वर्ष 2020 कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधारों के लिए जाना जाएगा। इस वर्ष आजाद भारत के इतिहास में पहली बार कृषि क्षेत्र और किसान कानूनों के जंजाल से आजाद हुए, तो इसका एकमात्र श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति को जाता है। उन्होंने सितंबर 2020 में तीन नए कृषि कानूनों के जरिए किसानों को मुक्ति दिलाने की क्रांतिकारी पहल की। अब 21वीं सदी में भारत का आत्मविश्वासी किसान बंधनों में नहीं, खुलकर खेती करेगा। जहां मन आएगा, अपनी उपज बेचेगा। किसी बिचौलिए का मोहताज नहीं रहेगा। आइए आपको बताते हैं वर्ष 2020 में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहल की, जो किसानों की आय दोगुनी करने और उनको आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
मोदी सरकार में पहली बार
- मोदी सरकार ने ‘एक देश, एक कृषि बाजार’ बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
- किसानों को अपनी फसल कहीं पर, किसी को भी बेचने की आजादी मिली।
- नए कृषि कानूनों के तहत मंडी से बाहर हुए सौदों को कानूनी संरक्षण मिला है। अब छोटे किसान भी कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
- पहले मंडियों में सिर्फ आढ़तियों को व्यापार की अनुमति थी, लेकिन नया कृषि कानून किसी को भी पैन नंबर के साथ व्यापार की अनुमति देता है।
- आवश्यक वस्तु अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन कर कृषि उपजों को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया।
- 7 अगस्त, 2020 को देवलाली से दानापुर तक पहली किसान रेल की शुरुआत हुई।
- केंद्रीय बजट 2020 में किसान कृषि उड़ान योजना की घोषणा की गई।
- अप्रैल 2020 में कृषि उत्पादों के परिवहन में सुगमता लाने के लिए किसान रथ मोबाइल एप लांच किया गया।
2020 के बड़े फैसले
संसद ने तीन क्रांतिकारी कृषि कानूनों को पारित किया-
- कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020
- कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020
- आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020
- 25 दिसंबर, 2020 को पीएम किसान सम्मान निधि की सातवीं किस्त जारी की गई, जिसमे 9 करोड़ किसानों के खातों में 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक ट्रांसफर किए गए।
- प्रधानमंत्री मोदी ने 28 दिसंबर, 2020 को देश की 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
- केंद्रीय बजट 2020-21 में किसान कृषि उड़ान योजना की घोषणा की गई।
- कोविड संकट से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कृषि क्षेत्र के लिए 1.63 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की गई।
- 8 जुलाई, 2020 को मोदी सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये के एग्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड को मंजूरी दी।
- पशुपालकों और डेयरी सेक्टर के विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपये का एक विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया।
- 1 जून, 2020 से 31 जुलाई 2020 तक 1.5 करोड़ डेयरी किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड्स अभियान की शुरुआत की गई।
- पीएम मोदी ने किसानों को पशुधन के लिए ई-मार्केटप्लस उपलब्ध कराने के लिए ई-गोपाला मोबाइल एप का लॉन्च किया।
- 50 करोड़ से ज्यादा पशुधन को खुरपका और मुंहपका बीमारियों से मुक्ति के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान शुरू किया गया।
- देसी नस्ल के गायों के विकास के लिए मिशन गोकुल शुरू किया गया
- डेयरी किसानों के लोन या सब्सिडी पर ब्याज छूट को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया।
- मई 2020 में मोदी सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया।
- हर्बल खेती को प्रोत्साहन के लिए 4,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय औषधीय पौध कोष की घोषणा की गई।
- इसके तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इस तरह की स्वास्थ्यवर्धक जड़ी बूटियों की खेती के तहत लाने का लक्ष्य है।
- 10 सितंबर, 2020 को पीएम मोदी ने 20,050 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) का शुभारंभ किया।
- बजट 2020 में 2024-25 तक मत्स्य निर्यात को एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने के लक्ष्य की घोषणा की गई।
- मोदी सरकार ने जून 2020 में एफपीओ को 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।
- वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि के क्षेत्र में 112 स्टार्ट-अप्स को 1,185.90 लाख रुपये की सहायता किस्तों में देने की घोषणा की गई।
- 16 दिसंबर, 2020 को मोदी सरकार ने गन्ना किसानों को 3,500 करोड़ रुपये की सहायता देने की मंजूरी दी।
- 50 करोड़ से ज्यादा पशुधन को खुरपका और मुंहपका बीमारियों से मुक्ति के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान शुरू किया गया।
2020 में धान की रिकॉर्ड खरीद
पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक धान की खरीद
2019-20 – 282.66 लाख मीट्रिक टन
2020-21 – 457 लाख मीट्रिक टन
57 लाख किसानों को 86,243 करोड़ रुपये का भुगतान
स्रोत : कृषि मंत्रालय
एमएसपी के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार
एमएसपी में अभूतपूर्व बढ़ोतरी
2015-16 1410 रुपये प्रति क्विंटल
2016-17 1470 रुपये प्रति क्विंटल
2017-18 1550 रुपये प्रति क्विंटल
2018-19 1750 रुपये प्रति क्विंटल
2019-20 1815 रुपये प्रति क्विंटल
2020-21 1868 रुपये प्रति क्विंटल
स्रोत : कृषि मंत्रालय
किसानों को मोदी सरकार की बड़ी सौगात
2021-22 की रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी
फसल | 2020-21
(रुपये/क्विंटल) |
2021-22
(रुपये/क्विंटल) |
उत्पादन की लागत 2021-22
(रुपये/क्विंटल) |
एमएसपी में वृद्धि
(रुपये/क्विंटल) |
लागत के ऊपर मुनाफा
(प्रतिशत में) |
गेहूं | 1925 | 1975 | 960 | 50 | 106% |
जौं | 1525 | 1600 | 971 | 75 | 65% |
चना | 4875 | 5100 | 2866 | 225 | 78% |
मसूर | 4800 | 5100 | 2864 | 300 | 78% |
सरसों | 4425 | 4650 | 2415 | 225 | 93% |
कुसुंभ | 5215 | 5327 | 3551 | 112 | 50% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
मोदी सरकार में खरीफ फसल की एमएसपी में वृद्धि
फसल | 2013-14 (रुपये/क्विंटल) | 2020-21 (रुपये/क्विंटल) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
धान | 1310 | 1868 | 43% |
ज्वार | 1500 | 2620 | 74.5% |
बाजरा | 1250 | 2150 | 72% |
मक्का | 1310 | 1850 | 41% |
अरहर | 4300 | 6000 | 40% |
मूंग | 4500 | 7196 | 60% |
उरद | 4300 | 6000 | 40% |
कपास | 3700 | 5515 | 49% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
2020 की प्रमुख उपलब्धियां
- किसान सम्मान निधि के तहत सात किस्तों में 10.85 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बैंक खातों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक भेजे गए।
- दिसंबर 2020 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 8.3 करोड़ से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराया।
- दिसंबर 2020 तक 22.41 करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया गया।
- e-NAM से 18 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 1.68 करोड़ किसान, 1.51 लाख व्यापारी, 86,889 कमिशन एजेंट और 1937 एफपीओ जुड़े हुए हैं।
- पीएम मोदी 29 अगस्त, 2020 को झांसी में रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का वर्चुअल लोकार्पण किया।
- 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की स्थापना से किसान समूहों के साथ एक नया आयाम जुड़ा है।
- देश के 60 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत हैं, जो इन एफपीओ के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएंगे।
मई 2014 में देश की बागड़ोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगातार नए-नए कदम उठाते रहे। आइए पिछले छह साल की उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं –
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना
प्रधानमंत्री मोदी ने 12 सितंबर, 2019 को प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर पात्र लघु और सीमांत किसानों को प्रति माह न्यूनतम 3,000 रुपये का भुगतान करने का प्रावधान है। यह स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें प्रवेश की आयु 18 से 40 वर्ष है। इसके लिए किसान की ओर से मासिक योगदान 55 से 200 रुपये के बीच रखा गया है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
प्रधानमंत्री मोदी ने 24 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये तीन बराबर किस्तों में लाभार्थी किसानों के खाते में सीधे डाले जाने की व्यवस्था है। योजना की शुरुआत में इसका लाभ केवल छोटे और सीमांत किसान परिवारों जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, देने की व्यवस्था की गई थी। सरकार ने बाद में इसमें बदलाव किया और 1 अप्रैल 2019 से यह व्यवस्था की कि इस योजना का लाभ सभी किसानों को दिया जाएगा, चाहे उनकी जमीन कितनी भी हो।
स्वामीनाथन आयोग के 200 सुझावों को स्वीकारा
दिसंबर 2019 में मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग के 201 सुझावों में से 200 सुझावों को स्वीकार किया। किसानों की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने का फैसला लिया गया। सरकार का यह निर्णय ऐतिहासिक था, चूंकि इससे पहली बार सभी अनिवार्य फसलों के लिए उत्पादन लागत की तुलना में किसानों को 50 प्रतिशत मूल्य प्रदान करने की प्रतिबद्धता पूरी होती है।
किसान पोर्टल के जरिए सम्मान निधि शुरूआत
किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए मोदी सरकार ने पीएम-किसान सम्मान निधि देने की शुरुआत की। कई राज्यों में किसानों को सम्मान निधि की रकम पाने के लिए परेशानी होती है। लेकिन अब केंद्र सरकार ने ऐसी सुविधा दी है कि कोई भी किसान सीधे पोर्टल के जरिए अपनी रकम के बारे में पता कर सकता है। कृषि मंत्रालय के अनुसार पीएम किसान पोर्टल पर जाकर कोई भी किसान अपना आधार, मोबाइल और बैंक खाता नंबर दर्ज करके इसके स्टेटस की जानकारी ले सकता है।
तीन लाख तक कर्ज लेने पर कोई शुल्क नहीं
मोदी सरकार ने किसानों को 3 लाख रुपये तक के कर्ज लेने की प्रक्रिया में कोई शुल्क नहीं लेने का फैसला किया। अब किसानों को प्रोसेसिंग, इंस्पेक्शन फीस या सर्विस चार्ज नहीं देना पड़ता है। किसानों को कृषि ऋण और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर कर्ज लेने के दौरान किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता। पहले ऋण मुहैया कराने से पहले प्रक्रिया या अन्य के नाम पर कुछ प्रतिशत तक किसानों से वसूला जाता था। आईबीए ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि कोई भी शुल्क किसानों से तीन लाख रुपये तक कर्ज लेने में नहीं लिया जाएगा।
गायों के लिए राष्ट्रीय गोकुल योजना
सरकार ने पशुपालन और गो-संरक्षण के लिए बड़ी पहल की। गांवों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाली गायों के लिए राष्ट्रीय गोकुल योजना की शुरुआत की। इसके तहत 750 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का प्रावधान किया।
मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों और देश की सेहत के लिए पोषक मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उपमिशन लागू किया। इसके तहत देश के 14 राज्यों के दो सौ से अधिक जिलों को चिन्हित मोटे अनाज वाली फसलों के लिए किसानों को सहायता दी गई। ये योजना उन किसानों के लिए फायदेमंद रही जहां ज्यादातर सूखा पड़ता है। मोटे अनाज की खेती में अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है।
बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाएगी मोदी सरकार
सरकार का लक्ष्य 2022 तक देश के किसानों की इनकम को दोगुना करना है और इस लक्ष्य को पाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। अब मोदी सरकार बंजर भूमि को कृषि कार्य योग्य बनाना रही है। बंजर जमीन पर खेती ना के बराबर होती है। बंजर भूमि वाले इलाके में रोजगार के अवसर भी कम होते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को कृषि उपयोग लायक बनाने का लक्ष्य रखा है। इससे करीब 75 लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने तय किया लक्ष्य
भारत ने पहले 2.1 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को उपयोग में लाये जा सकने योग्य बनाने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रेटर नोएडा में आयोजित सम्मेलन (कॉप-14) की उच्चस्तरीय बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अब 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को दुरुस्त करने की महत्वाकांक्षा रखता है। इसके अंतर्गत जमीन की उत्पादकता और जैव प्रणाली को बहाल करने पर ध्यान दिया जाएगा। इसमें बंजर हो चुकी खेती की जमीन के अलावा वन क्षेत्र और अन्य परती जमीनों को केंद्र में रखा जाएगा।
अब मोबाइल एप से किराए पर मंगा सकेंगे आधुनिक कृषि मशीनरी
मोदी सराकर किसानों को हर वो सुविधा दे रही है, जिससे उनकी कृषि लागत कम हो और इनकम बढ़े। छोटे किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत होती है कि वे खेती-बाड़ी में काम आने वाले अत्याधुनिक कृषि यंत्रों को खरीद नहीं सकते हैं। इसलिए मोदी सरकार ने अब छोटे किसानों के एक मोबाइल एप लॉन्च किया। ‘सीएचसी फार्म मशीनरी’ मोबाइल एप के जरिए किसान अपने खेत के 50 किलोमीटर दायरे में उपलब्ध खेती के उपकरण को मंगा सकेंगे। इस एप को बहुभाषी बनाया गया है। यह एप हिंदी और अंग्रेजी समेत 12 भाषाओं में उपलब्ध है।
मोदी सरकार ने गैर-यूरिया खादों की बढ़ाई सब्सिडी
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वर्ष 2019-20 के लिए फॉस्फोरस और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के लिए पोषण आधारित सब्सिडी दरों के निर्धारण के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी। सल्फर खाद पर 3.56 रुपये, नाइट्रोजन वाली खाद पर 18.90 रुपये, फॉस्फोरस वाली खाद पर 15.21 रुपये, जबकि पोटाश खाद पर 11.12 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दी गई।
सीधे खाते में जमा हो रही है खाद सब्सिडी
मोदी सरकार ने 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की खाद सब्सिडी को सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर को लेकर बड़ा कदम उठया। सरकार अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत सीधे किसानों के बैंक खातों में खाद सब्सिडी ट्रांसफर कर रही है। डीबीटी 2.0 की शुरुआत करते हुए तत्कालीन केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि इससे योजना में पारदर्शिता आएगी और उर्वरक की आपूर्ति में सहूलियत हो जाएगी। डीबीटी डैशबोर्ड का प्रावधान किया गया है, जिससे हर तरह की जानकारी कभी भी हासिल की जा सकती है और खाद की मांग, आपूर्ति व उपलब्धता को जांचा जा सकता है। नई व्यवस्था के तहत खाद के उत्पादन, आयात और उसका भंडारण कहां और कितना किया गया है, उसकी जानकारी ऑनलाइन प्राप्त की जा सकेगी।
अब किसानों को आसानी से मिलती है खाद
कांग्रेस की सरकारों के दौरान किसानों को खेती के लिए उर्वरक लाने में जान के लाले पड़ जाते थे। सरकारी खाद की दुकानों पर किसानों का अधिक समय लाइन लगाने और खाद लाने में बीत जाता था। इन लाइनों में खाद न मिलने के कारण कई राज्यों में अनेकों बार हिंसक घटनाएं हुईं। लेकिन अब देश में यह बीते दिनों की बातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने नीम कोटिंग का ऐतिहासिक फैसला लेकर कालाबजारी को पूरी तरह से बंद कर दिया, अब रासायनिक उर्वरकों का उपयोग केवल खेतों में ही हो सकता है, पहले की तरह उद्योगों में इसका उपयोग होना बंद हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक कदम यह उठाया कि सभी बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों को उत्पादन के लायक बनाकर, देश में उर्वरक उत्पादन को बढ़ा दिया। कांग्रेस की सरकारों के समय से बंद पड़े कई उर्वरक संयंत्रों को पुर्नजीवित किया जा रहा है।
हर खेत तक 24 घंटे बिजली पहुंचाने की योजना
हर घर तक बिजली पहुंचाने के बाद मोदी सरकार अब हर खेत तक 24 घंटे बिजली पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए पूरी तरह से अलग फीडर तय किया है, जिससे उन्हें 24 घंटे बिजली मिल सके। इसके साथ ही सरकार की योजना किसानों की लगात कम करने की भी है। सब्सिडी के साथ बिजली मिलने से भी उनकी आय बढ़ेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से इनकम बढ़ाने की तैयारी
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मोदी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इसी को देखते हुए अब खेती में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। मोदी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से देश के किसानों की तकदीर बदलने की तैयारी कर रही है। यह तकनीक किसानों के लिए मुनाफे की खेती साबित हो सकती है। इससे फसल की लागत घटेगी और किसानों की आय बढ़ेगी।
KUSUM योजना को मंजूरी
मोदी सरकार ने किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान यानि KUSUM योजना को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस योजना के तहत किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए सोलर पंप मुहैया कराया जा रहा है। मोदी सरकार ने KUSUM योजना बिजली संकट से जूझ रहे इलाकों को ध्यान में रख शुरू की। मोदी सरकार की कुसुम योजना के जरिए किसान अपनी जमीन पर सौर ऊर्जा उपकरण और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। कुसुम योजना की मदद से किसान अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं। किसान की जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरू की जा सकती है।
‘बीज से बाजार’ तक की महत्वपूर्ण पहल
किसानों को सशक्त करने के लिए ‘बीज से बाजार तक’ मोदी सरकार की एक अनुपम पहल है। जैसा कि नाम से भी स्पष्ट है, इस पहल के अंतर्गत पूरे फसल चक्र में किसानों के लिए कृषि कार्य को आसान बनाने की व्यवस्था है। यानि किसानों के लिए बीज हासिल करने से लेकर उपज को बाजार में बेचने तक का प्रावधान है। इस व्यवस्था में सबसे पहले बुआई से पहले किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है जिसमें कृषि ऋण की उपलब्धता महत्वपूर्ण है।
दशकों पुरानी समस्याएं खत्म करने के लिए उठाए कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की समस्याओं के समाधान को निश्चित समय में लागू करने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए। कांग्रेस की सरकारों में किसानों के लिए पानी, बिजली, खाद आदि से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए योजनाएं तो बनीं, लेकिन उनके क्रियान्वयन की समयसीमा को निश्चित नहीं किया गया, इसका परिणाम यह हुआ कि समस्या हमेशा बनी ही रही। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके विपरीत किसानों की पानी, बिजली, बीज, खाद, कृषि से जुड़े अन्य धंधों, बाजार, बीमा आदि से जुड़ी योजनाओं को निश्चित समय में लागू करने निर्णय लिया। प्रधानमंत्री का संकल्प है कि देश के किसानों की आय को 2022 तक दोगुना कर देंगे। किसानों की समस्याओं का समाधान करते हुए, आय दोगुनी करने का संकल्प मोदी सरकार से पहले इस देश में किसी सरकार ने नहीं लिया।