केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों को लेकर कई बार सवाल खड़े करने का प्रयास होता रहता है। विपक्षी पार्टियां एवं कुछ कट्टरपंथी यह फेक नैरेटिव गढ़ने में जुटे रहते हैं कि देश में मुसलमान डरा हुआ है। दरअसल यह चूरण पाकिस्तान में पिछले 75 सालों से बांटा जाता रहा है कि भारत के मुसलमानों पर जुल्मो-सितम है, उन्हें नमाज पढ़ने की आजादी नहीं है, भारत के मस्जिदों में नमाज नहीं होता, अजान नहीं होता आदि-आदि। लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है इससे पाकिस्तान भी अच्छी तरह अवगत है क्योंकि वह भी जानता है कि अगर भारत में मुसलमानों पर जुल्मो-सितम होता तो सभी मुसलमान पाकिस्तान आ गए होते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यानी पाकिस्तान 75 सालों से झूठा नैरेटिव गढ़ता रहा और उसी नक्शे कदम पर चलते हुए देश की विपक्षी पार्टियां और कुछ कट्टरपंथी देश में यह नैरेटिव गढ़कर पीएम मोदी को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। जबकि इससे इतर मोदी सरकार ने पिछले नौ सालों में सबका साथ सबका विकास को चरितार्थ करते हुए अल्पसंख्यकों को कई योजनाओं की सौगात देकर उनके जीवन को आसान बनाने का काम किया है।
अल्पसंख्यकों के मसीहा हैं पीएम मोदी
केंद्र सरकार लगतार कई योजनाओं के माध्यम से अल्पसंख्यक वर्ग को सशक्त बनाने का प्रयास करती रही है। इन समुदायों के उत्थान के लिए कई योजनाओं चलाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन का मूल मंत्र है- सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास। 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने समाज के सभी वर्गों को साथ में लेकर उनके सर्वांगीण विकास की जो यात्रा शुरू की थी, वो पिछले नौ साल से बिना रूके अनवरत जारी है। मोदी सरकार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) के जरिए लगातार आर्थिक मदद पहुंचाकर धार्मिक अल्पसंख्यकों को स्वावलंबी बना रही है। इसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री मोदी महिला, वंचित, गरीब, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के मसीहा बन गए हैं।
अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार के लिए 7414 करोड़ की आर्थिक मदद
मोदी सरकार ने एनएमडीएफसी के जरिए 20 लाख अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार या आय सृजन के लिए 7414 करोड़ की आर्थिक मदद दी है। इस मदद के सबसे बड़े लाभार्थी मुसलमान है। एनएमडीएफसी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 तक 83 प्रतिशत आर्थिक मदद इस समुदाय को मिली है। कोरोना महामारी के दौरान यह संस्था गरीब अल्पसंख्यकों के लिए वरदान साबित हुई। 3 लाख अल्पसंख्यकों को करीब 1350 करोड़ रुपये के लोन दिए गए।
विरासत योजना के तहत कारीगरों को 10 लाख का लोन
एनएमडीएफसी की विरासत योजना के तहत कारीगरों को उपकरण, कच्चे माल और अन्य साधनों की खरीद के लिए मदद दी जाती है। अल्पसंख्यक कारीगर अधिकतम 10 लाख रुपये तक का ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
आर्थिक रूप से सक्षम बन रहीं अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं
एनएमडीएफसी धार्मिक अल्पसंख्यकों – मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन के लिए कई योजनाएं चलाती है। यह संस्था राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित अपने एजेंसियों के माध्यम से इन योजनाओं को लागू करती है। एनएमडीएफसी पिछड़े इलाकों और दूर-दराज गांवों में रहने वाले अल्पसंख्यकों के लिए मददगार साबित हो रही है। यह संस्था अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में मदद कर रही है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी महिलाओं को इस संस्था से छोटे ऋण दिए जाते हैं, जो बड़े बैंकों से ऋण लेने में असमर्थ होती है। इसके साथ ही अल्पसंख्यक महिला लाभार्थियों को योजनाओं और ब्याज में विशेष राहत भी दी जाती है। इससे उन्हें व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से स्वरोजगार सृजन और आय बढ़ाने में सहायता मिलती है।
आर्थिक मदद से अल्पसंख्यकों की जिंदगी में आया बदलाव
एनएमडीएफसी कारोबार करने और शिक्षा के लिए आय और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर ऋणों का वितरण करती है और ब्याज में राहत देती है। कारोबार के लिए 20 लाख से 30 लाख तक 6 से 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर पर आर्थिक मदद दी जाती है। इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक छात्रों को रोजगार-उन्मुख तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए ऋण दिया जाता है। इसके तहत व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने और शिक्षा को जारी रखने के लिए भारत में 20 लाख रुपये और विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए 30 लाख दिए जाते हैं। निम्न आय वर्ग वाले छात्रों को 3 प्रतिशत और अन्य छात्रों को 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना पड़ता है। एनएमडीएफसी से मिली आर्थिक मदद और शिक्षा ऋण ने देश के कई इलाकों में लोगों की जिंदगी बदल दी है।
मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा
मोदी सरकार एनएमडीएफसी के जरिए योजनाओं और आर्थिक मदद से अल्पसंख्यक लाभार्थियों के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रही है। कमजोर और निम्न आय वर्ग के लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक समय पर वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, जो पूर्व की सरकारों में आर्थिक मदद से वंचित थे। पहले कई गरीब अल्पसंख्यक सूदखोरों के चंगुल में फंस जाते थे लेकिन अब मोदी सरकार आसान ऋण देकर सूदखोरों के चंगुल से उन्हें बचा रही है। इससे लाखों अल्पसंख्यक परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई। अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अब बेहतर जिंदगी जीने के साथ ही अपने बच्चों को अच्छी और ऊंच शिक्षा दिलाने में सक्षम हो रहे हैं। यह उन लोगों के लिए बड़ा झटका है, जो मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते थे और अल्पसंख्यक समुदाय को सिर्फ वोटबैंक समझते थे।
मोदी सरकार हज़ यात्रा पर जाने वालों के लिए भी कई सुविधा का इंतजाम कर रही है। इस पर एक नजर-
हज़ यात्रा के लिए एक लाख चालीस हजार लोगों का चयन
केंद्र सरकार ने इस वर्ष औचक डिजिटल चयन प्रक्रिया के माध्यम से 1.40 लाख से अधिक हज यात्रियों का चयन किया है। इनमें 10,000 से अधिक 70 वर्ष से अधिक आयु के लोग हैं और 4,000 से अधिक महिलाएं हैं। औचक डिजिटल चयन प्रक्रिया के लिए सरकार को कुल 1.84 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष भारत को 1.75 लाख हज यात्रियों का कोटा आवंटित किया गया था। लगभग 35,000 हज यात्रियों का कोटा निजी ऑपरेटरों को दिया गया है। हज यात्रियों के लिए चिकित्सा बीमा अनिवार्य होगा।
कैशलेस हजः हज यात्रियों को अब कैश ले जाने की जरूरत नहीं
हज यात्रा पर जाने वालों के अच्छी खबर है। सरकार ने इस साल से ‘कैशलेस हज’ पर जोर देने का फैसला किया है और इसी प्रयास के तहत हज यात्रियों को विदेशी मुद्रा के उपयोग के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा एक कार्ड मुहैया कराया जाएगा। पहले की व्यवस्था के तहत हजयात्रियों को 2100 सऊदी रियाल (करीब 45 हजार रुपये) भारतीय हज समिति के पास जमा कराने होते थे जो उन्हें सऊदी अरब के मक्का और मदीना में खर्च करने के लिए उपलब्ध कराए जाते थे।
केशलैश सुविधा की जानकारी देने के लिए टेलीफोन हेल्पलाइन
मंत्रालय हज यात्रियों को केशलैस सुविधा के लिए स्टेट बैंक के साथ सहयोग कर रहा है। बैंक सभी अप्रवासी केंद्रों पर हज यात्रियों को यह सुविधा उपलब्ध कराएगा। मंत्रालय ने बताया कि स्टेट बैंक केशलैश सुविधा के बारे में जानकारी देने के लिए टेलीफोन हेल्पलाइन स्थापित करेगा।
हज पर जाने वालों को मिलेगा ‘फॉरेक्स कार्ड’
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, अब हजयात्रियों को राशि हज कमिटी के पास जमा कराने की कोई जरूरत नहीं होगी। एसबीआई (SBI) के माध्यम वे सीधे इस पैसे का उपयोग कर सकते हैं। उन्हें एक ‘फॉरेक्स कार्ड’ (Forex Card) दिया जाएगा। ऐसे में उन्हें नकदी ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब वे अपनी जरूरत के हिसाब से पैसा खर्च कर सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि डिजिटल भारत में ‘कैशलेस हज’ पर जोर है। हमारी कोशिश है कि हजयात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले और उनका खर्च भी कम हो।
इस साल 4.3 हजार महिलाएं बिना पुरुष साथी के हज पर जाएंगी
देश में इस साल 4314 महिलाओं ने मेहरम (नजदीकी पुरुष रिश्तेदार) के बिना हज यात्रा पर जाने के लिए आवेदन किया है। पिछले साल अक्टूबर में सऊदी अरब ने महिलाओं को बड़ी राहत देते हुए यह छूट देने की घोषणा की थी। सऊदी किंगडम ने फैसला किया है कि हज और उमराह के लिए महिलाओं को अब पुरुष गार्जियन या महरम के साथ की जरूरत नहीं है। अब बिना महरम के भी महिलाएं हज या उमराह कर सकती हैं। इसके बाद भारत ने इस साल से ही महिलाओं को बिना पुरुष साथी के हज यात्रा की अनुमति दे दी है।
आइए जानते हैं केंद्र सरकार की अल्पसंख्यक योजनाओं के बारे में…
छात्रवृत्ति योजनाएं
अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षा के प्रति जागरूक करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जाती हैं। इसी में से एक छात्रवृत्ति योजनाएं हैं। यह योजना उन विद्यार्थियों के लिए है जो आर्थिक संकट के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे और अपने सपनों को पूरा करने में असमर्थ हैं। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित छात्रों के शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए तीन छात्रवृत्ति योजना चला रहे हैं।
प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति
पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति
योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति
प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना
योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक स्कॉलरशिप दी गई
इस केंद्रीय योजना के तहत पिछली परीक्षा में 50 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले और माता-पिता की वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होने वाले छात्र को स्कॉलरशिप दी जाती है। इस योजना के तहत 30 फीसदी छात्रवृत्ति छात्राओं के लिए निर्धारित है। साल 2014-15 से 2021-22 के दौरान कुल 4,43,50,785 स्कॉलरशिप (52.24 फीसदी महिलाओं सहित) को मंजूरी दी गई है।
पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति
योजना के तहत 57 लाख विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी गई
इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप का फायदा मिलता है। योजना के तहत नवीनीकरण के अलावा हर साल 5 लाख नई छात्रवृत्तियां प्रदान की जानी हैं। इसमें लगभग 30 फीसदी छात्रवृत्तियां छात्राओं के लिए निर्धारित हैं। 2014-15 से 2021-22 के दौरान कुल 57,06,334 छात्रवृत्तियों (55.91 फीसदी महिलाओं सहित) को मंजूरी दी गई है।
योग्यता-सह-साधन आधारित
योग्यता-सह-साधन आधारित योजना के तहत 1.32 लाख विद्यार्थियों को सहायता पहुंचाई गई।
प्रधानमंत्री विकास योजना
योजना का लक्ष्य एक परिवार- केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना
प्रधानमंत्री विकास योजना की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा की गयी है। इस योजना का लक्ष्य एक परिवार- केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना है, जिसमें कारीगर परिवार, महिला, युवा और अलग-अलग दिव्यांगों पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लाभार्थियों को लक्षित किया गया है। इस योजना को चार चरणों में लागू करने की योजना बनाई गई है।
योजना के चार चरण-
कौशलता और प्रशिक्षण
क्रेडिट सहायता के साथ नेतृत्व और उद्यमिता
विद्यालय छोड़ने वालों के लिए शिक्षा
मंत्रालय की पीएमजेवीके योजना की सहभागिता में अवसंरचना विकास
मुस्लिम लड़कियों में स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति 40 प्रतिशत कम हुई
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अनुसार साल 2014 से हमारे देश में पारसी, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले लगभग 5 करोड़ से ज्यादा छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई। सरकार का कहना है कि ऐसा करने से खासकर मुस्लिम लड़कियों के स्कूल छोड़ने की संख्या कम हुई है। 2014 से पहले मुस्लिम लड़कियों में स्कूल छोड़ने की संख्या 70 प्रतिशत थी जो अब घटकर 30 प्रतिशत से भी कम हो गई है।
अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं का कार्यान्वयन
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से देश भर में विभिन्न योजनाओं को लागू करता है। पिछले तीन वर्षों के दौरान मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित योजनाएं/कार्यक्रम इस प्रकार है:
(ए) शैक्षिक अधिकारिता योजनाएं
(1) प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना
(2) पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना
(3) योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति योजना
(बी) रोजगार और आर्थिक अधिकारिता योजनाएं
(4) प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (PMVIKAS)
(5) अल्पसंख्यकों को रियायती ऋण प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) को इक्विटी।
(सी) विशेष योजनाएं
(6) जियो पारसी: भारत में पारसियों की जनसंख्या में गिरावट में सुधार करने की योजना।
(7) कौमी वक्फ बोर्ड तारक़क़ियाती स्कीम (QWBTS) और शहरी वक़्फ़ संपत्ति विकास योजना (SWSVY)।
(डी) बुनियादी ढांचा विकास योजनाएं
(8) प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके)
पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान आवंटित धन और लाभार्थियों की संख्या का योजना-वार और वर्ष-वार विवरण मंत्रालय की वेबसाइट यानी www.minorityaffairs.gov.in पर उपलब्ध है। मंत्रालय केवल छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए समुदायवार लाभार्थियों के आंकड़े रखता है।
योजना का लाभ पात्र को मिले इसके लिए निगरानी तंत्र
अल्पसंख्यक समुदायों के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र लाभार्थियों द्वारा उठाया जा रहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि अल्पसंख्यकों के लिए लागू की गई योजनाओं का लाभ वास्तव में लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचे, निगरानी तंत्र को और बेहतर बनाने के प्रयास किए गए हैं योजनाओं के बेहतर नियंत्रण और कार्यान्वयन के लिए मंत्रालय।
छात्रवृत्ति डीबीटी के जरिये सीधे खाते में होता है ट्रांसफर
कौशल सहित इस मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति राशि/वजीफा/वित्तीय सहायता प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के खाते में जारी की जाती है। इसके अलावा, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के माध्यम से छात्रवृत्ति योजनाओं को लागू किया जा रहा है, जिसमें स्वच्छता जांच, डी-डुप्लीकेशन से बचने की विशेषताएं हैं, जिसके परिणामस्वरूप बिचौलियों, फर्जी लाभार्थियों आदि का सफाया हो जाता है।
अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए पीएमजेवीके योजना
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) को देश के सभी जिलों में लागू करने के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 से संशोधित किया गया है। प्रधान मंत्री जन विकास कार्यकम एक योजना है जिसे पहचान किए गए अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों के विकास की कमी को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पीएमजेवीके के तहत बनाई गई सभी संपत्तियों की जियो-टैगिंग और पीएमजेवीके के तहत परियोजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन/निगरानी के लिए निर्माण/परियोजनाओं के पूरा होने के विभिन्न चरणों की तस्वीरों सहित परियोजना विशिष्ट विशेषताओं को कैप्चर करने के लिए एक मोबाइल ऐप पीएमजेवीके भुवन विकसित किया गया है।
सीखो और कमाओ (SEEKHO AUR KAMAO SCHEME)
योजना के तहत 2022 में 8 लाख महिला को लाभ पहुंचा
इस योजना के तहत देश में अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिकों को अलग अलग तरह के लाभ मुहैया करवाए जाते हैं ताकि उस समुदाय का विकास हो पाए। अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा पारंपरिक कौशल के क्षेत्र में व्यवसाय किया जाता है जो हर बीतते साल के साथ कम होता जा रहा है। साथ ही नई पीढ़ी के युवा पारंपरिक कौशल को नहीं अपना रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा सीखो और कमाओ योजना का शुभारंभ किया गया है। इसी योजना के तहत इस साल यानी 2022 में लगभग 8 लाख महिला को लाभ पहुंचा है।
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन (MAULANA AZAD EDUCATION FOUNDATION)
बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए
अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन (एमएईएफ) के तहत दो योजनाओं को लागू करता है, अर्थात् गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित संस्थानों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए “एनजीओ को सहायता अनुदान” और अल्पसंख्यक समुदायों की मेधावी लड़कियों के लिए बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति (बीएचएमएनएस)। उनकी उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा यानी कक्षा IX से XII तक। BHMNS को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की प्रधानमंत्री शैक्षिक अधिकारिता योजना (PMEES) के तहत शामिल किया गया है। मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन के पास देश में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपने कोष पर अर्जित ब्याज से पर्याप्त धन है।
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप (Scholarship to pre-matric and post-matric STUDENTS and Maulana Azad National Fellowship)
यूजीसी और सीएसआईआर की फेलोशिप सभी समुदाय के छात्रओं के लिए
यह देखा गया है कि यूजीसी और सीएसआईआर की जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) योजना सभी श्रेणियों के छात्रों के लिए खुली है। इसके अलावा, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप योजना और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप योजना के तहत अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को भी शामिल किया गया है। जैसा कि मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप (एमएएनएफ) योजना उच्च शिक्षा के लिए विभिन्न फैलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है, सरकार ने 2022-23 से एमएएनएफ योजना को बंद करने का फैसला किया है।
नया सवेरा योजना (NAYA SAVERA SCHEME)
प्रतियोगिता के लिए 1.19 लाख से अधिक छात्रों को मिली सहायता
नया सवेरा योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिससे सरकारी और निजी नौकरियों में उनकी भागीदारी में सुधार होगा। मंत्रालय ने योग्यता परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग के माध्यम से सिख, जैन, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और पारसी जैसे छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित छात्रों/उम्मीदवारों की सहायता के लिए ‘नया सवेरा’ योजना (‘मुफ्त कोचिंग और संबद्ध’ योजना) लागू की। इस योजना के प्रारंभ से अब तक 1.19 लाख से अधिक लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं, जिनमें से 12,155 लाभार्थी आंध्र प्रदेश राज्य से थे।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों और रेलवे सहित केंद्र और राज्य सरकारों के तहत ग्रुप ए, ‘बी’, और ‘सी’ सेवाओं और अन्य समकक्ष पदों पर भर्ती के लिए तकनीकी / व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश। यह योजना पूरे देश में सूचीबद्ध परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईए) के माध्यम से लागू की गई थी। पिछले तीन वर्षों के दौरान भौतिक उपलब्धि का विवरण नीचे है:
नई रोशनी योजना के तहत प्रशिक्षित महिलाएं (WOMEN TRAINED UNDER NAI ROSHNI SCHEME)
देशभर में लगभग 40,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया
पिछले तीन वर्षों के दौरान, यानी 2019-20 से 2021-22 तक, पश्चिम बंगाल में 375 सहित पूरे भारत में लगभग 40,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। पश्चिम बंगाल राज्य में पिछले तीन वर्षों में प्रशिक्षित महिलाओं का समुदाय-वार विवरण इस प्रकार है: मुस्लिम -353, ईसाई -7, और गैर अल्पसंख्यक -15। योजनान्तर्गत प्रशिक्षण हेतु चयन में जिन हितग्राहियों की वार्षिक आय सभी स्रोतों से रू. 2.50 लाख से अधिक न हो, उन्हें वरीयता दी जाती है। महिला प्रशिक्षुओं की पहचान/चयन के लिए एजेंसियां ग्राम पंचायत/नगर निकाय/स्थानीय प्राधिकरण के प्रमुख की सहायता भी लेती हैं।
हमारी धरोहर योजना (HAMARI DHAROHAR SCHEME)
समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की योजना
भारत के अल्पसंख्यक समुदायों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए “हमारी धरोहर” योजना तैयार की गई है। यह योजना भारतीय संस्कृति की समग्र अवधारणा के तहत अल्पसंख्यकों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रदान करती है जिसमें क्यूरेटिंग प्रदर्शनियां, साहित्य / दस्तावेजों का संरक्षण आदि शामिल हैं। अल्पसंख्यकों का संरक्षण हमारी धरोहर योजना के तहत विरासत भवनों का निर्माण नहीं किया गया है। 2016-17 से पिछले वित्तीय वर्षों के दौरान हमारी धरोहर योजना के तहत बजट और धन का उपयोग इस प्रकार है:
हमारी धरोहर योजना को अब प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) योजना के एक घटक के रूप में विलय कर दिया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23, कौशल विकास, शिक्षा और नेतृत्व प्रशिक्षण के माध्यम से अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से कारीगर समुदायों की आजीविका में सुधार करने के उद्देश्य से, उनके उद्यमिता हस्तक्षेपों का समर्थन करने के लिए।
अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित महिलाओं का कौशल विकास (SKILL DEVELOPMENT OF WOMEN BELONGING TO MINORITY COMMUNITIES)
98 हजार महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया
अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय (एमओएमए) विशेष रूप से छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के लिए ‘सीखो और कमाओ’, ‘उस्ताद’ और ‘नई मंजिल’ नामक विभिन्न कौशल विकास योजनाओं को लागू करता है, जिसमें महिलाओं के लिए न्यूनतम 30 प्रतिशत सीटें निर्धारित की गई थीं। इसके अलावा, अल्पसंख्यक महिलाओं के नेतृत्व विकास के लिए ‘नई रोशनी’ नामक एक योजना भी लागू की गई थी जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रासंगिक विषयों पर नेतृत्व प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना था। 2019-20 से 2021-22 के दौरान छह अधिसूचित अल्पसंख्यकों की लगभग 98,240 महिलाओं को उपर्युक्त योजनाओं के तहत प्रशिक्षित किया गया था। इन योजनाओं को अब एक एकीकृत योजना प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) में परिवर्तित कर दिया गया है।
2019-20 से 2022-23 तक (17.3.2023 तक) इन योजनाओं के तहत आवंटित और उपयोग की गई धनराशि का विवरण इस प्रकार है:
आवंटित धन (आरई) 1,251.50 करोड़ रु.
वास्तविक व्यय (एई) 1,028.81 करोड़ रु.
राज्य अल्पसंख्यक आयोग STATE MINORITY COMMISSIONS
वर्तमान में, 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने वैधानिक राज्य अल्पसंख्यक आयोगों की स्थापना की है। ये राज्य/केंद्र शासित प्रदेश आंध्र प्रदेश, बिहार, असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं। प्रधान मंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) राज्य सरकारों/संघ शासित प्रशासनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। राज्य में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग पीएमजेवीके के कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की स्थापना साल 2006 में अल्पसंख्यक समुदायों को सशक्त बनाने के लिए की गई थी। इन समुदायों में जैन, पारसी, बौद्ध, सिख, ईसाई और मुसलमान हैं. यह मंत्रालय हमारे राष्ट्र के बहु-नस्लीय, बहु-जातीय, बहु-सांस्कृतिक, बहु-भाषी और बहु-धार्मिक चरित्र को मजबूत करने के लिए एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना चाहता है।
इसका मिशन सकारात्मक कार्रवाई और समावेशी विकास के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों की सामाजिक- आर्थिक स्थिति में सुधार करना है, जिससे हर एक नागरिक को शिक्षा, रोजगार, आर्थिक गतिविधियों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए समान हिस्सेदारी की सुविधा और उनके उत्थान को बढ़ाने को लेकर एक गतिशील राष्ट्र के निर्माण में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने का समान अवसर प्राप्त हो।
अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए मोदी सरकार का 15 सूत्री कार्यक्रम
एकीकृत बाल विकास सेवाओं की समुचित उपलब्धता
एकीकृत बाल विकास सेवा योजना का उद्देश्य है उपेक्षित वर्गों के बच्चों, गर्भवती महिलाओं का संपूर्ण विकास। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से सेवाएं उपलबध करायी जाती हैं। जैसे पोषण, स्वास्थ्य जांच, प्रतिरक्षीकरण, औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा। आईसीडीएस प्रोजेक्ट और आंगनबाड़ी केंद्र पर निश्चित संख्या में अल्पसंख्यक घनी आबादी वाले गांवों/प्रखंडों में स्थापित किए जाएंगे ताकि इस योजना का लाभ ऐसे समुदायों को भी उचित रूप से मिल सके।
विद्यालयीन शिक्षा की उपलब्धता को सुधारना
सर्व शिक्षा अभियान, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजनाओं और ऐसी अन्य सरकारी योजनाओं के अंतर्गत, यह सुनिश्चित किया जायेगा कि ऐसे विद्यालयों की एक निश्चित संख्या अल्पसंख्यक समुदायों की घनी जनसंख्या वाले गांवों/क्षेत्रों में स्थापित की जाए।
उर्दू शिक्षण के लिये और अधिक संसाधन
उन प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में उर्दू भाषा के अध्यापकों की भर्ती एवं तैनाती के लिये केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी जो इस भाषा वर्ग से संबंधित कम-से-कम एक चौथाई जनसंख्या की सेवा करते हैं।
मदरसा शिक्षा आधुनिकीकरण
एरिया इंटेसिव और मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम की केंद्रीय योजनान्तर्गत स्कीम में शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले क्षेत्रों में मूल शैक्षिक अधोसंरचना तथा मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण के लिए प्रावधान है। इस आवश्यकता पर ध्यान देने के महत्व को देखते हुए, यह कार्यक्रम पर्याप्त रूप से सुव्यवस्थित व प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा।
अल्पसंख्यक समुदाय के मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति
अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों के लिये मैट्रिक पूर्व और मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना बनायी एवं कार्यान्वित की जाएगी।
मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान के माध्यम से शैक्षिक अधोसंरचना को उन्नत करना।
सरकार, मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान को सभी संभव सहायता देगी ताकि यह अपने कार्यकलाप को अधिक प्रभावी रूप से सुदृढ़ व्यापक कर सके।
गरीबों के लिए स्वरोजगार एवं मजदूरी रोजगार योजना
(क) स्वर्ण जयंती ग्राम योजना ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्राथमिक स्वरोजगार कार्यक्रम के उद्देश्य हैं गरीब ग्रामीण परिवारों को गरीबी रेखा से उपर लाना। ऐसा बैंक ऋण और सरकारी सहायता के द्वारा किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत आर्थिक और भौतिक लक्ष्यों का कुछ प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के लिए निर्धारित किया जाएगा।
(ख) स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसएसआरवाय) के दो मुख्य घटक हैं
I. शहरी स्वरोजगार योजना (यूएसईपी) और
II. शहरी मजदूर रोजगार कार्यक्रम (यूडब्ल्यूईपी) ।
इन कार्यक्रमों के अंतर्गत भौतिक और आर्थिक लक्ष्यों का कुछ प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों के गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए निर्धारित किया जाएगा।
(ग) संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाय) का उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराना और एक टिकाउ समुदाय व सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का निर्माण करना। चूंकि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी कार्यक्रम 200 जिलों में शुरू किया गया है तथा इन जिलों में संपूर्ण ग्रामीण रोजगार याजना को इस कार्यक्रम के साथ मिला दिया गया है, बचे हुए जिलों में संपूर्ण ग्रामीण योजना के अंतर्गत आवंटन का निश्चित प्रतिशत गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्तियों के लिए कुछ समय तक निर्धारित किया जाएगा, जब तक इन जिलों को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रमों के अंतर्गत शामिल नहीं कर लिया जाता है। साथ ही आवंटन का निश्चित प्रतिशत ऐसे गांवों में आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए निर्धारित किया जाएगा, जिनमें अल्पसंख्यक समुदायों की काफी आबादी है।
तकनीकी शिक्षा के माध्यम से कौशल का उन्नयन
अल्पसंख्यक समुदायों की जनसंख्या का एक बड़ा भाग निम्न श्रेणी के तकनीकी कार्यों में संलग्न है या दस्तकारी द्वारा अपनी उपजीविका कमाता है। ऐसे लोगों के लिये तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था कर दिये जाने से उनकी कौशल और उपजीविका क्षमता बढ़ जाएगी। इसलिये सभी नए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में से कुछ संस्थान अल्पसंख्यक समुदायों की बहुलता वाले क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे और `उत्कृष्टता केंद्रों’ के रूप में उन्नत किये जाने वाले मौजूदा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में से कुछ संस्थानों का उन्नयन उसी आधार पर किया जाएगा।
आर्थिक क्रियाकलापों के लिए ऋण सहायता
(क) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एन.एम.डी.एफ.सी.) को 1994 में स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य, अल्पसंख्यक समुदायों में आर्थिक विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देना था। सरकार इस निगम को अधिक सामान रूप से सहायता देकर इसे सुदढ़ बनाने के लिए वचनबद्ध है, जिससे कि यह निगम अपने उद्देश्यों को पूर्णतः प्राप्त कर सकेगा।
(ख) स्वरोजगार योजना के निर्माण और उसे बनाये रखने के लिए बैंक ऋण आवश्यक है। प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के लिए कुल बैंक ऋण का 40 प्रतिशत लक्ष्य घरेलू बैंकों के लिए निश्चित किया गया है। इन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में, अन्य बातों के साथ शामिल है – खेती के लिए ऋण, लघु उद्योगों एवं छोटे काम-धंधों के लिए ऋण, फुटकर व्यवसाय (रिटेल ट्रेड) व्यावसायिक व स्वरोजगार वाले व्यक्तियों के लिए ऋण, शिक्षा के लिए ऋण, घर के लिए ऋण व अन्य छोटे ऋण। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी श्रेणियों में प्राथमिकता क्षेत्रों में दिये जाने वाले ऋण का निश्चित प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों के लिए है।
राज्य एवं केंद्रीय सेवाओं में भर्ती
(क) राज्य सरकार को यह सलाह दी जाएगी कि पुलिस कार्मिकों की भर्ती करते समय अल्पसख्ंयक समुदायों के अभ्यार्थियों पर विशेष रूप से विचार किया जाए। इसके लिए चयन समितियों में अल्पसंख्यक प्रतिनिधियों की भागीदारी होनी चाहिए।
(ख) केंद्र शासन केंद्रीय पुलिस बलों में कार्मिकों की भर्ती करते समय इसी प्रकार की कार्रवाई करेगी।
(ग) रेलवे, राष्ट्रीयकृत बैंकों और पब्लिक सेक्टर उद्यमों द्वारा बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाते हैं। इन मामलों में भी, संबंधित विभाग ये सुनिश्चित करेंगे कि भर्ती करते समय अल्पसंख्यक समुदायों के अभ्यार्थियों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
(घ) अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों को सरकारी व विश्वसनीय गैर सरकारी संस्थाओं में कोचिंग प्रदान करने के लिए एक विशेष योजना शुरू की जाएगी, जिसमें इन संस्थाओं को सहायता दी जाएगी।
(ड.) अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के जीवन स्तर की दशा में सुधार करना
ग्रामीण आवास योजना में उचित हिस्सेदारी
इंदिरा वास योजना (आई.ए.वाय.) में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले ग्रामीण लोगों के लिए आवास हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत भौतिक व आर्थिक लक्ष्यों का निश्चित प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के लिये निर्धारित किया जाएगा।
अल्पसंख्यक समुदायों वाली मलिन (गंदी) बस्तियों की स्थिति में सुधार
एकीकृत आवास एवं मलिन (गंदी) बस्ती विकास कार्यक्रम और जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण कार्यक्रम की योजनाओं के अंतर्गत, केंद्रीय सरकार शहरी मलिन (गंदी) बस्तियों के विकास के लिए राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता देती है, जिससे इन बस्तियों में जन सुविधायें और मूल सेवायें उपलब्ध कराई जाती हैं। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इनके कार्यक्रमों के लाभ अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों तथा इन समुदायों की घनी आबादी वाले नगरों/मलिन (गंदी) बस्तियों को उचित रूप से मिलें।
सांप्रदायिक घटनाओं की रोकथाम
सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील और दंगा संभावित के रूप में अभिज्ञात किये गये क्षेत्रों में अत्यधिक कुशल, निष्पक्ष और धर्मनिरपेक्ष जिला एवं पुलिस अधिकारियों को नियुक्त किया जाना चाहिए। ऐसे क्षेत्रों में और अन्य कहीं भी सांप्रदायिक तनाव को दूर करना जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की प्राथमिक ड्यूटियों में शामिल होना चाहिए। इस संबंध में इनका कार्य निष्पादन इनकी पदोन्नति नियमित करने में एक महत्वपूर्ण कारक होना चाहिए।
सांप्रदायिक अपराधों के लिये अभियोजन
उन लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए जो सांप्रदायिक दंगे भड़काते हैं अथवा हिंसा करते हैं। इसके लिए विशेष न्यायालय स्थापित किये जाने चाहिए ताकि अपराधियों को शीघ्रता से सूचीबद्ध किया जा सके।
सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों का पुनर्वास
सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत दी जानी चाहिए तथा उनकी पुनर्वास के लिये उपयुक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए।