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Year Ender 2023: गरीबों के लिए वरदान बने पीएम मोदी, देश में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से निकले

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आजादी के बाद देश पर अधिकतर समय कांग्रेस ने शासन किया लेकिन गरीबी दूर करने का केवल नारा ही दिया। इंदिरा गांधी ने 1971 में ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। उसके बाद कांग्रेस करीब 40 से अधिक समय तक सरकार में रही लेकिन नीयत ठीक नहीं थी और गरीबी दूर नहीं हुई। ‘गरीबी हटाओ’ के नाम पर नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस के नेता अमीर होते गए, जबकि गरीबों की जिंदगी में कोई सुधार नहीं हुआ। कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार और घोटालों की वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभालने के साथ ही गरीबों के कल्याण के लिए काम करना शुरू कर दिया। सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ सीधे गरीबों तक पहुंचाया। उनकी कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं ने गरीबों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इसका प्रमाण नीति आयोग द्वारा जुलाई 2023 में जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक की रिपोर्ट से मिलता है। इस सूचकांक के मुताबिक पिछले पांच सालों में करीब 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। मोदी सरकार ने गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की जिसकी वजह से गरीबों का जीवन आसान हुआ है और उनका जीवन स्तर बेहतर हुआ है। 

देश में गरीब लोगों का प्रतिशत 24.85 से घटकर हुआ 14.96 प्रतिशत
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने 17 जुलाई, 2023 “राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांकः एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023” की रिपोर्ट जारी की। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के कार्यकाल में दो नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे हुए। इससे पता चलता है कि बहुआयामी गरीबी को कम करने में मोदी सरकार को बड़ी सफलता मिली है। 2015-16 और 2019-20 के बीच देश में गरीबों की संख्या करीब 24.85 प्रतिशत थी, जो अब गिरकर करीब 14.96 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यानि कुल 9.89 प्रतिशत की शानदार गिरावट सामने आई है।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के प्रतिशत में तेज गिरावट
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में गरीबी के प्रतिशत में गिरावट आई है। 2015-16 और 2019-20 के दौरान शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत हो गई, इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी काफी तेजी से 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है । यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए जो कि गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है। 36 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी संबंधी अनुमान प्रदान करने वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तीव्र कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान राज्यों में हुई है।

2030 से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य हासिल करेगा भारत

मोदी सरकार गरीबी उन्मूलन की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इसका असर भी दिखाई दे रहा है। एमपीआई मूल्य 0.117 से लगभग आधा होकर 0.066 हो गया है। वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच गरीबी की तीव्रता 47 प्रतिशत से घटकर 44 प्रतिशत हो गई है, जिसके फलस्वरूप भारत 2030 की निर्धारित समय सीमा से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा कम करने का लक्ष्य) को हासिल करने के पथ पर अग्रसर है। इससे सतत और सबका विकास सुनिश्चित करने और वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन पर सरकार का रणनीतिक फोकस और एसडीजी के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

गरीबी सूचकांक के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार

गरीबी उन्मूलन की दिशा में यह सफलता स्वच्छता, पोषण, रसोई गैस, वित्तीय समावेशन, पेयजल और बिजली तक गरीबों की बढ़ती पहुंच से मिली है। मोदी सरकार ने इस दिशा में काफी काम किया है। इसका परिणाम है कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य में अभावों को कम करने में योगदान दिया है, जबकि स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) और जल जीवन मिशन (जेजेएम) जैसी पहलों ने देशभर में स्वच्छता संबंधी सुधार किया है। स्वच्छता अभावों में इन प्रयासों के प्रभाव के परिणामस्वरूप तेजी से और स्पष्ट रूप से 21.8 प्रतिशत अंकों का सुधार हुआ है।

मोदी सरकार की योजनाओं ने बदली महिलाओं और गरीबों की जिंदगी

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के माध्यम से सब्सिडी वाले रसोई गैस ने महिलाओं के जीवन को सकारात्मक रूप से बदल दिया है, और रसोई गैस की कमी में 14.6% अंकों का सुधार हुआ है। सौभाग्य, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) और समग्र शिक्षा जैसी पहलों ने भी बहुआयामी गरीबी को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। विशेष रूप से बिजली के लिए अत्यन्त कम अभाव दर, बैंक खातों तक पहुंच तथा पेयजल सुविधा के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त करना नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने और सभी के लिए एक उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

आइए देखते हैं हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की नवीनतम रिपोर्ट में किस तरह भारत में गरीबी दूर करने में सफलता मिली है… 

यूएन ने की मनमोहन और मोदी सरकार में गरीबों पर तुलनात्मक स्टडी
इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और फिर मनमोहन सरकार तक गरीबी हटाओ के नारे के साथ सिर्फ चुनाव ही जीतती रही हैं। गरीबी के उत्थान और उनके कल्याण के लिए कांग्रेस सरकारों ने कभी गंभीरता के साथ कोई कार्यक्रम नहीं चलाए। यही वजह है कि कांग्रेस सरकारों के दौरान देश के करोड़ों लोग गरीबी और महंगाई के कुचक्र में फंसे रहे। संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की नवीनतम रिपोर्ट में भारत का जिक्र करते हुए बताया गया कि कांग्रेस की मनमोहन सरकार के दौरान साल 2005-2006 में जहां 55% लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, वहीं साल मोदी सरकार के कार्यकाल में 2021 तक ही गरीबी के आंकड़े घटकर 16% ही रह गए। पीएम मोदी के शत-प्रतिशत सैचुरेशन और हर योजना को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के विजन के चलते ही गरीबी सूचकांक में भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है।पीएम मोदी के विजन से पहले कार्यकाल में ही घट गए करोड़ों गरीब
संयुक्त राष्ट्र ने 11 जुलाई को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत की गरीबी को खत्म करने में उल्लेखनीय उपलब्धियों की मुक्त कंठ से सराहना की। इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (ओपीएचआई) ने संयुक्त रूप से जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे भारत में पिछले एक दशक में गरीबों के आंकड़ों में आशातीत कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में मनमोहन सरकार के दौरान देश में 64.45 करोड़ गरीब थे। मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेन्द्र मोदी गरीब कल्याण के प्रति निरंतर समर्पित रहे। गरीबों के वास्तविक उत्थान की उनकी सोच का ही सुपरिणाम है कि 2016 में भारत में गरीबों की संख्या घटकर 37 करोड़ ही रह गई।सबसे गरीब राज्यों और वंचित जाति समूहों में गरीबी में गिरावट सबसे तेज
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में सभी संकेतकों में उल्लेखनीय गिरावट आई है। इसमें भी सबसे गरीब राज्यों और वंचित जाति समूहों में गरीबी में गिरावट सबसे तेज दर्ज की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गरीबी के विभिन्न दरों वाले देशों ने अपने वैश्विक एमपीआई मूल्य को आधा कर दिया है। जबकि ऐसा करने वाले 17 देशों में पहली अवधि में 25 प्रतिशत से कम गरीबी दर थी, वहीं भारत और कांगो में तो शुरुआती दर 50 प्रतिशत से ऊपर थी। इस ” तरह भारत उन 19 देशों में शामिल था, जिन्होंने एक अवधि के दौरान अपने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक के (एमपीआई) मूल्य को आधा कर दिया था। रिपोर्ट में कोरोना काल के कारण अध्ययन की मुश्किलों का भी जिक्र है।

भारत इसी साल चीन को पीछे छोड़कर बना सबसे अधिक आबादी वाला देश
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2023 में भारत 142.86 करोड़ लोगों की आबादी के साथ चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया। रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारत में विशेष रूप से गरीबी में उल्लेखनीय कमी दिखी। यहां डेढ़ दशक की अवधि के भीतर 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। रिपोर्ट बताती है कि गरीबी से निपटा जा सकता है। भारत में 2005-2006 से 2019-2021 के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। 2005-2006 में जहां गरीबों की आबादी 55.1 प्रतिशत थी, वह 2021 में घटकर 16.4 प्रतिशत हो गई।सभी संकेतकों में कमी, पोषण और बाल मृत्यु दर के आंकड़े भी हुए बेहतर
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान में भारत में लगभग 64.5 करोड़ लोग गरीबी की सूची में शामिल थे, यह संख्या 2015-2016 में घटकर लगभग 37 करोड़ और 2019-2021 में कम होकर 23 करोड़ हो गई। रिपोर्ट के अनुसार भारत में सभी संकेतकों के अनुसार गरीबी में गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पोषण संकेतक के तहत बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोग 2005-2006 में 44.3 प्रतिशत थे जो 2019-2021 में कम होकर 11.8 प्रतिशत हो गए। इस दौरान और बाल मृत्यु दर 4.5 प्रतिशत से घटकर 1.5 प्रतिशत हो गई।

गरीबों में खाना पकाने के ईंधन की उपलब्धता बढ़ी
यह मोदी सरकार की पीएम उज्ज्वला योजना का ही असर है, जो रिपोर्ट में साफ नजर आता है। रिपोर्ट के अनुसार जो खाना पकाने के ईंधन से वंचित गरीबों की संख्या भारत में 52.9 प्रतिशत से गिरकर 13.9 प्रतिशत हो गई है। वहीं स्वच्छता से वंचित लोग जहां 2005-2006 में 50.4 प्रतिशत थे उनकी संख्या 2019-2021 में कम होकर 11.3 प्रतिशत रह गई है। पेयजल के पैमाने की बात करें तो उक्त अवधि के दौरान बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोगों का प्रतिशत 16.4 से घटकर 2.7 हो गया। बिना बिजली के रह रहे लोगों की संख्या 29 प्रतिशत से 2.1 प्रतिशत और बिना आवास के गरीबों की संख्या 44.9 प्रतिशत से गिरकर 13.6 प्रतिशत रह गई है।भारत ने गरीबी सूचकांक मूल्य को आधा करने में हासिल की सफलता
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अलावे कई अन्य देशों ने भी अपने यहां गरीबों की संख्या में कमी की है। गरीबी कम करने में सफलता हासिल करने वाले देशों की सूची में 17 देश ऐसे हैं जहां उक्त अवधि की शुरुआत में 25 प्रतिशत से कम लोग गरीब थे। वहीं भारत और कांगो में उक्त अवधि की शुरुआत में 50 प्रतिशत से अधिक लोग गरीब थे। रिपोर्ट के अनुसार भारत उन 19 देशों की लिस्ट में शामिल है जिसके जिन्होंने आलोच्य अवधि के दौरान अपने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) मूल्य को आधा करने में सफलता हासिल की।आइए देखते हैं कि मोदी सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं से कितनों गरीबों को लाभ मिल रहा है और यह कैसे गरीबों का सहारा बन रही है और उनमें समृद्धि ला रही है….

जनधन खातों की संख्या 51 करोड़ के पार, 2.08 लाख करोड़ रुपये हैं जमा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री जनधन योजना’ जनधन खातों की संख्या और इसमे जमा पैसों का एक नया रिकॉर्ड बन चुका है। प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के तहत खोले गए बैंक खातों की संख्या 51 करोड़ के पार पहुंच गई है। इसके साथ ही जनधन खातों में कुल जमा राशि 2.08 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। पीएमजेडीवाई खातों की संख्या मार्च 2015 के 14.72 करोड़ से तीन गुना (3.4) बढ़कर 29 नवंबर 2023 तक 51.04 करोड़ हो गई है। प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) 28 अगस्त 2014 को शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य उन परिवारों के लिए शून्य रुपये की न्यूनतम जमा राशि वाले बैंक खाते खोलना था, जो अभी तक बैंकिंग सेवाओं से वंचित थे।

सामाजिक सुरक्षा: अटल पेंशन योजना के सदस्यों की संख्या 6 करोड़ पार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार की योजनाओं ने आम लोगों के जीवन की तस्वीर बदल दी है। मोदी सरकार की अटल पेंशन योजना (APY- एपीवाई) एक प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजना है। अटल पेंशन योजना की कामयाबी को आप इसी से जान सकते हैं कि अब तक इसके 6 करोड़ से अधिक खाते हो गए हैं। यानी अटल पेंशन योजना के तहत कुल नामांकन ने 6 करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया है। सिर्फ चालू वित्त वर्ष में ही इस योजना से 79 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं। एपीवाई के शुभारंभ से ही इसमें नामांकन निरंतर बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में नए नामांकन में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में नए नामांकन में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।

ओबीसी और एससी वर्ग के लिए वरदान बनी ‘पीएम स्वनिधि’ योजना
जब देश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और उससे जुड़े तमाम दल जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। ऐसे समय में भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट ने विपक्ष को आईना दिखाने का काम किया है। इस रिपोर्ट में ‘पीएम स्वनिधि’ योजना की जमकर तारीफ की गई है। इस योजना के 75 प्रतिशत लाभार्थी आरक्षित वर्ग से हैं। इसमें भी सबसे अधिक हिस्सेदारी ओबीसी वर्ग की है। इस रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि मोदी सरकार किस तरह ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याण और उत्थान के लिए काम कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एसबीआई की इस रिपोर्ट को साझा करते हुए कहा कि भारतीय स्टेट बैंक के सौम्या कांति घोष का यह गहन शोध स्वनिधि योजना के परिवर्तनकारी प्रभाव की एक बहुत स्पष्ट तस्वीर पेश करता है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट इस योजना की समावेशी प्रकृति को दर्शाती है और इस पर प्रकाश डालती है कि इसने वित्तीय सशक्तीकरण को किस तरह बढ़ावा दिया है।

उज्जवला योजना: 3 साल में गरीबों के बीच बांटे जाएंगे 75 लाख नए एलपीजी कनेक्शन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं ने गरीबों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) से देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल चुकी है। अब 13 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उज्जवला योजना के तहत अगले 3 वित्त वर्ष में 75 लाख नए एलपीजी कनेक्शन देने का फैसला किया गया। ये कनेक्शन साल 2023-24 से 2025-26 तक बांटे जाएंगे। इस योजना के तहत अब तक 9 करोड़ 60 लाख कनेक्शन दिए जा चुके हैं। 75 लाख अतिरिक्त उज्ज्वला कनेक्शन के प्रावधान से पीएमयूवाई लाभार्थियों की कुल संख्या 10.35 करोड़ हो जाएगी।

आयुष्मान भारत के 27 करोड़ से अधिक कार्ड जारी, 6 करोड़ लोगों को मिला मुफ्त इलाज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ (पीएम-जेवाई) की शुरुआत की थी। अब यह योजना गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत 27 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड दिए जा चुके हैं। आयुष्मान भारत योजना में अब तक 6 करोड़ से अधिक लोगों का मुफ्त इलाज किया गया है। उसमें से 3.5 करोड़ से अधिक महिलाओं का इलाज किया गया है। इस योजना के कारण लाभार्थियों को उपचार पर हो सकने वाले 1 लाख करोड़ रुपये की बचत भी हुई है।

देश में 4 करोड़ गरीबों को मिला पक्का घर
प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी और ग्रामीण को मिलाकर देश में करीब चार करोड़ बनाए जा चुके हैं और बनकर तैयार हो चुके घर पात्र गरीबों को सौंपा जा चुका है। इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों का जीवनस्तर ऊंचा हुआ है, जीवन आसान हुआ है और समग्र समृद्धि आई है। देश की समृद्धि के लिए यह जरूरी है कि सभी देशवासियों का अपना घर हो। इसके तहत मोदी सरकार ने देश में आर्थिक रूप से कमजोर या गरीब तबके के लोगों को अपना घर मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की। इसके तहत सरकार देश के उन नागरिकों की मदद करती है, जिनके पास पक्के मकान नहीं हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत अब तक गांवों में 3 करोड़ घरों का निर्माण किया गया है। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई थी जिसमें 72.56 लाख बनकर तैयार हो चुके हैं और लोगों को सौंप दिए गए हैं। यानि दोनों योजनाओं को मिलाकर देश में चार करोड़ से अधिक घरों का निर्माण किया जा रहा है। 

प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में अब तक 1.18 करोड़ से ज्यादा घरों को मिली मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (पीएमएवाई-यू) को अभूतपूर्व सफलता मिली है। मोदी सरकार अब तक 1.18 करोड़ घरों को मंजूरी दे चुकी है। इनमें से 113 लाख से अधिक का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है और 78 लाख से अधिक आवासीय इकाइयों को लाभार्थियों को सौंपा जा चुका है। मिशन के तहत कुल निवेश 8.11 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें 2 लाख करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता है। अब तक, 153970 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता जारी की जा चुकी है। पीएम आवास योजना के तहत सरकार बेघर लोगों को घर बनाकर देती है। इसके साथ ही लोन लेकर घर या फ्लैट खरीदने वाले लोगों को सब्सिडी भी सरकार की ओर से मिलती है।

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