आजादी के बाद से लंबे समय तक कांग्रेस गुजरात की सत्ता पर काबिज रही, लेकिन पिछले 27 वर्षों से वह सत्ता का वनवास झेल रही है। कांग्रेस वहां हर चुनाव में वापसी के लिए बेताब रहती है। राज्य में बीजेपी 1995 में पहली बार सत्ता में आई और 1998 से लगातार सरकार में बनी हुई है। वर्ष 2001 से 2014 तक नरेंद्र मोदी लगातार मुख्यमंत्री रहे और 2014 से देश के प्रधानमंत्री हैं। अब केंद्र में भी कांग्रेस पिछले नौ साल से वनवास झेल रही है। 2002 में गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह बीजेपी ने जीत दर्ज की उसके बाद कांग्रेस को समझ में आ गया कि उसके लिए नरेंद्र मोदी सबसे बड़ा खतरा बनने वाले हैं। इसीलिए 2002 के बाद से ही उसने साजिश रचना शुरू कर दिया। गुजरात में उनको हर्ष मंदर से लेकर तमाम लोगों का साथ मिला वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जार्ज सोरोस भी इस षडयंत्र में शामिल थे।
This infographic in 2005 would have had following names:
– Abdul M Mujahid (ISI)
– Fai (ISI)
– Harsh Mander- Sonia associate
– Raju Rajagopal-Sonia stooge
– John Prabhudas (church stooge missing in the list)All were working for VISA ban on then Guj CM & now PM @narendramodi pic.twitter.com/NUqOBZtWOe
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) February 19, 2023
नरेंद्र मोदी से 2002 से हारते रहे हैं सोरोस
यह स्पष्ट है कि सोरोस जैसे लोग लंबे समय से भारत में कांग्रेस और वाम एजेंडा का प्रबंधन कर रहे थे। कांग्रेस सोरोस के सहारे मोदी को गुजरात की सत्ता से हटाने की साजिश 2002 से करती आ रही है। और सोरोस 2002 से मोदी से हारते रहे हैं। और अब दो बार से पीएम मोदी को केंद्र सरकार से हटाने में भी हार चुके हैं। चूंकि मोदी दो बार सफल हुए, सोरोस अपने शातिर विचारों में सफल नहीं हो पाए इसीलिए अब उन्हें खुद मैदान में सामने आना पड़ा। लेकिन भारतीय जनमानस विदेशी ताकत की नापाक हरकत को समझ चुके हैं। 2024 कांग्रेस के साथ ही सोरोस के अंत की इबारत भी लिखेगी।
सोरोस भारत में चाहता है कमजोर और गठबंधन सरकार
सोरोस और उनके जैसे लोग भारत में एक कमजोर और गठबंधन सरकार को पसंद करते हैं, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उसे चला सकें। एक स्थिर, पूर्ण बहुमत वाली सरकार से वे डरते हैं और इसीलिए उसे हटाना चाहते हैं। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि राहुल गांधी 2022 में जब ब्रिटेन में थे उसी समय सोरोस भी ब्रिटेन में था। यह डीपस्टेट का षड़यंत्र है जिसमें कांग्रेस सहित लेफ्ट लिबरल मिले हुए हैं।
Has George Soros invested $ 1 Billion in Congress Party to overthrow Modi? pic.twitter.com/DOD62k5UvJ
— 𝐒𝐮𝐝𝐡𝐢𝐫 🇮🇳 (@seriousfunnyguy) February 18, 2023
कांग्रेस 2002 के बाद से पीएम मोदी के खिलाफ रच रहा षडयंत्र
कांग्रेस पार्टी गुजरात में 2002 में गोधरा दंगा के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ षडयंत्र रच रहा है। 2005 में इस साजिश में शामिल लोगों के नामों पर गौर करें तो पाएंगे- अब्दुल एम मुजाहिद (ISI), फाई (ISI), हर्ष मंदर (सोनिया सहयोगी), राजू राजगोपाल (सोनिया सहयोगी), जॉन प्रभुदास शामिल थे। ये सभी उस वक्त तत्कालीन गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी को वीजा नहीं मिले, इसके लिए काम कर रहे थे।
While UPA was in power, Harsh Mander enjoyed unbridled access to Sonia Gandhi. He was given free hand and he weaved an intricate web of Gujarat riot fake campaign. His Pak connections helped him. Do u know Action Aid was involved in defending Godhra accused pic.twitter.com/QRndfD9vnT
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) February 19, 2023
हर्ष मंदर ने गुजरात दंगों का फर्जी अभियान चलाया
जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सत्ता में थी, तब हर्ष मंदर की सोनिया गांधी तक बेलगाम पहुंच थी और उन्होंने इसका फायदा भी उठाया। उन्हें खुली छूट दी गई थी और उन्होंने गुजरात दंगों के फर्जी अभियान का एक जटिल जाल बुना था। इस काम में उनके पाक कनेक्शन ने उनकी मदद की। यही वजह है कि हर्ष मंदर जिस एक्शन एड एनजीओ से जुड़े थे उसने गोधरा के अभियुक्तों का बचाव किया था।
Indian Muslim Relief committee (IMRC) had Jihadi links with SIMI but guess what Harsh Mander and his handlers created a new outfit by the name of Indian Muslim Relief & Charities (IMRC) and he was raising funds for them. Both shared same address in America pic.twitter.com/MPAuy62dcz
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) February 19, 2023
हर्ष मंदर ने बनाया था इंडियन मुस्लिम रिलीफ एंड चैरिटीज
इंडियन मुस्लिम रिलीफ कमेटी (IMRC) के सिमी के साथ जिहादी संबंध थे, लेकिन अंदाजा लगाइए कि हर्ष मंदर और उसके संचालकों ने इंडियन मुस्लिम रिलीफ एंड चैरिटीज (IMRC) के नाम से एक नया संगठन बनाया और वह उनके लिए धन जुटा रहा था। दोनों का अमेरिका में एक ही पता था।
जॉन प्रभुदास ने वाशिंगटन में थिंक टैंक लॉन्च किया
चर्च के एजेंट जॉन प्रभुदास ने वाशिंगटन में एक थिंक टैंक लॉन्च किया और वही थिंक टैंक पीएम मोदी को यूएस वीजा नहीं मिले इस अभियान में लगा हुआ था। इसके अलावा वह पाक के साथ जिहादी समर्थित साजिश का भी हिस्सा था।
Mander kept adding names to his Gujarat riots campaign and thanks to his foreign funding, money was never an issue. NFI set up in 1990 by 2006 became what can be termed as mini NAC -with then PM of India as one of its members. It’s funding during those days will help unmask many pic.twitter.com/j2Z5HLwuYS
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) February 19, 2023
NFI 2006 में बन गया मिनी NAC
हर्ष मंदर अपने गुजरात दंगों के अभियान में लोगों को जोड़ते रहे और और उन्हें विदेशी फंडिंग मिलती रही। इस अभियान को चलाने के लिए पैसे की कभी कमी नहीं आई। 1990 में स्थापित National Foundation For India(NFI) 2006 तक इस रूप में सामने आया कि जिसे मिनी National Advisory Council (NAC) कहा जा सकता है। भारत के तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह इसके एक सदस्य थे। उन दिनों के दौरान इसकी फंडिंग कई लोगों को बेनकाब करने में मदद करेगी।
Writing for Rediff in 2006, late B Raman blamed Xtian plus Muslim orgs for VISA denial to then Guj CM and now PM @narendramodi – game was simple to highlight the issue and make him pariah world over. NGOs and Mander-Sonia’s kitchen cabinet member- played role in this pic.twitter.com/taf6rELi7j
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) February 19, 2023
मोदी को दुनियाभर में अछूत बनाने की थी साजिश
2006 में Rediff के लिए लिखते हुए दिवंगत बी रमन ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री मोदी को वीज़ा देने से इनकार करने के लिए क्रिश्चियन और मुस्लिम संगठनों को दोषी ठहराया। इसके पीछे साजिश वही थी कि मोदी को गुजरात दंगों का आरोपी बनाकर दुनियाभर में अछूत बना दो। एनजीओ और मंदर-सोनिया के किचन कैबिनेट सदस्य ने इसमें भूमिका निभाई।
2014 के बाद इस इकोसिस्टम ने अपना रूप बदला, विदेश तक जाल फैलाया
कांग्रेस 10 साल तक सत्ता में रही और उसने नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों के मामलों में झूठा फंसाने के लिए हर activist को उसकी भूमिका के आधार पर सबकुछ दिया गया। लेकिन यह विफल रहा और नरेंद्र मोदी को 2014 में जनता ने सिर आंखों पर बिठाया और वह प्रधानमंत्री बने। अब उसकी चुनौती और बड़ी हो गई।
उसके बाद एक नया दौर शुरू होता है…गुजरात दंगों के दौर में मोदी को फंसाने के लिए बनाए गए पुराने संगठनों को या तो भंग कर दिया गया या बंद कर दिया गया और नए नाम सामने लाए गए। इसने एक बड़े इकोसिस्टम का निर्माण किया जिसने अपना जाल दूर तक देश के बाहर भी फैलाया और नए सदस्यों को इसमें शामिल किया।
सोरोस-हर्ष मंदर-गांधी लॉबी ने अब हिंदू विरोधी खेल में जुटी
वर्ष 2002 से जार्ज सोरोस-हर्ष मंदर-गांधी लॉबी द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ खेल खेला जा रहा है। लेकिन अब यह हिंदू विरोधी खेल में बदल गया है। कांग्रेस द्वारा समर्थित वैश्विक एक्टिविस्ट, दानदाता, फंड देने वाले और विदेशों में बसे लेफ्ट लिबरल भारतीय का गुट अब पीएम मोदी को रोकना चाहता है। डीपस्टेट अब इस बात से घबराया हुआ है कि भारत का विकास शक्ति संतुलन को वापस एशिया में स्थानांतरित कर देगा जैसा कि 1760 के दशक से पहले था। चूंकि पीएम मोदी भारत के विकास के साथ ही सनातन संस्कृति को भी गौरव प्रदान कर रहे हैं तो अब लेफ्ट लिबरल गैंग हिंदुओं को बदनाम करने के षडयंत्र में जुट गई है।
डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व यानि हिंदुत्व को बदनाम करने का उपक्रम
वर्ष 2021 में डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व का आयोजन हिंदू धर्म को बदनाम करने की इसी डीप स्टटे की साजिश थी। इस तथाकथित सम्मेलन के आयोजकों का अता-पता नहीं चला। अचानक इंटरनेट मीडिया पर इसकी घोषणा होती है। इसकी एक वेबसाइट बना दी जाती है जिस पर तीन दिन के आनलाइन सम्मेलन की घोषणा की जाती है। उसपर अमेरिकी विश्वविद्लायों के नाम जुड़ जाते हैं। ट्वीटर पर एक हैंडल बनाया जाता है और उससे इस सम्मेलन की गतिविधियां पोस्ट की जाने लगती हैं। दावा किया जाता है कि अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों के विभागों का समर्थन इस सम्मेलन को प्राप्त है। तीन दिन के सम्मेलन में घिसे पिटे विषयों को लेकर आनलाइन चर्चा सत्र आयोजित होते हैं। इन सत्रों में वही घिसे पिटे वक्ता होते हैं जिन्होंने अपने देश में अपनी प्रासंगिकता खो दी है। असहिष्णुता और पुरस्कार वापसी के प्रपंच में भी इनमें से कइयों का नाम सामने आया था। तब भी वो सब भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ एकजुट होकर सामने आए थे।
ग्लोबल हिंदुत्व को खत्म करना उसी नैरेटिव गेम का हिस्सा
ग्लोबल हिंदुत्व को खत्म करना उसी नैरेटिव गेम का हिस्सा था। भारत जोड़ो उस नैरेटिव गेम का विस्तार था, राणा अय्यूब और कई अन्य लोग उसी गेम का हिस्सा हैं और इसलिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट और बीबीसी डॉक्यूमेंट्री आती है। दरअसल वे हताशा में काम कर रहे हैं और जब उन्हें इन षडयंत्रों से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले तो अब जार्ज सोरोस खुलकर सामने आ गए, लेकिन इसे खेल बिगाड़ने का अंत ही कहा जाएगा! 2024 में इन सब पर लगाम लग जाएगा।
अच्छा हुआ सोरोस बिल से बाहर आ गया, दुश्मन का पता चल गया
हमारी 1000 साल पुरानी गुलामी ने हमे सिखाया है कि हम अपनी पूरी ताकत से विदेशी हस्तक्षेप को रोकते हैं और वे इसे अच्छी तरह से महसूस करते हैं। यही वजह है कि सोरोस का हर एजेंट अब खुद को उससे दूर करने लगा है। सोरोस जिस तरह से और जिस रूप में सामने आया है उससे अब यह साफ हो गया है कि वह भारत को कमजोर करना चाहता है। और अब भारतीय जनता एकजुट होकर उसे सबक सिखाएगी उसका और उसके एजेंटों का सामूहिक आतंक करेगी।
एनजीओ, एक्टिविस्ट और फंडिंग की पोल खोलती किताब
राधा राजन और किशन काक एक बेहतरीन किताब लिखी है- NGO, Activists and Foreign Funds- Anti Nation Industry. इस किताब के जरिये विदेशी फंडिंग के मौजूदा कनेक्शनों को उनके पुराने और बंद किए गए कनेक्शनों पर मैप किया जा सकता है। इस रूप में यह एक गोल्डन बुक है कि किस तरह सोनिया गांधी के इशारे पर नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए व्यूह रचना की गई और इसमें एनजीओ, एक्टिविस्ट शामिल किए गए।
22 May 09-Manmohan Singh was sworn in as PM for the second time.
May 09-Soros landed in India
May 09-@ShashiTharoor met him 2 days prior to his becoming a minister (pic1)
May 09- Manmohan daughter joined OSF (2)
May 09: Soros justified rally citing stable Govt (3) pic.twitter.com/O9iwzdY4oF
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) February 19, 2023
2009 में सोरोस पहले भारत पहुंचे फिर मनमोहन सिंह दूसरी बार पीएम बने
22 मई 09 – मनमोहन सिंह ने दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली। जार्ज सोरोस 09 मई को भारत पहुंचे। शशि थरूर 9 मई को मंत्री बनने से 2 दिन पहले सोरोस से मिले थे। मनमोहन की बेटी 9 मई को जार्ज सोरोस के ओपन सोसायटी फाउंडेशन (ओएसएफ) में शामिल हुई। वहीं सोरोस ने स्थिर सरकार का हवाला देते हुए रैली को उचित ठहराया। साल 2009 में बड़े पैमाने हुए किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं के बावजूद सोरोस ने इसे सही ठहराया था।
22 May 09-Manmohan Singh was sworn in as PM for the second time.
May 09-Soros landed in India
May 09-@ShashiTharoor met him 2 days prior to his becoming a minister (pic1)
May 09- Manmohan daughter joined OSF (2)
May 09: Soros justified rally citing stable Govt (3) pic.twitter.com/O9iwzdY4oF
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जार्ज सोरोस की कंपनी में मनमोहन सिंह की बेटी
मनमोहन सिंह की बेटी को सोरोस में शामिल होने की अपनी तारीख पर सफाई देनी चाहिए कि क्या यह 9 मई को सोरोस की दिल्ली यात्रा के बाद हुई। क्या उनकी ज्वाइनिंग उनके पिता के शपथ ग्रहण के साथ हुआ था या बाद में?
For longest and esp during Cong rule, @ShekharGupta was the beneficiary of access to Soros. When Soros came calling at the time of Govt formation in May 09, Gupta got to interview him for his WTT https://t.co/gUTQ8ZMlMl pic.twitter.com/fIsqM10H7i
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) February 19, 2023
सोरोस के इंटरव्यू के बाद सेंसेक्स में उछाल
2008 के अंत में, सेंसेक्स 20,465 अंक से गिरकर 9716 अंक पर आ गया। 6 जून 2009 को शेखर गुप्ता ने जॉर्ज सोरोस का इंटरव्यू लिया जो कि ndtv पर प्रसारित हुआ। इसके बाद सेंसेक्स ने 15000 अंक को छू लिया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी के कुछ बड़े वकील एवं नेता भी जॉर्ज सोरोस जैसे लोगों के साथ कमाते थे। एक निष्ठावान सैनिक की तरह शेखर गुप्ता ने उन्हें यूपीए सरकार के बारे में अच्छा बोलने में कामयाब किया और मनमोहन सिंह के लिए एक सलाह भी उन्होंने दिया। यानी सोरोस की खीझ तो अब इसलिए भी होगी कि उससे कोई सलाह भी नहीं ले रहा है।
In Jan 2020, after Soros’s outburst against PM @narendramodi , Shekhar Gupta, not only managed to get him write for his print but gave him good cover fire with 2 more stories on the same day. Cute, isn’t it @ShekharGupta ? pic.twitter.com/yosaDtyVSh
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) February 19, 2023
शेखर गुप्ता सोरोस इकोसिस्टम से गहरे जुड़े हुए हैं
शेखर गुप्ता सोरोस इकोसिस्टम से गहरे जुड़े हुए हैं। जनवरी 2020 में, पीएम मोदी के खिलाफ सोरोस ने एक बार फिर जहर उगला और शेखर गुप्ता को ये भा गया। गुप्ता ने न केवल उन्हें अपने प्रिंट के लिए लिखने में कामयाब रहे बल्कि उसी दिन उन्हें दो और समाचार के साथ अच्छा कवर फायर दिया। कोई ये सब बिना फायदे के क्यों करेगा।
शेखर गुप्ता करते रहे हैं सोरोस का महिमामंडन
शेखर गुप्ता को जब भी मौका मिला है वे सोरोस का महिमामंडन करने से बाज नहीं आते हैं। यहां भी, उनके मंच को सोरोस जैसे आर्थिक आतंकवादी का महिमामंडन करते देखा जा सकता है! उसका इंटरव्यू हो या OpEd कॉलम शेखर गुप्ता को यह जवाब देना चाहिए कि उसके लिए भारत का राष्ट्रीय हित अधिक महत्वपूर्ण है या सोरोस के विचार।