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पेगासस विवाद के पीछे मीडिया सिंडिकेट और राफेल विरोध के पीछे अंतरराष्ट्रीय हथियार लॉबी की साजिश, विदेशी ताकतों के इशारे पर काम कर रहा है विपक्ष

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संसद का मानसून सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले पेगासस जासूसी मामले का अख़बारों में आना और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा संसद में गतिरोध उत्पन्न करना एक बड़े साजिश की ओर इशारा करता है। बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस विवाद के पीछे मोदी विरोधी ताकतों का हाथ बताया है। मालवीय ने दावा किया कि राहुल गांधी उन मुद्दों को उठाने के चैंपियन हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय ताकतों का निहित स्वार्थ होता है। जहां राफेल विरोध के पीछे हथियारों की लॉबी काम कर रही थी, वहीं पेगासस प्रोजेक्ट के पीछे विदेशी मीडिया सिंडिकेट काम कर रहा है।

मालवीय ने विपक्षी दलों पर विदेशी ताकतों के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया है। इस आरोप के ठोस आधार भी दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि यह खबर सबसे पहले अमेरिकी अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट‘ में प्रकाशित हुई। इस खबर में दावा किया गया कि इजरायल के पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके 50 देशों के हजारों लोगों के फोन की निगरानी की गई। लेकिन ना तो कोई सूची दी गई और ना ही प्रमाण दिया गया कि किस फोन में ये सॉफ्टवेयर डाला गया। दरअसल इस विवादे के पीछे अंतरराष्ट्रीय नेक्सस काम कर रहा है।

 मोदी सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय साजिश

मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल और फोर्बिडन स्टोरीज़ दोनों ने पेगासस को हथियार बनाया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के बाद पेरिस स्थित संस्था ‘फोर्बिडन स्टोरीज़’ ने पेगासस जासूसी मामले की फोरेंसिक जांच शुरू की, जो अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस के संस्थान ‘ओपन सोसायटी फाउंडेशन’ की सहायता से चलती है। जॉर्ज सोरोस कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने से लेकर सीएए जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार की खुलकर आलोचना कर चुके हैं। वहीं चीन अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक मीडिया सिंडिकेट को लगातार पैसे खिला रहा है। जून 2021 में द डेली कॉलर ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि चाइना डेली ने नवंबर 2016 से द वाशिंगटन पोस्ट (4.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर) समेत कई प्रमुख अमेरिकी प्रकाशनों को लाखों अमेरिकी डॉलर की फंडिंग की है।

विदेशी कंपनियों के लिए लॉबिंग

कांग्रेस और उसके नेताओं का इतिहास रहा है कि वो विदेशी कंपनियों के लिए लॉबिंग करते रहे हैं। इसके लिए वे एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम करते हैं। राफेल डील हो या विदेशी वैक्सीन कंपनियों को भारत में प्रवेश दिलाना हो, राहुल गांधी ने हमेशा विदेशी कंपनियों के लिए लॉबिंग की है। राहुल गांधी ने राफेल की प्रतिस्पर्धी कंपनी के इशारे पर राफेल डील के खिलाफ माहौल बनाया। डील रद्द करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। मोदी सरकार पर इस डील से जुड़ी जानकारियों को साझा करने का दबाव डाला। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

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