प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार, 3 जून को कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले किए गए जो देश के किसानों की मदद करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने में भी काफी मददगार साबित होंगे। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि किसानों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से कई कृषि उत्पादों को बाहर करने की घोषणा को कैबिनेट की स्वीकृति मिल गई है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट मीटिंग में किसानों के लिए तीन बड़े निर्णय हुए हैं।
आवश्यक वस्तु अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन
कैबिनेट ने आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act amended) में ऐतिहासिक संशोधन को मंजूरी दे दी है। यह कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। वैसे तो भारत में ज्यादातर कृषि उत्पादन में सरप्लस की स्थिति है, लेकिन इसके बावजूद कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण और निर्यात में निवेश के अभाव में किसान अपनी उपज के उचित मूल्य पाने में असमर्थ रहे हैं। जब भी शीघ्र नष्ट हो जाने वाली कृषि उपज की बंपर पैदावार होती है, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। यदि पर्याप्त प्रसंस्करण सुविधाएं उपलब्ध हों तो बड़े पैमाने पर इस तरह की बर्बादी को रोका जा सकता है।
किसानों को लाभ
आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के जरिए अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया जाएगा। इससे उत्पादन, भंडारण, ढुलाई, वितरण और आपूर्ति करने की आजादी से व्यापक स्तर पर उत्पादन करना संभव हो जाएगा और इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। इससे कोल्ड स्टोरेज में निवेश बढ़ाने और सप्लाई चेन के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी।
उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा
सरकार ने नियमों को उदार बनाने के साथ ही उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित की है। संशोधन के तहत यह व्यवस्था की गई है कि अकाल, युद्ध, कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में इन कृषि उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है।
कृषि उपज का बाधा मुक्त व्यापार
कैबिनेट ने कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को भी मंजूरी दे दी है। कई तरह के प्रतिबंधों के कारण किसानों को अपने उत्पाद बेचने में काफी दिक्कत आती है। कृषि उत्पाद विपणन समिति वाले बाजार क्षेत्र के बाहर किसानों पर उत्पाद बेचने पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। उन्हें अपने उत्पाद सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त खरीदारों को ही बेचने की बाध्यता है। इसके अतिरिक्त एक राज्य से दूसरे राज्य को ऐसे उत्पादों के सुगम व्यापार के रास्ते में भी कई तरह की बाधाएं हैं।
अध्यादेश के लागू हो जाने से किसानों के लिए एक सुगम और मुक्त माहौल तैयार हो सकेगा जिसमें उन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने की आजादी होगी। अध्यादेश से राज्य के भीतर और बाहर दोनों ही जगह ऐसे बाजारों के बाहर भी कृषि उत्पादों का उन्मुक्त व्यापार सुगम हो जाएगा जो राज्यों के कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के तहत अधिसूचित हैं।
इससे किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे। बाजार की लागत कम होगी और उन्हें अपने उपज की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इसके अलावा अतिरिक्त उपज वाले क्षेत्रों में भी किसानों को उनके उत्पाद के अच्छे दाम मिल सकेंगे और साथ ही दूसरी ओर कम उपज वाले क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को भी ज्यादा कीमतें नहीं चुकानी पड़ेंगी। अध्यादेश में कृषि उत्पादों का सुगम कारोबार सुनिश्चित करने के लिए एक ई-प्लेटफॉर्म बनाए जाने का भी प्रस्ताव है।
वन नेशन-वन मार्केट
अध्यादेश का मूल उद्देश्य एपीएमसी बाजारों की सीमाओं से बाहर किसानों को कारेाबार के अतिरिक्त अवसर मुहैया कराना है जिससे उन्हें अपने उत्पादों की अच्छी कीमतें मिल सकें। यह निश्चित रूप से ‘एक देश, एक कृषि बाजार (वन नेशन-वन मार्केट)’ बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा और किसानों के लिए उपज की मुंह मांगी कीमत सुनिश्ति करेगा।
किसानों को प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों से जोड़कर सशक्त बनाना
कैबिनेट ने ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020’ को भी स्वीकृति दे दी है। भारतीय कृषि को खेतों के छोटे आकार के कारण विखंडित खेती के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और मौसम पर निर्भरता, उत्पादन की अनिश्चितता और बाजार अनिश्चितता इसकी कुछ कमजोरियां हैं।
अध्यादेश किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा। इससे बाजार की अनिश्चितता का जोखिम प्रायोजक पर होगा और साथ ही किसानों की आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स तक पहुंच भी होगी। इससे किसानों की आय में सुधार होगा।
यह अध्यादेश किसानों की उपज की वैश्विक बाजारों में आपूर्ति के लिए जरूरी आपूर्ति चेन तैयार करने को निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करने में एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। किसानों की ऊंचे मूल्य वाली कृषि के लिए तकनीक और परामर्श तक पहुंच सुनिश्चित होगी, साथ ही उन्हें ऐसी फसलों के लिए तैयार बाजार भी मिलेगा। बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। किसानों को पर्याप्त सुरक्षा दी गई है और समाधान की स्पष्ट समयसीमा के साथ प्रभावी विवाद समाधान तंत्र भी उपलब्ध कराया गया है।