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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अब किसान अपनी पसंद के बाजार में बेच सकेंगे कृषि उत्पाद, कृषि सुधार से जुड़े दो अध्यादेश जारी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों की आय दोगुनी कर उनको आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए पूरी तरह समर्पित है। इसके लिए जहां मामूली ब्याज पर कृषि ऋण से लेकर आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कानूनी रूप से राहत भी दे रहे हैं। इस दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने कृषि सुधार से जुड़े दो अध्यादेश जारी कर दिए हैं। ये अध्यादेश किसानों को मुक्त व्यापार में मदद करने और उनकी उपज का बेहतर दाम दिलाने से जुड़े़ हैं। अब किसान अपनी पसंद के बाजार में अपना उत्पाद बेच सकेंगे। 

किसानों को पसंद के बाजार में कृषि उपज बेचने की छूट

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ”कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे किसानों और ग्रामीण भारत को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के लिए भारत के राष्ट्रपति ने इन अध्यादेशों को अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार ने ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को अधिसूचित किया। इसका लक्ष्य किसानों को राज्य के भीतर और अन्य राज्यों में अपनी पसंद के बाजार में कृषि उपज को बेचने की छूट देना है।

इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच बनाने का प्रस्ताव

इस अध्यादेश के तहत एक इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच बनाने का प्रस्ताव है। कोई भी पैन कार्डधारक या सरकार द्वारा तय दस्तावेज रखने वाला या एफपीओ और सहकारी संगठन इस तरह का मंच बना सकते हैं। यह मंच एक व्यापार क्षेत्र में तय किसान उपजों के राज्य के भीतर या दूसरे राज्यों में व्यापार की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। कृषि उपज संगठनों (एफपीओ) या कृषि सहकारी संस्थाओं को छोड़कर अन्य कोई भी व्यापारी किसी भी सूचीबद्ध कृषि उत्पाद में पैन संख्या या अन्य तय दस्तावेज के बिना व्यापार नहीं कर सकेगा।

पहले से तय कीमतों पर समझौते की छूट

वहीं, एक अन्य अध्यादेश ‘मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश-2020 किसानों को प्रसंस्करण इकाइयों, थोक व्यापारियों, बड़ी खुदरा कंपनियों और निर्यातकों के साथ पहले से तय कीमतों पर समझौते की छूट देगा। इस अध्यादेश के तहत किसानों को पहले से तय मूल्य पर कृषि उपजों की आपूर्ति के लिए एक लिखित समझौता करने की अनुमति दी गयी है, लेकिन किसी भी किसान द्वारा किया जाने वाला कोई भी कृषि समझौता बटाईदारों के हक का अनादर करने वाला नहीं होगा। यह समझौता कम से कम एक फसली मौसम या एक उत्पादन चक्र का होना चाहिए। यह समझौता अधिकतम पांच साल के लिए हो सकता है।

प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माना

किसानों के साथ व्यापार करने वाले व्यापारी को किसान को उसी दिन या अधिकतम तीन कार्यदिवसों के भीतर भुगतान करना होगा। इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यापारी पर न्यूनतम 25,000 रुपये और अधिकतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि उल्लंघन जारी रहता है तो प्रत्येक दिन के हिसाब से 5,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान होगा। कोई भी व्यक्ति या संगठन यदि ई-व्यापार मंच के प्रावधानों का उल्लंघन करता है जो उस पर न्यूनतम 50,000 रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि उल्लंघन जारी रहता है तो फिर 10,000 रुपये प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा।

सौदों को हर तरह के शुल्कों से छूट

अध्यादेश में विवाद निपटान की प्रकिया का भी प्रावधान किया गया है। इस तरह के विवादों का निपटान उप-मंडलीय मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टर के सामने किया जाएगा। इन्हें दीवानी अदालतों से बाहर रखा गया है। अध्यादेश के हिसाब से केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी उचित व्यापार प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने के चलते किसी ई-व्यापार मंच को निलंबित भी कर सकते हैं। निगमित मंडियों के बाहर होने वाले किसी भी तरह के सौदों को हर तरह के शुल्कों से छूट दी गयी है।

सुधारों को सफल तरीके से लागू करने पर जोर

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इन सुधारों को सफल तरीके से लागू करने में सहयोग करने के लिए कहा। उन्होंने नये सुधारों के परिवेश में कृषि क्षेत्र के विकास और वृद्धि में उनके लगातार समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा कि किसानों को बेहतर दाम वाले अपनी पसंद के बाजार में उपज बेचने का विकल्प देने से संभावित खरीदारों की संख्या भी बढ़ेगी।

कृषि उपज की आपूर्ति की जिम्मेदारी स्पॉन्सर की होगी
केंद्र सरकार आदर्श कृषि समझौतों से संबंधित दिशानिर्देश जारी करेगी, ताकि किसानों को लिखित समझौते करने में मदद मिल सके। समझौते में किसान को उसकी उपज के लिए दी जाने वाली राशि का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। साथ ही तय कीमत से ऊपर किसी अन्य राशि का भी उल्लेख किया जाना चाहिए। अध्यादेश में कहा गया है कि समझौते के तहत कृषि उपज की आपूर्ति की जिम्मेदारी स्पॉन्सर की होगी जो उसे एक तय समय के भीतर किसान के खेत से करनी होगी। स्पॉन्सर समझौते के हिसाब से कृषि उपज की गुणवत्ता की जांच करेगा। इस समझौते को उपज की खरीद और बिक्री के नियमन के लिए बनाए गए राज्यों के किसी भी कानून से छूट रहेगी।

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