक न्यूज फैलाते रंगे हाथ पकड़ी गई थी। दिव्या स्पंदना ने एक ट्वीट कर लिखा कि, ‘बड़ी मुश्किल से वीडियो ढूंढा है, ये 1998 का इन्टरव्यू है जिसमे साहब खुद कह रहे है हाई स्कूल तक पढा हूँ, लेकिन आज साहब के पास ग्रेजुएशन की डिग्री है जो 1979 मे किया था!!’
बड़ी मुश्किल से विडियो ढूंढा है, ये 1998 का इन्टरव्यू है जिसमे साहब खुद कह रहे है हाई स्कूल तक पढा हूँ, लेकिन आज साहब के पास ग्रेजुएशन की डिग्री है जो 1979 मे किया था !! pic.twitter.com/zr2DLBDv6i
— Divya Spandana/Ramya (@divyaspandana) September 18, 2018
कांग्रेस सोशल मीडिया हेड ने इंटरव्यू को एडिट कर लोगों को गलत जानकारी देकर भरमाने की कोशिश की। दिव्या ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी के सिर्फ हाई स्कूल पास होने का दावा किया, लेकिन अगर आप कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला के साथ प्रधानमंत्री मोदी की पूरी बातचीत देखेंगे तो आपको सच्चाई का पता चलेगा। ओरिजनल वीडियो में प्रधानमंत्री साफ कहते हैं कि बीए और एमए की पढ़ाई एक्सटर्नल एक्जाम (कोरेस्पोंडेस कोर्स) से पूरी की है।
देखिए ओरिजनल वीडियो-
राइट ऑफ को लेकर कांग्रेस ने फैलाई झूठी खबर!
राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी भी जोर-शोर से फेक न्यूज फैलाने में लगी हुई है। मोदी सरकार पर हमले के लिए कांग्रेस तथ्यों से खिलवाड़ करती रही है। कांग्रेस के ट्विटर हैंडल और नवजीवन वेबसाइट के जरिए लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश की जाती रही है। बड़े अखबार और वेबसाइट भी बगैर तथ्यों की जांच-परख किए इन खबरों को प्रकाशित कर देते हैं।
जब 3 साल में ही मोदी सरकार ने क्रोनी कॉरेपोरेट पर बकाया सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 2.4 लाख करोड़ का कर्ज़ माफ कर दिया है तो फिर किसानों का कर्ज़ माफ़ क्यों नहीं कर रही है ये सरकार? #SuitBootKiSarkar https://t.co/hafOjoLyIT
— Congress (@INCIndia) 4 April 2018
केंद्र सरकार ने जब राज्यसभा में स्वीकार किया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.41 लाख करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया तो कांग्रेस पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि सरकार ने कंपनियों का 2.41 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। सोची-समझी चाल के तहत कांग्रेस ने राइट ऑफ को वेव ऑफ दिखाते हुए मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की, क्योंकि मनमोहन सिंह और पी. चिदंबरम के रहते कांग्रेस पार्टी को बैंकों द्वारा लोन की रकम राइट ऑफ करने और वेव ऑफ किए जाने का अंतर पता नहीं हो, ऐसा हो नहीं सकता। कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट पर एक आर्टिकल में लिखा गया है कि, Loans Worth ₹2.41 Lakh Crore to Corporate Bodies Waived Off
इसके साथ ही पार्टी से ही संबंधित नवजीवन वेबसाइट पर प्रकाशित खबर का शीर्षक है– ‘सरकार ने माना, सार्वजनिक बैंकों ने 2014 से 2017 के बीच माफ किया 2,41,911 करोड़ रुपए का कर्ज’। वेबसाइट में लिखा गया है कि वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा सांसद रिताब्रता बनर्जी के सवाल के जवाब में दी लिखित प्रतिक्रिया में यह स्वीकार किया है कि वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2,41,911 करोड़ रुपए कर्ज माफ (वेव ऑफ) कर दिए हैं। जबकि, रिताब्रत बनर्जी के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा को बताया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 के बीच 2,41,911 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया है।
साफ है कांग्रेस ने राइट ऑफ को वेव ऑफ बताकर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश की। कांग्रेस की इस साजिश पर सीनियर जर्नलिस्ट सुनील जैन ने ट्टीट किया है कि, ‘राहुल गांधी, यह वाकई अविश्वसनीय है कि सिर्फ नरेंद्र मोदी पर हमला बोलने के लिए कांग्रेस पार्टी को तथ्यों को इस हद तक तोड़ना-मरोड़ना चाहिए। लोन के ‘राइटिंग ऑफ’ और इसके ‘वेविंग ऑफ’ में अंतर है। निश्चित है कि आपकी विशाल पार्टी में कुछ लोग तो यह जानते ही होंगे?’
It is truly unbelievable @RahulGandhi that @INCIndia should be distorting facts so much just to hit @narendramodi There is a difference between ‘writing off’ a loan and ‘waiving it off’. Surely someone in your huge party would know? https://t.co/gjJR9zTlZU
— Sunil Jain (@thesuniljain) April 4, 2018
इस फेक न्यूज की खबर पर नवभारत टाइम्स अखबार में साफ बताया गया है कि राइट ऑफ और वेव ऑफ क्या होता है और कैसे सरकर को बदनाम करने की कोशिश की गई।
राहुल से एनसीसी का सवाल पूछने वाली कैडेट को एबीवीपी कार्यकर्ता बताया
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक में स्टूडेंट्स से रूबरू होते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि वह एनसीसी के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीसी कैडेट संजना सिंह ने कहा, “आश्चर्य की बात है कि राहुल गांधी को एनसीसी के बारे में नहीं पता! यह कोई और चीज नहीं है, यह रक्षा की दूसरी पंक्ति है! आशा है कि राहुल गांधी इसके बारे में जाने! एक नेता के लिए यह जानना जरूरी है।” जाहिर है कि इस एनसीसी कैडेट ने सही बात कही, लेकिन कांग्रेस पार्टी का स्पोक्स पर्सन बन चुके कुछ पत्रकारों को ये बात चुभ गई। एशिया टाइम्स ऑनलाइन के साउथ एशिया एडिटर सैकत दत्ता ने इसके बारे में ट्वीट किया कि संजना सिंह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी हुई हैं। जबकि सच्चाई यह है कि किसी दूसरी संजना सिंह के प्रोफाइल को पोस्ट कर सैकत दत्ता ने झूठ खबर फैलाने की कोशिश की। इसी तरह कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड ने भी इस झूठी खबर को फैलाने की कोशिश की। लेकिन अब यह साफ हो चुका है कि झूठी खबर फैलाने की मंशा से ये किया गया था जिसका पर्दाफाश हो चुका है।
दुष्प्रचार पर उतरी कांग्रेस !
अल्ट न्यूज पर लगाई गई इस खबर में आप देख सकते हैं कि एक तस्वीर में राजनाथ सिंह के पैरों में गिरे हुए पुलिस इंस्पेक्टर की तस्वीर है, दूसरी तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है जिसमें मुंबई हमले का मास्टर माइंड आतंकवादी हाफिज सईद से उन्हें हाथ मिलाते हुए दिखाया जा रहा है, लेकिन इन तस्वीरों की सच्चाई जानेंगें तो आप कांग्रेस के कुकृत्यों को भी सही रूप में देख पाएंगे।
फोटो शॉप से बनाई Fake तस्वीरें
इन तस्वीरों की सच्चाई भी जान लीजिए। दरअसल राजनाथ सिंह के पैरों में गिरे पुलिस इंस्पेक्टर की तस्वीर एक फिल्म की है। इसमें एक राजनेता के कदमों में पुलिस इंस्पेक्टर को गिड़गिड़ाते हुए दिखाया गया है। दूसरी तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाफिज सईद से हाथ मिलाते हुए दिखाया गया है, लेकिन वास्तविक तस्वीर 1 जनवरी 2016 की तस्वीर है जब प्रधानमंत्री मोदी लाहौर गए थे तो उन्होंने तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ से हाथ मिलाया था। इन दोनों ही तस्वीरों से फोटो शॉप के जरिये छेड़छाड़ की गई है और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया है।
Fake तस्वीरों का कांग्रेसी कनेक्शन
दोनों ही तस्वीर वायरल करने वालों का नाता कांग्रेस पार्टी से बताया गया। दरअसल तस्वीर पोस्ट करने वालों में से एक आलमगीर रिजवी फ्रेंड्स ऑफ कांग्रेस वेबसाइट के एनआरआई टीम में सोशल मीडिया वोलेंटियर के रूप में लिस्टेड है। जबकि अरशद चिस्ती के ट्विटर प्रोफाइल में कांग्रेस के आइटी सेल का सदस्य बताया गया है। आलमगीर रिजवी को कई बार बताया गया कि ये तस्वीरें नकली हैं, लेकिन उन्होंने इसे नहीं हटाया। अलबत्ता कांग्रेस के प्रवक्ता संजय झा ने इसे रीट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा है, “अगर यह सही तस्वीर है, तो यह बहुत ज्यादा है। समझ से परे, दंग रह गए।”
हालांकि संजय झा ने इस रीट्वीट के लिए क्षमा मांग ली, लेकिन यह साफ हो गया कि आजकल सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिपरिषद के सदस्यों को लेकर कई ऐसी खबरें फैलाई जा रही हैं जो Fake हैं।
Noted. I will delete my RT. @alamgirizvi you should delete this forthwith. It is inappropriate and wrong, and therefore misleading. https://t.co/vvaNqUmfzg
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) November 1, 2017
कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं अध्यक्ष राहुल गांधी खुद इसमें शामिल रहे हैं। आइए हम राहुल के द्वारा फैलाए गए कई और झूठ को देखते हैं जो उन्होंने देश की जनता को गुमराह करने के लिए फैलाए-
जीएसटी पर देश से बोला झूठ
यूपीए के दस वर्षों के शासन में कांग्रेस पार्टी जीएसटी को लेकर तमाम राज्यों के बीच आम राय नहीं बना पाई थी, क्योंकि उसका जीएसटी को लेकर कोई साफ रुख नहीं था। 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनी तो उसने नए सिरे से जीएसटी को लेकर कवायद शुरू की और सभी राज्य सरकारों के बीच इसे लेकर सहमति बनाई। हालांकि राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने सहमति नहीं दी थी, लेकिन हकीकत ये है कि कांग्रेस की सभी राज्य सरकारों ने जीएसटी का समर्थन किया और संसद के दोनों ही सदनों में कांग्रेस ने जीएसटी पास करवाने के लिए पक्ष में वोटिंग भी की थी।
नोटबंदी पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी ने कहा कि संघ परिवार के एक विचारक ने प्रधानमंत्री मोदी को नोटबंदी का विचार दिया था। राहुल गांधी का यह बयान सरासर झूठा है। सच्चाई यह है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने और कालाधन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने काफी गहन विचार-विमर्श के बाद नोटबंदी का ऐलान किया था। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी भी कह चुके हैं कि नोटबंदी का पहला विचार फरवरी 2016 में आया था और सरकार ने विमुद्रीकरण के बारे में रिजर्व बैंक की राय मांगी थी। आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने पहले तो सरकार को मौखिक रूप से इस पर राय दी। बाद में एक विस्तृत नोट बनाकर सरकार को भेजा गया जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि नोटबंदी की खामियां और खूबियां क्या-क्या हैं। इसके बाद पूरी तैयारी के साथ 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया गया था।
रायबरेली पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी कहते रहे हैं कि मोदी सरकार आने के बाद से रायबरेली के साथ भेदभाव किया जाता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि यूपीए के जमाने में राजीव गांधी के नाम पर रायबरेली में जो पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी उसे पांच वर्षों के दौरान यूपीए सरकार ने महज 1 करोड़ रुपये दिए थे। जबकि मोदी सरकार ने पहले दो वर्षों में इस यूनीवर्सिटी के लिए 360 रुपये देकर इसे एक संस्थान के रूप में विकसित किया। इतना ही नहीं रायबरेली में स्थित इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज नाम का संस्थान बंद होने के कगार पर था और वहां अफसरों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस संस्थान को 500 करोड़ आवंटित कर जीवनदान दिया और 1100 करोड़ रुपये का आर्डर भी दिलाया।
महंगाई पर देश से बोला झूठ
राहुल ने पिछले वर्ष गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ट्विटर पर लिखा “जुमलों की बेवफाई मार गई, नोटबंदी की लुटाई मार गई, GST सारी कमाई मार गई बाकी कुछ बचा तो – महंगाई मार गई… बढ़ते दामों से जीना दुश्वार, बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार?” राहुल गांधी ने इस सवाल के साथ एक इन्फोग्राफिक्स भी पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने गैस सिलिंडर, प्याज, दाल, टमाटर, दूध और डीजल के दामों का हवाला देकर 2014 और 2017 के दामों की तुलना में सभी चीजों के दामों में वास्तविक दामों से सौ प्रतिशत अधिक की बढ़ोतरी दिखा दी। जैसे ही राहुल गांधी ने ये ट्वीट किया, लोगों ने इस चालाकी को पकड़ लिया और फिर शुरू हो गई राहुल की खिंचाई।
महिला साक्षरता के आंकड़े पर बोला झूठ
राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पिछले वर्ष 3 दिसंबर को “22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब” अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी से महिला सुरक्षा, पोषण और महिला साक्षरता से जुड़ा सवाल पूछा था, लेकिन इस सवाल के साथ राहुल ने जो इन्फोग्राफिक्स पोस्ट किया था उसमें गुजरात की महिला साक्षरता के उल्टे आंकड़े दिखाए थे। इन आंकड़ों में दिखाया गया था कि 2001 से 2011 के बीच गुजरात में महिला साक्षरता दर में 70.73 से गिरकर 57.8 फीसदी हो गई है।
राहुल गांधी ने जो आंकड़े दिखाए थे वे सरासर गलत थे। गुजरात में महिला साक्षरता की सच्चाई इसके उलट है। सही आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 2001 से 2011 के बीच महिला साक्षरता में 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि 1991 से 2001 के बीच हुई 8.9 फीसदी बढ़ोतरी से काफी ज्यादा है। इतना ही नहीं इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर हुई साक्षरता वृद्धि से भी ये काफी ज्यादा है।
45,000 करोड़ एकड़ जमीन पर बोला झूठ
गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान ही राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलने के क्रम में ऐसा कुछ कह दिया था जो कि असंभव है। राहुल ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने अपने उद्योगपति दोस्तों को 45,000 करोड़ एकड़ जमीन दे दी, लेकिन राहुल ने जमीन का जो आंकड़ा बोला वह असंभव है। 45,000 करोड़ एकड़ जमीन इस धरती से भी तीन गुना ज्यादा है। आपको बता दें कि पूरी धरती ही लगभग 13,000 करोड़ एकड़ की है।
Statue of Unity पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी ने गुजरात में पाटीदारों को कहा कि मोदी सरकार के लिए शर्मनाक है कि नर्मदा नदी पर बनने वाला Statue of Unity सरदार पटेल की प्रतिमा made in China होगी। राहुल गांधी एक बार फिर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चक्कर में सरदार पटेल के नाम पर झूठ बोला। जबकि सच्चाई ये है कि प्रतिमा के निर्माण का कार्यभार एक भारतीय कंपनी को दिया गया है। यह पूरी तरह भारतीय तकनीक, भारतीय मटीरियल, भारतीय इंजिनियरों, भारतीय लेबर और भारतीय चीज़ों द्वारा बनाई जा रही है। यह विशुद्ध रूप से भारतीय प्रतिमा होगी जिसके निर्माण में लगने वाला 90 प्रतिशत से अधिक चीजें भारत की हैं।
लोकसभा सदस्यों की संख्या पर बोला झूठ
वर्ष 2017 के सितंबर में राहुल गांधी जब अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या ही 546 बता डाली। जबकि सच्चाई यह है कि लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या 545 है, इनमें से 543 को जनता चुनती है और दो सदस्य (ऐंग्लो-इंडियन) मनोनित किए जाते हैं। आप ही बताइए जो शख्स इतने वर्षों से लोकसभा का सदस्य है, उसे लोकसभा के सदस्यों की संख्या तक नहीं पता है।
इंदिरा कैंटीन को बताया अम्मा कैंटीन
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में इंदिरा कैंटीन योजना की लॉन्चिंग में भी राहुल गांधी के ज्ञान पर सवाल उठ गए। पहली बार में उन्होंने योजना का नाम ही गलत बता दिया। जबकि यह योजना उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी के नाम पर शुरू हो रही थी, लेकिन राहुल गांधी ने उसे तमिलनाडु में जयललिता के नाम पर चलने वाली अम्मा कैंटीन बता दिया। हालांकि, बाद में उन्हें भूल का अंदाजा हुआ और उन्होंने गलती सुधारने की कोशिश की। लेकिन जिस व्यक्ति में सामान्य ज्ञान का इतना अभाव है उससे क्या उम्मीद की जा सकती है?
महाभारत काल पर झूठ
राहुल गांधी की हरकतें बतातीं हैं कि वे झूठे प्रचार के जरिए और निराधार खबरें फैला कर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने को आतुर हैं। इसी क्रम में वे कई बार खुद के ‘अज्ञानी’ होने का भी सबूत दे देते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इस ट्वीट को देखिए-
1000 years ago, Kauravas were fighting for power and Pandavas were fighting for truth. The same question arises now, whether to support BJP’s hunger for power or Congress’s fight for truth: Congress President @RahulGandhi #JanaAashirwadaYatre #RGInKarnataka
— Congress (@INCIndia) 20 March 2018
दरअसल अपने ट्वीट में महाभारत काल का उदाहरण दे रहे हैं और इसे 1000 साल पहले की घटना बता रहे हैं। साफ है कि इस ट्वीट से एक बात साबित हो जाती है कि राहुल गांधी न सिर्फ झूठ फैलाते हैं बल्कि वे अज्ञानी भी हैं। कौरव-पांडव की बात करने वाले राहुल को ये भी नहीं पता है कि महाभारत काल पांच हजार वर्ष से अभी अधिक पुराना है। इस ट्वीट से ये भी पता लग जाता है कि लोग उन्हें गंभीरता से क्यों नहीं लेते हैं?
दो करोड़ रोजगार पर बोला झूठ
इसके पहले लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान हर वर्ष युवाओं को 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। राहुल गांधी का ये आरोप सच्चाई से कोसों दूर है। एबीपी न्यूज चैनल ने अपने कार्यक्रम वायरल सच में राहुल गांधी के इस आरोप की गहनता से पड़ताल की है। इसके अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी देशवासियों से सरकार बनने पर प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार देने का वादा नहीं किया था। इतना ही नहीं भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया था। यानि दो करोड़ रोजगार देने का आरोप झूठ के सिवा और कुछ नहीं है। इस कार्यक्रम में बताया गया है कि 21 नवंबर, 2013 को एक रैली में श्री मोदी ने कांग्रेस सरकार द्वारा हर वर्ष एक करोड़ रोजगार देने के वादे का जिक्र जरूर किया था। मतलब साफ है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी पर झूठा और मनगढ़ंत आरोप लगाया है।
उत्तर प्रदेश के शिक्षा बजट का झूठा प्रचार
जुलाई 2017 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहला बजट पेश किया था। इस बजट में शिक्षा के लिए आवंटित धन में कमी दिखाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया किया गया, जबकि शिक्षा का बजट वास्तव में बढ़ाया गया था।
राहुल गांधी को तो प्रधानमंत्री के विरोध का कोई मौका चाहिए था, उन्होंने तुरंत सोशल मीडिया पर हमला बोल दिया
इसके बाद लोगों ने इसे शेयर करना शुरु कर दिया और कांग्रेसी पत्रकारों ने इस पर खबर भी बना डाली।
सच्चाई यह थी कि समाचार एजेंसी पीटीआई ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पेश बजट के कुछ अंशों के आधार पर ही यह रिपोर्ट तैयार की थी। कागजों को ठीक ढंग से पढ़कर खबर बनाई गयी होती तो पता चलता कि योगी सरकार ने शिक्षा के लिए बजट में कमी नहीं बल्कि 34 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। अखिलेश यादव की सरकार ने 2016-17 में जहां 46,442 करोड़ रुपये शिक्षा के लिए दिये थे वही 2017-18 में योगी आदित्यनाथकी सरकार ने 62, 351 करोड़ रुपये दिए हैं।
आइए मोदी सरकार को बदनाम करने वाली कुछ झूठी खबरों और उनकी सच्चाई का विश्लेषण करते हैं।
10 अप्रैल, 2018 को भारत बंद की अफवाह
2 अप्रैल, 2018 को दलित संगठनों के भारत बंद के बाद से ही देश में 10 अप्रैल को जनरल और ओबीसी समुदाय की तरफ से आरक्षण के विरोध में भारत बंद का मैसेज सोशल मीडिया पर शेयर किया गया। हैरानी की बात यह है कि मैसेज में किसी भी संगठन और पार्टी का नाम नहीं था, सिर्फ जनरल और ओबीसी वर्ग लिखा था। जब तक किसी मैसेज में किसी संगठन का नाम नहीं हो तो उसका प्रामणिकता संदिग्ध रहती है। यानी साफ है कि इस मैसेज के पीछे उन ताकतों का हाथ है, जो देश के लोगों को जातियों के आधार पर लड़ाना चाहते हैं। इतना ही नहीं 10 अप्रैल को भारत बंद के संदेश को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की फोटो के साथ भी शेयर किया गया। जबकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आरक्षण को लेकर पार्टी का स्टैंड साफ कर चुके थे।
झूठी खबरें फैलाकर नकारात्मक वातावरण बनाने की कोशिश
हाल के दिनों में भारतीय मीडिया का एक धड़ा नकारात्मक खबरों को प्रमुखता दे रहा है। हाल ही में एक के बाद एक चार ऐसी झूठी खबरें सामने आईं जो प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को बदनाम करने के लिए बनाई गईं। दरअसल केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने की मीडिया की प्रवृति बन गई है। जैसे ही समाज के कमजोर तबके या फिर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध कोई घटना घटती है, उसे भारतीय जनता पार्टी की ओर मोड़ दिया जाता है। स्पष्ट है कि कि ये न केवल सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाला है, बल्कि असहिष्णुता का बड़ा उदाहरण है। एक नजर डालते हैं कुछ ऐसी फेक न्यूज पर।
दलित युवक की हत्या की फेक न्यूज
गुजरात में घुड़सवारी करने के कारण एक दलित युवक की हत्या कर दी गई। इंडियन एक्सप्रेस, जनसत्ता और NDTV समेत कई बड़े अखबरों और न्यूज चैनलों ने इस खबर को खूब दिखाया। जबकि सच्चाई यह है कि पुलिस के अनुसार प्रदीप सिंह राठौड़ नाम के युवक की हत्या लड़कियां छेड़ने के कारण की गई। उनके पिता पर जमीन हड़पने का आरोप था और प्राथमिक जांच में यह पता लगा कि चचेरे भाइयों ने ही हत्या की।
अमेठी में स्मृति ईरानी के गाय बांटने की फेक न्यूज
मीडिया में स्मृति ईरानी द्वारा गाय बांटने की खबर ने काफी सुर्खियां बटोरीं। एशियन एज, जनसत्ता और कुछ दूसरे मीडिया ग्रुप की रिपोर्ट्स में कहा गया था कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में 10 हजार गायें बांटेंगी। इसके लिए गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर्स कंपनी द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉनसिबिल्टी (सीएसआर) के तहत फंड दिया जाएगा। सच्चाई पता करने पर यह खबर की बेबुनियाद निकली। संबंधित फर्टिलाइजर कंपनी ने सफाई दी कि GNFC गाय खरीदने या इसकी फंडिंग से जुड़ी किसी भी गतिविधि से नहीं जुड़ी है। इसकी न तो ऐसी पॉलिसी है और न ही ऐसी कोई योजना। जीएनएफसी को ऐसी किसी भी झूठी, शरारतपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण सूचनाओं से जोड़ने की गतिविधियों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।
दलाई लामा के कार्यक्रम में मंत्रियों के नहीं जाने की फेक न्यूज
कुछ पत्रकारों ने खबर फैलाई कि भारत चीन के आगे झुक गया। इस खबर में ये बताया गया कि सरकार ने 31 मार्च को आयोजित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के ‘थैंक्यू इंडिया’ कार्यक्रम से केंद्रीय मंत्रियों को दूर रहने के लिए कहा है। सच्चाई की तह तक जाने पर यह खबर भी झूठी निकली। 31 मार्च को जब शिमला में इसका आयोजन किया गया तो उसमें केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा शामिल हुए, साथ ही भाजपा महासचिव राम माधव ने भी शिरकत की। दलाईलामा के तिब्बत से निर्वासन और उनको भारत में शरण दिये जाने के साठ साल पूरे होने पर, ‘थैंक्यू इंडिया’ कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का झूठ
प्रधानमंत्री मोदी 22 और 23 सितंबर, 2017 को वाराणसी में विकास योजनाओं का शुभारंभ कर रहे थे, जिसके लिए शहर के लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे तो दूसरी तरफ इन धर्मनिरपेक्ष ताकतों ने गोलबंद होकर शहर की आबोहवा बिगाड़ने का काम किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लड़कियों के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए हुई पुलिस कार्रवाई को क्रूर और दमनकारी साबित करने के लिए पत्रकारों और राजनेताओं ने एक ऐसी घायल लड़की की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सैकड़ों किलोमीटर दूर लखीमपुर खीरी में युवकों से मारपीट में घायल एक लड़की की तस्वीर थी।
दैनिक हिन्दुस्तान की पूर्व संपादक और प्रसार भारती की पूर्व सीईओ मृणाल पांडे ने लिखा-
इसी तस्वीर को प्रशांत भूषण ने भी रीटीव्ट किया-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथी और आप नेता संजय सिंह ने भी इस तस्वीर की सच्चाई जाने बगैर रीट्वीट कर दिया-
इसके बाद और लोगों ने इस झूठी तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया।
अब देखिए वह तस्वीर जिसके आधार पर झूठी खबर फैलायी गई।
नोटबंदी पर भी झूठा प्रचार किया गया
08 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की। इसे जन विरोधी बताने के लिए भी झूठी तस्वीरों का सहारा लिया गया। नोटबंदी के मुखर विरोधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जब दिल्ली की सड़कों पर ममता बनर्जी के साथ कोई समर्थन नहीं मिला तो उन्होंने 20 नवंबर को एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा-
हालांकि केजरीवाल के इस ट्वीट की सच्चाई सामने आ गयी-
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर बाढ़ की झूठी तस्वीर
गुजरात के विकास मॉडल पर सबकी नजर है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास के मॉडल की प्रयोगशाला है, इसलिए तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहते हैं जहां से वह गुजरात के विकास मॉडल में कोई कमी निकाल सकें। ऐसा ही मौका, जुलाई, 2017 में हुई भीषण बारिश से गुजरात के कई शहरों में आये बाढ़ के हालातों में उन्हें मिल गया। 27 जुलाई को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर डाली गई, जिसमें अहमदाबाद एयरपोर्ट पूरी तरह से पानी में डूबा दिखाई दे रहा है।
इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर आते ही इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडिया टूडे और तमाम लोगों ने शेयर करना शुरु कर दिया।
इस तस्वीर की सच्चाई वह नहीं थी, जिसके साथ इसे सभी शेयर कर रहे थे। यह तस्वीर दिसंबर 2015 में चेन्नई के बाढ़ के समय की थी। उस समय चेन्नई के एयरपोर्ट के बाढ़ की तस्वीर 2 दिसम्बर 2015 को एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर डाली थी।