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इशरत जहां एनकाउंटर पर विधवा विलाप करने वालों के मुंह पर तमाचा, कोर्ट ने माना आतंकी ही थी

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इशरत जहां एनकाउंटर पर सवाल उठाने और विधवा विलाप करने वालों के मुंह पर करारा तमाचा लगा है। सीबीआई की विशेष अदालत ने इशरत जहां को आतंकी मानते हुए तीन पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कार्रवाई को सही मानते हुए साफ कहा कि इशरत जहां लश्कर ए तैयबा की आंतकी ही थी और इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता। 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के पास पुलिस एनकाउंटर में इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राम और जीशान जौहर मारे गए थे। पुलिस को मिली खुफिया रिपोर्ट के अनुसार ये सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। ये सभी आतंकी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या के इरादे से आए थे। इस एनकाउंटर की अगुवाई डीआईजी डीजी वंजारा ने की थी। इस एनकाउंटर केस में सीबीआई कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के दो पूर्व अधिकारियों गिरीश सिंघल, तरुण बारोट और मौजूदा एसआई अंजू चौधरी को बरी कर दिया।

अब कोर्ट के यह कहने कि इशरत जहां आतंकी थी और क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी निभाई, सोशल मीडिया पर यूजर्स इशरत के लिए रोने वालों और उसे शहीद बताने वालों को लताड़ लगा रहे हैं।

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