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जार्ज सोरोस गैंग ने अडानी के बाद ANI पर किया हमला, 2024 तक भारतीय संस्थाओं पर होते रहेंगे हमले, कांग्रेस और लेफ्ट लिबरल को चाहिए मुद्दा

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भारत का बढ़ता कद, भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, पीएम मोदी की देश और दुनिया में बढ़ती लोकप्रियता से अमेरिका और पश्चिमी देशों के पैरों के तले से जमीन खिसक गई है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के एजेंट जार्ज सोरोस भारत को कमजोर करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी को 2024 में सत्ता से बाहर करने के लिए उसने 2022 में राहुल गांधी का लंदन में कार्यक्रम करवाया, उसके बाद भारत जोड़ो यात्रा हुई, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री आई, भारत की एक बड़ी कंपनी अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई और अब भारत की प्रमुख वीडियो वायर एजेंसी ANI के खिलाफ ईयू-डिसइन्फोलैब (Disinfolab EU) की ‘बैड सोर्सेस’ रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में ANI पर प्रोपेगेंडा खबरें चलाने की अफवाह फैलाई जा रही है। भारत को कमजोर करने के लिए अब जार्ज सोरोस गैंग भारतीय संस्थाओं को कमजोर करने की साजिश में जुट गई है।

ईयू-डिसइन्फोलैब की रिपोर्ट, ANI के तमाम सोर्सेस फर्जी हैं

यूरोपीय संघ (ईयू) के एक नॉन-प्रॉफिट समूह ईयू-डिसइन्फोलैब ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि ANI की खबरें फर्जी हैं और फर्जी सूत्रों के हवाले से खबर चलाकर प्रोपेगेंडा फैलाती है। जार्ज सोरोस गैंग की साजिश कितनी गहरी उसे इस बात से समझा जा सकता है कि ANI की प्रमुख मीडिया एजेंसी है जिसके जरिये इसकी फीड और खबरों को देशभर के छोटे-बड़े मीडिया संस्थान सब्सक्राइब करते हैं। समाचार एजेंसी एएनआई देश के इंफार्मेशन इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पूरे भारत में सैकड़ों मीडिया हाउस को सामग्री प्रदान करती है। अब इस पर सरकारी मुखपत्र होने का आरोप लगाकर बदनाम किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ANI फर्जी स्रोतों के आधार पर गढ़ी गई प्रोपेगेंडा खबरें चलाती है।

पीएम मोदी के सामने बेवश पश्चिम देश और अमेरिका बौखलाया

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और पश्चिमी देश अपना हित साधने के लिए सरकार भी खरीद लेती थी और तमाम तरह की साजिश रचने में सफल हो जाती थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 90 के दशक में हुए इसरो जासूसी कांड है। उस वक्त भारतीय वैज्ञानिक नंबी नारायण के नेतृत्व में भारत लिक्विड प्रोपेलेंट इंजन बनाने में सफल होने के करीब पहुंच गया था लेकिन CIA ने कांग्रेस सरकार और नेताओं को खरीद कर नंबी नारायण को जेल में डलवा दिया और भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 20-30 साल पीछे चला गया। इसरो जासूसी कांड में जब नंबी नारायण को गिरफ्तार किया गया था तो उस वक्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि नंबी नारायण की अवैध गिरफ्तारी में केरल सरकार के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी शामिल थे। हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा कि नंबी नारायण की गिरफ्तारी संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थी।

जार्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित है डिसइन्फोलैब ईयू

यह डिसइन्फोलैब ईयू अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित है और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से 25 हजार डॉलर के सीड मनी के साथ शुरू हुआ है।

ANI के खिलाफ रिपोर्ट आई नहीं कि लेफ्ट लिबरल सक्रिय हो गए

अब अगर इस पैटर्न को समझें तो भारत और अन्य जगहों पर अपने एजेंट को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सक्रिय कर दिया है। अपने आकाओं के निर्देश पर लेफ्ट लिबरल गैंग के सदस्य मोहम्मद जुबैर भी सक्रिय हो गए। उन्होंने ट्वीट किया- दो दिन पहले ब्रिटेन सरकार ने हाउस ऑफ कॉमन्स में बीबीसी का पुरजोर बचाव किया था। दक्षिण एशिया की अग्रणी मल्टीमीडिया समाचार एजेंसी (ANI) द्वारा इसकी सूचना नहीं दी गई, लेकिन उन्होंने 18 बार ‘बॉब ब्लैकमैन’ की खबर को चलाया, जिन्होंने बीबीसी की आलोचना की थी। इससे साबित होता है मोहम्मद जुबैर आईएसआई का एजेंट है।

ईयू डिसइन्फोलैब बीबीसी, रॉयटर्स पर कभी रिपोर्ट नहीं बनाती

दिलचस्प बात यह है कि ईयू डिसइन्फोलैब और फॉरबिडन स्टोरीज ने एएनआई की विश्वसनीयता पर हमला किया है, यह आरोप लगाते हुए कि यह खराब स्रोतों का उपयोग करके पाकिस्तान/चीन के खिलाफ फर्जी खबरें चला रहा है। लेकिन ईयू डिसइन्फोलैब ने बीबीसी, रॉयटर्स और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मीडिया हाउस द्वारा ‘खराब स्रोतों’ के समान उपयोग को जानबूझकर अनदेखा कर दिया है। उस पर यह कभी रिपोर्ट नहीं बनाती जबकि ANI पर यह उसकी तीसरी रिपोर्ट है। वह 2019 से एएनआई के पीछे पड़ी है। इसी से समझा जा सकता है ईयू डिसइन्फोलैब की साजिश कितनी गहरी है।

प्रशांत भूषण को मिला टूल, एएनआई को बता दिया मोदी की न्यूज एजेंसी

एएनआई पर रिपोर्ट आते ही लेफ्ट लिबरल प्रशांत भूषण को भी पीएम मोदी पर हमला करने का टूल मिल गया। उन्होंने क्या लिखा यह भी देखिए- मोदी की न्यूज एजेंसी एएनआई का सच। हास्यास्पद है कि जब भी कोई रिपोर्ट आती है वे इसे पीएम मोदी से जोड़ देते हैं। अडानी मोदी की कंपनी अब एएनआई मोदी की न्यूज एजेंसी।

दुनियाभर में UPI की धाक, इसीलिए कुलबुलाए हुए हैं जार्ज सोरोस!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल विजन से डिजिटल भुगतान के मामले में भारत दुनिया भर में सबसे आगे है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक (World Bank) तक ने यूपीआई को लेकर भारत को सराहा है। देश की बात करें तो यूपीआई से होने वाले पेमेंट के आंकड़े में महीने-दर-महीने तेजी देखने को मिल रही है। इस पेमेंट सिस्टम की लोकप्रियता के चलते सरकार लगातार इसके विस्तार पर फोकस कर रही है और अब UPI वैश्विक ब्रांड के तौर पर पहचान बनाता जा रहा है। पीएम मोदी के मजबूत भारत के संकल्प में भारतीय पेमेंट सिस्टम UPI मील का पत्थर साबित हो रही है। UPI करीब 50 से अधिक देशों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है। अब UPI अमेरिका के चौखट तक पहुंच गया है और Visa एवं MasterCard को टक्कर दे रही है। इससे जहां अमेरिका तिलमिलाया हुआ है वहीं उसके डीपस्टेट एजेंट जार्ज सोरोस कुलबुलाए हुए हैं। क्योंकि Visa और MasterCard की दुनिभायर में बादशाहत है और अरबों का बिजनेस है। लेकिन UPI जिस तेजी से दुनियाभर में बढ़ रही है उससे उनके कारोबार में कमी आई है। ऐसे में उन्हें डर है UPI कहीं Visa और MasterCard का कारोबार खत्म न कर दे।

सोरोस भारत में चाहता है कमजोर और गठबंधन सरकार

सोरोस और उनके जैसे लोग भारत में एक कमजोर और गठबंधन सरकार को पसंद करते हैं, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उसे चला सकें। एक स्थिर, पूर्ण बहुमत वाली सरकार से वे डरते हैं और इसीलिए उसे हटाना चाहते हैं। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि राहुल गांधी 2022 में जब ब्रिटेन में थे उसी समय सोरोस भी ब्रिटेन में था। यह डीपस्टेट का षड़यंत्र है जिसमें कांग्रेस सहित लेफ्ट लिबरल मिले हुए हैं।

सोरोस ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में उठाया था अडानी मुद्दा 

सबसे बड़ा सवाल यह है कि सोरोस ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अडानी मुद्दा क्यों उठाया? सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर क्रोनी कैपटलिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी और अडानी करीबी सहयोगी हैं। उनका भाग्य आपस में जुड़ा हुआ है। सोरोस ने यह टिप्पणी 16 फरवरी 2023 को जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से पहले टेक्निकल यूनिवर्सिटी आफ म्यूनिख में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की। सोरोस ने कहा कि अडानी एंटरप्राइजेज ने शेयर बाजार में धन जुटाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। सोरोस का यह बयान हिंडनबर्ग रिपोर्ट के करीब तीन हफ्ते बाद आया है। इससे आप समझ सकते हैं कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री और हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे कौन लोग हैं। ये वही लोग हैं जो भारत को कमजोर करना चाहते हैं।

सोरोस ने दावोस में उठाया था कश्मीर मुद्दा

सोरोस को आखिर भारत से इतना लगाव क्यों है, यह एक सहज सवाल मन में आता है। जनवरी 2020 में जॉर्ज सोरोस ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) के कार्यक्रम में कश्मीर और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला था। उसने कहा कि देश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आए पीएम मोदी कश्मीर में प्रतिबंध लगाकर वहां लोगों को दंडित कर रहे हैं और लाखों मुसलमानों से नागरिकता छीनने का काम कर रहे हैं। कितना झूठ फैलाया जा रहा है यह देख लीजिए। कश्मीर में किस मुसलमान की नागरिकता गई है बल्कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद कश्मीर खुशहाली की ओर बढ़ रहा है। लेकिन दुख की बात यह है कि देश के कुछ नेता और राजनीतिक दल सोरोस की बातों में सुर में सुर मिलाते दिख जाते हैं और जनता को यह सब दिख रहा है।

मोदी के राष्ट्रवाद से भी सोरोस को है दिक्कत

सोरोस कहते हैं कि नरेंद्र मोदी हिंदू राष्ट्रवादियों का देश बना रहे हैं। यह कहकर वह हिंदू और मुसलमानों के बीच विवाद उत्पन्न करने की साजिश रचते हैं। और देश में मौजूद विपक्षी दल और लेफ्ट लिबरल को भी पीएम मोदी पर हमला करने का टूल मिल जाता है।

सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ डॉलर देने का किया ऐलान

सोरोस ने साल 2020 में वैश्विक विश्वविद्यालय की शुरूआत करने के लिए 100 करोड़ डॉलर देने की बात कही थी। उसने कहा था कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना ‘राष्ट्रवादियों से लड़ने’ के लिए की जाएगी। सोरोस ने ‘अधिनायकवादी सरकारों’ और जलवायु परिवर्तन को अस्तित्व के लिए खतरा बताया था। सोरोस ने कहा था कि राष्ट्रवाद अब बहुत आगे निकल गया है। सबसे बड़ा और सबसे भयावह झटका भारत को लगा है, क्योंकि वहां लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नरेंद्र मोदी भारत को एक हिन्दू राष्ट्रवादी देश बना रहे हैं।

सोरोस ने पीएम मोदी पर दिया विवादित बयान, देशवासी देंगे मुंहतोड़ जवाब

जॉर्ज सोरोस ने भारत को लेकर विवादित बयान दिया है। जार्ज सोरोस ने कहा कि अडानी मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय संसद में जवाब देना होगा। उसने कहा कि अडानी के कारोबारी साम्राज्य में मची उथल-पुथल से शेयर बाजार में बिकवाली आई है और इससे निवेश के अवसर के रूप में भारत में विश्वास हिला है। उसने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे कमजोर होंगे और इससे देश में लोकतांत्रिक पुनरुद्धार (Democratic Revival) के द्वार खुलेंगे। किसी विदेशी ताकत द्वारा भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर इस तरह खुलकर वार शायद पहली बार किया गया है। इसे कोई भी देशवासी बर्दाश्त नहीं कर सकता। भारत और पीएम मोदी को कमजोर करने की इस साजिश का देश के 140 करोड़ देशवासी मुंहतोड़ जवाब देंगे।

भारत में विदेशी ताकतों के हितों का संरक्षण चाहता है जार्ज सोरोस

जार्ज सोरोस हिंदुस्तान में विदेशी ताकत के तहत एक ऐसी व्यवस्था बनाना चाहता है जो हिंदुस्तान नहीं, बल्कि विदेशी ताकतों के हितों का संरक्षण करेगी। जॉर्ज सोरोस का यह ऐलान कि वो हिंदुस्तान में मोदी को झुका देंगे, हिंदुस्तान की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को ध्वस्त करेंगे। इससे उसकी नापाक मंसूबे ही जाहिर होते हैं और इसका मुंहतोड़ जवाब हर देशवासी देगा।

सोरोस-हर्ष मंदर-गांधी लॉबी हिंदू विरोधी खेल में जुटी

वर्ष 2002 से जार्ज सोरोस-हर्ष मंदर-गांधी लॉबी द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ खेल खेला जा रहा है। लेकिन अब यह हिंदू विरोधी खेल में बदल गया है। कांग्रेस द्वारा समर्थित वैश्विक एक्टिविस्ट, दानदाता, फंड देने वाले और विदेशों में बसे लेफ्ट लिबरल भारतीय का गुट अब पीएम मोदी को रोकना चाहता है। डीपस्टेट अब इस बात से घबराया हुआ है कि भारत का विकास शक्ति संतुलन को वापस एशिया में स्थानांतरित कर देगा जैसा कि 1760 के दशक से पहले था। चूंकि पीएम मोदी भारत के विकास के साथ ही सनातन संस्कृति को भी गौरव प्रदान कर रहे हैं तो अब लेफ्ट लिबरल गैंग हिंदुओं को बदनाम करने के षडयंत्र में जुट गई है।

2009 में सोरोस पहले भारत पहुंचे फिर मनमोहन सिंह दूसरी बार पीएम बने

22 मई 09 – मनमोहन सिंह ने दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली। जार्ज सोरोस 09 मई को भारत पहुंचे। शशि थरूर 9 मई को मंत्री बनने से 2 दिन पहले सोरोस से मिले थे। मनमोहन की बेटी 9 मई को जार्ज सोरोस के ओपन सोसायटी फाउंडेशन (ओएसएफ) में शामिल हुई। वहीं सोरोस ने स्थिर सरकार का हवाला देते हुए रैली को उचित ठहराया। साल 2009 में बड़े पैमाने हुए किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं के बावजूद सोरोस ने इसे सही ठहराया था।

कांग्रेस व सोरोस 2002 से पीएम मोदी के खिलाफ रच रहे षडयंत्र

कांग्रेस पार्टी गुजरात में 2002 में गोधरा दंगा के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ षडयंत्र रच रहा है। 2005 में इस साजिश में शामिल लोगों के नामों पर गौर करें तो पाएंगे- अब्दुल एम मुजाहिद (ISI), फाई (ISI), हर्ष मंदर (सोनिया सहयोगी), राजू राजगोपाल (सोनिया सहयोगी), जॉन प्रभुदास शामिल थे। ये सभी उस वक्त तत्कालीन गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी को वीजा नहीं मिले, इसके लिए काम कर रहे थे।

नरेंद्र मोदी से 2002 से हारते रहे हैं सोरोस

यह स्पष्ट है कि सोरोस जैसे लोग लंबे समय से भारत में कांग्रेस और वाम एजेंडा का प्रबंधन कर रहे थे। कांग्रेस सोरोस के सहारे मोदी को गुजरात की सत्ता से हटाने की साजिश 2002 से करती आ रही है। और सोरोस 2002 से मोदी से हारते रहे हैं। और अब दो बार से पीएम मोदी को केंद्र सरकार से हटाने में भी हार चुके हैं। चूंकि मोदी दो बार सफल हुए, सोरोस अपने शातिर विचारों में सफल नहीं हो पाए इसीलिए अब उन्हें खुद मैदान में सामने आना पड़ा। लेकिन भारतीय जनमानस विदेशी ताकत की नापाक हरकत को समझ चुके हैं। 2024 कांग्रेस के साथ ही सोरोस के अंत की इबारत भी लिखेगी।

जार्ज सोरोस दर्जनों देशों में कर चुके सत्ता परिवर्तन का खेल

देशों में आंदोलन खड़ा करके सत्ता परिवर्तन कराने के खेल में माहिर हो चुके जार्ज सोरोस ने हाल के वर्षों में यूक्रेन, किर्गिस्तान, जॉर्जिया, जॉर्जिया, फिलीपींस, चेकोस्लोवाकिया, ट्यूनीशिया, मिस्र, लेनन, सीरिया में सत्ता परिवर्तन करा चुके हैं। किस देश में किस क्रांति से सत्ता परिवर्तन हुआ है, नीचे देखिए-
नारंगी क्रांति – यूक्रेन
ट्यूलिप क्रांति – किर्गिस्तान
गुलाब क्रांति – जॉर्जिया
पीली क्रांति – फिलीपींस
मखमली क्रांति – चेकोस्लोवाकिया
अरब वसंत – ट्यूनीशिया, मिस्र, लेनन, सीरिया

इन क्रांतियों को गैर-सरकारी संगठनों द्वारा अंजाम दिया गया जिन्हें सोरोस द्वारा वित्त पोषित किया गया। इन देशों में सोरोस विरोधी सरकार को हटाकर सोरोस समर्थक सरकार स्थापित किया गया। सोरोस समर्थक सरकार एक कठपुतली सरकार के रूप में काम करती है। ये कठपुतली नेता विदेशी ताकतों के हित के लिए अपने देश को नष्ट कर देते हैं।

देशवासी 2024 में सोरोस को सबक सिखाएंगे

सोरोस सत्ता परिवर्तन का खेल अब भारत में करना चाहता है। भारतीय लोगों के लिए समय आ गया है कि वे इन पश्चिमी वैश्विकतावादी अभिजात वर्ग को सबक सिखाएं जो भारतीय लोकतंत्र को नियंत्रित करना चाहते हैं। जो भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करना चाहते हैं। जो भारत के विकास के पथ को रोकना चाहते हैं। जो आत्मनिर्भर होते भारत को फिर से दूसरों पर आश्रित देखना चाहते हैं। जो एक मजबूत भारत नहीं देखना चाहते। जो पीएम मोदी को कमजोर करना चाहते हैं। इन सभी शक्तियों को आज मुंहतोड़ जवाब देने की घड़ी आ गई है।

देश ने मोदी को दिल में बसाया, 2024 सोरोस के सपनों का अंत होगा

सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं भारतीय मतदाताओं को प्रभावित करने वाला यह सोरोस कौन होता है। भारतीय मतदाता निश्चित रूप से 2024 में मोदी जी को फिर से वापस लाएगा! 2024 सोरोस के सपनों का अंत होगा। देशों में शासन परिवर्तन के उसके मंसूबे का अंत भारत में होगा। भारत में ऐसा कुछ करने की कोशिश करना मुश्किल है। अब देश ने मोदी को दिल में बसा लिया है।

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