प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार भारत में बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। जिसका नतीजा है कि संक्रमण के मामले बढ़ने के बावजूद अन्य देशों के मुकाबले भारत की स्थिति काफी बेहतर है। इसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी कर रहा है। WHO का कहना है कि भारत को लेकर जिस तरह का अनुमान लगाया गया था, उससे कोरोना की रफ्तार काफी कम और नियंत्रित है।
भारत में कोरोना का असर अनुमान से काफी कम
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, विश्व स्वास्थ्य संगठन के बताया है कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या हर तीन हफ्तों में दोगुनी हो रही है लेकिन अब तक भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में कोरोना वायरस का असर उस तरह का नहीं दिखाई दिया है जैसा अनुमान लगाया गया था।
घनी आबादी के बावजूद संक्रमण की रफ्तार कम
विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकाल टीम के प्रमुख डॉ.माइक रायन के मुताबिक दक्षिण एशिया में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में काफी घनी आबादी है, इसके बावजूद यहां पर कोरोना वायरस का असर काफी हल्का रहा है। हालांकि अभी भी जोखिम बना हुआ है।
आबादी के मुकाबले संक्रमण काफी कम
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामिनाथन भी कहती हैं कि भारत में भले ही दो लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हों लेकिन एक अरब तीस करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश में यह ज्यादा नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के दावे की पुष्टि
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में रोजाना दर्ज किए जा रहे कोरोना वायरस के मामले और मौतों का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला है कि भारत में कोरोना वायरस इंफेक्शन के फैलने की दर (ट्रांसमिशन रेट) विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है। देश में 100 संक्रमित मरीजों से एक हजार संक्रमित मरीज का आंकड़ा पहुंचने में 12 दिन लगे। जबकि, इतने ही समय में विकसित देशों में आंकड़ा, 3,500, 5000, 6000 और यहां तक कि 8000 तक पहुंच गया था। इसके अलावा, भारत में किसी भी देश के मुकाबले जनसंख्या काफी ज्यादा है।
धीमी रफ्तार के पीछे सरकार के प्रयास
जॉइंट हेल्थ सेक्रेटरी के मुताबिक, कोरोना वायरस इंफेक्शन की धीमी रफ्तार के पीछे देश और सरकार द्वारा बिना देरी किए कोरोना वायरस रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जैसे मजबूत और प्रभावशाली तरीकों का अपनाना रहा। इसके अलावा, देश के नागरिकों द्वारा मिल रहे सहयोग को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। WHO के इसे इमरजेंसी घोषित करने से 13 दिन पहले ही भारत ने इसे रोकने का प्रयास शुरू कर दिया था।
आयुष्मान भारत योजना कोरोना से लड़ने में मददगार- WHO
उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस ने आयुष्मान भारत योजना की तारीफ करते हुए कहा है कि इसके क्रियान्वयन में तेजी लाकर देश कोविड-19 से बेहतर तरीके से निपट सकता है। शुक्रवार को उन्होंने कहा, “निस्संदेह कोविड बहुत दुभार्ग्यपूर्ण है और कई राष्ट्रों के समक्ष गंभीर चुनौती है, लेकिन हमें इसमें अवसर भी तलाशने होंगे। भारत के लिए यह आयुष्मान भारत को गति देने का अवसर साबित हो सकता है, खासकर प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर फोकस करते हुए।”
मोदी सरकार की प्रतिबद्धता की तारीफ
तेद्रोस ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं और जन भागीदारी के जरिये हम महामारी की लहर का रुख मोड़ सकते हैं। भारत ने जो योजना शुरू की है उसका भरपूर इस्तेमाल करने और उसके क्रियान्वयन को गति देने से उसे लाभ हो सकता है। भारत की सरकार आयुष्मान भारत को तेजी से लागू करने के लिए काफी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस योजना को कसौटी पर कसने और गति देने के लिए अच्छा अवसर हो सकता है। इस महामारी से लड़ने में इसका पूरा इस्तेमाल किया जाना चाहिए।