नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच टकराव जारी है। एक तरफ जहां सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, वहीं किसान इसको रद्द करने की मांग पर अड़े हुए है। इसी बीच सरकार के लिए राहत की बात है कि अब किसान भी नए कृषि कानूनों के समर्थन में खुलकर सामने आने लगे हैं। हरियाणा के बाद उत्तराखंड के किसानों के एक प्रतिनिधमंडल ने रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया।
उत्तराखंड के किसानों का कहना है कि सितंबर में बने तीनों कानून कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होंगे। किसानों ने दिल्ली में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ बैठक की। कृषि मंत्री ने बैठक खत्म होने के बाद कहा कि उत्तराखंड से आए किसान भाई मुझसे मिले और उन्होंने कृषि सुधार को समझा और अपनी राय दी। केंद्र सरकार की ओर से भी सभी किसान भाइयों का आभार व्यक्त करता हूं। किसानों के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं।
Today farmers from Uttarakhand met me in support of the #FarmLaws. I would like to thank the farmers who understood the laws, expressed their views and supported it: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar. https://t.co/utiJh3L6Vp pic.twitter.com/u2vQB2fAPc
— ANI (@ANI) December 13, 2020
उत्तराखंड के किसान नेताओं ने कृषि मंत्री को बताया कि तीनों कानून सरकार ने किसानों के हित में बनाए हैं। सुधार भले हो सकते हैं, लेकिन कानून को वापस लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। उत्तराखंड के किसानों ने सरकार से इस मामले पर दबाव में न आने की अपील की। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विपक्षी दल आंदोलन की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं।
इससे पहले हरियाणा के किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पद्मश्री से सम्मानित सोनीपत के प्रगतिशील किसान क्लब के अध्यक्ष कंवल सिंह चौहान की अगुवाई में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात की और सितंबर में बने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया। कृषि मंत्री तोमर से मुलाकात के बाद कंवल सिंह चौहान ने कहा कि विरोध कर रहे किसानों को गुमराह किया जा रहा है। किसान संगठनों ने कृषि मंत्री से कृषि कानून रद्द नहीं करने की मांग की। किसान संगठनों ने इस संबंध में कृषि मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा।
हरियाणा के किसानों ने कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसानों की मांग के अनुसार कानून में सुधार करना चाहे तो उसका स्वागत है, लेकिन अगर कानून निरस्त किए गए तो वो इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले और भी कुछ किसान संगठन कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार ने कानून वापस न लेकर उनमें केवल संशोधन करने की हामी भरी है।