भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर के लिए अनुचित रूप से थोपा गया अनुच्छेद 370 5 अगस्त 2019 को खत्म कर दिया गया। इसे हटाए हुए अब दो साल हो गए हैं। इन दो सालों में जम्मू-कश्मीर में जहां आतंकवादी गतिविधियों में काफी कमी आई है वहीं चहुंमुखी विकास हुआ है। अनुच्छेद 370 के खत्म होते ही जम्मू-कश्मीर में जहां आतंकवादियों के आतंक का अंत हुआ है वहीं विकास की बयार बहने लगी है। जम्मू-कश्मीर में चलाए गए कल्याणकारी योजनाओं, सुधारों और विकास का लाभ लोगों तक पहुंचने लगा है।
पीएम विकास पैकेज के तहत जम्मू-कश्मीर में विकास कार्य
- जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद पिछले दो सालों में प्रधानमंत्री मोदी के विकास पैकेज के तहत 56,261 करोड़ की लागत वाली 54 परियोजनाओं की शुरुआत की गई। इनमें से 13 से अधिक योजनाएं साल 2021-22 तक पूरी हो जाएगी जबकि शेष परियोजनाएं 2022-23 में पूरी हो जाएंगी। जबकि साल 2018 तक वहां महज 7 परियोजनाओं को ही मंजूरी मिल पाई थी। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री विकास परियोजनाओं के तहत जून 2018 में जहां एक्सपेंडिचर में 26% की वृद्धि की गई थी वहीं मई 2021 में इसे बढ़ाकर 60.36% कर दिया गया। इतना ही नहीं इस दौरान कई विकास कार्यों को पूरा किया गया वहीं कई विकास के कार्य शुरू किए गए। जैसे रामबाग फ्लाईओवर पूरा किया गया तो काजीगुंड-बनिहाल सुरंग का काम पूरा हुआ। वहीं झेलम बाढ़ शमन परियोजना का पहला चरण पूरा कर लिया गया है। आईआईटी जम्मू ने अपने परिसर से ही काम करना शुरू कर दिया है, इतना ही नहीं वहां एम्स का काम भी शुरू हो गया है। जम्मू में बन रहे रिंग रोड का काम भी साल 2022 तक पूरा हो जाएगा।
डेढ साल में पूरे हुए 1100 से अधिक प्रोजेक्ट
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए वहां से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया है उसके बाद महज डेढ़ साल में ही 1100 से अधिक परियोजनाएं पूरी की गई हैं। इनमें से 5 परियोजनाएं तो ऐसी हैं जो पिछले 20 साल से लटकी पड़ी थीं। पीएम मोदी ने 15 ऐसी परियोजनाओं को गति देकर उन्हें पूरा कराया है जो 15 सालों से लटकी पड़ी थी। 165 परियोजनाएं जो 10 सालों से लटकी थी उसे भी मोदी सरकार ने पूरा किया है।
- उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत पहली बार कश्मीर को दिसंबर 2022 तक ट्रेन से जोड़ दिया जाएगा। मोदी सरकार ने चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊंचा ब्रिज बनाकर न केवल एक कीर्तिमान बनाया है बल्कि जम्मू-कश्मीर में विकास को एक नई पहचान दी है। मालूम हो कि विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब नदी पर तल स्तर से 359 मीटर की ऊंचाई पर बनाया जा रहा है। यह कुतुब मीनार और एफिल टावर से भी ऊँचा है। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने जम्मू-श्रीनगर-लद्दाख ऱाष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने जा रही है। यह प्रोजेक्ट 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
- मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अपनी सौभाग्य योजना के तहत सौ प्रतिशत विद्युतीकरण का अपना टार्गेट समय से पहले पूरा कर लिया। 2018 तक जम्मू-कश्मीर में बिजली उत्पादन की क्षमता 3504 मेगावाट की थी वहीं साल 2025 तक इसकी अतिरिक्त क्षमता 3530 मेगावाट उत्पादन की हो जाएगी। मोदी सरकार के प्रयास से जम्मू-कश्मीर की बिजली उत्पादन की क्षमता जहां तीन सालों में दोगुनी हो जाएगी वहीं सात सालों में तीनगुनी हो जाएगी। जबकि स्वतंत्रता के बाद से अब तक इसकी क्षमता महज 3500 मेगावाट तक पहुंची।
मोदी सरकार की हर योजना से लाभान्वित हुआ जम्मू-कश्मीर
- पहले केंद्र की किसी भी योजना के लिए जम्मू-कश्मीर की जनता तरस जाती थी। क्योंकि केंद्रीय योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सरकार के हाथ में होती थी। लेकिन जब से मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया है तब से केंद्र की योजनाएं भी वहां की जनता को सहज सुलभ होने लगी है। पीएम मोदी की उजाला योजना हो, उज्ज्वला योजना या फिर जल जीवन मिशन योजना, जम्मू-कश्मीर की सौ प्रतिशत जनता तक उसकी पहुंच सुनिश्चित हुई है।
जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए नई योजनाएं
- मोदी सरकार ने अपनी इस नई योजनाओं के तहत औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर तक बढ़ाएगा। इससे दूर-दराज के इलाके में विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब साढ़े चार लोग युवाओं को रोजगार मिलेगा। इससे हर क्षेत्र का समान, संतुलित और सतत सामाजिक और आर्थिक विकास होगा। इसके अलावा इस योजना से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के साथ ही सर्विस सेक्टर को भी लाभ होगा।
अर्थव्यवस्था और व्यापार सेक्टर के प्रोत्साहन के लिए पैकेज
- पीएम मोदी ने दिया 1350 करोड़ का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज दिया। केंद्र सरकार ने बाढ़ और COVID से प्रभावित अर्थव्यवस्था और व्यापार क्षेत्र के उत्थान के लिए यह राहत राहत पैकेज दिया है। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने एक साल के लिए पानी और बिजली के बिलों के फिक्स चार्ज में 50 फीसदी की छूट भी दी है।
पीएम पुनर्वास पैकेज से जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक बदलाव
- प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कश्मीरी प्रवासी युवाओं के लिए विशेष नौकरियों की व्यवस्था की गई। इस पैकेज के तहत नौकरी पाने के लिए कुछ ही वर्षों में 3,800 प्रवासी युवक कश्मीर लौट आए हैं।
- अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद जो 520 प्रवासी युवक कश्मीर लौट आए हैं उन्हें पुनर्वास पैकेज के तहत नौकरी दी गई है। इसी नीति के तहत वर्ष 2021 में लगभग 2,000 अन्य प्रवासी उम्मीदवारों के भी लौटने की संभावना है।
- घाटी में जम्मू-कश्मीर सरकार में कार्यरत 6,000 कश्मीरी प्रवासियों को आवास प्रदान करने के लिए, कश्मीर घाटी के विभिन्न जिलों में कश्मीरी प्रवासी कर्मचारियों के लिए 920 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 6,000 ट्रांजिट आवास इकाइयों का निर्माण किया जा रहा है।
- कश्मीरी प्रवासियों को नकद राहत प्रदान की जा रही है, जिसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है। 1990 में प्रति परिवार 500 रुपये को बढ़ाकर 13,000 रुपये प्रति परिवार कर दिया गया है।
मोदी सरकार के प्रहार से घटी आतंकवाद की घटनाएं
- अनुच्छेद 370 के खत्म होने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार ने आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। इसका नतीजा यह हुआ कि 2019 की तुलना में आतंकी घटनाओं में वहां 59 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
- अनुच्छेद 370 के खत्म होने के पहले करीब 13 महीने के दौरान जहां 443 आतंकी घटनाएं हुई थी वहीं इस अनुच्छेद के हटाने के बाद 13 महीने के दौरान 206 आतंकी घटनाएं दर्ज हुईं। इस दौरान आतंकी घटनाओं में 53 प्रतिशत की कमी हुई।
- इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर में तो पत्थरबाजी की घटनाएं करीब-करीब बंद सी हो गई। इन घटनाओं में 97 प्रतिशत की कमी आई। अनुच्छेद 370 के खत्म होने से पहले जो पत्थरबाजी की घटना की संख्या हजारों तक पहुंच गई थी वह घटकर सैकड़ों में पहुंच गई। अनुच्छेद 370 के खत्म होने के पहले एक साल के दौरान दर्ज 703 पत्थरबाजी के मामले की तुलना में घटकर पिछले एक साल में महज 310 हो गए हैं। यानि पत्थरबाजी की घटना में 56 प्रतिशत की कमी आई है।