सन 2021 में भारत के सीएए-एनआरसी (CAA- NRC) के खिलाफ सीनेट में भाषण देने वाले एरिक गार्सेटी (Eric Garcetti ) अब भारत में अमेरिका के राजदूत होंगे। वे CAA को मानवाधिकार विरोधी मानते हैं। लॉस एंजिल्स के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी का विवादों से गहरा नाता रहा है। मेयर रहने के दौरान उनके करीबी पर यौनशोषण का आरोप लगा। उनके कार्यकाल के दौरान लॉस एंजिल्स में गरीबी बढ़ी, बेघरों की संख्या बढ़ी और इसके लिए उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। एरिक गार्सेटी राष्ट्रपति जो बाइडन के चुनाव प्रचार अभियान के सह अध्यक्ष थे। उन्हें जो बाइडन का काफी करीबी माना जाता है। माना जा रहा था कि गार्सेटी बाइडन कैबिनेट में शामिल किए जा सकते हैं लेकिन यौनशोषण के आरोपों के कारण उन्हें सरकार में शामिल नहीं किया गया। उसके बाद उन्हें भारत में अमेरिका का राजदूत नामित किया गया लेकिन यौनशोषण की वजह से ये विवादों में रहा और लगभग दो साल तक उनकी नियुक्ति लंबित रही।
दो साल से लंबित गार्सेटी की नियुक्ति को डीप स्टेट ने दिलाई मंजूरी
एरिक गार्सेटी की नियुक्त अधर में लटने होने के बीच अमेरिकी डीप स्टेट की एंट्री होती है जो लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ माहौल बनाने में जुटा है। उसे भारत में अपने मंसूबे को कामयाब करने में गार्सेटी उपयुक्त व्यक्ति लगा। फिर येन-केन प्रकारेण गार्सेटी की नियुक्ति को मंजूरी दिला दी गई। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में एरिक गार्सेटी का नामंकन जुलाई 2021 से ही लंबित था। जनवरी 2021 से भारत में अमेरिका का कोई राजदूत नहीं था, तकरीबन दो साल के बाद अमेरिका ने भारत में अपना स्थायी राजदूत को नियुक्त किया है। डीप स्टेट की शह पर एरिक गार्सेटी 2024 से पहले भारत में कई तूफ़ान खड़ा करेंगे।
Do watch this brilliant profile of Eric Garcetti- US Ambassador in waiting- by @jayeshmatiyal & @Abhiisshhek
pic.twitter.com/rllfli67Kj— Alok Bhatt (@alok_bhatt) March 13, 2023
भारत में मानवाधिकार आंदोलनजीवियों से सीधे जुड़ेंगेः गार्सेटी
गार्सेटी खुले तौर पर घोषणा कर चुके हैं कि वो भारत में कथित मानवाधिकार आंदोलनजीवियों से सीधे तौर पर जुड़ेंगे। वर्ष 2024 में देश में आम चुनाव हैं और इन चुनावों को लेकर देशविरोधी शक्तियों की सक्रियता किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में यह घोषणा महत्वपूर्ण हो जाती है
Let him come here – प्यार से समझा देंगे😂🤣💪@DrSJaishankar quipped on @ericgarcetti 's comment that CAA is discriminatory to Muslims. (Eric Garcetti is US Ambassador to India)
Jaishankar said assertively that the US should look at their own citizenship criteria before… https://t.co/fRMpdqXTmK pic.twitter.com/qzXxxwYw7d
— Modi Bharosa (@ModiBharosa) March 18, 2023
आने दीजिए उन्हें, प्यार से समझा देंगेः जयशंकर
भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करने का वादा करने वाले एरिक गार्सेटी की नियुक्ति पर विदेश मंत्री जयशंकर से सवाल किया गया था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर भारत में नए अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के विरोध का जवाब दिया। जयशंकर ने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘आने दीजिए उन्हें, प्यार से समझा देंगे।’ गार्सेटी नागरिकता संशोधन कानून को मुस्लिम विरोधी बता चुके हैं।
गार्सेटी को 52 में 42 वोट मिले
अमेरिकी संसद की विदेश मामलों से संबंधित समिति ने भारत में राजदूत के लिए लॉस एंजिल्स के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी के नाम पर मुहर लगा दी है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने एरिक गार्सेटी के नाम का प्रस्ताव समिति के पास भेजा था। कुल 52 वोट भारत में अमेरिकी राजदूत के लिए डाले गए, जिसमें से 42 वोट एरिक गार्सेटी के पक्ष में पड़े।
गार्सेटी के करीबी पर यौन उत्पीड़न के आरोप
गार्सेटी (52) लॉस एंजिलिस के पूर्व मेयर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सबसे पहले उन्हें जुलाई 2021 में भारत में अमेरिकी राजदूत के पद के लिए नामित किया था। हालांकि, बाइडन के राष्ट्रपति कार्यकाल के शुरुआती दो वर्षों में गार्सेटी के नामांकन को इसलिए मंजूरी नहीं मिल सकी, क्योंकि कुछ सांसदों ने यह कहते हुए उनकी नियुक्ति का विरोध किया था कि वह मेयर रहने के दौरान अपने एक वरिष्ठ सलाहकार पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों से प्रभावी ढंग से निपटने में नाकाम रहे थे। बाइडन ने इस साल जनवरी में गार्सेटी को दोबारा इस पद के लिए नामित किया था। भारत में अमेरिका के पिछले राजदूत केनेथ जस्टर ने जनवरी 2021 में अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद इस पद से इस्तीफा दे दिया था।
#URGENTACTION– ask your Senator to reject the nomination of @EricGarcetti to Ambassador of #India. His undiplomatic, sanctimonious attitude will alienate Indians, hurt persecuted Hindu minority in IndianSubcontinent harm #USIndia relations
Petition: https://t.co/sFFk3hZyLK
— HinduPACT (@hindupact) March 14, 2023
भारतीय अमेरिकी संगठन हिंदूपैक्ट ने किया विरोध
भारतीय अमेरिकी संगठन हिंदूपैक्ट ने एरिक गार्सेटी की नियुक्ति पर नाखुशी जाहिर की है। उसने कहा है कि एरिक का अनुशासनहीन और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का रवैया बहुसंख्यक भारतीयों को अलग-थलग कर देगा और अमेरिका-भारत संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा।
कौन हैं एरिक गार्सेटी?
उनकी वेबसाइट के अनुसार, उनका पालन-पोषण सैन फर्नांडो घाटी में हुआ था। उन्होंने बी.ए. और एम.ए. की पढ़ाई कोलंबिया विश्वविद्यालय से की। वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में रोड्स स्कॉलर थे और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) में भी पढ़े। उन्होंने ऑक्सिडेंटल कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया (USC) में भी शिक्षण कार्य किया है। गार्सेटी ने 12 वर्षों तक यूनाइटेड स्टेट्स नेवी रिजर्व में एक अधिकारी के रूप में भी काम किया। जुलाई 2013 से दिसंबर 2022 तक वह लॉस एंजिल्स के 42वें मेयर थे। इसके साथ ही वह अमेरिका के सरे सबसे बड़े शहर के पहले यहूदी मेयर रहे। उन्हें सिटी काउंसिल (2006-2012) के अध्यक्ष के रूप में सेवा देने के लिए उनके साथियों द्वारा चार बार चुना गया था।
2013 में पहली बार लड़ा था मेयर का चुनाव
एरिक गार्सेटी एक बेहतरीन फोटोग्राफर, कंपोजर और पियानिस्ट भी हैं। गार्सेटी अमेरिकी नेवी में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 2013 में पहली बार उन्होंने मेयर का चुनाव लड़ा और उन्हें इसमें जीत मिली थी। 2017 में उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और इसमें जीत हासिल की।
गार्सेटी की पत्नी रोड्स स्कॉलर रह चुकी
गार्सेटी के जीवन में मेयर कार्यकाल में उनके दोस्त और सलाहकार रिक जैकब्स के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों सहित कई विवाद देखे गए। गार्सेटी ने बार-बार जोर देकर कहा कि वह जैकब्स के कथित व्यवहार से बेखबर थे। उनके पिता, गिल ने लॉस एंजिल्स काउंटी के 40 वें जिला अटॉर्नी के रूप में दो कार्यकालों में सेवा की. उनकी पत्नी, एमी ऑक्सफोर्ड में रोड्स स्कॉलर थीं। कपल की शादी जनवरी 2009 में हुई थी और वे एक गोद ली हुई बेटी के माता-पिता हैं।
2021 से लंबित था गार्सेटी का नामांकन
अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में जुलाई 2021 से ही गार्सेटी का नामांकन लंबित था, जब उन्हें राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस प्रतिष्ठित राजनयिक पद के लिए नामांकित किया था। पिछले सप्ताह सीनेट की विदेश मामलों की समिति ने अपनी कार्य मंत्रणा बैठक में आठ के मुकाबले 13 मतों से गार्सेटी के पक्ष में मतदान किया था। केनिथ जस्टर भारत में अमेरिका के आखिरी राजदूत थे, जिन्हें जनवरी 2021 में अमेरिकी सरकार ने वापस बुला लिया था।
विवादों से रहा है नाता
एरिक गार्सेटी पर अपने सहयोगी रिक जैकब्स के यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। जुलाई 2021 में भारत में अमेरिका का स्थायी राजदूत के रूप में गार्सेटी का नाम प्रस्तावित किया गया था। विदेश संबंध समिति के पास ये प्रस्ताव आया तो विरोध के चलते इसपर फैसला नहीं हो पाया। इससे पहले माना गया था कि वह बाइडन की कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं, लेकिन रिक जैकब्स विवाद के सामने आने के बाद उनका यह मौका खत्म हो गया। 9 जनवरी 2020 को गार्सेटी ने डेमोक्रेटिक पार्टी के नॉमिनेशन के लिए बाइडन को एंडोर्स किया था। हालांकि, साल 2017 तक गार्सेटी खुद को अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए सफल उम्मीदवार के तौर पर देखते थे।
गार्सेटी की नियुक्ति अमेरिका के पतन को गति देगा
गार्सेटी के नामांकन पर रोक लगाने वाले फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने हाल ही में कहा था, ‘मैं इन बेतुके नामांकनों से आंखें नहीं बंद करूंगा जो अमेरिका के पतन को गति देगा।’ इस बात में कोई संदेह नहीं है कि वर्ष 2000 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत गए थे, तब से लेकर अब तक दोनों देश एक लंबा रास्ता तय कर चुके हैं। आगे दूर तलक जाना भी है। हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रम्प जैसे आयोजनों से हम आगे निकल चुके हैं।
गार्सेटी ने ट्रंप को हटाने के लिए शुरू किया था ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन
25 मई 2020 को अमेरिकन पुलिस अधिकारियों ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर अश्वेत व्यक्ति की बेवजह ही निर्मम हत्या कर दी थी। यह पूरी घटना बीच रोड पर अंजाम दी गई जिसे बहुत से लोगों ने अपने कैमरे में कैद भी कर लिया। पुलिस द्वारा मारे गए उस व्यक्ति का नाम जॉर्ज फ्लाइड था। अमेरिका में यह पहली बार नहीं हुआ था क्योंकि पहले 20 साल 2014 के अगस्त में पुलिस अधिकारियों द्वारा माइकल ब्राउन नामक अफ्रीकी अमेरिकन की हत्या कर दी गई थी। इससे पहले भी गोरे और काले के रंगभेद के चलते बहुत सारी हत्याएं इस प्रकार की जा चुकी है। गार्सेटी ने रंगभेद के इस मुद्दे को हवा देकर ट्रंप के खिलाफ ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन ‘एन्टीफा’ शुरू करवाया। गार्सेटी ने 25 मई को हुए इस हादसे के बाद ट्रंप के खिलाफ ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जो बाइडन के पक्ष में माहौल बनाया और जो बाइडन कम मार्जिन से ही सही चुनाव जीतने में सफल रहे।
गार्सेटी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लोगों से चंदा लिया
गार्सेटी यह भी आरोप लगा कि बाइडन के चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने अमेरिका के उद्योग जगत के साथ ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लोगों से भी चंदा लिया था। इसी कर्ज को उतारने के लिए जुलाई 2021 में बाइडन ने उन्हें भारत में अमेरिका का राजदूत बनाया था। उसी वक्त सीनेट की एक रिपोर्ट में उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने नजदीकी सलाहकारों में से एक रिक जैकब्स के खिलाफ लगे यौन प्रताड़ना के आरोपों की अनदेखी की थी। इस मामले ने तूल पकड़ा। जांच कमिटी बैठी और पूरे एक साल सुनवाई हुई, जिसके बाद वोटिंग हुई।
ट्रम्प राज में काले लोग पीड़ित, मोदी राज में मुसलमान
गार्सेटी अब भारत में इस एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे कि डोनाल्ड ट्रम्प के राज में काले लोग पीड़ित थे और नरेंद्र मोदी के राज में मुसलमान पीड़ित हैं। जैसे वहां एन्टीफ़ा इस हिंसा को लीड कर रहा था, वैसे ही यहां लेफ्ट लिबरल इसे लीड करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि दोनों जगह मूल फंडिंग करने वाला वही डीप स्टेट एजेंट जार्ज सोरोस है। आरोप है कि करीब 500 बिलियन डॉलर ट्रम्प के शासन काल में रहते हुए खर्च किये गए ताकि ट्रम्प के हर काम को लेकर विरोध भड़काया जा सके।
ट्रम्प हो या मोदी हर राष्ट्रवादी सरकार हटाना चाहता है डीप स्टेट
अब जब खुलासे बाहर आ रहे हैं तो पता चल रहा है कि किस तरह ट्रम्प के खिलाफ साजिश चल रही थी। क्यों ट्रम्प को फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म से हटा दिया गया और कैसे इनकी हिम्मत हो गयी कि अपने ही राष्ट्रपति के एकाउंट ये डिलीट कर दें। अब पता चल रहा है कि कैसे पूरे विश्व में ट्रम्प हो या मोदी हर राष्ट्रवादी सरकार समर्थकों के एकाउंट्स पर हमला होता था, बात बात पर उन्हें सस्पेंड किया जाता था, उनकी रीच खत्म कर दी जाती थी ताकि उनकी बात जनता तक न पहुंच सके जिससे एन्टी सरकार वाले ही अपना एजेंडा चला सकें। कैसे ट्रम्प की समर्थक मीडिया को भी उसके खिलाफ आखिरी समय में बंद कर दिया गया।